आल्प्स में तेज़ी से पिघल रहे ग्लेशियर
एक नए अध्ययन से पता चला है कि वर्ष 2022 में स्विट्ज़रलैंड के ग्लेशियरों ने औसतन 6.2% बर्फ खो दी।
प्रमुख बिंदु
- सहारन रेत और हीटवेव:
- संपूर्ण आल्प्स में पिछली सर्दियों में बहुत कम हिमपात हुआ था जिसकी वजह से आगामी गर्मी के मौसम में ग्लेशियर के प्रभावित होने की संभावना है।
- वसंत विशेष रूप से चरम था, प्राकृतिक वायुमंडलीय पवन सहारन रेत को यूरोप तक ले गई और अल्पाइन में जमा कर दिया।
- चूंँकि बर्फ की तुलना में धूल अधिक सौर ऊर्जा को अवशोषित करती है, इसलिये अब नारंगी रंग की बर्फ तेज़ी से पिघल रही है।
- गर्मी की लहर ने पूरे यूरोप में तापमान का रिकॉर्ड तोड़ दिया, ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में पहली बार तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया।
- वर्ष 2003 में हिमनद अत्यधिक तेज़ी से पिघले थे, इस दौरान पूरे स्विट्ज़रलैंड में 3.8% ग्लेशियर पिघल गए थे।
- अभूतपूर्व आल्प्स ग्लेशियर का पिघलना:
- ग्लेशियर के पिघलने की सीमा उस ऊँचाई पर निर्भर करती है जिस पर यह स्थित है, ग्लेशियर का ढाल जितनी तीव्र होगी वह उतना ही अधिक मलबे से ढका होता है।
- स्विट्ज़रलैंड में इन हिमनदों के पिघले जल का उपयोग जल विद्युत के लिये किया जाता है।
- ऑस्ट्रियाई ग्लेशियर भी वर्ष 2022 में 70 वर्षों की तुलना में अधिक पिघल गए है, इसलिये यह स्पष्ट है कि वर्ष 2022 में हिमनद का पिघलना व्यापक रहा है।
- इसका एक परिणाम यह है कि ग्लेशियरों के पिघलने से सूखे की अवधि में कम वर्षा की स्थिति में जल की कमी की पूर्ति करने के साथ ही देश की ऊर्जा आपूर्ति में भी मदद मिलती है।
- पिघलते ग्लेशियरों के कारण पहाड़ों में 1,000 से अधिक नई झीलें निर्मित हुई हैं।
- इस साल पहली बार पर्माफ्रॉस्ट जो चट्टानों को एक साथ बाँधे रखती है पिघल रही है और लगातार चट्टानों का अपरदन हो रहा है।
आल्प्स:
- विषय:
- आल्प्स पर्वत अल्पाइन ऑरोजेनी (पर्वत-निर्माण घटना) के दौरान उभरा, यह घटना लगभग 65 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुई थी जो मेसोज़ोइक युग (Mesozoic Era) के पास आने के दौरान घटित हुई।
- आल्प्स ऊबड़-खाबड़ और ऊँची शंक्वाकार चोटियों से निर्मित एक वलित पर्वत शृंखला है।
- यह पश्चिमी यूरोप के भौगोलिक क्षेत्रों में सबसे प्रमुख है। जो लगभग 750 मील लंबी और 125 मील से अधिक चौड़ी है जिसकी सबसे ज़्यादा चौड़ाई जर्मनी के गार्मिश-पार्टेनकिर्चेन क्षेत्र तथा वेरोना, इटली के मध्य है, आल्प्स पर्वत शृंखला 80000 वर्ग मील से अधिक के क्षेत्र को कवर करती है।
- आल्प्स पर्वत शृंखला पूरब, उत्तर-पूर्व में विएना, ऑस्ट्रिया की ओर मुड़ने से पहले उत्तर में नीस, फ्रांँस के पास उपोष्णकटिबंधीय भूमध्यसागरीय तट से जिनेवा झील तक फैली हुई है जहाँ यह डेन्यूब नदी (Danube River) को छूते हुए उससे लगे मैदानी भागों में मिल जाती है।
- अपने चापाकार आकार के कारण आल्प्स यूरोप के पश्चिमी समुद्री तट की जलवायु को फ्रांँस, इटली और बाल्कन क्षेत्र (Balkan Region) के भूमध्यसागरीय क्षेत्रों से अलग करता है।
- संबंधित देश:
- आल्प्स फ्राँस, इटली, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, स्लोवेनिया, क्रोएशिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, मोंटेनेग्रो, सर्बिया तथा अल्बानिया का हिस्सा है।
- केवल स्विट्ज़रलैंड तथा ऑस्ट्रिया को ही ‘ट्रू अल्पाइन’ देश माना जा सकता है।
- महत्त्वपूर्ण चोटियाँ:
- ‘मोंट ब्लांक’ (Mont Blanc) आल्प्स और यूरोप की सबसे ऊँची चोटी है जो समुद्र तल से 4,804 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह ग्रेयन आल्प्स में फ्राँस, स्विट्ज़रलैंड और इटली में स्थित है।
