विश्व कुष्ठ दिवस 2023
प्रत्येक वर्ष जनवरी के आखिरी रविवार को कुष्ठ दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह 29 जनवरी को मनाया गया। कुष्ठ रोग को हैनसेन रोग भी कहा जाता है।
- यह दिन दुनिया भर में कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों को अपनी आवाज़ उठाने का अवसर प्रदान करने के लिये मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु
- थीम 2023: एक्ट नाउ एंड लेप्रोसी।
- इतिहास: विश्व कुष्ठ दिवस की स्थापना वर्ष 1954 में फ्राँसीसी समाजसेवी राउल फोलेरेउ द्वारा की गई थी।
- उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इस प्राचीन बीमारी के बारे में शिक्षित करना था जो कि अब आसानी से ठीक हो सकती है।
- दुनिया भर में कई लोगों को इस बीमारी के बारे में जानकारी नहीं है, साथ ही बुनियादी चिकित्सा देखभाल तक पहुँच की कमी है और बीमारी के संदर्भ में समाज में पूर्वाग्रह है।
कुष्ठ रोग:
- परिचय:
- कुष्ठ रोग एक चिरकालिक संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक जीवाणु के कारण होता है।
- कुष्ठ रोग उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Disease- NTD) है जिससे अब भी 120 से अधिक देश प्रभावित हैं और प्रत्येक वर्ष इस रोग के 2,00,000 से अधिक नए मामले सामने आते हैं।
- लक्षण:
- यह रोग मुख्य रूप से त्वचा, परिधीय (Peripheral) नसों, ऊपरी श्वसन पथ और आँखों के श्लेष्म को प्रभावित करता है।
- प्रसार:
- अनुपचारित लोगों के साथ नज़दीकी और लगातार संपर्क में रहने के दौरान नाक और मुँह से उत्सर्जित ड्रापलेट्स के माध्यम से कुष्ठ रोग फैलता है।
- कुष्ठ रोग में लैंगिक असमानता:
- यद्यपि कुष्ठ रोग दोनों लिंगों को प्रभावित करता है, किंतु विश्व के अधिकांश हिस्सों में महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक प्रभावित होते हैं। डब्ल्यूएचओ की वैश्विक कुष्ठ रोग रिपोर्ट के अनुसार, यह अनुपात लगभग 2:1 का है।
- उपचार:
- कुष्ठ रोग का MDT (मल्टी ड्रग थेरेपी) द्वारा इलाज संभव है और शुरुआती चरणों में उपचार से दिव्यांगता को रोका जा सकता है। यह रोग वंशानुगत नहीं है तथा कुष्ठ रोग का संचारण माता-पिता से बच्चों में नहीं होता है।
- परिदृश्य:
- वर्ष 2021 में 1,40,000 नए कुष्ठ रोग के मामले सामने आए, जिनमें से 95% नए मामले 23 वैश्विक प्राथमिकता वाले देशों में देखे गए। इनमें से 6% का दृश्य विकृति या ग्रेड -2 दिव्यांगता (G2D) का निदान किया गया था।
- नए मामलों में से 6% से अधिक 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे थे।
- वर्ष 2020 से वर्ष 2021 तक नए मामलों में 10% की वृद्धि के बावजूद रिपोर्ट किये गए मामले वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2021 में 30% कम रहे।
- यह संचरण में कमी के कारण नहीं है, बल्कि इसलिये है क्योंकि कोविड-19 से संबंधित व्यवधानों की वजह से कुष्ठ रोग के मामलों का पता नहीं चल पाया है।
- भारत द्वारा किये गए प्रयास:
- वर्ष 2017 में सरकार ने राष्ट्रव्यापी स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान (Sparsh Leprosy Awareness Campaign- SLAC) शुरू किया, इसका उद्देश्य प्रारंभिक स्तर पर ही कुष्ठ रोग का पता लगाना और इसका उपचार करना है।
- राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (National Leprosy Eradication Programme- NLEP) विशेष रूप से स्थानिक क्षेत्रों में रोकथाम और इलाज पर केंद्रित है। मार्च 2016 में कुष्ठ रोग के मामलों का पता लगाने के लिये एक अभियान शुरू किया गया था, जिसमें घर-घर जाकर जाँच की गई और रोग के निदान के लिये रोगियों को उचित इलाज हेतु स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया।
