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आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम-2014 के तहत शीर्ष परिषद्

  • 07 Oct 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम-2014, कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण

मेन्स के लिये

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मध्य जल विवाद 

चर्चा में क्यों?

06 अक्तूबर, 2020 को आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम-2014 (Andhra Pradesh Re-Organization Act– 2014) के तहत गठित शीर्ष परिषद की दूसरी बैठक में अध्यक्ष के रूप में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और सदस्यों के रूप में आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया।  

प्रमुख बिंदु:

  • वर्ष 2016 के बाद आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम-2014 (Andhra Pradesh Re-Organization Act– 2014) के तहत गठित शीर्ष परिषद की यह दूसरी बैठक थी।
  • यह बैठक मुख्य रूप से दोनों राज्यों के बीच सिंचाई परियोजनाओं को निष्पादित करने और कृष्णा एवं गोदावरी नदियों के जल को साझा करने हेतु एक समाधान निकालने के लिये आयोजित की गई थी।
  • इस बैठक में कृष्णा एवं गोदावरी नदी के जल के बँटवारे के संबंध में, तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने उच्चतम न्यायालय में दायर किये गए मामले को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की ताकि केंद्र सरकार दोनों राज्यों के मध्य जल बँटवारे के मुद्दे को कृष्णा गोदावरी प्राधिकरण (Krishna Godavari Tribunal) को सौंप सके।

शीर्ष परिषद की दूसरी बैठक के मुख्य एजेंडे: 

  • इस बैठक के पहले एजेंडे में गोदावरी एवं कृष्णा प्रबंधन बोर्ड के अधिकार क्षेत्रों के बारे में निर्णय लिया गया था। 
    • छह वर्ष होने के बावजूद भी उनके अधिकार क्षेत्रों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है क्योंकि दोनों राज्यों के इस विषय पर अलग-अलग विचार हैं। 
  • जबकि दूसरे एजेंडे में क्रमशः कृष्णा और गोदावरी नदियों पर दोनों राज्यों द्वारा शुरू की गयी नई परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) प्रस्तुत करना शामिल है।
  • वहीं तीसरे एजेंडे में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों के बीच कृष्णा और गोदावरी नदी के जल के बँटवारे का निर्धारण करने के लिये एक तंत्र की स्थापना करना है।

केंद्र सरकार का पक्ष: 

  • उपरोक्त एजेंडों एवं अन्य मुद्दों के संबंध में केंद्र सरकार का पक्ष यह है कि अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम-1956 (Inter State River Water Disputes Act–1956) की धारा-3 के अंतर्गत जल आवंटन के मुद्दे को नए न्यायाधिकरण या कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण (KWDT-II) को संदर्भित किया जाए, यह मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है और विचाराधीन है।
  • कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड (KRMB) का मुख्यालय आंध्र प्रदेश में अवस्थित होगा।
  • केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार कृष्णा और गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड (KRMB एवं GRMB) के अधिकार क्षेत्र का निर्धारण करेगी। 
    • तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने इस पर असहमति व्यक्त की है किंतु आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम-2014 के अनुसार, इस विषय पर किसी भी प्रकार की आम सहमति की आवश्यकता नहीं है और इस विषय पर केंद्र ही अधिसूचना जारी करेगा।

स्रोत: द हिंदू

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