- मोंटे रोज़ा (Monte Rosa) एक ‘मैसिफ’ (पहाड़ों का एक संयुक्त समूह) है, जिसमें कई चोटियाँ हैं। इस श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी डुफोरस्पित्ज़ (Dufourspitze) की ऊँचाई 4,634 मीटर है, जिसके स्विट्ज़रलैंड की सबसे ऊँची चोटी होने का दावा किया जाता है।.
- डोम जो मोंटे रोजा के पास स्थित है, 4,545 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और इसे अपने सीधे मार्गों के कारण आल्प्स में ‘सुगम’ ऊँची चोटियों में से एक के रूप में जाना जाता है।
- अन्य प्रमुख चोटियाँ लिस्कम, वीशोर्न, मैटरहॉर्न, डेंट ब्लैंच, ग्रैंड कॉम्बिन आदि हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने का भारत के जल संसाधनों पर दूरगामी प्रभाव कैसे होगा? (2020) |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) द्वारा गूगल पर ज़ुर्माना
अल्फाबेट (Alphabet) के स्वामित्त्व वाले गूगल पर हाल ही में एंड्रॉइड मोबाइल उपकरणों के पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित क्षेत्रों में "अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग" करने के लिये भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) द्वारा 936.44 करोड़ रुपए का ज़ुर्माना लगाया गया।
मुद्दा क्या है?
- वर्ष 2019 में CCI ने एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम आधारित स्मार्टफोन के बारे में ग्राहकों की शिकायतों के जवाब में गूगल के अनुचित व्यावसायिक व्यवहार की जाँच का आदेश दिया।
- गूगल के खिलाफ आरोप Android OS और गूगल के मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) के बीच दो समझौतों पर आधारित थे, ये हैं- मोबाइल एप्लीकेशन वितरण अनुबंध (MADA) और एंटी-फ़्रेग्मेंटेशन अनुबंध (AFA)।
- MADA के तहत संपूर्ण गूगल मोबाइल सूट (Suite) की अनिवार्य प्री-इंस्टालेशन और अनइंस्टॉल विकल्प की कमी के कारण CCI ने दावा किया कि गूगल ने प्रतिस्पर्द्धा कानून का उल्लंघन किया है।
- गूगल मोबाइल सेवाएँ (GMS) गूगल एप्लीकेशन और एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफ़ेस (API) का एक संग्रह है जो सभी उपकरणों में कार्यक्षमता को सुविधाजनक बनाता है। गूगल के प्रमुख उत्पाद, जैसे- गूगल सर्च, गूगल क्रोम, यूट्यूब, प्ले स्टोर और गूगल मानचित्र आदि सभी GMS में शामिल हैं।
- गूगल द्वारा उपकरण निर्माताओं पर अनुचित शर्तें थोपना प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम की धारा 4 का उल्लंघन है।
- एक प्रभावशाली स्थिति का दुरुपयोग प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत आता है।
भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI):
- परिचय:
- भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग एक सांविधिक निकाय है जो प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के उद्देश्यों को लागू करने के लिये उत्तरदायी है। इसका विधिवत गठन मार्च 2009 में किया गया था।
- राघवन समिति की सिफारिशों के आधार पर एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम (MRTP Act), 1969 को निरस्त कर इसे प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।
- संरंचना:
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम के अनुसार, आयोग में एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- आयोग एक अर्द्ध-न्यायिक निकाय (Quasi-Judicial Body) है जो सांविधिक प्राधिकरणों को परामर्श देने के साथ-साथ अन्य मामलों को भी संबोधित करता है। इसका अध्यक्ष और अन्य सदस्य पूर्णकालिक होते हैं।
