प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स : 27 जुलाई, 2021
गरीब नवाज़ रोज़गार योजना
Garib Nawaz Employment Scheme
हाल ही में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री द्वारा संसद में दिये गए जवाब के अनुसार, गरीब नवाज़ रोज़गार योजना के तहत देश भर में कुल 371 प्रशिक्षण केंद्र खोले गए हैं।
प्रमुख बिंदु
योजना के बारे में:
- अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा वर्ष 2017 में इस योजना को शुरू किया गया था।
- इस योजना का कार्यान्वयन मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन जो कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तत्त्वावधान में गठित एक स्वायत्त निकाय है, द्वारा किया जाता है।
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यकों के युवाओं को कौशल आधारित रोज़गार के लिये सक्षम बनाने हेतु अल्पकालिक रोज़गार उन्मुख कौशल विकास पाठ्यक्रम उपलब्ध कराना है।
- यह योजना पैनलबद्ध कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसियों (Program Implementation Agencies- PIA) के माध्यम से कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development & Entrepreneurship- MSD&E) के सामान्य मानदंडों के अनुसार कार्यान्वित की जाती है।
- PIA को कुल प्रशिक्षित प्रशिक्षुओं में से न्यूनतम 70% प्रशिक्षुओं को नियुक्त करना अनिवार्य है।
- लाभार्थियों को अधिकतम तीन माह की मासिक छात्रवृत्ति और रोज़गार मिलने के बाद नियुक्ति उपरांत अधिकतम दो माह तक सहायता का भुगतान भी सीधे उनके खाते में किया जाता है।
अल्पसंख्यक
- भारतीय संविधान में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। तथापि संविधान केवल धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को मान्यता देता है।
- भारत में 6 अल्पसंख्यक समुदाय: जैन, पारसी, बौद्ध, ईसाई, सिख और मुस्लिम (सरकार द्वारा अधिसूचित)।
- अनुच्छेद 29: इसमें प्रावधान किया गया है कि भारत के राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के निवासी नागरिकों, जिसकी अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति है, को उसे बनाए रखने का अधिकार होगा।
- यह धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ-साथ भाषाई अल्पसंख्यकों दोनों को संरक्षण प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 30: इस अनुच्छेद के तहत सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रूचि के शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।
- अनुच्छेद 30 के तहत संरक्षण केवल अल्पसंख्यकों (धार्मिक या भाषाई) तक ही सीमित है, अनुच्छेद 29 की तरह यह नागरिकों के किसी भी वर्ग के लिये उपलब्ध नहीं है।
- अनुच्छेद 350-B: मूल रूप से, भारतीय संविधान में भाषाई अल्पसंख्यकों के लिये विशेष अधिकारी के संबंध में कोई प्रावधान नहीं किया गया था। लेकिन, 1956 के सातवें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में अनुच्छेद 350-B को जोड़ा गया।
- इसके अनुसार, भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिये एक विशेष अधिकारी होगा जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
- विशेष अधिकारी का यह कर्त्तव्य होगा कि वह संविधान के अंतर्गत भाषाई अल्पसंख्यक वर्गों के लिये उपबंधित रक्षोपायों से संबंधित सभी विषयों का अन्वेषण करे।
- विधिक प्रावधान:
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग अधिनियम, 2004
अल्पसंख्यक समुदायों के लिये अन्य योजनाएँ:
- प्रधानमंत्री का 15 सूत्री कार्यक्रम
- प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम
- सीखो और कमाओ
- ‘उस्ताद’ यानी विकास के लिये पारंपरिक कलाओं/शिल्पों में कौशल और प्रशिक्षण का उन्नयन (Upgrading the Skills and Training in Traditional Arts/Crafts for Development- USTTAD)
- गरीब नवाज़ कौशल विकास योजना
- नई मंज़िल (स्कूल छोड़ चुके बच्चों के लिये औपचारिक कौशल विकास की एक योजना)
