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डेली न्यूज़


भारतीय राजनीति

स्थगन प्रस्ताव

  • 16 Jul 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय संसद में प्रस्तावों के प्रकार

मेन्स के लिये:

तीन विवादास्पद कृषि कानून 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शिरोमणि अकाली दल (राजनीतिक दल) ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर सरकार के खिलाफ लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) लाने का फैसला किया है।

  • प्रस्ताव और संकल्प सामान्य जनहित के मामले पर सदन में चर्चा करने के लिये प्रक्रियात्मक उपकरण हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • स्थगन प्रस्ताव को केवल लोकसभा में तत्काल सार्वजनिक महत्त्व के एक निश्चित मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिये प्रस्तुत किया जाता है।
    • इसमें सरकार के खिलाफ निंदा का तत्त्व शामिल है, इसलिये राज्यसभा को इस उपकरण का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
  • इसे एक असाधारण उपकरण के रूप में माना जाता है क्योंकि यह सदन के सामान्य कार्य को बाधित करता है। इसे स्वीकार करने के लिये 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता है।
  • इस प्रस्ताव पर कम-से-कम दो घंटे तीस मिनट तक चर्चा चलनी चाहिये।
  • स्थगन प्रस्ताव की निम्नलिखित सीमाएँ भी हैं
    • इस प्रस्ताव के तहत जिस मामले पर चर्चा की जानी है, वह निश्चित होना चाहिये। किसी स्थगन प्रस्ताव को तब तक स्वीकृत नहीं किया जाता जब तक उसके तथ्य निश्चित नहीं होते हैं।
    • स्थगन प्रस्ताव के तहत किसी ऐसे मामले पर चर्चा नही की जा सकती है जो सदन में पहले से चला आ रहा हो अर्थात् वह मामला अविलंबित होना अनिवार्य है।
    • वह मामला लोक महत्त्व का हो और इतना महत्त्वपूर्ण होना चाहिये कि उसके लिये सदन की आम कार्यवाही रोकी जा सके।
    • इसका संबंध हाल ही में घटी किसी विशेष घटना से होना चाहिये।
    • विषय का संबंध विशेषाधिकार के मामले से नहीं होना चाहिये और इसके तहत न्यायालय में विचाराधीन किसी मामले पर चर्चा नहीं की जा सकती है।
    • मामला ऐसा होना चाहिये जिसके लिये प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से भारत सरकार ज़िम्मेदार हो।

भारतीय संसद में प्रस्तावों के प्रकार

विशेषाधिकार प्रस्ताव:

  • यह किसी सदस्य द्वारा तब प्रस्तुत किया जाता है जब उसे लगता है कि किसी मंत्री ने किसी मामले के तथ्यों को रोककर या गलत या विकृत तथ्य देकर सदन या उसके एक या अधिक सदस्यों के विशेषाधिकार का उल्लंघन किया है। इसका उद्देश्य संबंधित मंत्री की निंदा करना है।
  • इसे राज्यसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी प्रस्तुत किया जा सकता है।

निंदा प्रस्ताव:

  • लोकसभा में इसे स्वीकार करने का कारण बताना अनिवार्य है। इसे एक मंत्री या मंत्रियों के समूह या पूरी मंत्रिपरिषद के खिलाफ प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • इसे विशिष्ट नीतियों और कार्यों के लिये मंत्रिपरिषद की निंदा करने हेतु स्थानांतरित किया गया है। इसे केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है।

ध्यानाकर्षण प्रस्ताव:

  • यह संसद में एक सदस्य द्वारा तत्काल सार्वजनिक महत्त्व के मामले पर एक मंत्री का ध्यान आकर्षित करने और उस मामले पर एक आधिकारिक बयान मांगने के लिये प्रस्तुत किया जाता है।
  • इसे राज्यसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी प्रस्तुत किया जा सकता है।

स्थगन प्रस्ताव  

  • इसे लोकसभा में हाल के किसी अविलंबनीय लोक महत्त्व के परिभाषित मामले की ओर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिये प्रस्तुत किया जाता है। इसमें सरकार के खिलाफ निंदा का एक तत्त्व शामिल होता है।
  • इसे केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है।

अनियत दिवस प्रस्ताव

  • यह एक ऐसा प्रस्ताव है जिसे अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है लेकिन इस पर चर्चा के लिये कोई तारीख तय नहीं की गई है।
  • इसे राज्यसभा के साथ-साथ लोकसभा में भी प्रस्तुत किया जा सकता है। 

अविश्वास प्रस्ताव

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-75 में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है, अर्थात् इस सदन में बहुमत हासिल होने पर ही मंत्रिपरिषद बनी रह सकती है। इसके खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है। प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिये 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है। 
  • इसे केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है।

धन्यवाद प्रस्ताव

  • प्रत्येक आम चुनाव के बाद पहले सत्र और प्रत्येक वित्तीय वर्ष के पहले सत्र को राष्ट्रपति द्वारा संबोधित किया जाता है। राष्ट्रपति के इस अभिभाषण पर संसद के दोनों सदनों में 'धन्यवाद प्रस्ताव' पर चर्चा होती है।
  • धन्यवाद प्रस्ताव को सदन में पारित किया जाना चाहिये। अन्यथा यह सरकार की हार के समान है।

कटौती प्रस्ताव

  • कटौती प्रस्ताव लोकसभा के सदस्यों में निहित एक विशेष शक्ति है जो अनुदान की मांग के हिस्से के रूप में वित्त विधेयक में सरकार द्वारा विशिष्ट आवंटन के लिये चर्चा की जा रही मांग का विरोध करती है।
  • यदि प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह अविश्वास प्रस्ताव के समान होगा और यदि सरकार निम्न सदन में बहुमत सिद्ध करने में विफल रहती है, तो वह सदन के मानदंडों के अनुसार इस्तीफा देने के लिये बाध्य होगी।
  • निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से मांग की मात्रा को कम करने के लिये एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है:
    • नीति कटौती प्रस्ताव: इसे इस तरह से प्रस्तुत किया जाता है कि मांग की राशि घटाकर 1 रुपया कर दी जाए", (मांग में अंतर्निहित नीति से अननुमोदन प्रकट करने के लिये हो) ऐसा प्रस्ताव "नीति कटौती प्रस्ताव" कहा जाएगा।
    • अर्थव्यवस्था में कटौती का प्रस्ताव: इसे इस तरह से पेश किया जाता है कि मांग की राशि एक निर्दिष्ट राशि से कम हो जाए।
    • टोकन कटौती प्रस्ताव: इसके अंतर्गत सदस्य किसी मंत्रालय की अनुदान मांगों में से 100 रुपए की टोकन कटौती का प्रस्ताव करते हैं। सरकार से कोई विशेष शिकायत होने पर भी सदस्य ऐसा करते हैं।
  • इसे केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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