- सदस्यों की पात्रता:
- इसके अध्यक्ष और सदस्य बनने के लिये ऐसा व्यक्ति पात्र होगा जो सत्यनिष्ठा और प्रतिष्ठा के साथ-साथ उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रह चुका हो या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर नियुक्त होने की योग्यता रखता हो या जिसके पास अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, अर्थशास्त्र, कारोबार, वाणिज्य, विधि, वित्त, लेखा कार्य, प्रबंधन, उद्योग, लोक कार्य या प्रतिस्पर्द्धा संबंधी विषयों में कम-से-कम पंद्रह वर्ष का विशेष ज्ञान एवं वृत्तिक अनुभव हो और केंद्र सरकार की राय में आयोग के लिये उपयोगी हो।
प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002:
- प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम वर्ष 2002 में पारित किया गया था और प्रतिस्पर्द्धा (संशोधन) अधिनियम, 2007 द्वारा इसे संशोधित किया गया। यह आधुनिक प्रतिस्पर्द्धा विधानों का अनुसरण करता है।
- यह अधिनियम प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी करारों और उद्यमों द्वारा अपनी प्रधान स्थिति के दुरुपयोग का प्रतिषेध करता है तथा समुच्चयों [अर्जन, नियंत्रण, 'विलय एवं अधिग्रहण' (M&A)] का विनियमन करता है, क्योंकि इनकी वजह से भारत में प्रतिस्पर्द्धा पर व्यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है या इसकी संभावना बनी रहती है।
- संशोधन अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग और प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (Competition Appellate Tribunal- COMPAT) की स्थापना की गई।
- वर्ष 2017 में सरकार ने प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (COMPAT) को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal- NCLAT) से प्रतिस्थापित कर दिया।
स्रोत: द हिंदू
डर्टी बम
हाल ही में रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यह आरोप लगाया है कि यूक्रेन एक "डर्टी बम" हमले की योजना बना रहा है।
डर्टी बम:
- परिचय:
- तकनीकी भाषा में "डर्टी बम" डिस्पर्सन डिवाइस (Dispersion Device) है जिसमें रेडियोधर्मी सामग्री संभवतः यूरेनियम होती है, लेकिन सामान्य उपयोग में सीज़ियम -137 या अन्य रेडियोधर्मी सामग्री जैसे निम्न-श्रेणी की सामग्री के इस्तेमाल की अधिक संभावना होती है।
- इसमें अत्यधिक परिष्कृत रेडियोधर्मी सामग्री को शामिल करने की आवश्यकता नहीं होती है, जैसा कि परमाणु बम में उपयोग किया जाता है। इसके बजाय यह अस्पतालों, परमाणु ऊर्जा स्टेशनों या अनुसंधान प्रयोगशालाओं से रेडियोधर्मी सामग्री का उपयोग कर सकता है जो
- परमाणु हथियारों की तुलना में बहुत सस्ता और तेज होता है।
- उदाहरण के लिये इन्हें किसी वाहन के पिछले हिस्से में रखकर भी ले जाया जा सकता है।
- चिंताएँ
- इसका तत्काल सीमित स्वास्थ्य प्रभाव होगा, क्योंकि प्रभावित क्षेत्र के अधिकांश लोग विकिरण के घातक प्रभाव का अनुभव करने से पहले बच निकलने में सक्षम होंगे।
- हालाँकि दूर तक फैले रेडियोधर्मी धूल और धुएँ में साँस लेना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकता है क्योंकि विकिरण को मनुष्य न तो देख सकता है, न सूंघ सकता है, न महसूस कर सकता है और न ही चख सकता है।
- सुदूर फैले रेडियोधर्मी धुल और धुएँ स्वास्थ्य के लिये काफी खतरनाक होते हैं।
- शहरी क्षेत्रों को खाली करने अथवा यहाँ तक कि शहर को पूरी तरह से छोड़ने से भारी आर्थिक क्षति हो सकती है।
