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कला संस्कृति विकास योजना

  • 17 Oct 2020
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये

कला संस्कृति विकास योजना

मेन्स के लिये

कला संस्कृति विकास योजना के विभिन्न घटक

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) ने केंद्रीय क्षेत्र की कला संस्कृति विकास योजना (Kala Sanskriti Vikas Yojana- KSVY) के विभिन्न घटकों के तहत आभासी/ऑनलाइन मोड में सांस्कृतिक कार्यक्रम/गतिविधियाँ आयोजित करने के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • COVID-19 के प्रकोप का  व्यापक प्रभाव मंचन कलाओं और सांस्कृतिक क्षेत्र पर पड़ा है जिसके कारण इनसे जुड़े कई कार्यक्रम या तो रद्द करने पड़े या उन्हें स्थगित करना पड़ा। मौजूदा स्थितियों में कलाकारों और निष्पादन कलाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्मों के माध्यम से प्रस्तुति देने के लिये वैकल्पिक या अतिरिक्त अवसर प्रदान करने हेतु संस्कृति मंत्रालय के संस्थानों द्वारा गहन प्रयास किये जाते रहे हैं।
  • केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय (प्रदर्शन कला ब्यूरो) ने अपनी कला संस्कृति विकास योजना के तहत कई योजनाएँ शुरू की हैं जिनके तहत ऐसे कार्यक्रम/गतिविधियाँ आयोजित करने के लिये अनुदान स्वीकृत किया जाताहै, जिसमें बड़ी संख्या में दर्शक शामिल होते हैं।
  • जहाँ हाल ही में सीमित संख्या में दर्शकों वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति दी गई है, वहीं मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए संस्कृति मंत्रालय ने उन कलाकारों/संगठनों को वर्चुअल तरीके से अपनी प्रस्तुतियाँ देने के लिये दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं जिनके लिये पहले से ही कला संस्कृति विकास योजना के विभिन्न घटकों के तहत अनुदान मंज़ूर किया जा चुका है।
  • नए दिशा- निर्देशों के अनुसार, ऐसे कलाकार और संगठन पहले की तरह भौतिक तरीके से कार्यक्रमों का मंचन करने में सक्षम न होने के बावजूद योजना के तहत मिलने वाले लाभ प्राप्त कर सकेंगे, जिससे वर्तमान संकट से निपटने के लिये उन्हें निरंतर वित्तीय मदद मिलती रहेगी।

नई व्यवस्था के तहत प्रावधान:

  •  नई व्यवस्था के तहत पहले से ही अनुदान प्राप्त कर चुके कलाकारों/संगठनों को योजनाओं के विभिन्न घटकों के तहत कला और शिल्प से संबंधित फेसबुक और यूट्यूब आदि जैसे सोशल ​मीडिया माध्यमों के ज़रिये वर्चुअल कार्यशालाएँ आयोजित करने, व्याख्यान-सह-प्रदर्शन, वेबिनार, ऑनलाइन कार्यक्रम/त्योहार आदि मनाने के लिये प्रोत्साहित किया गया है।
  • योजना का लाभ लेने के लिये इसके तहत समाहित गतिविधियों से संबंधित दस्तावेज़ों की हार्ड कॉपी प्रस्तुत करने की ज़रूरत को फिलहाल निलंबित रखा गया है और अनुदान की मंज़ूरी के लिये सॉफ्ट कॉपी स्वीकार की जा रही है। 

  • जो संगठन वर्चुअल तरीके से कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं, वे अगर कार्यक्रम के विवरण से संबधित वीडियो लिंक/रिकॉर्डिंग प्रस्तुत कर देते हैं तो उन्हें इनके प्रमाण के तौर पर कार्यक्रम के बारे में समाचार-पत्रों में छपी खबरों  के एकत्रीकरण से छूट मिल सकती है। विवरण में डिजिटल माध्यम से ऐसे कार्यक्रम की पहुँच कितने दर्शकों तक हुई इसका उल्लेख भी करना ज़रूरी है।

  • उपयोग प्रमाणपत्र (Utilization Certificate- UC) में खर्च का जो ब्योरा दिया गया है, वह आभासी माध्यम से संपन्न किये गए कार्यक्रम के संदर्भ में तर्कसंगत होना चाहिये।

योजना से संबंधित विभिन्न अनुदान/कार्यक्रम:

  • रिपोर्टरी ग्रांट (Repertory Grant):
    रिपोर्टरी ग्रांट के तहत कलाकारों का उनके संबंधित प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रदर्शन ऑनलाइन आयोजित किया जा सकता है। उपयोगिता प्रमाणपत्र के लिये हॉल, पोशाक, प्रकाश, डिज़ाइन, कलाकारों की पारिश्रमिक की रसीदें, रिपोर्टरी ग्रांट से संबंधित अनुदान जारी करने के लिये स्वीकार की जाएंगी।
  • राष्ट्रीय उपस्थिति (National Presence): 
    राष्ट्रीय उपस्थिति कार्यक्रम के तहत कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम/ त्योहार/ सेमिनार आदि ऑनलाइन आयोजित किये जा सकते हैं। उपयोगिता प्रमाणपत्र के लिये हॉल, थिएटर, कलाकारों को पारिश्रमिक, उपकरणों की खरीद आदि के लिये किराए की रसीदें, योजनाओं के घटकों को संचालित करने से संबंधित विभिन्न अन्य गतिविधियों के प्रदर्शन के लिये किये गए व्यय को योजना के दिशा-निर्देशों के तहत अनुदान जारी करने हेतु स्वीकार किया जाएगा।
  • सांस्कृतिक समारोह और उत्पादन अनुदान (Cultural Function & Production Grant- CFPG):
    CFPG के तहत सेमिनार, कॉन्फ्रेंस, रिसर्च, वर्कशॉप, फेस्टिवल, प्रदर्शनियाँ, संगोष्ठियाँ, डांस प्रोडक्शन, ड्रामा-थिएटर, संगीत आदि और भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर छोटे शोध प्रोजेक्ट संचालित किये जा सकते हैं। ऑनलाइन उपयोगिता प्रमाणपत्र के लिये हॉल, थिएटर, कलाकारों को पारिश्रमिक, उपकरणों की खरीद आदि के लिये किराया रसीदें, योजनाओं के घटकों को संचालित करने से संबंधित विभिन्न अन्य गतिविधियों के प्रदर्शन के लिये किये गए खर्च को योजना के दिशा-निर्देशों के तहत अनुदान जारी करने के लिये स्वीकार किया जाएगा।
  • हिमालयी धरोहर (Himalayan Heritage):
    हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास हेतु वित्तीय सहायता के तहत अध्ययन और अनुसंधान, संरक्षण और प्रलेखन, ऑडियो विज़ुअल कार्यक्रम के माध्यम से प्रसार, पारंपरिक कला और ‘फोल्ड आर्ट’ (Fold Art) में ऑनलाइन प्रशिक्षण आयोजित किया जा सकता है। उपयोगिता प्रमाणपत्र के लिये हिमालय योजना के इन घटकों से संबंधित  गतिविधियों को अनुदान जारी करने हेतु स्वीकार किया जाएगा।
  • बौद्ध/तिब्बती (Buddhist / Tibetan):
    बौद्ध/तिब्बती कला के विकास के लिये वित्तीय सहायता के तहत अनुसंधान परियोजना, पुस्तकों की खरीद, प्रलेखन और कैटलॉगिंग, भिक्षुओं को छात्रवृत्ति, विशेष पाठ्यक्रमों और संस्कृति की धारणा, ऑडियो-विज़ुअल रिकॉर्डिंग/प्रलेखन, मठवासियों के लिये आईटी आधारित प्रशिक्षण सहायता, शिक्षकों का वेतन आदि को ऑनलाइन किया जा सकता है। उपयोगिता प्रमाणपत्र के लिये बौद्ध योजना के इन घटकों से संबंधित गतिविधियों को अनुदान जारी करने हेतु स्वीकार किया जाएगा।
  • छात्रवृत्ति/फैलोशिप (Scholarship/Fellowship):
    कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये छात्रवृत्ति और फैलोशिप योजना के तहत भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय शास्त्रीय नृत्य, रंगमंच, स्वांग, दृश्य कला,  पारंपरिक और स्वदेशी कला तथा सरल शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में भारत के भीतर उन्नत प्रशिक्षण और ऑनलाइन अनुसंधान किया जा सकता है एवं रिपोर्ट की सॉफ्ट कॉपी भी प्रस्तुत की जा सकती है।

स्रोत-पीआईबी

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