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प्रीलिम्स फैक्ट्स : 27 दिसंबर, 2018

  • 27 Dec 2018
  • 5 min read

सस्टेनेबल प्लास्टिक


हाल ही में इज़राइल के तेल अवीव विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने समुद्री शैवाल खाने वाले रोगाणुओं से उत्पन्न बायोप्लास्टिक विकसित किया है।

  • खारे पानी वाले एकल-कोशिकीय रोगाणु एक बहुलक को उत्पन्न करते हैं जिसका उपयोग बायोप्लास्टिक बनाने के लिये किया जा सकता है।
  • यह बिना कृषि योग्य भूमि को प्रभावित किये और ताजे पानी का उपयोग किये महासागरों को साफ करने हेतु दुनिया के प्रयासों में क्रांति ला सकता है।
  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, समुद्र में 90 फीसदी प्रदूषण की वज़ह प्लास्टिक ही है।
  • प्लास्टिक के विघटन में सैकड़ों वर्ष लगते हैं इसलिये प्लास्टिक के बैग और बोतल समुद्री जीवन को प्रभावित और पर्यावरण को दूषित करते हैं।

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  • पहले से ही ऐसे कारखाने हैं जो वाणिज्यिक स्तर पर इस प्रकार के बायोप्लास्टिक का उत्पादन करते हैं, लेकिन वे ऐसे पौधों का उपयोग करते हैं जिनके लिये कृषि भूमि और ताज़े पानी की आवश्यकता होती है।
  • यह नई प्रक्रिया समुद्री सूक्ष्मजीवों से 'प्लास्टिक' का उत्पादन करती है जो पूरी तरह से जैविक कचरे में पुन:चक्रित हो जाती है।
  • यह प्रक्रिया इज़राइल, चीन और भारत जैसे ताज़े पानी की कमी वाले देशों को पेट्रोलियम-व्युत्पन्न प्लास्टिक को बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक में बदलने में सक्षम बना देगी।

थाईलैंड में मारिजुआना का प्रयोग वैध

      • हाल ही में थाईलैंड की विधानमंडल ने चिकित्सकीय उपयोगों के लिये मारिजुआना को वैध कर दिया है। हालाँकि नशे के रूप में इसका उपयोग अब भी प्रतिबंधित है।
      • रॉयल राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद यह परिवर्तन कानून बन जाएगा और चिकित्सा प्रयोजनों के लिये मारिजुआना तथा क्रैटम उत्पादों के उत्पादन, आयात, निर्यात एवं उपयोग को वैध बना देगा।
      • थाईलैंड दक्षिण पूर्व एशिया में मारिजुआना को वैध करने वाला पहला देश बन गया है।

Marijuana

      • उत्पादकों और शोधकर्त्ताओं को इसके लिये लाइसेंस की आवश्यकता होगी, जबकि इन उत्पादों का उपभोग करने वाले लोगों को चिकित्सकिय सलाह पर ही उपलब्ध हो सकेगी
      • ध्यातव्य हो कि इज़राइल ने भी चिकित्सकीय उपयोग के लिये मारिजुआना के उपयोग को वैध कर दिया है।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हेतु अलग-अलग उच्च न्यायालय

    • सुप्रीम कोर्ट ने 1 जनवरी तक आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हेतु उच्च न्यायालयों के के संदर्भ में आदेश दिया था, जिसके तहत भारत के राष्ट्रपति ने उभयनिष्ठ हैदराबाद उच्च न्यायालय को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के दो अलग-अलग उच्च न्यायालयों में विभाजित करने का आदेश दिया है।
    • दोनों न्यायालयों में 1 जनवरी, 2019 से कार्य शुरू हो जाएगा।
    • आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के अनुसार, दोनों राज्यों हेतु तब तक एक उभयनिष्ठ उच्च न्यायालय होना तय था, जब तक कि अलग-अलग न्यायालयों का गठन नहीं हो जाता।
    • संविधान के अनुच्छेद 214 में यह प्रावधान है कि प्रत्येक राज्य के लिये एक उच्च न्यायालय होगा।
    • इस नए उच्च न्यायालय के निर्माण के साथ ही देश में अब कुल 25 उच्च न्यायालय हैं।
    • वर्तमान में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस रमेश रंगनाथन आंध्र प्रदेश के नए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होंगे। इसमें मुख्य न्यायाधीश के अलावा 15 न्यायाधीश होंगे।
    • शेष दस न्यायाधीश, जो उभयनिष्ठ उच्च न्यायालय के हिस्सा थे, अब तेलंगाना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश होंगे।
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