- NLEP में कुष्ठ रोग के लिये माइकोबैक्टीरियम इंडिकस प्रानी (MIP), स्वदेशी रूप से विकसित टीके को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी द्वारा विकसित किया गया है। यह टीका कुष्ठ रोगियों के निकट संपर्क में रहने वालों को निवारक उपाय के रूप में लगाया जाता है।
- भारतीय अनुसंधान का मल्टी-ड्रग थेरेपी या MDT के विकास में काफी योगदान है, जिसकी सिफारिश अब WHO द्वारा की गई है, इसका लाभ यह हुआ है कि उपचार की अवधि में कमी आने के साथ-साथ उपचारित लोगों के आँकड़े में भी वृद्धि देखी गई।
- कुष्ठ रोग के खिलाफ लड़ाई को समाज द्वारा प्रदर्शित संवेदनशीलता से स्पष्ट तौर पर समझा जा सकता है। इस कलंक को हटाना अति आवश्यक है। विभिन्न विधिक उपायों के अतिरिक्त कुष्ठ रोग के प्रति हमारे दृष्टिकोण में बदलाव लाना इस दिशा में बड़ा कदम होगा।
स्रोत: द हिंदू
सेन्ना स्पेक्टाबिलिस
केरल ने सेन्ना स्पेक्टाबिलिस विदेशी आक्रामक पौधे को खत्म करने के लिये प्रबंधन योजना विकसित की है जो राज्य के वन्यजीव आवासों को गंभीर खतरे में डाल रहा है।
- प्रबंधन योजना निर्धारित करती है कि वृक्षों को नष्ट करने का प्रयास तब तक नहीं किया जाना चाहिये जब तक कि विस्तृत वनीकरण योजना और इसे लागू करने के लिये संसाधन मौजूद न हों।
सेन्ना स्पेक्टाबिलिस:
- सेन्ना स्पेक्टाबिलिस पर्णपाती वृक्ष है जो अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की स्थानीय वनस्पति है।
- यह कम समय में 15 से 20 मीटर तक बढ़ता है और इसमें फूल आने के बाद इसके हज़ारों बीज क्षेत्र में फैल जाते हैं।
- पेड़ के घने पत्ते अन्य स्थानीय वृक्ष और घास की प्रजातियों के विकास को रोकते हैं। इस प्रकार यह वन्यजीव आबादी, विशेष रूप से शाकाहारी जानवरों के लिये भोजन की कमी का कारण बनता है।
- यह देशी प्रजातियों के अंकुरण और वृद्धि पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
- इसे IUCN रेड लिस्ट के तहत 'कम चिंतनीय' के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
उन्मूलन योजना:
- इस योजना में पेड़ के भूदृश्य-स्तर प्रबंधन की परिकल्पना(Landscape-Level Management) की गई है।
- एक बार भूदृश्य बहाली के लिये संसाधन और सामग्री तैयार हो जाने के बाद बड़े पेड़-पौधों और छोटे पौधों के लिये त्रि-आयामी दृष्टिकोण का उपयोग कर आक्रामक प्रजातियों को हटाया जाना चाहिये।
- बड़े पेड़ों की (ज़मीन के स्तर से 1.3 मीटर ऊपर) काट-छाँट करने की आवश्यकता होती है, एक बार ऐसा करने के बाद पेड़ों का महीने में एक बार अवलोकन किया जाना चाहिये ताकि डीबार्क क्षेत्र में नवीन प्रजातियों को हटाया जा सके।
- विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए खरपतवार खींचने वाले यंत्रों का उपयोग कर बड़े-बड़े पौधों को उखाड़ा जा सकता है।
- तीसरा है छोटे पौधों को हटाना जिन्हें मशीन की सहायता से हटाने की आवश्यकता होती है।
- छाल निकालने की प्रक्रिया के बाद बड़े पेड़ों को पूरी तरह से सूखने में कम- से-कम 18 माह का समय लगता है।
आक्रामक प्रजातियाँ:
- आक्रामक प्रजातियाँ नए वातावरण में पारिस्थितिक या आर्थिक नुकसान का कारण बनती है।
- वे देशी/स्थानीय पौधों और जानवरों के विलुप्त होने, जैवविविधता में कमी, सीमित संसाधनों के लिये स्थानिक प्रजातियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने और निवास स्थान में बदलाव करने में सक्षम हैं।
- इन्हें मनुष्यों एवं आकस्मिक रूप से शिप बलास्ट वाटर के निष्कासन द्वारा किसी क्षेत्र में लाया जाता है।
