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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 31 Oct, 2022
  • 25 min read
प्रारंभिक परीक्षा

सरस फूड फेस्टिवल-2022

हाल ही में स्वयं सहायता समूहों (SHG) की महिलाओं द्वारा तैयार किये गए पारंपरिक और घर में बने हस्तशिल्प, पेंटिंग, खिलौने आदि को बढ़ावा देने के लिये नई दिल्ली में सरस फूड फेस्टिवल, 2022 का आयोजन किया गया।

सरस फूड फेस्टिवल:

  • यह बड़े पैमाने पर महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रयास के रूप में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक पहल है।
  • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम 'राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन' के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ इस उत्सव में भाग ले रही हैं।
  • यह आयोजन महिला स्वयं सहायता समूहों को भोजन बनाने के क्षेत्र में अपने कौशल का प्रदर्शन करने और लोगों को हमारे देश की खाद्य संस्कृति से परिचित कराने का अवसर प्रदान करेगा।
    • ये एसएचजी महिलाएँ ग्रामीण उत्पाद बनाने और अपने राज्यों के पारंपरिक व्यंजन तैयार करने में कुशल हैं।
  • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा तैयार सरस उत्पादों के बेहतर और अधिक प्रभावी विपणन के लिये ई-कॉमर्स पोर्टल भी लॉन्च किया।
    • लगभग 8 करोड़ 62 लाख महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों की सदस्य हैं। 97 प्रतिशत ब्लॉकों में उनकी उपस्थिति है, जबकि उनमें से 85 प्रतिशत सीधे मंत्रालय के नेटवर्क से जुड़े हैं।
  • ई-कॉमर्स पोर्टल के ज़रिये सालाना करीब 25 प्रतिशत बिक्री महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा किये जाने का प्रयास किया जा रहा है।
  • यह मंत्रालय विपणन की पहुँच बढ़ाने के लिये सभी राज्यों की राजधानियों, प्रमुख शहरों और महानगरों, हवाई अड्डों तथा रेलवे स्टेशनों में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा सरस स्टॉल स्थापित करने के लिये आवश्यक कदम उठाएगा।

स्वयं सहायता समूह (SHGs):

  • परिचय:
    • स्वयं सहायता समूह (SHG) कुछ ऐसे लोगों का एक अनौपचारिक संघ होता है जो अपने रहन-सहन की परिस्थितियों में सुधार करने के लिये स्वेच्छा से एक साथ आते हैं।
    • सामान्यतः एक ही सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों का ऐसा स्वैच्छिक संगठन स्वयं सहायता समूह (SHG) कहलाता है, जिसके सदस्य एक-दूसरे के सहयोग के माध्यम से अपनी साझा समस्याओं का समाधान करते हैं।
    • SHG स्वरोज़गार और गरीबी उन्मूलन को प्रोत्साहित करने के लिये "स्वयं सहायता" (Self-Employment) की धारणा पर भरोसा करता है।
  • उद्देश्य:
    • रोज़गार और आय सृजन गतिविधियों के क्षेत्र में गरीबों तथा हाशिये पर पड़े लोगों की कार्यात्मक क्षमता का निर्माण करना।
    • सामूहिक नेतृत्व और आपसी चर्चा के माध्यम से संघर्षों को हल करना।
    • बाज़ार संचालित दरों पर समूह द्वारा तय की गई शर्तों के साथ संपार्श्विक मुक्त ऋण (Collateral Free Loans) प्रदान करना।
    • संगठित स्रोतों से उधार लेने का प्रस्ताव रखने वाले सदस्यों के लिये सामूहिक गारंटी प्रणाली के रूप में कार्य करना।
      • गरीब लोग अपनी बचत को बैंकों में जमा करते हैं। बदले में उन्हें अपनी सूक्ष्म इकाई उद्यम शुरू करने हेतु कम ब्याज़ दर के साथ ऋण तक आसान पहुंँच प्राप्त होती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, ग्रामीण गरीबों की आजीविका के विकल्पों में कैसे सुधार करता है? (2012)

