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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 27 Apr, 2023
  • 13 min read
प्रारंभिक परीक्षा

ओलिव रिडले कछुओं का सामूहिक नीडन

भारत के ओडिशा राज्य में रुशिकुल्या समुद्र तट पर हाल ही में पिछले कुछ दशकों में ओलिव रिडले समुद्री कछुओं का सबसे बड़ा समूह देखा गया है।

  • लाखों छोटे कछुओं को अंडों से निकलकर समुद्री मार्गों से होते हुए बंगाल की खाड़ी की ओर जाते देखा गया है।

महत्त्व:

  • रुशिकुल्या समुद्र तट एक वन्यजीव अभयारण्य नहीं है फिर भी कछुए सामूहिक नीडन (नेस्टिंग) हेतु यहाँ सुरक्षित महसूस करते हैं।
    • सामूहिक नीडन और हैचिंग (अंडों से बच्चों का बाहर निकलना) एक स्वस्थ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र तथा अंडे देने हेतु समुद्री कछुओं के लिये अनुकूल वातावरण का संकेतक है।
    • अनेकों ओलिव रिडले कछुओं की सफल हैचिंग उनके संरक्षण की दृष्टि से एक सकारात्मक संकेत है।

ओलिव रिडले कछुए:

  • विषय:
  • ओलिव रिडले कछुए विश्व भर में पाए जाने वाले सभी समुद्री कछुओं में सबसे छोटे और प्रचुर संख्या में मौजूद हैं।
  • ये कछुए मांसाहारी होते हैं और इनका नाम इनके बाह्य आवरण के ओलिव यानी जैतून रंग के होने से प्रेरित है।
  • ये कछुए अपने अद्वितीय सामूहिक नीडन (Mass Nesting) अरीबदा (Arribada) के लिये सबसे ज़्यादा जाने जाते हैं जिसमें हज़ारों मादाएँ अंडे देने के लिये एक ही समुद्र तट पर एक साथ आती हैं।

  • पर्यावास:
    • ये मुख्य रूप से प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागरों के गर्म जल में पाए जाते हैं।
    • ओडिशा के गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य को विश्व में समुद्री कछुओं की सबसे बड़ी रुकरी (प्रजनन करने वाले जीवों की एक कॉलोनी) के रूप में जाना जाता है।

  • संरक्षण की स्थिति:
  • ओलिव रिडले कछुओं के संरक्षण हेतु पहल:
    • ऑपरेशन ओलिविया:
      • प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाले भारतीय तटरक्षक बल का "ऑपरेशन ओलिविया" 1980 के दशक के आरंभ में शुरू हुआ था, यह ओलिव रिडले कछुओं की रक्षा करने में मदद करता है क्योंकि वे नवंबर से दिसंबर तक प्रजनन (Breeding) और नीडन (Nesting) के लिये ओडिशा के तट पर एकत्र होते हैं।
        • यह अवैध ट्रैपिंग गतिविधियों को भी रोकता है।
    • टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइसेस (TED) का अनिवार्य उपयोग:
      • भारत में इनकी आकस्मिक मौत की घटनाओं को रोकने हेतु ओडिशा सरकार ने ट्रॉल के लिये टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइसेस (Turtle Excluder Devices- TED) का उपयोग अनिवार्य कर दिया है, जालों को विशेष रूप से निकास कवर के साथ बनाया गया है जो जाल में फँसने के दौरान कछुओं को उससे निकलने में सहायता करता है।
    • टैगिंग:
      • प्रजातियों और उनके आवासों की रक्षा के लिये वैज्ञानिक गैर-संक्षारक धातु टैग के साथ लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुओं को टैग करते हैं। यह उन्हें कछुओं की गतिविधियों को ट्रैक करने एवं उन स्थानों की पहचान करने में मदद करता है जहाँ वे अक्सर जाते हैं।

नोट:

  • वर्ष 2006 में स्थापित बहलर कछुआ संरक्षण पुरस्कार स्वच्छ जल के कछुओं और अन्य कछुओं के संरक्षण के क्षेत्र में किये गए उत्कृष्ट कार्यों को सम्मानित करने हेतु दिया जाने वाला प्रमुख वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार है। इसे कछुआ संरक्षण का "नोबेल पुरस्कार" माना जाता है।
  • इसे प्रत्येक वर्ष टर्टल सर्वाइवल एलायंस (TSA), IUCN कच्छप और मीठे पानी के कछुआ विशेषज्ञ समूह (Tortoise and Freshwater Turtle Specialist Group- TFTSG), कछुआ संरक्षण तथा कछुआ संरक्षण कोष द्वारा प्रदान किया जाता है।

ओलिव रिडले कछुओं के समक्ष खतरे:

  • मानवीय गतिविधियाँ: तटीय विकास, मत्स्यन और प्रदूषण के साथ-साथ उनके आवास स्थलों का विनाश तथा मत्स्यन के दौरान जाल में फँसना।
  • हिंसक पशु: इन कछुओं के अंडों या छोटे कछुओं को कुत्ते, लकड़बग्घा और शिकारी पक्षियों द्वारा शिकार किये जाने का खतरा बना रहता है।
  • जलवायु परिवर्तन: तापमान और समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण कछुओं के आवास को काफी नुकसान पहुँचता है और हैचिंग में परेशानी होती है।
  • प्रकाश प्रदूषण: आस-पास के कस्बों और औद्योगिक क्षेत्रों से आने वाली कृत्रिम रोशनी अंडे से निकले नवजात कछुओं (Hatchlings) को उनके मार्ग से विचलित कर सकती है जिस कारण कछुओं को समुद्र से दूर जाना पड़ सकता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव है? (2015)

(a) खारे पानी के मगरमच्छ
(b) ओलिव रिडले कछुए
(c) गंगा डॉल्फिन
(d) घड़ियाल

उत्तर: (c)

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 अप्रैल, 2023

जल प्रबंधन पर भारत-हंगरी संयुक्त कार्य समूह

जल प्रबंधन सहयोग के लिये भारत-हंगरी संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक नई दिल्ली में हुई जहाँ दोनों देशों ने जल क्षेत्र में चुनौतियों और पहलों पर चर्चा की। भूजल के अति-दोहन के मुद्दे और भारत में उचित जल प्रबंधन प्रथाओं की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया। सहयोग के लिये प्राथमिकता स्तर पर छह क्षेत्रों की पहचान की गई जिसमें चरम घटनाओं का प्रबंधन, भूजल की खोज एवं प्रबंधन और जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना शामिल है। भविष्य में सहयोग को लेकर दिशा-निर्देश हेतु तीन वर्ष की कार्ययोजना पर हस्ताक्षर किये गए। हंगरी और भारत ने जल प्रबंधन में अपनी तकनीकी, वैज्ञानिक और प्रबंधन क्षमताओं को मज़बूत करने के लिये समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं। दोनों देश एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन, जल तथा अपशिष्ट जल प्रबंधन और जल संबंधी शिक्षा, अनुसंधान एवं विकास में सहयोग करेंगे। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन योजना की सफलता को दिखाने के लिये हंगरी के विशेषज्ञों के लिये एक फील्ड विज़िट का आयोजन किया गया था।

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प्रधानमंत्री ने ‘वन अर्थ वन हेल्थ - एडवांटेज हेल्थकेयर इंडिया 2023’ मीट के छठे संस्करण का उद्घाटन किया तथा न केवल अपने नागरिकों हेतु बल्कि पूरे विश्व के लिये स्वास्थ्य सेवा को सुलभ और किफायती बनाने के लिये भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों हेतु एक एकीकृत, समावेशी एवं संस्थागत वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर चर्चा की गई तथा भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर प्रकाश डाला गया, जिसमें तनाव एवं जीवन-शैली संबंधी कई बीमारियों का उपचार शामिल है। दो दिवसीय सम्मेलन में कई देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों के अन्य हितधारकों ने भाग लिया, जिसका उद्देश्य मूल्य-आधारित स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित करने के लिये वैश्विक सहयोग एवं साझेदारी को बढ़ावा देना है। इस आयोजन का उद्देश्य मूल्य-आधारित स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाले स्वास्थ्य सेवा कार्यबल के निर्यातक के रूप में चिकित्सा क्षेत्र में भारत की क्षमता को प्रदर्शित करना तथा विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा एवं देखभाल हेतु भारत को एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
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पूर्वोत्तर गैस ग्रिड परियोजना

प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर गैस ग्रिड परियोजना द्वारा एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने पर उसकी प्रशंसा की है। इस परियोजना में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे क्षैतिज दिशात्मक ड्रिलिंग (Horizontal Directional Drilling- HDD) विधि का उपयोग करके 24 इंच व्यास वाली प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का निर्माण किया गया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार, इस पाइपलाइन ने एशिया में सबसे लंबी रिवर क्रॉसिंग हाइड्रोकार्बन पाइपलाइन होने के साथ विश्व में दूसरी सबसे लंबी पाइपलाइन का रिकॉर्ड बनाया है। पूर्वोत्तर गैस ग्रिड परियोजना का उद्देश्य भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को स्वच्छ और किफायती ऊर्जा प्रदान करना है, साथ ही यह देश के गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता को कम करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना भारत के ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने तथा राष्ट्रीय गैस ग्रिड विकसित करने के सरकार के दृष्टिकोण का हिस्सा है।
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ज़ीरो शैडो डे

बंगलूरू में 25 अप्रैल, 2023 को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर एक विचित्र घटना हुई जिसे ज़ीरो शैडो डे का नाम दिया गया है, इसमें सबसे खास बात यह रही कि इस समय इमारतों और वृक्षों की लंबवत परछाई नहीं बनी। ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि इस समय सूर्य ठीक ऊपर होता है जिस कारण कोई भी परछाई नहीं बन पाती है। यह घटना प्रतिवर्ष दो बार पृथ्वी पर कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच हर बिंदु पर होती है। बंगलुरू में अगला ज़ीरो शैडो डे 18 अगस्त को है। कर्क और मकर रेखाओं के बीच के इन क्षेत्रों के अतिरिक्त यह घटना कही और देखने को नहीं मिलती। यह घटना इसलिये होती है क्योंकि सूर्य की किरणें सीधे सतह पर लंबवत पड़ती हैं, जिससे एक b सबसोलर बिंदु का स्थान बदलता रहता है और पृथ्वी की धुरी के झुकाव के ही कारण मौसम में बदलाव होता है। ज़ीरो शैडो डे एक महत्त्वपूर्ण घटना है क्योंकि यह पृथ्वी के अक्षीय झुकाव को मापने में मदद करता है।


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