UIDAI की कार्यप्रणाली पर CAG की लेखापरीक्षा रिपोर्ट | 08 Apr 2022
प्रिलिम्स के लिये:CAG, UIDAI, आधार अधिनियम, 2016 मेन्स के लिये:आधार और संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने आधार कार्ड जारी करने से संबंधित कई मुद्दों पर ‘भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण’ (UIDAI) की आलोचना की है।
- ये आलोचना देश के स्वतंत्र लेखा परीक्षक द्वारा UIDAI की पहली प्रदर्शन समीक्षा का हिस्सा हैं, जिसे वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2019 के बीच चार साल की अवधि में किया गया था।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण:
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CAG द्वारा रेखांकित मुद्दे:
- निवास प्रमाण हेतु दस्तावेज़ नहीं:
- UIDAI ने यह पुष्टि करने के लिये कोई विशिष्ट प्रमाण/दस्तावेज़ या प्रक्रिया निर्धारित नहीं की है कि आवेदक निर्दिष्ट अवधि के लिये भारत में रहा है अथवा नहीं, साथ ही आधार संख्या जारी करते हुए आवेदक से आकस्मिक स्व-घोषणा के माध्यम से आवासीय स्थिति की पुष्टि की जाती है।
- इसके अलावा आवेदक की पुष्टि की जाँच हेतू कोई व्यवस्था नहीं थी।
- भारत में आधार संख्या केवल उन व्यक्तियों को जारी की जाती है जो आवेदन की तारीख से पहले 12 महीनों में से 182 दिनों या उससे अधिक की अवधि हेतु भारत में निवास करते हैं।
- 'डी-डुप्लीकेशन' की समस्या:
- CAG की रिपोर्ट के अनुसार, UIDAI को ‘डुप्लिकेट’ होने के कारण 4,75,000 से अधिक आधार (नवंबर 2019 तक) को रद्द करना पड़ा है।
- यह डेटा इंगित करता है कि वर्ष 2010 के बाद से नौ वर्षों की अवधि के दौरान औसतन एक दिन में कम-से-कम 145 आधार सृजित किये गए, जो डुप्लीकेट नंबर थे, जिन्हें रद्द करना अनिवार्य था।
- आधार प्रणाली का उद्देश्य एक विशिष्ट पहचान स्थापित करना है- अर्थात, इस प्रणाली के तहत कोई भी व्यक्ति दो आधार संख्या प्राप्त नहीं कर सकता है, और साथ ही एक विशिष्ट व्यक्ति के बायोमेट्रिक्स का उपयोग विभिन्न लोगों के लिये आधार संख्या प्राप्त करने हेतु नहीं किया जा सकता है।
- त्रुटिपूर्ण नामांकन प्रक्रिया:
- ऐसा प्रतीत होता है कि UIDAI ने नामांकन के दौरान खराब गुणवत्ता वाले डेटा को फीड किये जाने पर बायोमेट्रिक अपडेट हेतु लोगों से शुल्क लिया था।
- UIDAI ने खराब गुणवत्ता वाले बायोमेट्रिक्स की ज़िम्मेदारी नहीं ली और आम लोगों पर आरोप लगाया तथा इसके लिये शुल्क भी लिया।
- आधार नंबरों का उनके वास्तविक दस्तावेज़ों से मिलान करना:
- UIDAI डेटाबेस में संग्रहीत सभी आधार नंबर निवासी की जनसांख्यिकीय जानकारी संबंधी दस्तावेज़ों के साथ समर्थित नहीं थे।
- इसने वर्ष 2016 से पहले UIDAI द्वारा एकत्र और संग्रहीत निवासी के डेटा की शुद्धता एवं पूर्णता के बारे में संदेह पैदा किया है।
- पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे:
- ‘बाल आधार’ नामक एक पहल के तहत बिना बायोमेट्रिक्स वाले बच्चों और नवजात शिशुओं को आधार कार्ड जारी करने के UIDAI के कदम की भी ऑडिट आलोचनात्मक थी।
- इसकी समीक्षा करने की आवश्यकता है, क्योंकि 5 वर्ष की उम्र के बाद बच्चे को नए नियमित आधार के लिये आवेदन करना होता है। अद्वितीय एवं विशिष्ट पहचान वैसे भी मेल नहीं खाती है, क्योंकि यह माता-पिता के दस्तावेज़ों के आधार पर जारी की जाती है।
- वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने के अलावा UIDAI ने 31 मार्च, 2019 तक बाल आधार (Bal Aadhaars) के मुद्दे पर 310 करोड़ रुपए का परिहार्य व्यय भी किया है।
- आईसीटी सहायता के दूसरे चरण में वर्ष 2020-21 तक राज्यों/स्कूलों को मुख्य रूप से नाबालिग बच्चों को आधार जारी करने हेतु 288.11 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि जारी की गई थी।
सिफारिशें:
- स्व-घोषणा हेतु प्रक्रिया का निर्धारण:
- आधार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, UIDAI आवेदकों के निवास स्थान की पुष्टि और उसे प्रमाणित करने हेतु स्व-घोषणा के अलावा एक प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज़ निर्धारित कर सकता है।
- बॉयोमेट्रिक सेवा प्रदाताओं (BSPs) के SLA मानकों को कड़ा करना:
- UIDAI बायोमेट्रिक सर्विस प्रोवाइडर्स (Biometric Service Providers- BSPs) के सर्विस लेवल एग्रीमेंट (Service Level Agreement-SLA) मापदंडों को कड़ा कर सकता है, अद्वितीय बायोमेट्रिक डेटा कैप्चर करने हेतु एक उपयोगी तंत्र विकसित कर उनकी निगरानी प्रणाली में सुधार किया जा सकता है ताकि सक्रिय रूप से उनकी पहचान की जा सकें और डुप्लिकेट आधार की संख्या को कम किया जा सके।
- नाबालिग हेतु बायोमेट्रिक पहचान की विशिष्टता के वैकल्पिक तरीकों की खोज:
- UIDAI पांँच वर्ष से कम उम्र के नाबालिग बच्चों हेतु बायोमेट्रिक पहचान की विशिष्टता हासिल करने के लिये वैकल्पिक तरीकों का पता लगा सकता है क्योंकि पहचान की विशिष्टता व्यक्ति के बायोमेट्रिक्स के माध्यम से स्थापित आधार की सबसे प्रमुख विशेषता है।
- लापता दस्तावेज़ों की पहचान कर उन्हें पूरा करने हेतु सक्रिय कदम:
- जल्द-से-जल्द डेटाबेस के लापता दस्तावेजों की पहचान कर उन्हें फिर से जुटाने हेतु सक्रिय कदम उठाना, ताकि वर्ष 2016 से पहले जारी किये गए आधार धारकों को किसी भी कानूनी जटिलता या असुविधा से बचाया जा सके।
- स्वैच्छिक अद्यतन के लिये शुल्क की समीक्षा:
- UIDAI निवासियों के बायोमेट्रिक्स के स्वैच्छिक अद्यतन हेतु शुल्क वसूलने की समीक्षा कर सकता है, क्योंकि निवासियों द्वारा (यूआईडीएआई) बायोमेट्रिक विफलताओं के कारणों की पहचान करना संभव नहीं था जिस कारण बायोमेट्रिक्स की खराब गुणवत्ता की समझ नागरिकों को नहीं थी।
- दस्तावेज़ों का गहन सत्यापन:
- आधार पारिस्थितिकी तंत्र में संस्थाओं (अनुरोध करने वाली संस्थाओं और प्रमाणीकरण सेवा एजेंसियों) को ऑन-बोर्ड शामिल करने से पहले UIDAI द्वारा दस्तावेज़ों, बुनियादी ढांँचे और उपलब्ध होने का दावा करने वाले तकनीकी समर्थन का गहन सत्यापन किया जा सकता है।
- एक उपयुक्त डेटा अभिलेखीय नीति तैयार करना:
- UIDAI डेटा सुरक्षा के प्रति भेद्यता के जोखिम को कम करने, अनावश्यक और अवांछित डेटा के कारण मूल्यवान डेटा की उपलब्धता को कमी को रोकने हेतु अवांछित डेटा को लगातार हटाकर एक उपयुक्त डेटा अभिलेखीय नीति तैयार कर सकता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d)
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 4 उत्तर: (b)
प्रश्न. पहचान प्लेटफॉर्म 'आधार' खुला (ओपन) "एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (APIs)" उपलब्ध कराता है। इसका क्या अभिप्राय है? (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (c)
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