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग और कृषि व्यवसाय केंद्र तथा बड़ी संख्या में नए विनिर्माण स्थापित कर।
  2. 'स्वयं सहायता समूहों' को मज़बूती प्रदान कर तथा कौशल विकास द्वारा।
  3. बीज, उर्वरक, डीज़ल पंप-सेट की आपूर्ति करके और किसानों को सूक्ष्म सिंचाई उपकरण नि:शुल्क प्रदान कर।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक गरीबी उन्मूलन परियोजना है। यह योजना स्वरोज़गार को बढ़ावा देने और ग्रामीण गरीबों के संगठन पर केंद्रित है। इस कार्यक्रम के पीछे मूल विचार गरीबों को स्वयं सहायता समूहों (SHGs) में संगठित करना और उन्हें स्वरोज़गार के लिये सक्षम बनाना है।
  • NRLM के स्तंभ:
    • गरीबों हेतु मौजूदा आजीविका विकल्पों को बढ़ाना और उनका विस्तार करना,
    • साथ ही नौकरी के लिये कौशल का निर्माण करना,
    • स्वरोज़गार और उद्यमियों का पोषण करना। अत: कथन 2 सही है।
  • मिशन न तो बड़ी संख्या में नए विनिर्माण उद्योगों की स्थापना, न ही ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि व्यवसाय केंद्र पर ध्यान केंद्रित करता है। इसका उद्देश्य बीज, उर्वरक, डीज़ल पंप-सेट एवं सूक्ष्म सिंचाई उपकरण की आपूर्ति करना नहीं है। अतः कथन 1 और 3 सही नहीं हैं।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.


प्रारंभिक परीक्षा

राष्ट्रीय एकता दिवस

राष्ट्रीय एकता दिवस 2022 पर भारत के केंद्रीय गृह मंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी 147वीं जयंती पर याद करते हुए कहा कि इन्होनें अपनी दूरदर्शिता से एक मजबूत और एकजुट भारत के सपने को साकार किया।   

राष्ट्रीय एकता दिवस

  • भारत में प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसे राष्ट्रीय एकता दिवस भी कहते हैं।
    • इस दिन को मनाने के पीछे का कारण लोगों को एकजुट करना और समाज के उत्थान के लिये उनके विचारों से अवगत कराना है।
    • इसे पहली बार वर्ष 2014 में मनाया गया था।
  • इस दिन सरदार पटेल के राष्ट्रीय अखंडता और एकता में योगदान के विषय में जागरूकता फैलाने के लिये ‘रन फॉर यूनिटी (Run For Unity)’ जैसे विभिन्न आयोजन किये जाते हैं।
  • वर्ष 2018 में सरदार पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर भारत सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में गुजरात में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण किया था।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी:

  • स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विश्व की सबसे ऊंँची (182 मीटर) मूर्ति है। यह चीन की स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध प्रतिमा (Spring Temple Buddha statue) से 23 मीटर ऊंँची तथा अमेरिका में स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर लंबा) की ऊंँचाई की लगभग दोगुनी है।
  • जनवरी 2020 में इसे शंघाई सहयोग संगठन में आठ अजूबों में शामिल किया गया था।

सरदार वल्लभभाई पटेल:

