प्रिलिम्स फैक्ट्स: 26 अक्तूबर, 2020
विश्व पोलियो दिवस
World Polio Day
प्रत्येक वर्ष 24 अक्तूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है।
- इस दिवस को मनाने की शुरुआत एक दशक पहले रोटरी इंटरनेशनल द्वारा पोलियो या पोलियोमाइलाइटिस (Poliomyelitis) के खिलाफ टीका विकसित करने वाली टीम का नेतृत्त्व करने वाले जोनास साल्क के जन्म दिवस के अवसर पर की गई थी।
- वैश्विक स्तर पर रोग की स्थिति की निगरानी वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (Global Polio Eradication Initiative- GPEI) द्वारा की जा रही है।
- GPEI की स्थापना वर्ष 1988 में की गई थी। यह एक सार्वजनिक-निजी साझेदारी है, जिसमें रोटरी इंटरनेशनल, WHO, यू.एस. रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (US Centers for Disease Control and Prevention- CDC), यूनिसेफ, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन तथा अन्य देशों की सरकारें शामिल हैं।
पोलियो क्या है?
- पोलियोमाइलाइटिस/पोलियो एक अत्यधिक संक्रामक विषाणुजनित रोग है। पोलियो का विषाणु मुख्यत: मल मार्ग या किसी सामान्य वाहक (जैसे दूषित जल अथवा भोजन) के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संचारित होता है। आँतों में पहुँचकर इस वायरस की संख्या दोगुनी हो जाती है तथा वहाँ से यह तंत्रिका तंत्र में पहुँचता है और पक्षाघात (Paralysis) का कारण बनता है।
- यह मुख्य रूप से छोटे बच्चों (पाँच वर्ष से कम आयु) को प्रभावित करता है।
- पोलियोवायरस के तीन संस्करण हैं:
- वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप-1 (WPV1)
- वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप- 2 (WPV2)
- वाइल्ड पोलियोवायरस टाइप- 3 (WPV3)
- उल्लेखनीय है कि WHO द्वारा वर्ष 2019 में WPV3 तथा वर्ष 2015 में WPV2 के उन्मूलन की घोषणा की जा चुकी है, जबकि WPV1 का उन्मूलन होना शेष है क्योंकि अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान के क्षेत्रों में यह अभी भी विद्यमान है।
- ध्यातव्य है कि पोलियो उन्मूलन के लिये वाइल्ड तथा टीका-व्युत्पन्न दोनों प्रकार के पोलियो संक्रमण के मामलों की संख्या शून्य होनी चाहिये।
पोलियो के मामले में भारत की स्थिति
- लगातार तीन वर्षों तक पोलियो का कोई मामला न मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2014 में भारत को पोलियो मुक्त राष्ट्र घोषित किया।
किसान सूर्योदय योजना
Kisan Suryoday Yojana
हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा गुजरात में ‘किसान सूर्योदय योजना’ की शुरुआत की गई।
- गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने सिंचाई के लिये दिन में विद्युत की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये ‘किसान सूर्योदय योजना’ की घोषणा की थी।
- इस योजना के तहत किसानों को सुबह पाँच बजे से रात नौ बजे तक बिजली की आपूर्ति की जाएगी।
- राज्य सरकार ने वर्ष 2023 तक इस योजना के तहत विद्युत संचार अवसंरचना (Transmission Infrastructure) स्थापित करने के लिये 3500 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है।
- परियोजना के तहत 220KV सब-स्टेशन के अलावा कुल 3490 सर्किट किलोमीटर की लंबाई के साथ '66-किलोवाट' की 234 ट्रांसमिशन लाइनें स्थापित की जाएंगी।
- वर्ष 2020-21 के लिये योजना के तहत दाहोद, पाटन, महिसागर, पंचमहल, छोटा उदयपुर, खेड़ा, तापी, वलसाड, आनंद और गिर-सोमनाथ ज़िलों को शामिल किया गया है। शेष ज़िलों को वर्ष 2022-23 तक चरणबद्ध तरीके से शामिल किया जाएगा।
आसन संरक्षण रिज़र्व
Asan Conservation Reserve
- हाल ही में देहरादून स्थित आसन संरक्षण रिज़र्व को रामसर कन्वेंशन (Ramsar Convention) के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि (Wetland of International Importance) का दर्जा दिया गया है।
- आसन संरक्षण रिज़र्व, उत्तराखंड का पहला रामसर स्थल है।
- इस रिज़र्व को रामसर द्वारा मान्यता मिलने के बाद भारत में रामसर स्थलों की संख्या 38 हो गई है जो कि दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है।
- आसन संरक्षण रिज़र्व ने रामसर स्थल घोषित किये जाने के लिये आवश्यक नौ मानदंडों में से पाँच मानदंडों (प्रजातियों एवं पारिस्थितिक समुदायों, जल-पक्षियों तथा मछलियों से संबंधित) को पूरा किया जिसके बाद इसे अंतर्राष्ट्रीय आर्द्रभूमि के रूप में मान्यता दी गई।
आसन संरक्षण रिज़र्व के बारे में
- यह रिज़र्व हिमालयी राज्य उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में देहरादून ज़िले के पास यमुना नदी के तट पर स्थित है।
- आसन संरक्षण रिज़र्व 4.44 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
- आसन कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे- रूडी शेल्डक (स्थानीय भाषा में सुर्खाब) और रेड क्रेस्टेड पोचार्ड (स्थानीय भाषा में लालसर) आदि का निवास स्थान है।
- कई लुप्तप्राय पक्षी भी यहाँ पाए जाते हैं, कुछ पक्षी प्रवास के दौरान यहाँ आते हैं जिसके चलते यह रिज़र्व पारिस्थितिक रूप से एक महत्त्वपूर्ण स्थल बन जाता है।
