स्वदेश परियोजना
हाल ही में जैव प्रौद्योगिकी विभाग-नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर (DBT-NBRC) ने न्यूरोलॉजिकल विकारों के प्रबंधन के लिये स्वदेश परियोजना को विकसित किया है।
- NBRC भारत का एकमात्र संस्थान है जो तंत्रिका विज्ञान अनुसंधान और शिक्षा को समर्पित है।
प्रमुख बिंदु
- स्वदेश परियोजना के बारे में:
- स्वदेश पहला बड़े पैमाने वाला मल्टीमॉडल न्यूरोइमेजिंग डेटाबेस है जिसे विशेष रूप से एक मंच के तहत विभिन्न रोग श्रेणियों ( दिये गये चित्र ) के लिये बड़े डेटा आर्किटेक्चर और एनालिटिक्स के साथ भारतीय आबादी हेतु डिज़ाइन किया गया है।
- इस योजना में एक बड़ा डेटा आर्किटेक्चर है जो 6 मॉड्यूल्स के प्रबंधन और विश्लेषण का प्रस्ताव करता है। इन मॉड्यूल्स में शामिल हैं- न्यूरोडिजेनेरेटिव [एडी, माइल्ड कॉग्निटिव इम्पेयरमेंट (MCI), पार्किंसंस रोग (PD)], न्यूरोसाइकाइट्रिक (सिज़ोफ्रेनिया और बाइपोलर विकार), न्यूरोडेवलपमेंटल (ऑटिज़्म और मिर्गी), कोविड-19 से संबंधित बीमारियांँ व अन्य विकार।
- स्वदेश जावा आधारित वर्कफ्लो वातावरण और पायथन से युक्त है। जो इसे गुणवत्ता नियंत्रण, डेटा विश्लेषण रिपोर्ट और डेटा बैकअप उपलब्ध कराता है।
- पायथन और जावा दोनों कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की भाषाएंँ हैं।
- महत्त्व:
- यह अल्ज़ाइमर रोग और कई तंत्रिका संबंधी विकारों को समझने के लिये बहुविध मस्तिष्क अध्ययन में उपयोगी होगा।
- इसके विकास से पूरी दुनिया में मल्टी-साइट डेटा और सहयोगी अनुसंधान के एकीकरण में मदद मिलेगी।
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर
- अर्थ:
- न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Neurological Disorders) केंद्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र (Central and Peripheral Nervous System) से संबंधित रोग है।
- दूसरे शब्दों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, कपाल तंत्रिकाएंँ, परिधीय तंत्रिकाएंँ, तंत्रिका जोड़, स्वायत्त तंत्रिका तंत्र, न्यूरोमस्कुलर जंक्शन और मांसपेशियों से संबंधित विकार।
- न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Neurological Disorders) केंद्रीय और परिधीय तंत्रिका तंत्र (Central and Peripheral Nervous System) से संबंधित रोग है।
- प्रकार:
- गैर-संचारी तंत्रिका संबंधी विकार: इसमें स्ट्रोक, सिरदर्द, मिर्गी/एपिलेप्सी, सेरेब्रल पाल्सी, अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease) और अन्य मनोभ्रंश, मस्तिष्क एवं केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का कैंसर, पार्किंसंस रोग (Parkinson’s Disease), मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple Sclerosis), मोटर न्यूरॉन रोग (Motor Neuron Diseases) व अन्य तंत्रिका संबंधी विकार शामिल हैं।
- संचारी तंत्रिका संबंधी विकार: इंसेफेलाइटिस (Encephalitis), मेनिनजाइटिस (Meningitis), टेटनस (Tetanus)।
- चोट से संबंधित तंत्रिका विकार:
- दर्दनाक मस्तिष्क की चोटें, रीढ़ की हड्डी की चोटें।
- भारतीय परिदृश्य:
- भारत में कुल रोगों में 10% योगदान न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का है।
- देश में गैर-संचारी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का बोझ बढ़ रहा है, जो मुख्य रूप से जनसंख्या की उम्र बढ़ने के कारण है।
- भारत में कुल विकलांगता समायोजित जीवन-वर्ष (Disability Adjusted Life-Years- DALY) में गैर-संचारी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का योगदान वर्ष 1990 के 4% से दोगुना होकर वर्ष 2019 में 8·2% हो गया और चोट से संबंधित न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का योगदान 0·2% से बढ़कर 0·6% हो गया है।
- न्यूरोलॉजिकल विकारों के लिये ज्ञात जोखिम कारकों में बोझ, उच्च रक्तचाप, वायु प्रदूषण, आहार संबंधी जोखिम, अधिक उपवास, प्लाज़्मा ग्लूकोज़ और उच्च बॉडी-मास इंडेक्स प्रमुख योगदानकर्त्ता हैं।
स्रोत: पीआईबी
