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भारतीय इतिहास

बी आर अंबेडकर: 130 वीं जयंती

  • 16 Apr 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों? 

14 अप्रैल, 2020 को राष्ट्र द्वारा बी आर अंबेडकर (B R Ambedkar) की 130 वीं जयंती मनाई गई।

  • डॉ. अंबेडकर एक समाज सुधारक, न्यायविद, अर्थशास्त्री, लेखक, बहुभाषाविद (कई भाषाओं के जानकर), विद्वान और विभिन्न धर्मों के  विचारक थे।

DR-BR-Ambedkar

प्रमुख बिंदु: 

  • जन्म: बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म वर्ष 1891 में महू, मध्य प्रांत (अब मध्य प्रदेश) में हुआ था।

संक्षिप्त परिचय:

  • उन्हें भारतीय संविधान के पिता (Father of the Indian Constitution) के रूप में जाना जाता है और वह भारत के पहले कानून मंत्री थे।
  • वह संविधान निर्माण की मसौदा समिति के अध्यक्ष (Chairman of the Drafting Committee) थे।
  • वह एक प्रसिद्ध राजनेता थे जिन्होंने दलितों और अन्य सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिये लड़ाई लड़ी।

योगदान:

  • उन्होंने मार्च 1927 में उन हिंदुओं के खिलाफ महाड़ सत्याग्रह (Mahad Satyagraha) का नेतृत्व किया जो नगरपालिका बोर्ड के फैसले का विरोध कर रहे थे।
    • 1926 में म्युनिसिपल बोर्ड ऑफ महाड़ (महाराष्ट्र) ने सभी समुदायों हेतु   तालाबों  का उपयोग करने से संबंधित आदेश पारित किया। इससे पहले अछूतों को महाड़ में तालाब के पानी का उपयोग करने की अनुमति नहीं थी।
  • उन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलनों (Three Round Table Conferences) में भाग लिया।
  • वर्ष 1932 में डॉ. अंबेडकर ने महात्मा गांधी के साथ पूना समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिससे इन्होंने दलित वर्गों (सांप्रदायिक एवार्ड ) हेतु पृथक  निर्वाचन मंडल की मांग के विचार को छोड़ दिया।
    • हालाँकि प्रांतीय विधानमंडलों में दलित वर्गों के लिये सुरक्षित सीटों की संख्या 71 से बढ़ाकर 147 कर दी गई तथा केंद्रित विधानमंडल (Central Legislature) में दलित वर्गों की सुरक्षित सीटों की संख्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि की गई 
  •  हिल्टन यंग कमीशन (Hilton Young Commission) के समक्ष प्रस्तुत इनके विचारों ने भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) की नींव रखने का कार्य किया।

चुनाव और पद:

  • वर्ष 1936 में ये विधायक (MLA) के रूप में बॉम्बे विधानसभा (Bombay Legislative Assembly) के लिये चुने गए।
  • वर्ष 1942 में इन्हें एक कार्यकारी सदस्य के रूप में वायसराय की कार्यकारी परिषद में नियुक्त किया गया था।
  • वर्ष 1947 में डॉ. अंबेडकर ने स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनने हेतु प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निमंत्रण को स्वीकार किया।

बौद्ध धर्म को अपनाना:

  • हिंदू कोड बिल (Hindu Code Bill) पर मतभेद को लेकर इन्होने वर्ष 1951 में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
  • इन्होंने  बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया तथा  6 दिसंबर, 1956 (महापरिनिर्वाण दिवस) को उनका निधन हो गया।
  • चैत्य भूमि मुंबई में स्थित है जो बी आर अंबेडकर स्मारक के रूप में जानी जाती है।
  • वर्ष 1990 में इन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

महत्त्वपूर्ण कार्य:

  • पत्रिकाएँ: 
    • मूकनायक (1920)
    • बहिष्कृत भारत'  (1927)
    • समता (1929)
    • जनता (1930)
  • पुस्तकें:
    • जाति प्रथा का विनाश
    • बुद्ध या कार्ल मार्क्स
    • अछूत: वे कौन थे और अछूत कैसे बन गए 
    • बुद्ध और उनके धम्म
    • हिंदू महिलाओं का उदय और पतन
  • संगठन:
    • बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1923)
    • स्वतंत्र लेबर पार्टी (1936)
    • अनुसूचित जाति फेडरेशन (1942)

वर्तमान समय में अंबेडकर की प्रासंगिकता:

  • भारत में जाति आधारित असमानता अभी भी कायम है। हालाँकि  दलितों ने आरक्षण के माध्यम से एक राजनीतिक पहचान हासिल की  है तथा अपने स्वयं के राजनीतिक दलों का गठन किया है लेकिन इन सबके बावजूद अभी भी सामाजिक (स्वास्थ्य और शिक्षा) और आर्थिक क्षेत्र में पिछड़े हैं।
  • सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ ही राजनीति में सांप्रदायिकरण का उदय हुआ है। अत: अंबेडकर की संवैधानिक नैतिकता द्वारा धार्मिक नैतिकता को एक सुरिक्षित आधार प्रदान करके भारतीय संविधान की स्थायी क्षति को रोका जा सकता है।

गोलमेज सम्मेलन:

  • प्रथम गोलमेज सम्मेलन: इसका आयोजन 12 नवंबर, 1930 को  लंदन में किया गया था लेकिन कॉन्ग्रेस  ने इसमें भाग नहीं लिया था।
    • मार्च, 1931 में महात्मा गांधी और लॉर्ड इरविन (भारत का वायसराय 1926-31) के मध्य गांधी-इरविन समझौता (Gandhi-Irwin Pact) संपन्न हुआ। इसमें कॉन्ग्रेस द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन को समाप्त करने तथा  निकट भविष्य में होने वाले  गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर सहमति दी गई।
  • द्वितीय गोलमेज सम्मेलन: इसका आयोजन 7 सितंबर, 1931  को लंदन में हुआ। 
  • तृतीय गोलमेज सम्मेलन: 17 नवंबर, 1932 को  समय-समय पर नियुक्त विभिन्न उप-समितियों की रिपोर्टों पर विचार करने हेतु  लंदन में तीसरे गोलमेज़ सम्मेलन का आयोजन किया गया  जिसकी परिणति अंततः भारत शासन अधिनयम, 1935 के रूप में हुई।
  • कॉन्ग्रेस ने तीसरे गोलमेज़ सम्मेलन में भाग नहीं लिया क्योकि कॉन्ग्रेस के अधिकांश प्रमुख नेता उस समय जेल में थे। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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