नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


भारतीय अर्थव्यवस्था

बजट 2022-23: अप्रत्यक्ष कर

  • 03 Feb 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अप्रत्यक्ष कर, बजट, जीएसटी, विशेष आर्थिक क्षेत्र, मेक इन इंडिया।

मेन्स के लिये:

विश्वसनीय कर व्यवस्था।

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय बजट 2022-23 स्थिर और पूर्वानुमेय कर व्यवस्था की घोषित नीति को जारी रखते हुए अधिक सुधार लाने का इरादा रखता है जो एक विश्वसनीय कर व्यवस्था स्थापित करने के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा।

अप्रत्यक्ष कर एक ऐसा कर है जिसे वस्तुओं और सेवाओं पर उस ग्राहक तक पहुँचने से पहले अधिरोपित किया जाता है जो अंततः खरीदे गए सामान या सेवा के बाज़ार मूल्य के हिस्से के रूप में अप्रत्यक्ष कर का भुगतान करता है। उदाहरण के लिये वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), आयात शुल्क।

प्रमुख बिंदु

  • रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह: कोरोनावायरस महामारी के बावजूद जनवरी 2022 में जीएसटी संग्रह ने 1.40 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड को छुआ।
    • जीएसटी सहकारी संघवाद की भावना को प्रदर्शित करता है और ‘एक बाज़ार-एक कर’ के रूप में भारत के सपने को पूरा करता है।
  • विशेष आर्थिक क्षेत्र: SEZs का सीमा शुल्क प्रशासन पूरी तरह से आईटी संचालित होगा और उच्च सुविधा एवं जोखिम-आधारित जाँच पर ध्यान देने के साथ सीमा शुल्क राष्ट्रीय पोर्टल पर कार्य करेगा।
  • सीमा शुल्क सुधार और शुल्क दर परिवर्तन: सीमा शुल्क प्रक्रिया को पूर्णतः फेसलेस कर दिया गया है। सीमा शुल्क सुधारों ने निम्नलिखित के संदर्भ में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है:
    • घरेलू क्षमता निर्माण।
    • MSMEs को समान अवसर प्रदान करना।
    • कच्चे माल की आपूर्ति पक्ष की बाधाओं को कम करना।
    • व्यापार में सुगमता को बढ़ाना।
    • PLIs और चरणबद्ध विनिर्माण योजनाओं जैसी अन्य नीतिगत पहलों हेतु सक्षम होना।
  • परियोजना आयात और पूंजीगत सामान: राष्ट्रीय पूंजीगत वस्तु नीति, 2016 का लक्ष्य वर्ष 2025 तक पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन को दोगुना करना है।
    • इससे रोज़गार के अवसर पैदा होंगे और परिणामस्वरूप आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।
    • हालाँकि बिजली, उर्वरक, कपड़ा, चमड़ा, जूते, खाद्य प्रसंस्करण जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिये पूंजीगत वस्तुओं के शुल्क में कई छूटें दी गई हैं, यहाँ तक कि कुछ मामलों में तीन दशकों से भी अधिक समय तक की छूट दी गई है।
      • इन छूटों ने घरेलू पूंजीगत वस्तु क्षेत्र के विकास में बाधा डाली है।
    • बजट में पूंजीगत वस्तुओं और परियोजना आयात में रियायती दरों को धीरे-धीरे समाप्त करने का प्रस्ताव है।
    • बजट में 7.5% का मध्यम टैरिफ लागू करने का प्रावधान है जो घरेलू क्षेत्र तथा 'मेक इन इंडिया' के विकास के लिये अनुकूल होगा।
  • क्षेत्र-विशिष्ट प्रस्ताव:
    • इलेक्ट्रॉनिक्स: पहनने योग्य उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक स्मार्ट मीटर के घरेलू निर्माण की सुविधा के लिये एक श्रेणीबद्ध दर संरचना प्रदान करने हेतु सीमा शुल्क दरों को संतुलित किया जाना है।
      • देश में कलाई में पहनने योग्य उपकरणों, सुनने योग्य उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक स्मार्ट मीटर के उत्पादन हेतु एक नए चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (PMP) की घोषणा की गई।
      • PMP शुरू में कम मूल्य के सामान के निर्माण को प्रोत्साहित करेगा और फिर उच्च मूल्य के घटक के निर्माण को बढ़ावा देगा।
    • रत्न और आभूषण: कटिंग और पॉलिश किये गए हीरे और रत्नों पर सीमा शुल्क घटाकर 5% कर दिया गया है।
      • साधारण तरीके से कटे हुए  हीरे पर सीमा शुल्क नही लगाया जाएगा।
    • एमएसएमई और निर्यात: भारत में निर्मित कृषि क्षेत्र के लिये उपकरणों तथा उन उपकरणों पर छूट को युक्तिसंगत किया  जा रहा है।
      • इसके अलावा निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु कई वस्तुओं पर छूट प्रदान की जा रही है।
    • ईंधन के सम्मिश्रण को प्रोत्साहित करने हेतु शुल्क: ईंधन के सम्मिश्रण को प्रोत्साहित करने के लिये टैरिफ उपाय शुरू किए जाएंगे।
      • इस बीच ईंधन के सम्मिश्रण को और प्रोत्साहित करने हेतु 1 अक्तूबर, 2022 से गैर-मिश्रित ईंधन पर 2 रुपए/लीटर का अतिरिक्त अंतर उत्पाद शुल्क (Additional Differential Excise) लगेगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow