35वाँ ‘सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला'
35वाँ ‘सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला-2022’ का आयोजन 19 मार्च से 4 अप्रैल, 2022 तक फरीदाबाद, हरियाणा में किया जा रहा है।
- यह मेला प्रतिवर्ष फरवरी के महीने में आयोजित किया जाता है; हालाँकि इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण शेड्यूल को संशोधित किया गया था। फरीदाबाद में यह वार्षिक मेला आखिरी बार वर्ष 2020 में आयोजित किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- मेले का आयोजन सूरजकुंड मेला प्राधिकरण और हरियाणा पर्यटन द्वारा केंद्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति एवं विदेश मंत्रालय के सहयोग से किया जाता है।
- यह मेला वर्ष 1987 में कुशल कारीगरों के पूल को बढ़ावा देने के लिये शुरू किया गया था, जो कि स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल करते थे, लेकिन ये लोग सस्ते मशीन-निर्मित उत्पादों के कारण पीड़ित थे।
- इस मेले को वर्ष 2013 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मेले रूप में अपग्रेड किया गया था।
- सूरजकुंड मेला भारत के हस्तशिल्प, हथकरघा और सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि एवं विविधता को प्रदर्शित करता है, इसके साथ ही यह विश्व का सबसे बड़ा शिल्प मेला है।
- वर्ष 2022 के लिये 'थीम स्टेट' जम्मू और कश्मीर तथा ‘भागीदार राष्ट्र’ उज़्बेकिस्तान है।
स्रोत: पी.आई.बी.
कोयना बाँध
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने महाराष्ट्र में एक अधूरी जलविद्युत परियोजना को संशोधित प्रशासनिक स्वीकृति देने में देरी के बारे में जानकारी दी है। इस देरी के कारण छह साल से अधिक समय तक धन का आवंटन अवरुद्ध रहा है।
- महाराष्ट्र सरकार के जल संसाधन विभाग (WRD) ने वर्ष 2004 में कोयना बाँध के बाएँ किनारे पर 2×40 मेगावाट (MW) जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिये प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की थी।
कोयना बाँध:
- कोयना बाँध महाराष्ट्र का सबसे बड़ा बाँध है, यह सतारा ज़िले के कोयाना नगर में स्थित है।
- यह पश्चिमी घाट में चिपलून और कराड के बीच राजकीय राजमार्ग पर स्थित है। कोयना बाँध कोयना नदी पर बनाया गया एक मलबा-कंक्रीट बाँध है, कोयना नदी सह्याद्रि पर्वत शृंखलाओं के एक हिल-स्टेशन महाबलेश्वर से निकलती है।
- कोयना बाँध पर कार्य वर्ष 1951 में शुरू किया गया था तथा पहली बार वर्ष 1962 में टरबाइन को स्थापित करने के लिये कार्य शुरू हुआ था।
- वर्तमान में कोयना जलविद्युत परियोजना का चरण V निर्माणाधीन है।
- बाँध का मुख्य उद्देश्य पड़ोसी क्षेत्रों में सिंचाई सुविधाओं के साथ जलविद्युत की आपूर्ति करना है।
- कोयना बाँध पश्चिम महाराष्ट्र के साथ-साथ कुछ पड़ोसी क्षेत्रों में जलविद्युत की आपूर्ति प्रदान करता है।
- मानसून के मौसम के दौरान बाढ़ नियंत्रण में बाँध महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जलग्रहण क्षेत्र कोयना नदी को शिवसागर झील से जोड़ता है जिसकी लंबाई लगभग 50 किमी. है।
- कोयना वन्यजीव अभयारण्य जो कि लगभग 423.55 वर्ग किमी. क्षेत्र को कवर करता है, वर्ष 1985 में अधिसूचित किया गया था।
- वर्ष 2007 में चंदोली राष्ट्रीय उद्यान के साथ कोयना वन्यजीव अभयारण्य को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा सह्याद्रि टाइगर रिज़र्व के एक हिस्से के रूप में घोषित किया गया था।