- आसन संरक्षण रिज़र्व में प्रवासी पक्षियों की लगभग 40 प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें रूडी शेल्डक (सुर्खाब), कॉमन कूट, गडवाल, किंगफिशर, इंडियन कॉर्मोरेंट (जलकौआ), बेयर का पॉचर्ड, नॉर्दर्न पिंटेल (सूचिपुच्छ बत्तख), बार-हेडेड गूज (अवरोधक सिर वाले हंस) आदि शामिल हैं।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 26 अक्तूबर, 2020
दिल्ली के प्रदूषण हेतु स्थायी निकाय
केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया है कि वह जल्द ही राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण और आस-पास के राज्यों में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिये कानून के माध्यम से एक स्थायी निकाय का गठन करेगी। केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्त्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि केंद्र ने इस मामले पर ‘समग्र दृष्टिकोण’ अपनाया है तथा जल्द ही राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिये प्रस्तावित कानून का मसौदा न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। ध्यातव्य है कि इससे पूर्व भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबडे के नेतृत्त्व में सर्वोच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने तीन राज्यों (हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश) में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं की निगरानी और रोकथाम के लिये सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर (Madan B Lokur) की एक सदस्यीय समिति का गठन किया था, किंतु अब केंद्र सरकार की घोषणा के बाद इस एक-सदस्यीय समिति को निलंबित कर दिया गया है। राजधानी दिल्ली में इस वर्ष प्रदूषण चिंता का एक विषय इसलिये भी है, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदूषण के कारण कोरोना वायरस संक्रमण की दर में वृद्धि हो सकती है। अक्तूबर माह की शुरुआत में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि नई दिल्ली में सर्दियों के मौसम में प्रति दिन 12,000 से 15,000 संक्रमण के मामले देखने को मिल सकते हैं।
थार रेगिस्तान में ‘लुप्त’ नदी के साक्ष्य
शोधकर्त्ताओं ने थार रेगिस्तान से होकर बहने वाली लगभग 1,72,000 वर्ष पुरानी एक ‘लुप्त’ नदी के साक्ष्यों की खोज की है। जर्मनी के ‘द मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर द साइंस ऑफ ह्यूमन हिस्ट्री’ (The Max Planck Institute for the Science of Human History), तमिलनाडु की अन्ना यूनिवर्सिटी और आईआईएसईआर कोलकाता (IISER Kolkata) के शोधकर्त्ताओं द्वारा किया गया अध्ययन इस तथ्य को इंगित करता है कि पाषाण युग की आबादी आज की तुलना में एक अलग परिदृश्य में निवास करती थी। थार रेगिस्तान में प्रागैतिहासिक काल का एक समृद्ध इतिहास मौजूद है, और अब तक उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि थार रेगिस्तान में रहने वाले पाषाण युग के लोग न केवल जीवित रहे बल्कि उन्होंने एक समृद्ध जीवन भी विकसित किया। इस अध्ययन के माध्यम से शोधकर्त्ता, नदी के विकास और थार रेगिस्तान में मानव जाति के विकास के साथ इसके संबंध को समझने का प्रयास कर रहे हैं।
सैन्य कैंटीन में आयात पर प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने अपनी 4000 सैन्य कैंटीनों में किसी भी प्रकार के विदेशी सामान के आयात पर रोक लगा दी है। इस संबंध में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आंतरिक आदेश के मुताबिक, भविष्य में सैन्य कैंटीन्स के लिये प्रत्यक्ष आयातित वस्तुएँ नहीं खरीदी जाएंगी। मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान के एक अध्ययन के अनुसार, भारत की सभी 4000 सैन्य कैंटीनों में कुल बिक्री मूल्य का लगभग 6-7 प्रतिशत आयात किया जाता है। भारतीय सेना की कैंटीनों में इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य और अन्य सामानों को रियायती मूल्य पर सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को बेचा जाता हैं। ध्यातव्य है कि सैन्य कैंटीनों में तकरीबन 2 बिलियन से अधिक की वार्षिक बिक्री की जाती है, जिसके कारण यह भारत में सबसे बड़ी खुदरा शृंखलाओं (Retail Chains) में से एक है।
ली कुन-ही
सैमसंग समूह के चेयरमैन ली कुन-ही (Lee Kun-hee) का 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उल्लेखनीय है कि ली कुन-ही के नेतृत्त्व में ही सैमसंग कंपनी, स्मार्टफोन और मेमोरी चिप्स के उत्पादन में विश्व की सबसे बड़ी कंपनी बनी थी और वर्तमान में कंपनी का कुल कारोबार दक्षिण कोरिया के सकल घरेलू उत्पाद के पाँचवें हिस्से के बराबर है। ली कुन-ही ने अपने पिता के एक छोटे से व्यवसाय को एक बड़ी टेक कंपनी और आर्थिक पावरहाउस के रूप में विकसित किया और कंपनी के कारोबार को बीमा और शिपिंग जैसे क्षेत्रों तक लेकर गए। सैमसंग समूह की स्थापना ली कुन-ही के पिता ली ब्यूंग-चुल द्वारा वर्ष 1938 में की गई थी, ली कुन-ही वर्ष 1968 में कंपनी में शामिल हुए और वर्ष 1987 में अपने पिता की मृत्यु के बाद कंपनी के चेयरमैन के रूप में कार्यभार संभाला। उस समय, सैमसंग कंपनी को सस्ते और निम्न-गुणवत्ता वाले उत्पादों के निर्माता के रूप में देखा जाता था, लेकिन ली कुन-ही के नेतृत्त्व में कंपनी में काफी कई महत्त्वपूर्ण सुधार किये गए और वर्तमान में सैमसंग कंपनी विश्व की सुप्रसिद्ध टेक कंपनियों में से एक है।