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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 30 Jan, 2021
  • 11 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट: 30 जनवरी, 2021

कला उत्सव 2020

(Kala Utsav 2020)

हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा कला उत्सव 2020 का आयोजन किया गया गौरतलब है कि यह शिक्षा में कला को प्रोत्साहित करने के लिये आयोजित किया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है।

प्रमुख बिंदु:  

कला उत्सव (Kala Utsav): 

  • संबंधित मंत्रालय: कला उत्सव शिक्षा के क्षेत्र में कला को बढ़ावा देने के लिये केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (MoE) की एक पहल है।
    • इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) के तहत शुरू किया गया था, जिसे अब 'समग्र शिक्षा - स्कूल शिक्षा के लिये एक एकीकृत योजना' के तहत अन्य योजनाओं के साथ मिला दिया गया है। 
  • उद्देश्य: कला उत्सव का उद्देश्य देश में माध्यमिक स्तर पर स्कूली छात्रों की कलात्मक प्रतिभा को पहचानना, इसके पोषण और प्रदर्शन के लिये मंच प्रदान करना है।
    • ज़िला/राज्य/राष्ट्रीय स्तर पर इस उत्सव की संरचना एक कला उत्सव के रूप में की गई है जिसमें कला प्रस्तुतियाँ एवं प्रदर्शनियाँ सम्मिलित हैं।
  • कार्यान्वयन:  
    • कला (संगीत, रंगमंच, नृत्य, दृश्य कला और शिल्प) की शिक्षा के संदर्भ में यह पहल राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 (NCF-2005) की अनुशंसाओं पर आधारित है।
  • महत्त्व: 
    • कला उत्सव 2020 में स्वदेशी खिलौने और खेल अनुभाग को शामिल किये जाने से 'वोकल फॉर लोकल' (Vocal for Local) पहल को समर्थन प्राप्त हुआ है। 
    • यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुरूप है जो शिक्षा के माध्यम से कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर ज़ोर देती है।
    • यह माध्यमिक स्तर के छात्रों के लिये सौंदर्यशास्त्र और कलात्मक अनुभवों को बढ़ाकर, समग्र शिक्षा योजना (Samagra Shiksha Scheme) को अतिरिक्त समर्थन प्रदान करता है, जो 'एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के अनुरूप भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसकी जीवंत विविधता के बारे में जागरूकता फैलाने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
    • यह छात्रों में तर्क शक्ति, समझदारी, समस्या को सुलझाने, संज्ञानात्मक और निर्णायक क्षमताओं को बढ़ाता है, जो छात्र के सर्वांगीण विकास में सहायक होते हैं।

कला को बढ़ावा देने हेतु शुरू की गई अन्य पहलें:

  • कला संस्कृति विकास योजना (केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय)।
  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये योजना (केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय)।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 30 जनवरी, 2021

प्रबुद्ध भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 जनवरी, 2021 को रामकृष्ण मिशन की मासिक पत्रिका ‘प्रबुद्ध भारत’ के 125वें वार्षिकोत्सव समारोह को संबोधित करेंगे। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्‍ण परमहंस के आग्रह पर वर्ष 1896 में यह पत्रिका शुरू की थी। भारत के प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान के संदेश को प्रसारित करने में प्रबुद्ध भारत पत्रिका एक महत्त्वपूर्ण माध्यम रही है। इसका प्रकाशन चेन्नई से शुरू किया गया था, जहाँ से दो वर्ष तक इसका प्रकाशन होता रहा और बाद में इसे उत्तराखंड के अल्मोड़ा से प्रकाशित किया जाने लगा। अप्रैल 1899 में पत्रिका के प्रकाशन का स्थान कोलकाता स्थित ‘अद्वैत आश्रम’ में स्थानांतरित कर दिया गया और तब से यह पत्रिका वहीं से प्रकाशित हो रही है। भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता, दर्शन, इतिहास, मनोविज्ञान, कला और अन्य सामाजिक मुद्दों पर लेखन के माध्यम से प्रबुद्ध भारत ने अपनी छाप छोड़ी है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, भगिनी निवेदिता, श्री अरबिंदो, पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे लेखकों ने कई वर्षों तक पत्रिका में योगदान किया। इस पत्रिका को भारत की सबसे लंबे समय तक प्रकाशित होने वाली अंग्रेज़ी पत्रिका के रूप में भी जाना जाता है। 