- यह भारत की स्वतंत्रता के बाद शुरू की गई सबसे बड़ी सिविल इंजीनियरिंग परियोजनाओं में से एक है। कोयना जलविद्युत परियोजना महाराष्ट्र राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा संचालित है।
कोयना नदी के विषय में:
- कोयना जो कि कृष्णा की सहायक नदी है, पश्चिमी महाराष्ट्र में सतारा ज़िले के महाबलेश्वर से निकलती है।
- महाराष्ट्र की अधिकांश अन्य नदियों के विपरीत जो कि पूर्व-पश्चिम दिशा में बहती हैं, कोयना नदी उत्तर-दक्षिण दिशा में बहती है।
- यह महाराष्ट्र राज्य के सतारा ज़िले के ‘दक्कन इलाके’ में 2,036 वर्ग किमी. के क्षेत्र को कवर करती है।
- औसत समुद्र तल से 550-1,460 मीटर की ऊँचाई की सीमा के साथ यह आमतौर पर पश्चिमी घाट क्षेत्र में दक्कन पठार की विशेषता वाले एक भौगोलिक संरचना का प्रतिनिधित्व करती है।
- इस पर कोयना नगर में शिवसागर जलाशय का निर्माण करने वाला ‘कोयना बाँध’ भी मौजूद है।
- कोयना नदी चार सहायक नदियों द्वारा समर्थित है, जिसमें केरा, वांग, मोरना और महिंद आदि शामिल हैं। इन नदियों पर केरा, वांग और मोरना बाँध मौजूद हैं।
विगत वर्षों के प्रश्नहाल ही में निम्नलिखित में से किस नदी को जोड़ने का कार्य शुरू किया गया था? (2016) (a) कावेरी और तुंगभद्रा उत्तर: (b) व्याख्या: गोदावरी-कावेरी लिंक में तीन घटक शामिल हैं:
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स्रोत: द हिंदू
ज़ोजिला दर्रा
हाल ही में सोनमर्ग (Sonamarg) से लद्दाख (Ladakh) के ऊँचाई वाले क्षेत्र तक नागरिक यातायात हेतु ज़ोजिला दर्रे (Zoji la Pass) को खोल दिया गया है।
- ज़ोजिला लद्दाख के द्रास में 11,650 फीट से अधिक ऊंँचाई पर स्थित है और ऐतिहासिक रूप से सर्दियों के मौसम में इसका अधिकांश भाग बंद रहता है।
प्रमुख बिंदु
ज़ोजिला दर्रे के बारे में:
- ज़ोजिला दर्रा लद्दाख के कारगिल ज़िले में स्थित एक उच्च पर्वतीय दर्रा है।
- यह लेह और श्रीनगर को जोड़ता है और केंद्रशासित प्रदेशों- लद्दाख और कश्मीर के बीच एक महत्त्वपूर्ण लिंक प्रदान करता है।
- ज़ोजिला दर्रे को ‘बर्फीले तूफान के दर्रे’ के रूप में जाना जाता है।
- ज़ोजिला दर्रा सर्दियों के दौरान भारी हिमपात के कारण बंद रहता है, जिससे लद्दाख क्षेत्र का संपर्क कश्मीर से कट जाता है।
- वर्ष 2018 में ज़ोजिला सुरंग परियोजना शुरू की गई थी। यह एशिया की सबसे लंबी और रणनीतिक द्वि-दिशात्मक सुरंग है, जो श्रीनगर, कारगिल और लेह के बीच हर मौसम में संपर्क सुविधा प्रदान करेगी।
हिमालय के प्रमुख दर्रे
दर्रा |
किससे-किसको जोड़ता है?/विशेषताएँ |
1. बनिहाल दर्रा |
कश्मीर घाटी को बाह्य हिमालय और दक्षिण में मैदानी इलाकों के साथ। |
2. बारा-लाचा-ला दर्रा |
हिमाचल प्रदेश के लाहौल को लेह ज़िले से। |
3. फोटू-ला दर्रा |
लेह को कारगिल से। |
4. रोहतांग दर्रा |
कुल्लू घाटी को हिमाचल प्रदेश की लाहौल और स्पीति घाटी से। |
5. शिपकी ला दर्रा |
हिमाचल प्रदेश को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से। |
6. जेलेप ला दर्रा |
सिक्किम को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से। |
7. नाथू ला दर्रा |
सिक्किम को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से। |
8. लिपूलेख दर्रा |
भारत की चौड़न घाटी को तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से। यह उत्तराखंड, चीन और नेपाल के ट्राई-जंक्शन पर स्थित है। |
9. खार्दूंग ला |
लद्दाख को सियाचिन ग्लेशियर से। यह विश्व का सबसे ऊँचा मोटर वाहन योग्य दर्रा है। |
10. बोम-डि-ला दर्रा |
यह अरुणाचल प्रदेश में है। |
स्रोत: पी.आई.बी.
