65वाँ महापरिनिर्वाण दिवस | 07 Dec 2021

प्रिलिम्स के लिये:

महापरिनिर्वाण दिवस, बौद्ध धर्म, बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर 

मेन्स के लिये:

डॉ. भीमराव अंबेडकर का संक्षिप्त परिचय एवं महत्त्वपूर्ण योगदान 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने महापरिनिर्वाण दिवस पर बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी।

Mahaparinirvan-Diwas

प्रमुख बिंदु

  • महापरिनिर्वाण दिवस के बारे में:
    • परिनिर्वाण जिसे बौद्ध धर्म के लक्ष्यों के साथ-साथ एक प्रमुख सिद्धांत भी माना जाता है, यह एक संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है मृत्यु के बाद मुक्ति अथवा मोक्ष है। 
      • बौद्ध ग्रंथ महापरिनिब्बाण सुत्त (Mahaparinibbana Sutta) के अनुसार, 80 वर्ष की आयु में हुई भगवान बुद्ध की मृत्यु को मूल महापरिनिर्वाण माना जाता है। 
    • यह 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिये गए सामाजिक योगदान और उनकी उपलब्धियों को याद करने के लिये मनाया जाता है। बौद्ध नेता के रूप में डॉ. अंबेडकर की सामाजिक स्थिति के कारण उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में जाना जाता है।
  • बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर:
    • जन्म: 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रांत (अब मध्य प्रदेश) के महू में।
    • संक्षिप्त परिचय:
      • डॉ. अंबेडकर एक समाज सुधारक, न्यायविद, अर्थशास्त्री, लेखक, बहु-भाषाविद और तुलनात्मक धर्म दर्शन के विद्वान थे।
        • वर्ष 1916 में उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय बने।
      • उन्हें भारतीय संविधान के जनक (Father of the Indian Constitution) के रूप में जाना जाता है। वह स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून/विधि मंत्री थे।
    • संबंधित जानकारी:
      • वर्ष 1920 में उन्होंने एक पाक्षिक (15 दिन की अवधि में छपने वाला) समाचार पत्र ‘मूकनायक’  (Mooknayak) की शुरुआत की जिसने एक मुखर और संगठित दलित राजनीति की नींव रखी।
      • उन्होंने बहिष्कृत हितकारिणी सभा (1923) की स्थापना की, जो दलितों के बीच शिक्षा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित थी।
      • वर्ष 1925 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी समिति द्वारा उन्हें साइमन कमीशन में काम करने के लिये नियुक्त किया गया था।
      • हिंदुओं के प्रतिगामी रिवाज़ों को चुनौती देने के लिये मार्च 1927 में उन्होंने महाड़ सत्याग्रह (Mahad Satyagraha) का नेतृत्त्व किया।
      • वर्ष 1930 के कालाराम मंदिर आंदोलन में अंबेडकर ने कालाराम मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, क्योंकि दलितों को इस मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता था। इसने भारत में दलित आंदोलन शुरू करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
      • उन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलनों (Round-Table Conferences) में भाग लिया।
      • वर्ष 1932 में उन्होंने महात्मा गांधी के साथ पूना समझौते (Poona Pact) पर हस्ताक्षर किये, जिसके परिणामस्वरूप वंचित वर्गों के लिये अलग निर्वाचक मंडल (सांप्रदायिक पंचाट) के विचार को त्याग दिया गया।
        • हालाँकि दलित वर्गों के लिये आरक्षित सीटों की संख्या प्रांतीय विधानमंडलों में 71 से बढ़ाकर 147 तथा केंद्रीय विधानमंडल में कुल सीटों का 18% कर दी गई। 
      • वर्ष 1936 में वह बॉम्बे विधानसभा के विधायक (MLA) चुने गए।
      • 29 अगस्त, 1947 को उन्हें संविधान निर्मात्री समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
      • उन्होंने स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनने के प्रधानमंत्री नेहरू के आमंत्रण को स्वीकार किया।
      • उन्होंने हिंदू कोड बिल (जिसका उद्देश्य हिंदू समाज में सुधार लाना था) पर मतभेदों के चलते वर्ष 1951 में मंत्रिमंडल से त्याग-पत्र दे दिया।
      • वर्ष 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया।
      • 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया।
      • वर्ष 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
      • चैत्य भूमि भीमराव अंबेडकर का एक स्मारक है जो मुंबई के दादर में स्थित है।
      • महत्त्वपूर्ण कृतियाँ: समाचार पत्र मूकनायक (1920), एनिहिलेशन ऑफ कास्ट (1936), द अनटचेबल्स (1948), बुद्धा ऑर कार्ल मार्क्स (1956), बुद्धा एंड हिज़ धम्म (1956) इत्यादि।
    • उद्धरण::
      • लोकतंत्र केवल सरकार का एक रूप नहीं है। यह मुख्य रूप से जुड़े रहने का एक तरीका है, संयुग्मित संचार अनुभव का। यह अनिवार्य रूप से साथी पुरुषों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का दृष्टिकोण है।”
      • मैं एक समुदाय की प्रगति को उस प्रगति डिग्री से मापता हूँ जो महिलाओं ने हासिल की है।”
      • “मनुष्य नश्वर है। उसी तरह विचार भी नश्वर हैं। एक विचार को प्रचार-प्रसार की ज़रूरत होती है जैसे एक पौधे को पानी की ज़रूरत होती है। अन्यथा दोनों मुरझा जाएँगे और मर जाएँगे ”

स्रोत: पी.आई.बी