CSIR और लद्दाख प्रशासन के बीच समझौता

विज्ञान और प्रौद्योगिकी (S&T) हस्तक्षेप के माध्यम से विकास की प्रकिया में तेज़ी लाने के उद्देश्य से वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इस समझौते का उद्देश्य लद्दाख के जैव-संसाधनों का इष्टतम उपयोग, इस क्षेत्र में नकदी फसलों की शुरुआत करना और प्राकृतिक संसाधनों की खोज करने आदि क्षेत्रों के लिये एक ज्ञान आधारित साझेदारी स्थापित करना है। इस समझौते के तहत CSIR के अलग-अलग संस्थान अपनी मुख्य दक्षताओं के आधार पर लद्दाख में अनुसंधान और विकास (R&D) तथा अन्य सामाजिक परियोजनाओं की शुरुआत करेंगे। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) भारत का सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास (R&D) संगठन है, जो कि मुख्य तौर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्यरत है। CSIR एक अखिल भारतीय संस्थान है जिसमें 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 दूरस्थ केंद्रों, 3 नवोन्मेषी परिसरों और 5 इकाइयों का एक सक्रिय नेटवर्क शामिल है। CSIR रेडियो और अंतरिक्ष भौतिकी, समुद्र विज्ञान, भू-भौतिकी, रसायन, ड्रग्स, जीनोमिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और नैनोटेक्नोलॉजी से लेकर खनन एयरोनॉटिक्स, इंस्ट्रूमेंटेशन और सूचना प्रौद्योगिकी आदि व्यापक क्षेत्रों में कार्य करता है। 

शहीद दिवस 

राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की पुण्यतिथि की स्मृति में प्रतिवर्ष 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1948 में आज ही के दिन नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिड़ला हाउस में महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गांधी जी का जन्म पोरबंदर की रियासत में 2 अक्तूबर, 1869 को हुआ था। वर्ष 1893 में गांधी जी एक मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका चले गए और वहाँ उन्होंने अश्वेतों तथा भारतीयों के विरुद्ध गहरा भेदभाव महसूस किया। उन्हें अंग्रेज़ों से स्वतंत्रता के लिये भारत के संघर्ष और सत्य एवं अहिंसा की उनकी नीति के लिये याद किया जाता है। गांधी जी ने अपनी संपूर्ण अहिंसक कार्य पद्धति को ‘सत्याग्रह’ का नाम दिया। उनके लिये सत्याग्रह का अर्थ सभी प्रकार के अन्याय, अत्याचार और शोषण के खिलाफ शुद्ध आत्मबल का प्रयोग करने से था। गांधी जी एक महान शिक्षाविद भी थे, उनका मानना था कि किसी देश की सामाजिक, नैतिक और आर्थिक प्रगति अंततः शिक्षा पर निर्भर करती है। गांधी विरोधी गांधी जी को भारत के बँटवारे और पाकिस्तान के निर्माण के लिये उत्तरदायी मानते हैं और नाथूराम गोडसे ने भी गांधी जी की हत्या करने के लिये यही तर्क दिया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के लिये नाथूराम गोडसे और सह-साजिशकर्त्ता नारायण आप्टे को 15 नवंबर, 1949 को फाँसी दी गई थी। 

कृष्‍ण देव सेठी

हाल ही में जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के एकमात्र जीवित सदस्‍य कृष्‍ण देव सेठी का 93 वर्ष की आयु में जम्मू में निधन हो गया है। कृष्‍ण देव सेठी नौशेरा विधानसभा क्षेत्र से जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिये भी चुने गए थे। अगस्त 1947 में भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त हुई और पाकिस्तान के रूप में एक मुस्लिम बहुल देश का गठन हो गया। भारत की तत्कालीन रियासतों को ब्रिटिश सरकार द्वारा तीन विकल्प दिये गए, जिसके तहत वे या तो भारत अथवा पाकिस्तान में शामिल हो सकते थे या फिर वे स्वतंत्र रह सकते थे। अक्तूबर 1947 में पाकिस्तान समर्थित आदिवासी समूहों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया और जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने सुरक्षा प्राप्त करने की शर्त पर इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन (IoA) पर हस्ताक्षर कर दिये, जिससे जम्मू-कश्मीर, भारत का हिस्सा बन गया। मार्च 1948 में महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर में एक अंतरिम सरकार का गठन किया और शेख अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री नामित किया गया। वर्ष 1950 में भारतीय संविधान लागू हुआ और वर्ष 1951 में जम्मू-कश्मीर के लिये एक अलग संविधान बनाने हेतु राज्य की संविधान सभा का गठन किया गया। जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के लगभग सभी सदस्य शेख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस से संबंधित थे। वर्ष 1956 में जम्मू-कश्मीर के संविधान को अपनाया गया और राज्य को भारत का एक अभिन्न अंग घोषित किया गया। वर्ष 1957 में जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा को विघटित कर दिया गया।


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