असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य | 07 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (Ministry of Environment and Forests-MoEF) ने गुरुग्राम और फरीदाबाद में असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य (Asola-Bhatti Wildlife Sanctuary) के आस-पास के 1 किमी. क्षेत्र को पर्यावरण संवेदी क्षेत्र/इको सेंसिटिव ज़ोन (Eco-sensitive zone-ESZ) घोषित किया है।
- इको सेंसिटिव ज़ोन घोषित किये जाने के बाद इन क्षेत्रों में वाणिज्यिक खनन, उद्योगों की स्थापना और प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना जैसी गतिविधियाँ प्रतिबंधित हो जाएंगी।
असोला भाटी वन्यजीव अभ्यारण्य को इको सेंसिटिव ज़ोन का टैग क्यों?
असोला भाटी वन्यजीव अभयारण्य में वनस्पति तथा जैव दोनों प्रकार की विविधता विद्यमान है:
1. यहाँ विभिन्न प्रकार के वृक्ष, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ और घास पाए जाते हैं।
2. यहाँ बड़ी संख्या में स्तनधारी, सरीसृप, उभयचर, तितलियाँ और ड्रैगनफ्लाई पाए जाते हैं।
- इस अभयारण्य में स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की लगभग 200 प्रजातियाँ पाई जाती है।
- अभयारण्य के अंदर वन्यजीव आवास दिल्ली, फरीदाबाद और गुरुग्राम के लिये जल पुनर्भरण क्षेत्र (Water Recharge Zone) के रूप में कार्य करते हैं।
नियंत्रित गतिविधियाँ
- होटल और रिसॉर्ट: संरक्षित क्षेत्र की सीमा के 1 किमी. के भीतर या इको-सेंसिटिव ज़ोन की सीमा तक (जो भी पास हो) इनके निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- निर्माण कार्य: इको-पर्यटन गतिविधियों के लिये केवल "छोटे अस्थायी ढाँचे" का निर्माण।
- छोटे स्तर के गैर-प्रदूषणकारी उद्योग
- वृक्षों की कटाई
- नगरीय बुनियादी ढाँचा
प्रतिबंधित गतिविधियाँ:
- वाणिज्यिक खनन (Commercial mining)
- पत्थर खनन (Stone quarrying)
- औद्योगिक और प्रदूषणकारी उद्योग (Industrial and polluting industries)
- आरा मशीन और ईंट-भट्टे (Saw mills brick kilns)
अनुमत गतिविधियाँ
- बारिश के पानी का संग्रहण (Rain water harvesting)
- जैविक खेती (Organic farming)
- कुटीर उद्योग (Cottage industries)
- कृषि वानिकी (Agroforestry)
असोला-भाटी वन्यजीव अभयारण्य (Asola-Bhatti Wildlife Sanctuary) 32.7 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है और महत्त्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे की सीमा पर स्थित है जो राजस्थान के अलवर में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान से शुरू होता है तथा हरियाणा के मेवात, फरीदाबाद एवं गुरुग्राम ज़िलों से गुजरता है।