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  • परिचय:
    • सरदार पटेल का जन्म 31 अक्तूबर, 1875 को नाडियाड गुजरात में हुआ था।
    • वे भारत के प्रथम गृह मंत्री और उप-प्रधानमंत्री थे।
    • भारतीय राष्ट्र को एक संघ बनाने (एक भारत) तथा भारतीय रियासतों के एकीकरण में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।
      • उन्होंने श्रेष्ठ भारत (अग्रणी भारत) बनाने के लिये भारत के लोगों से एकजुट होकर रहने का अनुरोध किया।
      • यह विचारधारा अभी भी आत्मनिर्भर भारत पहल में परिलक्षित होती है जो भारत को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करती है।
    • आधुनिक अखिल भारतीय सेवा प्रणाली की स्थापना के कारण उन्हें 'भारत के सिविल सेवकों के संरक्षक संत' के रूप में भी याद किया जाता है।
  • संविधान निर्माण में भूमिका:
    • उन्होंने भारत की संविधान सभा की विभिन्न समितियों का नेतृत्व किया, अर्थात्:
    • मौलिक अधिकारों पर सलाहकार समिति।
    • अल्पसंख्यकों और जनजातीय एवं बहिष्कृत क्षेत्रों पर समिति।
    • प्रांतीय संविधान समिति।
  • प्रमुख योगदान:
    • उन्होंने शराब के सेवन, छुआछूत, जातिगत भेदभाव और गुजरात एवं उससे बाहर महिला मुक्ति के लिये बड़े पैमाने पर काम किया।
    • उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के साथ खेड़ा सत्याग्रह (वर्षं 1918) और बारदोली सत्याग्रह (वर्ष 1928) में किसान हित को एकीकृत किया।
      • बारदोली की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि दी, जिसका अर्थ है 'प्रमुख या नेता'।
    • वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह (प्रार्थना और उपवास आंदोलन) के दौरान सरदार पटेल ने तीन महीने कैदियों की सेवा की।
    • मार्च 1931 में पटेल ने भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कराची अधिवेशन (46वें सत्र) की अध्यक्षता की, जिसे गांधी-इरविन समझौते की पुष्टि करने के लिये बुलाया गया था।
  • रियासतों का एकीकरण:
    • सरदार पटेल ने लगभग 565 रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
      • त्रावणकोर, हैदराबाद, जूनागढ़, भोपाल और कश्मीर जैसी कुछ रियासतें भारत राज्य में शामिल होने के खिलाफ थीं।
      • सरदार पटेल ने रियासतों के साथ आम सहमति बनाने के लिये अथक प्रयास किया लेकिन जहाँ भी आवश्यक हो, साम, दाम, दंड और भेद के तरीकों को अपनाने में संकोच नहीं किया।
    • उन्होंने नवाब द्वारा शासित जूनागढ़ और निज़ाम द्वारा शासित हैदराबाद की रियासतों को जोड़ने के लिये बल का प्रयोग किया था, ये दोनों अपने-अपने राज्यों का भारत संघ के साथ विलय नहीं होने देना चाहते थे।
    • सरदार वल्लभभाई पटेल ने ब्रिटिश भारतीय क्षेत्र के साथ-साथ रियासतों का बिखराव और भारत के बाल्कनीकरण को रोका।
    • सरदार वल्लभभाई पटेल ने रियासतों को ब्रिटिश भारतीय क्षेत्र के साथ एकजुट किया, जिससे भारत को खंडित होने से रोका गया।
      • उन्हें भारतीय रियासतों के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने और रियासतों के भारतीय संघ के साथ गठबंधन करने हेतु राजी करने के लिये "भारत के लौह पुरुष" के रूप में जाना जाता है।
  • देहांत:
    • 15 दिसंबर, 1950 को बॉम्बे में।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न.  निम्नलिखित में से कौन क्रिप्स मिशन के साथ आधिकारिक कॉन्ग्रेस वार्ताकार थे? (2010)

(a) महात्मा गांधी और सरदार पटेल
(b) आचार्य जे. बी. कृपलानी और सी. राजगोपालाचारी
(c) पंडित नेहरू और मौलाना आज़ाद
(d) डॉ. राजेंद्र प्रसाद और रफी अहमद किदवई

उत्तर: (c)


प्रश्न. 1931 में सरदार पटेल की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कराची अधिवेशन के लिये मौलिक अधिकारों और आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प का मसौदा किसने  तैयार किया? (2010)

(a) महात्मा गांधी
(b) पंडित जवाहरलाल नेहरू
(c) डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(d) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

उत्तर: (b)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

कालानमक चावल

हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने उत्तर प्रदेश में कालानमक चावल की दो नई बौनी किस्मों, पूसा नरेंद्र कालानमक 1638 और पूसा नरेंद्र कालानमक 1652 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो दोगुनी उपज देती हैं।

