किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी अभियान
भारत का कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय जनभागीदारी आंदोलन के रूप में ‘किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी अभियान’ के तहत 'फसल बीमा पाठशाला' का आयोजन करेगा।
किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी अभियान:
- परिचय:
- इस अभियान के तहत सभी बीमा कंपनियाँ कम-से-कम 100 किसानों की भागीदारी के साथ अभियान अवधि के सभी 7 दिनों तक ब्लॉक/ग्राम पंचायत/ग्राम स्तर पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना(PMFBY)- ‘फसल बीमा पाठशाला’ का आयोजन करेंगी।
- इस अभियान में स्थानीय आपदाओं के दौरान फसल के नुकसान की सूचना और फसल के बाद के नुकसान एवं किसानों के आवेदन की निगरानी, जिनसे किसान शिकायत निवारण के लिये संपर्क कर सकते हैं आदि के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की जाएगी तथा योजना का अधिकतम लाभ पाने हेतु किसानों को विस्तार से समझाया जाएगा।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य किसानों को PMFBY योजना के प्रमुख पहलुओं जैसे- योजना के प्रावधान, फसलों का निर्धारण और योजना का लाभ कैसे प्राप्त करना है आदि से अवगत कराना है। इसमें किसानों को चल रहे खरीफ सीज़न 2022 के लिये PMFBY योजना का लाभ प्रदान करना भी शामिल है।
- PMFBY/पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना ( RWBCIS) के महत्व और किसान इस योजना के तहत कैसे नामांकन करके योजना का लाभ उठा सकते हैं, पर विशेषरूप से ध्यान दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:
- शुभारंभ:
- इसका शुभारंभ वर्ष 2016 में किया गया जिसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा संचलित किया जा रहा है।
- इसने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (NAIS) और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) को प्रतिस्थापित किया है।
- इसका शुभारंभ वर्ष 2016 में किया गया जिसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा संचलित किया जा रहा है।
- उद्देश्य:
- फसल के खराब होने की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करना ताकि किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिल सके।
- क्षेत्र/दायरा:
- वे सभी खाद्य और तिलहनी फसलें तथा वार्षिक वाणिज्यिक/बागवानी फसलें, जिनके लिये पिछली उपज के आँकड़े उपलब्ध हैं।
- बीमा किस्त::
- इस योजना के तहत किसानों द्वारा दी जाने वाली निर्धारित बीमा किस्त/प्रीमियम- खरीफ की सभी फसलों के लिये 2% और सभी रबी फसलों के लिये 1.5% है। वार्षिक वाणिज्यिक तथा बागवानी फसलों के मामले में बीमा किस्त 5% है।
- किसानों के हिस्से की प्रीमियम लागत का वहन राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में बराबर साझा किया जाता है।
- हालाँकि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के तहत बीमा किस्त सब्सिडी का 90% हिस्सा वहन किया जाता है।
- कार्यान्वयन:
- इसका कार्यान्वयन पैनल में शामिल सामान्य बीमा कंपनियों द्वारा किया जाता है। कार्यान्वयन एजेंसी (IA) का चयन संबंधित राज्य सरकार बोली के माध्यम से करती है।.
- संशोधित PMFBY:
- संशोधित PMFBY को अक्सर PMFBY 2.0 कहा जाता है, इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ हैं:
- पूर्ण रूप से स्वैच्छिक: वर्ष 2020 के खरीफ सीज़न से यह सभी किसानों हेतु वैकल्पिक है।
- इससे पहले अधिसूचित फसलों के लिये फसल ऋण/किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) खाते का लाभ उठाने वाले ऋणी किसानों के लिये यह योजना अनिवार्य थी।
- केंद्रीय सब्सिडी की सीमा: कैबिनेट ने इस योजना के तहत प्रीमियम दरों को असिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये 30% और सिंचित क्षेत्रों/फसलों हेतु 25% तक सीमित करने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि इन प्रीमियम दरों के आधार पर ही केंद्र सरकार द्वारा 50% सब्सिडी का वहन किया जाता है।
- राज्यों को अधिक नम्यता: सरकार ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को PMFBY को लागू करने की छूट दी है और उन्हें किसी भी संख्या में अतिरिक्त जोखिम कवर/सुविधाओं का चयन करने का विकल्प दिया है।
- सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों में निवेश: बीमा कंपनियों को अब सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों पर एकत्रित कुल प्रीमियम का 0.5% खर्च करना होगा।
विगत वर्षों के प्रश्न:'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |
स्रोत: पी.आई.बी.
विश्व टीकाकरण सप्ताह 2022
विश्व टीकाकरण सप्ताह 2022 का आयोजन 24-30 अप्रैल तक किया जा रहा है।
- विश्व टीकाकरण सप्ताह 2022 का विषय है ‘सभी के लिये लंबा जीवन’ और इसका उद्देश्य लोगों को इस विचार के लिये एकजुट करना है कि टीके हमारे सपनों को पूरा करने, अपने प्रियजनों की रक्षा करने और एक लंबा, स्वस्थ जीवन जीना संभव बनाते हैं।
विश्व टीकाकरण सप्ताह:
- विश्व टीकाकरण सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा समन्वित एक स्वास्थ्य अभियान है जिसे प्रतिवर्ष अप्रैल के अंतिम सप्ताह में मनाया जाता है।
- इसका उद्देश्य सभी उम्र के लोगों को बीमारी से बचाने हेतु टीकों के उपयोग को बढ़ावा देना है।
- टीकाकरण वैश्विक स्वास्थ्य और विकास की सफलता को प्रदर्शित करता है, जिससे प्रतिवर्ष लाखों लोगों की जान बचती है।
- अभी भी दुनिया में लगभग 20 मिलियन टीकारहित और कम टीकाकरण वाले बच्चे हैं।
टीकाकरण पहले से अधिक महत्त्वपूर्ण:
- 200 से अधिक वर्षों से टीकों ने हमें उन बीमारियों से बचाया है जो जीवन को खतरे में डालती हैं और हमारे विकास को रोकती हैं।
- दो शताब्दियों से अधिक समय से टीकों ने लोगों को स्वस्थ रखने में मदद की है- चेचक से बचाव के लिये विकसित किये गए पहले टीके से लेकर कोविड-19 के गंभीर मामलों को रोकने हेतु उपयोग किये जाने वाले नवीनतम टीकों तक।
- टीकों की मदद से हम चेचक और पोलियो जैसी बीमारियों के बोझ के बिना प्रगति कर सकते हैं, जिसकी कीमत करोड़ों लोगों को चुकानी पड़ी।
टीके की कार्यप्रणाली:
- टीके प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी बनाने के लिये ठीक उसी तरह प्रशिक्षित करते हैं, जैसे किसी वास्तविक बीमारी के संपर्क में आने पर प्रतिरक्षा प्रणाली कार्य करता है।
- ऐसा इसलिए है क्योंकि टीकों में रोगाणुओं के केवल मृत या कमज़ोर रूप होते हैं, जो न तो बीमारी का कारण बनते हैं और न ही व्यक्ति की जान जोखिम में डालते हैं।
- जन्म से लेकर बचपन तक अलग-अलग उम्र में टीके लगाए जाते हैं और इस रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिये टीकाकरण कार्ड दिया जाता है।
- यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ये सभी टीके अद्यतित हों।
- बच्चों का सुरक्षित रूप से संयुक्त टीकाकरण किया जा सकता है (जैसे- डिप्थीरिया, काली खाँसी और टेटनस के लिये), ताकि बच्चों के जीवन को सुरक्षित किया जा सके।
- टीके के कुछ गौण दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे- हल्का बुखार, इंजेक्शन की जगह पर दर्द या लालिमा, जो कुछ ही दिनों में अपने आप दूर हो जाते हैं।
- गंभीर या लंबे समय तक चलने वाले दुष्प्रभाव अत्यंत दुर्लभ होते हैं।
- हल्की बीमारी के दौरान टीके सुरक्षित रूप से लगाए जा सकते हैं लेकिन बुखार के साथ या बिना बुखार वाले मध्यम या गंभीर बीमारी वाले बच्चों को खुराक पाने के लिये ठीक होने तक इंतजार करना पड़ सकता है।
भारत में टीकाकरण की हालिया पहल:
विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. 'रिकॉम्बिनेंट वेक्टर टीके' के संबंध में हाल के घटनाक्रमों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर.(c) व्याख्या:
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
सौर ऊर्जा उत्पादन और वनाग्नि
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्ज़र्वेशनल साइंसेज़ (ARIES) और नेशनल ऑब्ज़र्वेटरी ऑफ एथेंस (NOA), ग्रीस के एक नए अध्ययन में पाया गया है कि वनाग्नि भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन को कम कर सकती है।
- वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के लिये रिमोट सेंसिंग डेटा का इस्तेमाल करते हुए मॉडल सिमुलेशन और गहन विश्लेषण के साथ भारतीय क्षेत्र में सौर ऊर्जा क्षमता पर एरोसोल व बादलों के प्रभाव का अध्ययन किया।
- सौर ऊर्जा प्रणाली के बड़े पैमाने पर विकास के लिये उचित योजना और सौर क्षमता का अनुमान लगाने की आवश्यकता होती है।
वनाग्नि
- इसे झाड़ी या वनस्पति की आग या जंगल की आग भी कहा जाता है, इसे किसी भी अनियंत्रित और गैर-निर्धारित दहन या प्राकृतिक व्यवस्था जैसे कि जंगल, घास के मैदान, ब्रश भूमि या टुंड्रा में पौधों के जलने के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जो प्राकृतिक ईंधन की खपत करता है तथा पर्यावरण की स्थिति के आधार पर फैलता है। (जैसे, हवा, स्थलाकृति)।
- वनाग्नि की घटनाओं में मानव गतिविधियों, जैसे- भूमि की सफाई, अत्यधिक सूखा या दुर्लभ मामलों में बिजली गिरने से वृद्धि होती है।
- वनाग्नि के लिये तीन स्थितियों की आवश्यकता होती है: ईंधन, ऑक्सीजन और ऊष्मा स्रोत।
अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष:
- विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न बादल, एरोसोल और प्रदूषण जैसे कई कारक सौर विकिरण को सीमित करते हैं जिससे फोटोवोल्टिक तथा केंद्रित सौर ऊर्जा संयंत्र प्रतिष्ठानों के समक्ष उनके कार्य प्रदर्शन संबंधी समस्याएंँ उत्पन्न होती हैं।
- बादलों और एरोसोल के अलावा वनाग्नि सौर ऊर्जा उत्पादन को कम करने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- वर्तमान अध्ययन के निष्कर्ष देश स्तर पर ऊर्जा प्रबंधन और योजना पर वनाग्नि के प्रभाव के बारे में निर्णय लेने वालों के बीच जागरूकता में वृद्धि करेंगे।
- इसके अलावा यह शोध जलवायु परिवर्तन के लिये शमन प्रक्रियाओं एवं नीतियों व सतत् विकास पर इसके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों के अध्ययन में सहायता कर सकता है।
- सौर संयंत्रों के उत्पादन पर वनाग्नि के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों के कारण ऊर्जा और वित्तीय नुकसान के इस तरह के विश्लेषण से ग्रिड ऑपरेटरों को बिजली उत्पादन की योजना बनाने तथा शेड्यूल करने में मदद मिल सकती है, साथ ही बिजली उत्पादन के वितरण, आपूर्ति, सुरक्षा और समग्र स्थिरता में भी मदद मिल सकती है।
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 अप्रैल, 2022
दूध वाणी
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात दौरे के समय दूध वाणी नामक एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन का उद्घाटन किया गया जो सामुदायिक रेडियो स्टेशन पशुपालन को समर्पित है। बनास डेयरी सामुदायिक रेडियो स्टेशन को बनासकांठा ज़िले में सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ द्वारा स्थापित किया गया है जिसे बनास डेयरी के नाम से भी जाना जाता है। यह देश का पहला सामुदायिक रेडियो स्टेशन है जो पूरी तरह से पशुपालकों को समर्पित है। दूध वाणी सामुदायिक रेडियो स्टेशन की स्थापना किसानों को आवश्यक वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है जो पशुपालन और कृषि के लिये प्रासंगिक है। बनास डेयरी की स्थापना वर्ष 1969 में हुई थी तथा यह गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ का एक प्रभाग है जिसका स्वामित्व सहकारिता मंत्रालय, गुजरात सरकार के पास है। यह गुजरात के बनासकांठा ज़िले में स्थित है और यह एशिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक संघठन है। बनास डेयरी का मुख्यालय पालनपुर में स्थित है।
एमैनुअल मैक्रों
फ्राँस में एमैनुअल मैक्रों को दूसरे कार्यकाल के लिये राष्ट्रपति चुना गया है। उन्होंने 58.2 प्रतिशत मत प्राप्त करके राष्ट्रपति चुनाव में विजय प्राप्त की है। उनकी प्रतिद्वंद्वी दक्षिणपंथी मारिन लोपेन को 41.8 प्रतिशत वोट मिले। 44 वर्षीय मैक्रों बीस वर्ष में लगातार दूसरे कार्यकाल के लिये चुने जाने वाले पहले राष्ट्रपति हैं। जनवरी 1998 में शीत युद्ध की समाप्ति के बाद फ्राँस उन पहले देशों में से एक था जिसके साथ भारत ने ‘रणनीतिक साझेदारी’ पर हस्ताक्षर किये थे। वर्ष 1998 में परमाणु हथियारों के परीक्षण के भारत के फैसले का समर्थन करने वाले देशों में से फ्राँस एक था। वर्तमान में फ्राँस आतंकवाद और कश्मीर से संबंधित मुद्दों पर भारत का सबसे विश्वसनीय भागीदार बनकर उभरा है। हाल ही में भारतीय वायु सेना (IAF) में फ्रेंच राफेल बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान को शामिल किया गया है। भारत ने वर्ष 2005 में एक प्रौद्योगिकी-हस्तांतरण व्यवस्था के माध्यम से भारत के मझगाँव डॉकयार्ड में छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण के लिये फ्राँसीसी कंपनी के साथ अनुबंध किया। दोनों देशों ने पारस्परिक ‘लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट’ (Logistics Support Agreement- LSA) के प्रावधान के संबंध में भी समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
खेलो इंडिया यूथ गेम-2021
खेलो इंडिया यूथ गेम-2021 इस बार 4-13 जून, 2022 तक आयोजित किये जाएंगे। इनमें देशभर से 8500 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। अंडर-18 वर्ग के 25 खेलों में पाँच भारतीय खेल भी शामिल हैं। खेल प्रतियोगिताएँ पंचकूला के अलावा शाहबाद, अंबाला, चंडीगढ़ और दिल्ली में होंगी। आठ मई को पंचकूला के इंद्रधनुष सभागार में इस प्रतियोगिता का शुभांकर एवं लोगो लॉन्च किया जाएगा। खेलों में स्वच्छ भारत अभियान को आगे बढ़ाते हुए साफ- सफाई का पूरा प्रबंध किया जाएगा। इस दौरान हरियाणवी संस्कृति से ओत-प्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। आज़ादी के अमृत महोत्सव के दौरान स्वतंत्रता संग्राम के असंख्य सेनानियों की कहानियाँ व प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाड़ियों का परिचय प्रदर्शनी के ज़रिये दिया जाएगा। खेलो इंडिया योजना का उद्देश्य पूरे देश में खेलों को प्रोत्साहित करना तथा इस प्रकार बच्चों और युवाओं का समग्र विकास, सामुदायिक विकास, सामाजिक एकीकरण, लैंगिक समानता, स्वस्थ जीवन-शैली, राष्ट्रीय गौरव एवं खेलों के विकास से जुड़े आर्थिक अवसरों के माध्यम से खेल क्षमताओं का दोहन करना है।
पूर्वोत्तर महोत्सव
सरकार ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत 28 अप्रैल से सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों में पूर्वोत्तर महोत्सव का आयोजन करेगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के अनुसार, सात दिन के इस महोत्सव का उद्देश्य ‘हम किसी से कम नहीं’ की भावना के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना है। महोत्सव के दौरान पूर्वोत्तर के सौंदर्य और विभिन्न क्षेत्रों में इसकी उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी जाएगी। ये कार्यक्रम पूर्वोत्तर के विकास के लिये महत्त्वपूर्ण सभी क्षेत्रों में आयोजित होंगे। इनमें बुनियादी सुविधाएँ, निवेश क्षमता, ऊर्जा ज़रूरतें और पूर्वोत्तर के विकास में महिलाओं की भूमिका शामिल हैं। मंत्रालय के अनुसार, पिछले आठ वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र ने संपर्क स्थापित करने के मामले में काफी प्रगति की है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के माध्यम से दूर-दराज़ के क्षेत्रों में संपर्क स्थापित करने में तेज़ी आई है।