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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 28 Sep, 2020
  • 26 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 28 सितंबर, 2020

भगत सिंह 

Bhagat Singh

27 सितंबर, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री ने शहीद भगत सिंह की 113वीं जयंती से एक दिन पहले उनको श्रद्धांजलि दी और उन्हें बहादुरी एवं साहस का प्रतीक बताया।

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प्रमुख बिंदु:

  • भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के लायलपुर ज़िले में हुआ था। जो वर्तमान में पाकिस्तान में है।
  • वर्ष 1919 में 12 साल की उम्र में भगत सिंह ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के स्थल का दौरा किया था जहाँ एक सार्वजनिक सभा के दौरान हज़ारों निहत्थे लोगों को मार दिया गया था।  
  • चौरी-चौरा घटना के कारण महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन समाप्त कर देने के कारण भगत सिंह का गांधी जी के अहिंसा दर्शन से मोह भंग हो गया।
    • इसके बाद भगत सिंह ‘युवा क्रांतिकारी आंदोलन’ (Young Revolutionary Movement)  में शामिल हो गए और भारत से ब्रिटिश सरकार को हिंसक तरीके से हटाने की वकालत करने लगे।   
  • वर्ष 1923 में भगत सिंह ने लाहौर के ‘नेशनल कॉलेज’ में दाखिला लिया जहाँ उन्होंने नाट्य समाज की तरह पाठ्येतर गतिविधियों (Extra-curricular Activities) में भी भाग लिया।
  • भगत सिंह, करतार सिंह सराभा को अपना आदर्श मानते थे। जो गदर पार्टी के संस्थापक सदस्य थे।
  • भगत सिंह अराजकतावाद (Anarchism) एवं साम्यवाद (Communism) के प्रति आकर्षित थे। वह मिखाइल बकुनिन (Mikhail Bakunin) की शिक्षाओं के एक उत्साही पाठक थे और कार्ल मार्क्स, व्लादिमीर लेनिन और लियोन ट्रॉट्स्की (Leon Trotsky) को भी पढ़ते थे।
  • ज्युसेपे मैज़िनी (Giuseppe Mazzini) के ‘युवा इटली आंदोलन’ (Young Italy Movement) से प्रेरित होकर उन्होंने मार्च, 1926 में भारतीय समाजवादी युवा संगठन ‘नौजवान भारत सभा’ (Naujawan Bharat Sabha) की स्थापना की।
    • ज्युसेपे मैज़िनी इटली के राजनेता, पत्रकार, इटली के एकीकरण के लिये एक कार्यकर्ता एवं इतालवी क्रांतिकारी आंदोलन के प्रमुख थे।
    • वे राजतंत्र के घोर विरोधी थे। उनके प्रयासों से इटली स्वतंत्र एवं एकीकृत हुआ। 
    • वीर सावरकर मैज़िनी को अपना आदर्श नायक और लाला लाजपत राय मैज़िनी को अपना राजनीतिक गुरू मानते थे। बाद में लाला लाजपत राय ने मैज़िनी की प्रसिद्ध रचना 'द ड्यूटीज़ ऑफ मैन' (The Duties of Man) का उर्दू में अनुवाद किया।
  • भगत सिंह ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (Hindustan Republican Association) में भी शामिल हुए जिसके प्रमुख नेता चंद्रशेखर आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल एवं शाहिद अशफाकल्लाह खान थे।
    • देश में उचित ढंग से क्रांतिकारी आंदोलन का संचालन करने के उद्देश्य से अक्तूबर, 1924 में युवा क्रांतिकारियों ने कानपुर में एक सम्मेलन बुलाया तथा ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (Hindustan Republican Association) नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की। इसके संस्थापक शचींद्र नाथ सान्याल (अध्यक्ष), राम प्रसाद बिस्मिल, जोगेश चंद्र चटर्जी तथा चंद्रशेखर आज़ाद थे।         
    • वर्ष 1928 में  चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्त्व में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ का नाम बदलकर ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट  रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (Hindustan Socialist Republican Association- HSRA) कर दिया गया जिसका उद्देश्य भारत में एक समाजवादी, गणतंत्रवादी राज्य की स्थापना करना था।    
  • साइमन कमीशन के विरोध के समय लाला लाजपत राय पर लाठियों का प्रहार करने वाले सहायक पुलिस अधीक्षक सांडर्स की 30 अक्तूबर, 1928 को भगत सिंह, चंद्र शेखर आज़ाद तथा राजगुरु द्वारा की गई हत्या इस संगठन (HSRA) की पहली क्रांतिकारी गतिविधि थी। 
  • HSRA के दो सदस्यों भगत सिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली में केंद्रीय विधानसभा में बम फेंका, दोनों को गिरफ्तार कर केंद्रीय असेंबली बम कांड के अंतर्गत मुकदमा चलाया गया। बाद में इस संगठन के अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार कर कुल 16 क्रांतिकारियों के ऊपर लाहौर षड्यंत्र कांड के अंतर्गत मुकदमा चलाया गया।
  • भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा दी गई। 23 मार्च, 1931 को इन तीनों को फांसी दे दी गई।
  • चोरी-छिपे उनका अंतिम संस्कार पंजाब प्रांत के फिरोजपुर ज़िले में सतलज नदी के तट पर किया गया जहाँ वर्तमान में शहीद भगत सिंह स्मारक स्थित है।
  •  ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का पहली बार नारे के रूप में प्रयोग भगत सिंह ने किया था। भगत सिंह ने ही इस नारे को चर्चित बनाया था।         


सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़

Sandalwood Spike Disease

भारत में सैंडलवुड अर्थात् चंदन के वृक्ष विनाशकारी सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ (Sandalwood Spike Disease- SSD) के कारण एक गंभीर खतरे का सामना कर रहे हैं।

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प्रमुख बिंदु: 

  • सैंडलवुड अर्थात् चंदन के वृक्षों को भारत विशेषकर कर्नाटक का गौरव माना जाता है।
  • उल्लेखनीय है कि कर्नाटक एवं केरल में इन सुगंधित वृक्षों के प्राकृतिक आवास में सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ का संक्रमण फिर से फैल गया है। 
  • केरल के मरयूर (Marayoor) में चंदन के पेड़ों की प्राकृतिक आबादी और कर्नाटक में एमएम हिल्स (MM Hills) सहित विभिन्न आरक्षित वन, सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ (SSD) से बहुत अधिक संक्रमित हैं जिसका कोई इलाज नहीं है।
  • वर्तमान में इस रोग के प्रसार को रोकने के लिये संक्रमित पेड़ को काटने एवं हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़

Sandalwood Spike Disease- SSD): 

  • सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ (SSD), फाइटोप्लाज़्मा (Phytoplasma) अर्थात् ‘पौधे के ऊतकों के जीवाणु परजीवी’ के कारण होता है जो कीट वैक्टर (Insect Vectors) द्वारा प्रेषित होते हैं। 
  • इस रोग के कारण प्रत्येक वर्ष 1 से 5% चंदन के पेड़ नष्ट हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि इसके प्रसार को रोकने के लिये उपाय नहीं किये गए तो यह रोग चंदन के वृक्षों की पूरी प्राकृतिक आबादी को नष्ट कर सकता है।
    • इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस संक्रमण को रोकने में देरी की गई तो यह बीमारी अपरिपक्व चंदन के वृक्षों में भी फैल सकती है।

संक्रमण को रोकने के लिये किये गए उपाय:  

  • वर्ष 1899 में कर्नाटक के कोडागु (Kodagu) ज़िले में पहली बार इस रोग के बारे में सूचना मिली थी। वर्ष 1903 से वर्ष 1916 के बीच कोडागु (Kodagu) एवं मैसूर क्षेत्र में एक मिलियन से अधिक चंदन के पेड़ हटा दिये गए।
  • वर्ष 1907 में तत्कालीन मैसूर के महाराजा ने इस रोग का इलाज खोजने वाले को  10,000 का इनाम देने की घोषणा की थी। 
  • बाद में वर्ष 1917-1925 के दौरान इस रोग के कारण सलेम में भी 98,734 चंदन के पेड़ काट दिये गए।

IUCN की रेड लिस्ट में स्थिति:

  • चंदन के वृक्षों के प्राकृतिक आवासों में विनाशकारी रोग के कारण चंदन को वर्ष 1998 में IUCN की रेड लिस्ट में ‘सुभेद्य’ (Vulnerable) श्रेणी में वर्गीकृत किया गया था।

वर्तमान में सैंडलवुड का क्षेत्र:

  • वर्तमान में चंदन की प्राकृतिक आबादी केरल के मरयूर में और कर्नाटक में आरक्षित वनों एवं आसपास के क्षेत्रों के कुछ स्थानों में फैली हुई है। जो सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ (SSD) से बहुत अधिक संक्रमित हैं।

रोग का प्रभाव: 