- भारत में अनेक आक्रामक प्रजातियाँ जैसे- चारु मुसेल (Charru Mussel), लैंटाना झाड़ियाँ (Lantana bushes), इंडियन बुलफ्रॉग (Indian Bullfrog) आदि पाई जाती हैं।
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 31 जनवरी, 2023
संसद का बजट सत्र
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से प्रारंभ होगा। केंद्रीय कक्ष में लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक में सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण से होगी। सत्र के पहले दिन दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण पटल पर रखा जाएगा। यह बजट सत्र 6 अप्रैल तक चलेगा। बजट सत्र में 27 बैठकें होंगी और यह 66 दिन का होगा। सत्र का पहला भाग 13 फरवरी तक चलेगा। 14 फरवरी से 12 मार्च तक सदन में कोई कार्यवाही नहीं होगी और इस दौरान विभागों से संबद्ध संसदीय स्थायी समितियाँ अनुदान मांगों की समीक्षा करेंगी तथा अपने मंत्रालयों एवं विभागों से संबंधित रिपोर्ट तैयार करेंगी। बजट सत्र का दूसरा भाग 13 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल तक चलेगा। संसद के बजट सत्र से पहले संसद भवन परिसर में सर्वदलीय बैठक होती है। इस दौरान सरकार द्वारा लोकसभा और राज्यसभा के सुचारु कामकाज़ को सुनिश्चित करने के लिये सभी राजनीतिक दलों से सहयोग मांगा जाता है।
राष्ट्रीय महिला आयोग स्थापना दिवस
प्रतिवर्ष 31 जनवरी को राष्ट्रीय महिला आयोग का स्थापना दिवस मनाया जाता है, इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रीय महिला आयोग के 31वें स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करेंगी। इस कार्यक्रम का विषय ‘सशक्त नारी सशक्त भारत’ है, जिसका उद्देश्य उन महिलाओं की सफलता का सम्मान करना है जिन्होंने अपनी जीवन-यात्रा में उत्कृष्टता प्राप्त की और जन-जीवन पर अमिट छाप छोड़ी है। आयोग द्वारा 31 जनवरी, 2023 से 1 फरवरी, 2023 तक अपना 31वाँ स्थापना दिवस मनाने के लिये दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। आयोग का उद्देश्य एक ऐसा मंच उपलब्ध कराना है, जहाँ विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से संबंधित महिलाओं की निर्णयन और नेतृत्त्व की भूमिकाओं में लैंगिक समानता पर ध्यान केंद्रित कर विविध विचारों का आदान-प्रदान किया जा सके। राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना जनवरी 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में की गई थी। इसकी स्थापना महिलाओं को प्रभावित करने वाले मामलों को मद्देनज़र रखते हुए उनके संवैधानिक और विधिक सुरक्षा उपायों की समीक्षा, उपचारात्मक विधायी उपायों की सिफारिश करने, शिकायतों के निवारण की प्रक्रिया को सुगम बनाने और नीति पर सरकार को सलाह देने के लिये की गई थी।
सोलिगा इकारिनाटा
हाल ही में अशोक ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड एन्वायरनमेंट (एटीआरईई) के वैज्ञानिकों ने ततैया (wasp) की एक नई प्रजाति की खोज की है, जिसका नाम सोलिगा जनजाति के नाम पर रखा गया है जो कर्नाटक के चामराजनगर ज़िले में बिलीगिरी रंगन हिल्स (बी.आर. हिल्स) और माले महादेश्वर के पास परिधीय वन क्षेत्रों में निवास करने वाली मूल जनजाति है। सोलिगा इकारिनाटा एक नई ततैया है, जो डार्विन बर्र के परिवार इचन्यूमोनाइड (Ichneumonidae) की उप-प्रजाति मेटोपीनीए (Metopiinae) से संबंधित है। यह दक्षिण भारत में पहली तथा भारत में खोजी गई इस प्रकार दूसरी प्रजाति है। इस ततैया को सोलिगा इकारिनाटा कहा गया। 