- इसका तत्काल सीमित स्वास्थ्य प्रभाव होगा, क्योंकि प्रभावित क्षेत्र के अधिकांश लोग विकिरण के घातक प्रभाव का अनुभव करने से पहले बच निकलने में सक्षम होंगे।
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 अक्तूबर, 2022
नेरल-माथेरान टॉय ट्रेन
मावल लोकसभा क्षेत्र में ठंड के मौसम में पर्यटन स्थल नेरल-माथेरान (Neral-Matheran) के बीच चलने वाली नेरल-माथेरान टॉय ट्रेन (छोटी ट्रेन), जो कि दुर्घटना के कारण बंद कर दी गई थी, फिर से शुरू हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र में नेरल-माथेरान टॉय ट्रेन सेवा फिर से शुरू होने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। इस ट्रेन के शुरू होने से स्थानीय लोगों को भी रोज़गार मिलेगा। माथेरान जो कि एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, यूनेस्को की सूची में शामिल है। पर्यटक ‘टॉय ट्रेन’ के ज़रिये यहाँ यात्रा करते हैं। सह्याद्री पर्वत शृंखला के बीच नेरल से माथेरान तक 21 किमी की दूरी यह ट्रेन लगभग 2 घंटे 20 मिनट में तय करती है। ‘टॉय ट्रेन’ सेवा पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों के लिये भी एक प्रमुख साधन है।
श्री विजय वल्लभ सूरीश्वर जी की 150वीं जयंती
आचार्य विजय वल्लभ श्वेतांबर धारा के संत थे।.उनका जन्म गुजरात के बड़ोदा में संवत 1870 में हुआ मगर वे अधिकांश समय पंजाब में रहे। वे खादी वस्त्र पहनते थे और आज़ादी के समय हुए खादी स्वदेशी आंदोलन से भी सक्रिय रूप से जुड़े रहे। देश के विभाजन के समय पाकिस्तान के गुजरावाला में उनका चर्तुमास था, लेकिन वे सितंबर 1947 में पैदल ही भारत लौट आए, साथ ही उन्होंने अपने अनुयायियों का भी पुर्नवास सुनिश्चित किया। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा की अपनी शिक्षा के साथ दृढ बने रहे। स्वतंत्रता पश्चात वर्ष 1954 में बंबई में उनका देहांत हो गया। उनके अंतिम दर्शन के लिये 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हुई थी। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, सौराष्ट्र और महाराष्ट्र आदि प्रांतों में उन्होंने 67 वर्षो के दौरान अनेकों पैदल यात्राएँ कीं। इस दौरान उन्होंने आचार्य महावीर जैन विश्वविद्यालय समेत अनेक शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने अनेक ग्रंथों के साथ-साथ छंद कविताओं की भी रचना की। जैन संप्रदाय के उत्थान और उसकी शिक्षाओं को फैलाने के अपने कार्यों के लिये उन्हें 'युग प्रधान' भी कहा जाने लगा।
संयुक्त राष्ट्र का 27वाँ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन अगले माह
संयुक्त राष्ट्र का 27वाँ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 6-18 नवंबर तक मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन अफ्रीका में पाँचवी बार आयोजित होगा। इस सम्मेलन में 200 से अधिक देशों को आमंत्रित किया गया है। इस सम्मेलन का केंद्रीय बिंदु “जलवायु परिवर्तन से महाद्वीप में उत्पन्न हो रहे गंभीर परिणाम” होगा। जलवायु परिवर्तन संबंधी विभिन्न देशों की अंतर्राष्ट्रीय समिति का मानना है कि अफ्रीका जलवायु परिवर्तन से विश्व के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में है। इस सम्मेलन में और तीन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिसमे उत्सर्जन कम करना, जलवायु परिवर्तन से निपटना, तकनीकी सहायता और विकासशील देशों को जलवायु गतिविधियों के लिये आर्थिक मदद करना शामिल है। साथ ही इस दौरान पिछले सम्मेलन के लंबित एवं महत्त्वपूर्ण मुद्दों को भी उठाया जाएगा तथा कोयले के उपयोग को कम करने की प्रतिबद्धता पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।