  • देश में एक सदी से अधिक समय से चंदन के उत्पादन में गिरावट का एक प्रमुख कारण सैंडलवुड स्पाइक डिसीज़ (SSD) रहा है।
  • उत्पादन में कमी के कारण मुख्य रूप से 20% की दर से वर्ष 1995 से भारतीय चंदन एवं उसके तेल की कीमत में काफी वृद्धि हुई है।

सैंडलवुड का ऐतिहासिक महत्त्व:

  • भारत इत्र एवं फार्मास्यूटिकल्स के लिये चंदन के तेल उत्पादन का पारंपरिक देश रहा है। वर्ष 1792 की शुरुआत में, टीपू सुल्तान ने इसे मैसूर का 'रॉयल ​​ट्री' घोषित किया था।


कक्षाओं के लिये रेडियो

Radio for Classes

ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान मोबाइल कनेक्टिविटी न होने के कारण अधिकांश छात्र/छात्राएँ शिक्षा से वंचित हो रहे हैं इसलिये ओडिशा सरकार ने राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में बच्चों तक शिक्षा पहुँचाने  के लिये अब रेडियो का इस्तेमाल करने का निर्णय किया है।

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प्रमुख बिंदु:

  • ओडिशा सरकार के इस निर्णय के तहत ओडिशा का स्कूल एवं मास एजुकेशन डिपार्टमेंट (School and Mass Education Department) 28 सितंबर, 2020 से ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से कक्षा शिक्षण शुरू करेगा।
  • चूँकि COVID-19 महामारी के मद्देनज़र स्कूल न खोले जाने के कारण स्मार्ट फोन के द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से छात्रों तक पहुँचने की कोशिश की गई थी।
    • जिनमें से ओडिशा के 60 लाख छात्रों में से लॉकडाउन के दौरान मुश्किल से 22 लाख तक ही ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम पहुँचा जा रहा था।
    • किंतु लॉकडाउन खुलने के बाद घरों में माता-पिता द्वारा एकमात्र स्मार्ट फोन को लेकर ऑफिस या कार्य पर जाने के कारण इस यह संख्या घटकर लगभग 6 से 7 लाख ही रह गई।

रेडियो आधारित कक्षाएँ:

  • महंगे स्मार्ट फोन की तुलना में रेडियो सस्ता है और इसकी आवर्ती लागत भी कम है। अतः रेडियो स्कूल कार्यक्रम के साथ और अधिक छात्रों को शामिल करने की उम्मीद की गई है।
  • कक्षा एक से आठवीं तक के छात्र 15 मिनट के शिक्षण के माध्यम से अनुभवी शिक्षकों द्वारा रेडियो के माध्यम से अपना पाठ सीख सकते हैं। 
    • एक छात्र रेडियो कार्यक्रम के 15 मिनट के भीतर अपनी पाठ्यपुस्तक के छह पृष्ठों को कवर कर सकता है।
  • यह रोजाना सुबह 10 बजे से 10.15 बजे तक उपलब्ध रहेगा। 
  • गौरतलब है कि ओडिशा में स्कूल 17 मार्च से बंद हैं। हालाँकि बच्चों को पाठ्यपुस्तकें प्रदान की गई हैं। 
    • चूँकि स्कूलों को बंद करने के कारण काफी समय नष्ट हो गया है इसलिये स्कूल के सिलेबस में 30% की कमी की गई है।


डेटा  सोनिफिकेशन

Data Sonification

यद्यपि टेलीस्कोप, ‘डिजिटल डेटा’ को आश्चर्यजनक छवियों में परिवर्तित करके बाहरी स्थान की झलक प्रदान करते हैं, अतः नासा (NASA) के चंद्र एक्स-रे केंद्र (Chandra X-Ray Center- CXC) ने एक नई ‘सोनिफिकेशन परियोजना’ (Sonification Project) का अनावरण किया है जो खगोलीय छवियों से प्राप्त डेटा को ऑडियो में परिवर्तित करता है।

Data-Sonification

प्रमुख बिंदु:

  • उपयोगकर्त्ता अब ‘गैलेक्टिक सेंटर’ (Galactic Centre) की छवियों को सुन सकते हैं।
    • गैलेक्टिक सेंटर में कैसिओपिया ए (Cassiopeia A) नामक सुपरनोवा का अवशेष और साथ ही ‘पिलर्स ऑफ क्रिएशन नेबुला’ (Pillars of Creation Nebula) शामिल हैं ये सभी पृथ्वी से लगभग 26,000 प्रकाश वर्ष दूर एक क्षेत्र में स्थित हैं। 
  • डेटा को नासा के चंद्र एक्स-रे आब्ज़र्वेटरी, हबल स्पेस टेलीस्कोप एवं स्पिटज़र स्पेस टेलीस्कोप द्वारा एकत्र किया गया है, जिनमें से प्रत्येक को एक अलग संगीत ’इंस्ट्रूमेंट' द्वारा दर्शाया गया है।