MRSAM का सैन्य संस्करण
हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के तट से दूर एकीकृत परीक्षण रेंज, चाँदीपुर में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) के सैन्य संस्करण के दो सफल उड़ान परीक्षण किये।
- ये परीक्षण उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों के विरुद्ध लाइव फायरिंग परीक्षणों का हिस्सा थे। पहला प्रक्षेपण एक मध्यम ऊँचाई वाली लंबी दूरी के लक्ष्य को रोकना था और दूसरा प्रक्षेपण कम ऊँचाई वाले कम दूरी के लक्ष्य को क्षमता प्रदान करने के लिये था।
- भारतीय सेना के लिये मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) का पहला परीक्षण वर्ष 2020 में किया गया था।
प्रमुख बिंदु:
- MRSAM का सैन्य संस्करण:
- यह भारतीय सेना के उपयोग हेतु रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) तथा इज़रायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ (IAI) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है।
- इसमें एक कमांड और कंट्रोल पोस्ट, मल्टी-फंक्शन रडार तथा मोबाइल लॉन्चर सिस्टम शामिल हैं।
- ‘मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल’ (MRSAM):
- यह एक त्वरित प्रतिक्रिया वाली सुपरसोनिक मिसाइल है, जिसे दुश्मन के हवाई खतरों, जैसे- मिसाइल, विमान, गाइडेड बम और लड़ाकू विमान आदि को बेअसर करने के लिये विकसित किया गया है।
- सुपरसोनिक मिसाइल की गति ध्वनि की गति (मैक 1) से अधिक होती है, किंतु वह माइक-3 से तेज़ नहीं हो सकती हैं।
- सेना, नौसेना और वायु सेना के लिये इसके अलग-अलग संस्करण विकसित किये गए हैं।
- यह एक त्वरित प्रतिक्रिया वाली सुपरसोनिक मिसाइल है, जिसे दुश्मन के हवाई खतरों, जैसे- मिसाइल, विमान, गाइडेड बम और लड़ाकू विमान आदि को बेअसर करने के लिये विकसित किया गया है।
- मई 2019 में भारतीय नौसेना, DRDO और IAI ने ‘मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल’ (MRSAM) के नौसैनिक संस्करण का पहला परीक्षण किया था।
- यह बराक एयर एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम ( Barak Air and Missile Defence System- AMD) का भूमि आधारित संस्करण है।
- भारत द्वारा इज़रायल से बराक एएमडी (Barak AMD) की खरीद की गई है। इसे विभिन्न खतरों से अपने आर्थिक क्षेत्रों और रणनीतिक संस्थानों की रक्षा हेतु इज़रायल द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया था।
- मिसाइल की प्रबंधन प्रणाली लक्ष्य को ट्रैक करने और सही ढंग से पहचानने हेतु रडार का उपयोग कर दूरी की गणना करती है तथा इंटरसेप्शन (Interception) पर लिये जाने वाले निर्णय हेतु कमांडर को सभी जानकारी उपलब्ध कराती है।
- यह मिसाइल 4.5 मीटर लंबी है और लगभग 275 किलोग्राम वज़न की है।
- यह अपनी उड़ान को स्थिर करने और इसे गतिशीलता प्रदान करने हेतु फिन्स (Fins) और कैनर्ड (Canards) से युक्त है।
- इस मिसाइल को एक ठोस प्रणोदन प्रणाली के साथ ‘थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल सिस्टम’ द्वारा संचालित किया जाता है।
- यह 70 किलोमीटर की सीमा तक कई लक्ष्यों को एक साथ भेद सकती है।
- यह बराक एयर एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम ( Barak Air and Missile Defence System- AMD) का भूमि आधारित संस्करण है।
विगत वर्षों के प्रश्नप्रश्न. भारत ने निम्नलिखित में से किससे बराक मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली खरीदी है? (2008) (a) इज़रायल उत्तर: (a) |
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 28 मार्च, 2022
विश्व रंगमंच दिवस
दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में थियेटर अथवा नाटक कला के महत्त्व के प्रति लोगों में जागरुकता पैदा करना है। विश्व रंगमंच दिवस की शुरुआत वर्ष 1961 में इंटरनेशनल थियेटर इंस्टीट्यूट (International Theatre Institute) द्वारा की गई थी। प्रथा के अनुसार, इस दिन किसी थियेटर के किसी प्रसिद्ध व्यक्ति द्वारा रंगमंच की मौजूदा स्थिति पर विचार व्यक्त करते हुए संदेश दिया जाता है। वर्ष 1962 में पहला विश्व थियेटर दिवस संदेश जीन कोक्टयू द्वारा दिया गया था। वर्ष 2002 में यह संदेश भारत के सबसे प्रसिद्ध थियेटर कलाकार गिरीश कर्नाड ने दिया था। नाटक अथवा थियेटर रंगमंच से जुड़ी एक विधा है, जिसे अभिनय करने वाले कलाकारों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। नाटक की परंपरा बहुत प्राचीन है। इस संदर्भ में शेक्सपियर की निम्नलिखित पंक्तियाँ उल्लेखनीय हैं-