  • यह पारंपरिक किस्म में कम उपज की समस्या का समाधान करेगा।

Kalanamak

कालानमक चावल:

  • परिचय:
    • कालानमक धान की एक पारंपरिक किस्म है जिसमें काली भूसी और तेज़ सुगंध होती है।
    • इसे श्रावस्ती के लोगों के लिये 'भगवान बुद्ध का उपहार' माना जाता है जब उन्होंने ज्ञान के बाद इस क्षेत्र का दौरा किया था।
      • इसे 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' (ODOP) योजना के तहत सिद्धार्थनगर के ओडीओपी उत्पाद के रूप में सम्मानित किया गया है जो उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में स्थित एक आकाँक्षी ज़िला है।।
    • यह उत्तरपूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के 11 ज़िलों और नेपाल में उगाया जाता है।
    • यह भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रणाली के तहत संरक्षित है।
  • कालानमक चावल से किसानों को लाभ:
    • प्राकृतिक खेती: कालानमक चावल मुख्य रूप से उर्वरक या कीटनाशक अवशेषों का उपयोग किये बिना उगाया जाता है जो इसे फसल उत्पादन के लिये एकदम सही बनाता है।
    • लागत प्रभावी कारक: चूँकि कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता है, इसलिये इसकी लागत कम है और उत्पादकों को पैसे की बचत होती है।
  • कालानमक चावल के स्वास्थ्य लाभ:
    • कालानमक चावल एंथोसायनिन की तरह एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है, जो हृदय रोग की रोकथाम और त्वचा की देखभाल में सहायता करता है।
    • कालानमक चावल में जिंक और आयरन जैसे बहुत सारे सूक्ष्म पोषक तत्त्व शामिल होते हैं। नतीजतन, इस चावल को खाने से जिंक और आयरन की कमी से होने वाली बीमारी से भी बचाव होता है।
    • ऐसा दावा किया जाता है कि नियमित रूप से कालानामक चावल खाने से अल्जाइमर रोग की रोकथाम में मदद मिल सकती है।
    • कालानमक चावल शरीर को मज़बूत बनाने और गैल्वनाइज़ करने में मदद कर सकता है, साथ ही रक्तचाप, मधुमेह एवं त्वचा की क्षति को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है।
  • पारंपरिक विविधता संबंधी मुद्दा:
    • कालानमक धान की पारंपरिक किस्म के साथ समस्या यह है कि यह लंबा होता है और लॉजिंग के लिये प्रवण है, जो अनाज के गठन और गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करता है।
    • लॉजिंग एक ऐसी स्थिति है जिसमें अनाज के गठन के कारण पौधे का शीर्ष भारी हो जाता है, तना कमज़ोर हो जाता है और पौधा ज़मीन पर गिर जाता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न: भारत ने वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को किसके दायित्वों का पालन करने के लिये अधिनियमित किया? (2018)

(a) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
(c) व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
(d) विश्व व्यापार संगठन

उत्तर: (D)

व्याख्या:

  • भौगोलिक संकेतक (GI) एक प्रकार की बौद्धिक संपदा (IP) हैं। विश्व व्यापार संगठन (WTO), बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार से संबंधित पहलू (TRIPS) समझौते के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों को मान्यता देता है।
  • TRIPS समझौते के अनुच्छेद 22(1) के तहत जीआई टैग ऐसे कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है, जो एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता है और जिसके कारण इसमें अद्वितीय विशेषताओं एवं गुणों का समावेश होता है।