डेटा  सोनिफिकेशन:

  • डेटा सोनिफिकेशन, वास्तविक डेटा को प्रदर्शित करने के लिये ध्वनि तरंगों के उपयोग को संदर्भित करता है। अर्थात् यह डेटा विज़ुअलाइज़ेशन (Data Visualisation) का श्रवण संस्करण (Auditory Version) है। उदाहरण के लिये नासा की हालिया चंद्र परियोजना (Chandra Project) में, कई संगीत ध्वनियों का उपयोग करके डेटा को प्रदर्शित करने के लिये किया जाता है।
  • इस डेटा सोनिफिकेशन परियोजना के तहत उपयोगकर्त्ता अब एक खगोलीय अनुभव के रूप में खगोलीय छवियों में कैद विभिन्न घटनाओं का श्रवण संबंधी अनुभव कर सकते हैं। जैसे- एक तारे का जन्म, धूल का एक बादल, एक ब्लैक होल की उच्च या निम्न पिच वाली ध्वनि के रूप में सुना जा सकता है।

गैलेक्टिक सेंटर(Galactic Centre):

  • गैलेक्टिक सेंटर का सबसे प्रमुख उदहारण मिल्की वे आकाशगंगा का घूर्णन केंद्र है। इसमें खगोलीय पिंडों का एक संग्रह न्यूट्रॉन एवं सफेद बौने तारे, धूल एवं गैस के बादल, एक सुपरमैसिव ब्लैक होल जिसे धनु A* (Sagittarius A*) कहा जाता है जिसका वजन सूर्य के द्रव्यमान का चार मिलियन गुना है, शामिल हैं।

कैसिओपिया ए (Cassiopeia A):

  • नासा के अनुसार, उत्तरी कैसिओपिया नक्षत्र (northern Cassiopeia constellation) में पृथ्वी से लगभग 11,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित कैसिओपिया ए एक सुपरमैसिव तारे के सबसे प्रसिद्ध अवशेषों में से एक है जो लगभग 325 वर्ष पहले एक सुपरनोवा विस्फोट से नष्ट हो गया था।

पिलर्स ऑफ क्रिएशन (Pillars of Creation):

  • ‘पिलर्स ऑफ क्रिएशन’, ईगल नेबुला (Eagle Nebula) के केंद्र में अवस्थित है, जिसे मेसियर 16 (Messier 16) के रूप में भी जाना जाता है।

महत्त्व: 

  • नासा के यूनिवर्स ऑफ लर्निंग प्रोग्राम (Universe of Learning Program) के सहयोग से चंद्रा एक्स-रे केंद्र के नेतृत्त्व में इस परियोजना को क्रियान्वित किया गया। जिसका उद्देश्य सभी उम्र के शिक्षार्थियों के लिये प्रभावी रूप से एवं कुशलता से सीखने के लिये नासा विज्ञान सामग्री को शामिल करना है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 सितंबर, 2020

वैक्सीन वेब पोर्टल और राष्ट्रीय क्‍लीनिकल रजिस्ट्री

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस (COVID-19) के लिये भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैक्सीन वेब पोर्टल और राष्ट्रीय क्‍लीनिकल रजिस्ट्री (National Clinical Registry) का शुभारंभ किया है। यह वैक्सीन वेब पोर्टल भारत और विदेशों में कोरोना वायरस के लिये वैक्सीन के विकास से संबंधित जानकारी प्रदान करेगा। वहीं राष्ट्रीय क्‍लीनिकल रजिस्ट्री, भारत में नैदानिक और प्रयोगशाला जाँच, उपचार, प्रबंधन नवाचार और अस्पताल में भर्ती कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों आदि से संबंधित आँकड़े एकत्र करेगी। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना वायरस (COVID-19) से संबंधित वैक्सीन के बारे में जानने के लिये लोग काफी अधिक उत्सुक हैं, इसलिये वैक्‍सीन के विकास के बारे में सभी जानकारी पारदर्शी तरीके से प्रदान की जानी काफी महत्त्वपूर्ण हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भारत में कुल तीन COVID -19 टीकों के नैदानिक ​​परीक्षण किया जा रहा है, जो कि अलग-अलग चरणों में है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की जा रही कोविशील्ड (Covishield) वैक्सीन भारत में अपने तीसरे और अंतिम चरण में है, और भारत में इसका निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है। 