- नई रोशनी (अल्पसंख्यक महिलाओं में नेतृत्त्व क्षमता विकास की योजना)
- बेगम हज़रत महल बालिका छात्रवृत्ति
कारगिल विजय दिवस
Kargil Vijay Diwas
26 जुलाई, 2021 को कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगाँठ मनाई गई।
- यह दिवस कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों को समर्पित है।
प्रमुख बिंदु
परिचय:
- वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच कई सैन्य संघर्ष हुए थे। वर्ष 1998 में दोनों देशों ने परमाणु परीक्षण किये जिससे तनाव और बढ़ गया तथा अंततः वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध हुआ।
- कारगिल युद्ध, जिसे कारगिल संघर्ष के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 1999 में मई से जुलाई के बीच जम्मू और कश्मीर के कारगिल (अब केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख का एक ज़िला) ज़िले में नियंत्रण रेखा (Line of Control- LoC) पर लड़ा गया था जिसमें भारत ने विजय प्राप्त की।
ऑपरेशन विजय:
- वर्ष 1999 में, भारत और पाकिस्तान ने शांतिपूर्ण तरीके से कश्मीर मुद्दे को पारस्परिक रूप से हल करने के लिये लाहौर समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों ने ऑपरेशन बद्र के तहत नियंत्रण रेखा (LoC) के भारतीय हिस्से की ओर घुसपैठ करना शुरू कर दिया, इस उम्मीद में कि सियाचिन में भारतीय सैनिकों को अलग-थलग कर दिया जाएगा। भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय की शुरुआत कर पाकिस्तानी सेना के इस ऑपरेशन का जवाब दिया।
- लगभग 5000 सैनिकों के साथ कारगिल के चट्टानी पहाड़ी क्षेत्र में अत्यधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों पर घुसपैठ करने और उस पर कब्जा करने के बाद 3 मई, 1999 को पाकिस्तान ने युद्ध की शुरुआत की।
- जब भारत सरकार को इसकी जानकारी मिली, तो भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने वाले घुसपैठियों को वापस खदेड़ने के लिये भारतीय सेना द्वारा 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया गया था।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 जुलाई, 2021
'MyGov-मेरी सरकार' पोर्टल
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में 'MyGov-मेरी सरकार' (MyGov-Meri Sarkar) पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल के माध्यम से राज्य सरकार आम लोगों से फीडबैक प्राप्त कर सकेगी और साथ ही इसकी सहायता से आम लोग सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी ले सकेंगे। इस पोर्टल का उद्देश्य राज्य सरकार के साथ आम नागरिकों के जुड़ाव को और बढ़ाना है। यह प्रशासन की योजनाओं के प्रचार-प्रसार तथा उन पर आम नागरिकों की राय जानने के एक प्रमुख मंच के तौर पर कार्य करेगा। 'मेरी सरकार' पोर्टल राज्य के लोगों को अपने विचारों, सुझावों और प्रतिक्रिया को राज्य सरकार तथा प्रशासन तक संप्रेषित करने में मदद करेगा। यह पोर्टल जनभागीदारी और सुशासन के लिये देश भर में एक अभिनव मंच का उदाहरण बन सकता है। उत्तर प्रदेश का यह पोर्टल केंद्र सरकार के ‘MyGov’ पोर्टल से प्रेरित है। ‘MyGov’ एक ऐसा मंच है जो लोगों, विशेष रूप से युवाओं के लिये सरकार से सक्रिय रूप से जुड़ने एवं राष्ट्र के विकास के प्रति उनके जुड़ाव को सुविधाजनक बनाने के लिये एक माध्यम के रूप में कार्य करता है। यह मंच देश भर के आम जनमानस को विभिन्न कार्यों और चर्चाओं के माध्यम से सुशासन की दिशा में योगदान करने में सशक्त बनाता है।
राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन
सरकार ने देश में अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने के लिये एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) स्थापित करने का प्रस्ताव किया है। ‘राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन’ को एक अम्ब्रेला स्ट्रक्चर के रूप में परिकल्पित किया गया है, जो अनुसंधान व विकास, शिक्षा एवं उद्योग के बीच संबंधों में सुधार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। ‘नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ का कुल प्रस्तावित परिव्यय लगभग 50,000 करोड़ रुपए है और इसे आगामी पाँच वर्षों की अवधि में तैयार किया जाएगा। इस संगठन के प्राथमिक उद्देश्यों में देश भर के शैक्षणिक संस्थानों, विशेष रूप से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान तंत्र को विकसित करना तथा उसे सुविधाजनक बनाना है। इस संगठन की परिकल्पना ‘नई शिक्षा नीति-2020’ के तहत भी की गई है। वित्त आवंटन का अभाव प्रायः भारत में शोध और शोधकर्त्ताओं की कमी के सबसे बड़े कारणों में से एक है तथा इस फाउंडेशन का उद्देश्य इसी कमी को पूरा करना है। गौरतलब है कि देश में अनुसंधान के लिये आवंटित धन वर्ष 2008 में सकल घरेलू उत्पाद का 0.84 प्रतिशत था, जो कि वर्ष 2014 में घटकर 0.69 प्रतिशत तक पहुँच गया, यह संयुक्त राज्य अमेरिका (2.8%), इज़राइल (4.3%) और दक्षिण कोरिया (4.2%) की तुलना में काफी कम है।
ओडिशा में आपदा प्रबंधन पर अनिवार्य पाठ्यक्रम
हाल ही में ओडिशा सरकार ने राज्य के कॉलेजों में पहले वर्ष के दौरान आपदा प्रबंधन पर एक पाठ्यक्रम अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाए जाने की घोषणा की है। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व ओडिशा सरकार ने हाई स्कूल और कॉलेज पाठ्यक्रम में आपदा एवं महामारी प्रबंधन को शामिल करने का निर्णय लिया था। इन पाठ्यक्रमों का प्राथमिक उद्देश्य राज्य भर में छात्रों को आपदाओं के कारण उत्पन्न चुनौतियों जैसे कि बार-बार आने वाले चक्रवात एवं कोरोना वायरस महामारी आदि का सामना करने हेतु बेहतर तैयारी हेतु प्रशिक्षित करना है। गौरतलब है कि बीते दिनों चक्रवात यास ने राज्य में काफी नुकसान किया था और भारी बारिश, घरों को नुकसान पहुँचने, खेतों के नष्ट होने एवं विद्युत नेटवर्क के बाधित होने की घटनाएँ देखने को मिली थीं। ‘ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स रिपोर्ट’ 2020 के अनुसार, भारत जलवायु परिवर्तन के मामले में पाँचवाँ सबसे संवेदनशील देश है। हाल के वर्षों में देश भर में भूकंप, चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन और वनाग्नि की घटनाएँ काफी सामान्य हो गई हैं। संवेदनशील समुदायों, विशेष रूप से गरीबों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर जलवायु आपातकाल के गंभीर प्रभाव को देखते हुए इसे जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से लचीला बनाना काफी महत्त्वपूर्ण है। ऐसे में उच्च शिक्षा के स्तर पर आपदा प्रबंधन को पाठ्यक्रम में शामिल करना इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है।
रूस का ‘नौका’ मॉड्यूल
हाल ही में रूस की स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ के लिये ‘नौका’ (Nauka) नाम से एक नया मॉड्यूल लॉन्च किया है, जो स्पेस स्टेशन पर देश की मुख्य अनुसंधान सुविधा के रूप में काम करेगा। ज्ञात हो कि अब तक रूस द्वारा ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ ‘पीर’ नाम से मॉड्यूल का प्रयोग किया जा रहा था, जिसे मुख्यतः अनुसंधान और डॉकिंग पोर्ट के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। 42 फीट लंबे और 20 टन वज़न वाले इस ‘नौका’ मॉड्यूल को मूलतः वर्ष 2007 की शुरुआत में लॉन्च किया जाना था। हालाँकि कई तकनीकी मुद्दों के कारण इसे अब तक लॉन्च नहीं किया जा सका था। ‘नौका’- जिसका अर्थ रूसी भाषा में ‘विज्ञान’ है- रूस की अब तक की सबसे बड़ी अंतरिक्ष प्रयोगशाला है तथा यह मुख्य रूप से एक शोध सुविधा के रूप में काम करेगी। ‘इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन’ पर ‘नौका’ मॉड्यूल को ‘ज़्वेज़्दा मॉड्यूल’ (Zvezda Module) से जोड़ा जाएगा, जो कि अंतरिक्ष स्टेशन पर ‘लाइफ सपोर्ट सिस्टम’ के रूप में कार्य करने के साथ ही ‘रूसी ऑर्बिटल सेगमेंट’ (ROS) के संरचनात्मक एवं कार्यात्मक केंद्र के रूप में कार्य करता है।