अतः विकल्प (D) सही  है।

स्रोत:द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 31 अक्तूबर, 2022

राष्ट्रीय एकता दिवस

प्रतिवर्ष 31 अक्तूबर को स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती को पूरे देश में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ (National Unity Day) के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2014 में पहली बार केंद्र सरकार द्वारा 31 अक्तूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्तूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड (Nadiad) शहर में हुआ था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने के साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता के पश्चात देश की सभी रियासतों के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 1928 में गुजरात के बारडोली में किसान आंदोलन की सफलता के बाद वहाँ की महिलाओं ने उन्हें ‘सरदार’ (नेता या प्रमुख) की उपाधि प्रदान की। उन्हें ‘भारतीय नागरिक सेवाओं के संरक्षक संत’ (Patron Saint of India’s civil services) के रूप में भी जाना जाता है। सरदार बल्लभ भाई पटेल स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृह मंत्री बने। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने सरदार पटेल को ‘लौह पुरुष’ की उपाधि प्रदान की। वर्ष 1991 में उन्हें मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि 31 अक्तूबर, 2018 को भारत सरकार द्वारा गुजरात के वडोदरा में नर्मदा नदी के तट पर स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue Of Unity) का अनावरण किया गया जो कि 182 मीटर (597 फीट) की ऊँचाई के साथ विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति है।

गोवा समुद्री संगोष्ठी (गोवा मेरीटाइम सिम्पोजियम-GMS) 2022

गोवा समुद्री संगोष्ठी (GMS) का चौथा संस्करण गोवा में नौसेना युद्ध कॉलेज (NWC) द्वारा 31 अक्तूबर से 1 नवंबर 2022 तक आयोजित किया जा रहा है। इस संगोष्ठी के प्रतिभागियों में कैप्टेन/नौसेनाओं के कमांडर अथवा समकक्ष रैंक के अधिकारी/भारत के अलावा मित्र देशों जैसे बांग्लादेश, कोमोरोस, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, म्याँमार, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका तथा थाईलैंड के समुद्री बल शामिल हैं। वर्ष 2016 में भारतीय नौसेना द्वारा संकल्पित एवं स्थापित, GMS भारत और हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के प्रमुख समुद्री देशों के बीच सहयोगात्मक सोच, सहयोग व आपसी समझ को बढ़ावा देने हेतु एक मंच है। इस संगोष्ठी का आयोजन नौसेना युद्ध कॉलेज, गोवा द्वारा द्विवार्षिक रूप से किया जाता है तथा अब तक इस कार्यक्रम के तीन संस्करण आयोजित किये जा चुके हैं। संगोष्ठी का उद्घाटन नेवल वॉर कॉलेज के कमांडेंट द्वारा किया जाएगा। इसका विषय 'समुद्री क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास' के विचार और समुद्री सुरक्षा के पाँच सिद्धांतों पर आधारित है, जिसका अर्थ है कि हमारे क्षेत्र की समृद्धि हिंद महासागर क्षेत्र के सभी देशों के साथ जुड़ी हुई है।

स्वतंत्रता सेनानी पसुम्पोन मुथुरामलिंग थेवर 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी पसुम्पोन मुथुरामलिंग थेवर को उनकी गुरु पूजा के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की। गुरु पूजा को प्रत्येक वर्ष 30 अक्तूबर को पसुंपोन मुथुरामलिंगा थेवार की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। वह एक स्वतंत्रता सेनानी-सह-आध्यात्मिक नेता थे। उन्हें मुकुलथोर समुदाय के बीच एक देवता के रूप में देखा जाता है, यह कल्लर, मरावर और अहंबादियार नामक समुदायों में से एक है। मुकुलथोर समुदाय के लोग अभी भी प्रसाद चढ़ाते हैं जैसा कि मंदिरों में देवताओं के लिये उनकी जयंती और गुरु पूजा समारोहों पर किया जाता है। उन्होंने पारंपरिक हिंदू धर्म को स्वीकार नहीं किया क्योंकि यह 'वर्णाश्रम' का समर्थन करता था। उन्होंने हमेशा हिंदू धर्म की बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने खुले तौर पर धार्मिक अंधविश्वासों और संकीर्ण सोच की निंदा की। समाजवादी और सुभाष चंद्र बोस के सहयोगी होने के नाते उन्होंने वर्ष 1952 से अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह AIFB के राष्ट्रीय संसदीय क्षेत्र के लिये तीन बार चुने गए। उनका जन्म 30 अक्तूबर, 1908 को तमिलनाडु के रामनाथपुरम ज़िले के पसुंपोन में हुआ था। 30 अक्तूबर, 1963 को बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। 


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