ईश्वर चंद्र विद्यासागर

26 सितंबर, 2020 को देश भर में समाज सुधारक और शिक्षाविद ईश्वर चंद्र विद्यासागर की 200वीं जयंती मनाई गई। ईश्वर चंद्र विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर, 1820 को पश्चिम बंगाल के एक गाँव में हुआ था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद वे कलकत्ता चले गए और वहाँ वर्ष 1829 से वर्ष 1841 के बीच संस्कृत विश्वविद्यालय से वेदांत, व्याकरण, साहित्य, अलंकार शास्त्र और नीतिशास्र में निपुणता हासिल की, इस दौरान वर्ष 1839 में उन्हें संस्कृत और दर्शन में विशेषज्ञता के लिये विद्यासागर की उपाधि दी गई। विद्यासागर का शाब्दिक अर्थ है 'ज्ञान का महासागर'। इक्कीस वर्ष की आयु में ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने फोर्ट विलियम कॉलेज में संस्कृत विभाग के प्रमुख के रूप में शामिल हो गए। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने बंगाली शिक्षा प्रणाली में क्रांति लाने और बंगाली भाषा को लिखने और सीखने के तरीके का विकास करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। उनकी बंगाली पुस्तक ‘बोर्नो पोरिचोय’ को आज भी बंगाली अक्षर सीखने के लिये एक परिचयात्मक पुस्तक के रूप में उपयोग किया जाता है। यह उनके अथक संघर्ष का ही परिणाम था कि भारत की तत्कालीन सरकार ने वर्ष 1856 में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित किया। अन्य समाज सुधारकों के विपरीत ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने समाज को भीतर से बदलने की कोशिश की और इसी का परिणाम था कि बंगाल के रूढ़िवादी हिंदू ब्राह्मण समाज में विधवा पुनर्विवाह की शुरुआत हुई। 29 जुलाई, 1891 को 70 वर्ष की उम्र में कलकत्ता में उनका निधन हो गया।

राजस्थान में शहरी विकास के लिये ADB का ऋण

एशियाई विकास बैंक (ADB) ने राजस्थान के शहरों में जल आपूर्ति एवं स्वच्छता के बुनियादी ढाँचे और सेवाओं के वित्तपोषण के लिये 300 मिलियन डॉलर (लगभग 2,200 करोड़) के ऋण को मंज़ूरी दी है। इस परियोजना से राजस्थान के 14 शहरों के तकरीबन 5.7 लाख लोगों के लिये बेहतर जलापूर्ति संबंधी सेवाएँ सुनिश्चित की जा सकेंगी, साथ ही लगभग 7.2 लाख लोगों के लिये स्वच्छता संबंधी सेवाएँ उपलब्ध की जा सकेंगी। इस परियोजना में राजस्थान के केवल उन्ही शहरों को शामिल किया गया है, जहाँ की आबादी तकरीबन 20,000 से एक लाख तक है। यह परियोजना स्थानीय सरकारों और राजस्थान शहरी पेयजल, सीवरेज और इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ADB के तकनीकी समर्थन के साथ स्थापित एक कॉर्पोरेट इकाई) की संस्थागत क्षमता को मज़बूत करने में मदद करेगी। यह परियोजना कौशल प्रशिक्षण, इंटर्नशिप कार्यक्रम और सामुदायिक सहभागिता तथा जागरूकता गतिविधियों के माध्यम से महिलाओं और वंचित वर्ग के लोगों को भी सहायता प्रदान करेगी। 

टाइम मैगज़ीन: 100 प्रभावशाली लोगों की सूची

विश्व प्रसिद्ध टाइम मैगज़ीन (TIME Magazine) ने हाल ही में विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची जारी की गई है। वर्ष 2020 के लिये टाइम मैगज़ीन की इस सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ बॉलीवुड अभिनेता आयुष्मान खुराना और शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन का हिस्सा रहीं 82 वर्ष की बिल्किस बानो (Bilkis Bano) को भी शामिल किया गया है। अभिनेता आयुष्मान खुराना भारत के एकमात्र अभिनेता हैं जिन्हें इस सूची में शामिल किया गया है। इसके अलावा टाइम मैगज़ीन की सूची में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बाइडेन (Joe Biden) को भी शामिल किया गया है। अमेरिकी साप्ताहिक समाचार पत्रिका टाइम (TIME) द्वारा जारी की जाने वाली इस वार्षिक सूची में अग्रणी नेताओं, अभिनेताओं और प्रतिष्ठित लोगों को शामिल किया जाता है, जिन्होंने किसी न किसी रूप में समाज को प्रभावित किया है।


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