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भारतीय राजनीति

स्थगन प्रस्ताव: अर्थ और नियम

  • 16 Sep 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये

स्थगन प्रस्ताव

मेन्स के लिये

सरकार की कार्यप्रणाली की जाँच में स्थगन प्रस्ताव की भूमिका

चर्चा में क्यों?

काॅॅन्ग्रेस के दो सांसदों ने चीन द्वारा भारत के 10000 से अधिक व्यक्तियों और संगठनों पर निगरानी के मुद्दे पर चर्चा करने के लिये स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) नोटिस दिया है। 

प्रमुख बिंदु

  • काॅॅन्ग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार द्वारा की गई स्वतंत्र जाँच का हवाला देते हुए कहा कि चीन की एक टेक्नोलॉजी कंपनी द्वारा भारत के 10,000 से अधिक लोगों और संगठनों की सक्रिय रूप से निगरानी की जा रही है।
  • इसके अलावा काॅॅन्ग्रेस ने चीन की मंशा का सामना करने के लिये केंद्र सरकार से साइबर सुरक्षा पर भारत के प्रयासों को और अधिक मज़बूत करने का भी आग्रह किया।

स्थगन प्रस्ताव का अर्थ?

  • स्थगन प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य हाल के किसी ऐसे अविलंबनीय लोक महत्त्व के मामले की ओर, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, सदन का ध्यान आकर्षित करना है।
  • हालाँकि यहाँ यह महत्त्वपूर्ण है कि सदन के किसी सदस्य द्वारा जो भी मामला उठाया जा रहा है वह इतना गंभीर होना चाहिये कि उसका समूचे देश पर और देश की सुरक्षा पर कुप्रभाव पड़ता हो तथा सभा के लिये अपने सामान्य कार्य को रोक कर उस विषय पर तत्काल विचार करना आवश्यक हो।
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कि स्थगन प्रस्ताव का अभिप्राय एक ऐसी प्रक्रिया से है, जिसके स्वीकृत होने पर लोक महत्त्व के किसी निश्चित मामले चर्चा करने के लिये सभा का सामान्य कार्य रोक दिया जाता है।

स्थगन प्रस्ताव से संबंधित नियम

  • आवश्यक है कि संसद में स्थगन प्रस्ताव का विषय प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार के कार्यकरण से संबंधित होना चाहिये, तथा उसमें स्पष्ट रूप से इस बात का उल्लेख होना चाहिये कि भारत सरकार संविधान और कानून के किस उपबंध के अनुरूप अपने कर्त्तव्यों का पालन करने में सफल नहीं रही है।
    • हालाँकि राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आने वाले मामलों को स्थगन प्रस्ताव के तहत स्वीकृत नहीं किया जाता है, किंतु किसी राज्य के संवैधानिक घटनाक्रमों और राज्यों के संवेदनशील वर्गों जैसे (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति) आदि से संबंधित मामलों  पर संसद द्वारा इस प्रस्ताव के तहत विचार किया जा सकता है।
  • सदन में स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा करने के लिये किसी विषय को स्वीकृत करने अथवा अस्वीकृत करने की पूरी शक्ति सदन के पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) को प्राप्त होती है और किसी मामले को स्वीकृत करने अथवा अस्वीकृत करने का कारण बताना पीठासीन अधिकारी के लिये आवश्यक नहीं है।
  • नियमों के अनुसार, सदन का कोई सदस्य किसी एक बैठक के लिये एक से अधिक स्थगन प्रस्ताव नोटिस नहीं दे सकता है।
  • सत्रावधि के दौरान स्थगन प्रस्ताव की सूचना उस दिन 10.00 बजे से पूर्व दी जानी आवश्यक है, जिस प्रस्ताव को प्रस्तुत करने का विचार है। इस अवधि के बाद प्राप्त सूचना को अगली बैठक के लिये दी गई सूचना के रूप में माना जाएगा।
  • संसद की परंपरा के अनुसार, राष्ट्रपति के अभिभाषण के दिन स्थगन प्रस्ताव को नहीं लिया जाता है और उस दिन प्राप्त सूचनाओं को अगली बैठक के लिये प्राप्त सूचना माना जाता है।

स्थगन प्रस्ताव की स्वीकृति के लिये आवश्यक सिद्धांत

  • इस प्रस्ताव के तहत जिस मामले पर चर्चा की जानी है वह निश्चित होना चाहिये। किसी स्थगन प्रस्ताव को तब तक स्वीकृत नहीं किया जाता जब तक उसके तथ्य निश्चित नहीं होते हैं।
  • स्थगन प्रस्ताव के तहत किसी ऐसे मामले पर चर्चा नही की जा सकती है जो सदन में पहले से चला आ रहा हो अर्थात् वह मामला अविलंबित होना अनिवार्य है।
  • वह मामला लोक महत्त्व का होना चाहिये। वह मामला इतना महत्त्वपूर्ण होना चाहिये कि उसके लिये सदन की आम कार्यवाही रोकी जा सके।
  • इसका संबंध हाल ही में घटी किसी विशेष घटना से होना चाहिये।
  • विषय का संबंध विशेषाधिकार के मामले से नहीं होना चाहिये और इसके तहत न्यायालय में विचाराधीन किसी मामले पर चर्चा नहीं की जा सकती है।
  • मामला ऐसा होना चाहिये जिसके लिये प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से भारत सरकार ज़िम्मेदार हो।

संसद की कार्यवाही को रोकने की शक्ति

  • स्थगन प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य हाल के किसी सार्वजनिक महत्त्व के मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करना होता है, और नियमों के मुताबिक जब प्रस्ताव पर चर्चा हो रही होती है, तो अध्यक्ष के पास सदन को स्थगित करने की शक्ति नहीं होती है।
  • एक बार स्थगन प्रस्ताव पर बहस शुरू होने के बाद सदन के लिये बिना किसी रूकावट के उस प्रस्ताव के निष्कर्ष तक पहुँचना आवश्यक होता है। 
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कि स्थगन प्रस्ताव में संसद की कार्यवाही को स्थगित करने की शक्ति होती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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