'इकारिनाटा' शरीर के कुछ क्षेत्रों में लकीरों की अनुपस्थिति को दर्शाता है। यह अपने सभी प्रजातियों से आश्चर्यजनक रूप से रंगीन और अलग है। सोलिगा जनजाति परंपरागत रूप से शिकार और स्थानांतरित कृषि पर निर्भर रहती है। यह भारत में किसी बाघ अभयारण्य के मुख्य क्षेत्र में रहने वाला पहला आदिवासी समुदाय है, जिसे अपने वन अधिकारों के लिये आधिकारिक रूप से न्यायालय द्वारा मान्यता प्रदान की गई है। बिलीगिरी रंगन पहाड़ियाँ पश्चिमी घाट के उत्तर-पश्चिम में तथा पूर्वी घाट के पश्चिमी किनारे पर स्थित हैं। अद्वितीय भौगोलिक स्थिति एवं आवासीय विविधता के साथ ये पहाड़ियाँ भारत में जैवविविधता के सबसे समृद्ध क्षेत्रों में से एक है। कपिला और कावेरी नदियाँ इन पहाड़ियों से होकर बहती हैं।
5वाँ खेलो इंडिया यूथ गेम्स
केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री ने मध्य प्रदेश में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 के 5वें संस्करण का उद्घाटन तात्या टोपे नगर स्टेडियम (भोपाल) में किया। इसके अंतर्गत 27 खेल स्पर्द्धाओं में 900 से अधिक पदकों के लिये देश भर से लगभग 6000 खिलाड़ी अपने खेल कौशल दिखाएंगे। ऐसा पहली बार है जब कयाकिंग, कैनोइंग, कैनो स्लैलम और तलवारबाज़ी जैसे खेल खेलो इंडिया यूथ गेम्स का हिस्सा होंगे। इस संस्करण की थीम है- 'हिंदुस्तान का दिल धड़का दो'। खेलो इंडिया यूथ गेम्स की शुरुआत वर्ष 2018 में खेलो इंडिया स्कूल गेम्स के नाम से हुई थी। इन खेलों का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर खेल प्रतिभाओं को तलाशना और उन्हें राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों के लिये प्रशिक्षित करना है। भारत के खेल बजट को भी बढ़ाकर 2000 करोड़ रुपए कर दिया गया है और आगामी 5 वर्षों में खेलो इंडिया के लिये 3200 करोड़ रुपए प्रदान किये जाएंगे।
और पढ़ें.. खेलो इंडिया यूथ गेम्स (KYIG)
यूएस बोइंग 747
"क्वीन ऑफ द स्काईज़" के रूप में पाँच से भी अधिक दशक तक संचालन के बाद बोइंग 747, एक मूल और यकीनन सबसे सौंदर्यपूर्ण "जंबो जेट" का स्वर्णिम युग अब समाप्त हो गया है। इसे 1960 के दशक के अंत में बड़े पैमाने पर यात्रा की मांग को पूरा करने के लिये डिज़ाइन किया गया था। जंबो ने वैश्विक स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ी, जो कि विश्व भर में युद्ध और शांति का प्रतीक है (जैसे कि US 'डूम्सडे प्लेन' और इसके अन्य उपनाम जैसे 'शेफर्ड')।
सबसे पुराना ज्ञात सीसिलियन जीवाश्म खोजा गया
अमेरिका के जीवाश्म वैज्ञानिकों की एक टीम ने पहले ट्रायसिक-युग (लगभग 250-200 MYA) के सीसिलियन जीवाश्म की खोज की है जो उभयचर जैसे प्राणी के ज्ञात ऐतिहासिक जीवाश्म रिकॉर्ड में यह खोज कम-से-कम 87 मिलियन वर्षों के अंतराल को भरने में मदद कर सकती है। इस जीवाश्म का नाम फंक्सवर्मिस गिलमोरी (Funcusvermis Gilmorei) रखा गया है।
ये सबसे पुराने खोजे गए सीसिलियन जीवाश्म हैं, जो छोटे स्तनपायी के रिकॉर्ड में लगभग 35 मिलियन वर्षों तक का विस्तार करते है। इस खोज से पहले, प्रारंभिक जुरासिक काल (~183 MYA) से पहले के केवल 10 सीसिलियन जीवाश्म की खोज की गई थी। आधुनिक सीसिलियन एक कॉम्पैक्ट, बुलेट के आकार की खोपड़ी के साथ बेलनाकार निकायों के अंगहीन उभयचर हैं, जो भूमि को खोदने में मदद करते हैं। वे कीड़ों के शिकार की तलाश में पत्ती-कूड़े या मिट्टी में अपना जीवन व्यतीत करते हैं। ट्रायसिक काल मेसोज़ोइक युग की पहली अवधि है जिसने प्रमुख परिवर्तनों की शुरुआत को चिह्नित किया गया है जैसे- महाद्वीपों का वितरण, जीवन का विकास आदि। ट्रायसिक युग की शुरुआत में केवल सुपरकॉन्टिनेंट- पैंजिया अस्तित्त्व में था, हालाँकि ट्राइऐसिक के अंत में प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत प्रचलन में आया।
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