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 नवंबर, 2021
सर छोटूराम
24 नवंबर, 2021 को देश भर में सर छोटूराम की जयंती मनाई गई। सर छोटूराम का जन्म 24 नवंबर, 1881 को पंजाब के रोहतक (अब हरियाणा) में हुआ था। सर छोटूराम का असली नाम ‘राय रिछपाल’ था। सर छोटू राम दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज के छात्र रहे और उन्हें वर्ष 1937 में नाइट की उपाधि दी गई। कई आलोचक सर छोटूराम को एक जातिवादी नेता के रूप में देखते हैं, किंतु उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन में किसानों के उत्थान की बात की। वर्ष 1912 में वकील के तौर पर कार्य शुरू करने के पश्चात् वे वर्ष 1916 में काॅन्ग्रेस में शामिल हुए और वर्ष 1916 से वर्ष 1920 तक रोहतक ज़िला काॅन्ग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। सर छोटूराम ने प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में भारतीय युवाओं की भर्ती करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। विभाजन के पूर्व पंजाब विधानपरिषद के सदस्य के रूप में उनकी पहली बड़ी उपलब्धि पंजाब भूमि राजस्व (संशोधन) अधिनियम, 1929 को पारित करना था, जिसे एक ऐतिहासिक सामाजिक कानून के रूप में देखा जाता है। एक जनप्रतिनिधि के रूप में सर छोटूराम ने न केवल कानूनों के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई बल्कि उन कानूनों के कार्यान्वयन पर भी ज़ोर दिया। वह किसानों द्वारा खेती पर किये गए खर्च के लिये क्षतिपूर्ति देने की अवधारणा के भी जनक थे, यही अवधारणा आगे चलकर ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ के रूप में विकसित हुई है।
सपोर्टिंग आंध्राज़ लर्निंग ट्रांसफॉर्मेशन
आंध्र प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार तथा विश्व बैंक के साथ ‘सपोर्टिंग आंध्राज़ लर्निंग ट्रांसफॉर्मेशन’ (SALT) परियोजना के समर्थन के लिये 250 मिलियन डॉलर (1,860 करोड़ रुपए) के ऋण हेतु कानूनी समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसका उद्देश्य राज्य में 50 लाख से अधिक छात्रों की सीखने की क्षमता एवं गुणवत्ता में सुधार करना है। ‘सपोर्टिंग आंध्राज़ लर्निंग ट्रांसफॉर्मेशन’ शिक्षकों को प्रशिक्षण देने, राज्य स्तरीय मूल्यांकन की सुविधा प्रदान करने और एक प्रभावी शिक्षा प्रबंधन एवं सूचना प्रणाली स्थापित करने के लिये अपनी तरह की पहली अभिनव परियोजना है। इस परियोजना का लक्ष्य 45,000 से अधिक सरकारी स्कूलों में छह से चौदह वर्ष की आयु के 40 लाख छात्रों, आँगनवाड़ी में नामांकित तीन से छह वर्ष की आयु के 10 लाख से अधिक बच्चों, लगभग 1,90,000 शिक्षकों और 50,000 से अधिक आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं को कवर करना है। इस परियोजना के तहत जनजातीय ब्लॉकों के 3,500 स्कूलों में एक वर्षीय प्री-स्कूल स्तर का पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा।
‘राष्ट्रीय कैडेट कोर’ दिवस
दुनिया के सबसे बड़े वर्दीधारी युवा संगठन ‘राष्ट्रीय कैडेट कोर’ (NCC) ने 28 नवंबर, 2021 को अपनी स्थापना की 73वीं वर्षगाँठ मनाई। ‘राष्ट्रीय कैडेट कोर’, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है, स्वैच्छिक आधार पर स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिये एक 'त्रि-सेवा संगठन' है, जिसमें सेना, नौसेना और वायु विंग शामिल हैं। भारत में ‘राष्ट्रीय कैडेट कोर’ की स्थापना 15 जुलाई, 1948 को राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम, 1948 के तहत हुई थी। ‘राष्ट्रीय कैडेट कोर’ दिवस नवंबर माह के चौथे रविवार को मनाया जाता है। NCC का आदर्श वाक्य ‘एकता और अनुशासन’ (Unity and Discipline) है, जिसे 12 अक्तूबर, 1980 को आयोजित केंद्रीय सलाहकार समिति की बैठक में अपनाया गया था। NCC प्रशिक्षण तीन साल का होता है- पहले वर्ष 'A', दूसरे वर्ष 'B' और तीसरे वर्ष में 'C' ग्रेड का प्रमाणपत्र दिया जाता है। NCC समूह का नेतृत्व 'लेफ्टिनेंट जनरल' रैंक का अधिकारी करता है और पूरे देश में ऐसे कुल 17 अधिकारी हैं।