प्रिलिम्स फैक्ट्स (30 Jan, 2020)



प्रीलिम्स फैक्ट्स: 30 जनवरी, 2020

ऑपरेशन वनीला

Operation Vanilla

भारतीय नौसेना ने मेडागास्कर में चक्रवात डायने (Diane) से प्रभावित लोगों को सहायता और राहत उपलब्ध कराने के लिये ऑपरेशन वनीला (Operation Vanilla) की शुरुआत की।

  • ऑपरेशन वनीला के तहत भारतीय नौसेना के पोत आईएनएस ऐरावत को इस मिशन में लगाया गया है।

Operation-Vanilla

चक्रवात डायने:

  • यह एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात है, इसका उद्भव 25 जनवरी को दक्षिणी हिंद महासागर में हुआ था।
  • इस चक्रवात के कारण मेडागास्कर में बाढ़ एवं भूस्खलन जैसी आपदाएँ आई हैं जिनके परिणामस्वरूप कई लोगों की मृत्यु हुई और काफी लोग विस्थापित हुए हैं।

मेडागास्कर:

  • मेडागास्कर, हिंद महासागर का एक द्वीपीय देश है। यह विश्व का चौथा सबसे बड़ा द्वीप है।
  • भारत हिंद महासागर में अपनी सामरिक स्थिति को मज़बूत करने के लिये मेडागास्कर (Madagascar) और कोमोरोस (Comoros) को अपने हिंद महासागर विज़न में शामिल करने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर सेशेल्स और मॉरीशस हिंद महासागर क्षेत्रीय डिविज़न का हिस्सा हैं।
    • सभी चारों द्वीप (सेशेल्स, मॉरीशस, मेडागास्कर और कोमोरोस) अफ्रीकी संघ (African Union) एवं हिंद महासागर आयोग (Indian Ocean Commission) के सदस्य हैं।
    • मेडागास्कर, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (Indian Ocean Rim Association- IORA) का भी सदस्य है।
    • राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद मार्च 2018 में मेडागास्कर द्वीप का दौरा करने वाले पहले भारतीय राष्ट्रपति है।

गौरतलब है कि मेडागास्कर को भारत द्वारा दी गई सहायता भारतीय नौसेना के विदेशी सहयोग पहल (Foreign Cooperation Initiatives) का हिस्सा है जो भारतीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण 'सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास- Security and Growth for all in the Region) के अनुरूप है।


नागोबा जात्रा

Nagoba Jatara

नागोबा जात्रा (Nagoba Jatara) एक आदिवासी त्योहार है जो तेलंगाना राज्य के आदिलाबाद ज़िले में मनाया जाता है।

Nagoba-Jatara

मुख्य बिंदु:

  • यह त्योहार पुष्य मासम (Pushya Masam) में शुरू होता है और 10 दिनों तक चलता है।
  • 10 दिनों तक चलने वाला यह त्योहार गोंड जनजाति के मेश्राम कुल (Mesram Clan) के लोगों द्वारा मनाया जाता है। यह मेश्राम कुल के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा जनजातीय कार्निवल है।
  • इस त्योहार पर मेश्राम कुल से संबंधित महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा और मध्य प्रदेश के आदिवासी लोग पूजा करते हैं।
  • आदिवासी पुजारियों द्वारा केसलपुर गाँव (आदिलाबाद) से 70 किमी. दूर गोदावरी नदी से लाए गए जल से नागोबा की मूर्ति पर जलाभिषेक करने के बाद 10 दिवसीय उत्सव शुरू होता है।

पारंपरिक परिधान:

  • इस उत्सव के दौरान आदिवासी लोग सफेद धोती-कुर्ता और पगड़ी तथा महिलाएँ पारंपरिक रंगीन नौ-वारी (मराठी साड़ी) पहनती हैं।

गुसाड़ी नृत्य (Gusadi Dance):

  • इस अवसर पर गोंड जनजाति के लोगों द्वारा गुसाड़ी नृत्य (Gusadi Dance) का आयोजन किया जाता है।

नागोबा (Nagoba)

  • इस उत्सव के दौरान सभी गतिविधियों का केंद्र नाग देवता (नागोबा) का श्री शेक मंदिर है। यह मंदिर आदिवासी लोगों को समर्पित है।

भेटिंग (Bheting) प्रथा:

  • भेटिंग (Bheting) इस उत्सव का एक अभिन्न अंग है जहाँ पहले जात्रा के दौरान नई दुल्हनों को कुल देवता से परिचय कराया जाता है।

पीला रतुआ

Yellow Rust

गेहूं की फसल को प्रभावित करने वाले पीला रतुआ (Yellow Rust) रोग के कारण पंजाब एवं हरियाणा में गेहूं की पैदावार घटने का अनुमान है।

Yellow-Rust

मुख्य बिंदु:

  • पीला रतुआ एक कवक रोग है जो पत्तियों को पीला कर देता है जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है।
  • यह रोग माग्नापोर्थ ओर्यज़े फंगस (Magnaporthe Oryzae Fungus) के कारण होता है और इसे वर्ष 1985 में ब्राज़ील में खोजा गया था।
  • यह कवक गेहूँ की पत्तियों को प्रभावित करता है और इनके क्लोरोफिल को खाता है जिससे पौधे की वृद्धि प्रभावित होती है। माना जाता है इससे फसल उत्पादन में 20% तक गिरावट आ जाती है।

पंजाब में गेहूँ की फसल की स्थिति:

  • कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों में पंजाब के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से लगभग 1.6-3.0 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है। इससे गेहूँ (Wheat) की फसल पीला रतुआ रोग से प्रभावित हुई है।
    • गेहूँ, रबी की फसल है। इसके लिये 50 सेमी. से 75 सेमी. तक वर्षा, आरंभ में 10-15 डिग्री सेल्सियस तथा बाद में 20-25 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।
    • इस फसल को अक्तूबर के अंत से दिसंबर के बीच बोया जाता है जबकि इस फसल की कटाई अप्रैल से शुरू हो जाती है।

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ने से कवकों के प्रसार में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है।


थ्रू द वाल रडार

Through-The-Wall Radar

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के शोधकर्त्ताओं ने चावल के दाने से भी छोटा थ्रू द वाल रडार (Through-The-Wall Radar) विकसित किया है।

The-Wall-Radar

मुख्य बिंदु:

  • इस रडार को संपूरक धातु ऑक्साइड सेमीकंडक्टर (Complementary Metal Oxide Semiconductor-CMOS) तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है।
    • एक संपूरक धातु ऑक्साइड सेमीकंडक्टर में द्वितीयक वोल्टेज से जुड़े अर्द्धचालकों का एक समूह होता है, ये अर्द्धचालक विपरीत व्यवहार में काम करते हैं।
  • इस रडार में एकल ट्रांसमीटर, तीन रिसीवर और एक उन्नत आवृत्ति का सिंथेसाइज़र, जो रडार संकेतों को उत्पन्न करने में सक्षम है, का प्रयोग किया गया है। इन सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को एक ही चिप पर व्यवस्थित किया गया है।
    • गौरतलब है कि कुछ ही देशों के पास एक ही चिप पर रडार से संबंधित सारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इंस्टाल करने की क्षमता है।
  • इस रडार का उपयोग रक्षा क्षेत्र, स्वास्थ्य क्षेत्र, परिवहन और कृषि क्षेत्रों में किया जाएगा।

विशेषता:

  • पारंपरिक रडार की तुलना में ‘थ्रू द वाल रडार’ न केवल दीवार के पीछे व्यक्तियों की उपस्थिति का पता लगा सकता है बल्कि उनके कार्यों एवं शारीरिक मुद्राओं की जानकारी भी प्राप्त कर सकता है।
  • यह रडार जटिल संकेतों का भी उपयोग करता है जिसे चिर्प (Chirp) के रूप में जाना जाता है। इसके लिये निम्नलिखित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की आवश्यकता होती है-
    • माइक्रोवेव ट्रांसमीटर
    • एक रिसीवर
    • एक आवृत्ति सिंथेसाइज़र

हालाँकि यह रडार चिप मूल रूप से हवाई अड्डे के सुरक्षा अनुप्रयोगों के लिये विकसित की गई है।

इंप्रिंट (IMPRINT) कार्यक्रम:

  • इस रडार चिप के विकास के लिये किया गया अनुसंधान भारत सरकार के इंप्रिंट (IMPRINT) कार्यक्रम के तहत वित्तपोषित था। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड इस परियोजना में एक सक्रिय भागीदार है।