ये दुनिया एक रंगमंच है और सभी स्त्री-पुरुष सिर्फ पात्र हैं।
राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने प्रतिवर्ष 5 अक्तूबर को ‘राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस’ के रूप में आयोजित करने की घोषणा की है। ‘राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस’ को नामित करने का निर्णय ‘राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड’ (NBWL) की स्थायी समिति द्वारा लिया गया है। इस दिवस का उद्देश्य गंगा डॉल्फिन सहित भारत में पाई जाने वाली तमाम प्रकार की डॉल्फिन्स के संरक्षण हेतु जागरूकता पैदा करना और सामुदायिक भागीदारी का बढ़ावा देना है। ध्यातव्य है कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2009 में ‘गंगा डॉल्फिन’ को ‘राष्ट्रीय जलीय पशु’ के रूप में मान्यता दी गई थी। गंगा डॉल्फिन एक संकेतक प्रजाति है, जिसकी स्थिति गंगा पारिस्थितिकी तंत्र की समग्र स्थिति को दर्शाती है, ज्ञात हो कि यह जल गुणवत्ता एवं प्रवाह में परिवर्तन के प्रति बेहद संवेदनशील होती है। इसे ‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर’ (IUCN) की रेड लिस्ट में ‘लुप्तप्राय’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसकी प्रजातियों की वैश्विक आबादी लगभग 4,000 है और तकरीबन 80% भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती हैं।
वर्ष 2022 के प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कार
लॉस एंजिल्स में वर्ष 2022 के प्रतिष्ठित ऑस्कर पुरस्कार वितरित किये गए हैं। ‘कोडा’ को बेस्ट फिल्म के लिये ऑस्कर से सम्मानित किया गया है। सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का ऑस्कर पुरस्कार इस बार ट्रॉय कोस्तुर को फिल्म ''कोडा'' में उनकी भूमिका के लिये दिया गया है। वे ऑस्कर के लिये नामित होने और यह पुरस्कार जीतने वाले पहले बधिर पुरूष अभिनेता हैं। इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार आरियाना डि बोस को फिल्म वेस्टसाइड स्टोरी के लिये दिया गया है। सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी, विज़ुअल इफेक्ट्स एवं साउंड के लिये फिल्म ड्यून को तीन पुरस्कार मिले हैं, जबकि लघु विषय पर सर्वश्रेष्ठ वृतचित्र का पुरस्कार द क्वीन ऑफ बास्केट बॉल को दिया गया है। इनकान्टो सर्वश्रेष्ठ ऐनीमेटेड फीचर फिल्म घोषित की गई है, जबकि सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड लघु फिल्म का पुरस्कार द विंडशील्ड वाइपर को मिला है। जापान की फिल्म ड्राइव माई कार को सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला है। एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर ऑर्टस एंड साइंसेज़ के 94वें एकेडमी अवार्ड समारोह में इस बार 1 मार्च से 31 दिसंबर, 2021 के बीच प्रदर्शित सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को पुरस्कृत किया गया है।
विश्व का पहला वन्यजीव बॉण्ड
विश्व बैंक (इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट, IBRD) ने ब्लैक राइनो की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिये दुनिया का पहला वन्यजीव बॉण्ड (Wildlife Conservation Bond) जारी किया गया है और इसके तहत 150 मिलियन डॉलर जुटाए गए हैं इन बॉण्ड का प्रयोग दक्षिण अफ्रीका के दो संरक्षित वन्यजीव- 'एडो एलीफेंट नेशनल पार्क (AENP) और ग्रेट रिवर नेचर रिज़र्व (GFRNR) में ब्लैक राइनो (काले गैंडे) की संख्या में वृद्धि और संरक्षण हेतु किया जाएगा। यह बॉण्ड 5 साल के लिये जारी किया गया है ताकि ब्लैक राइनो का सतत् विकास हो सके। इस वन्यजीव संरक्षण बॉण्ड (WCB) को "राइनो बॉण्ड (Rhino Bond)" के रूप में भी जाना जाता है। यदि यह कार्यक्रम सफल होता है तो केन्या में बाघ, शेर और गोरिल्ला जैसी अन्य वन्यजीव प्रजातियों के संरक्षण के लिये इसका विस्तार किया जा सकता है। राइनो/गैंडे की कुल पाँच प्रजातियाँ पाई जाती हैं- अफ्रीका में व्हाइट और ब्लैक राइनो (White and Black Rhinos in Africa), एक सींग वाले गैंडे (Greater One-Horned), एशिया में जावा और सुमात्रन गैंडे/राइनो (Javan and Sumatran Rhino) की प्रजातियाँ। ब्लैक राइनो केवल अफ्रीका में पाए जाते हैं। ब्लैक राइनो को आईयूसीएन की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के तौर पर सूचीबद्ध किया गया है।