प्रिलिम्स फैक्ट्स (25 Nov, 2023)



2D प्रोटीन मोनोलेयर अमाइलॉइडोसिस के अध्ययन में सहायक

स्रोत: पी.आई.बी. 

हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने लाइसोजाइम अणुओं को इकठ्ठा करके द्वि-आयामी (2D) प्रोटीन एकल परत (मोनोलेयर) के विकास के माध्यम से व्याधियों के अध्ययन में महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल की है।

लाइसोजाइम तथा अमाइलॉइडोसिस क्या हैं? 

  • लाइसोजाइम एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला एंजाइम है जो आँसू, लार, कफ जैसे विभिन्न शारीरिक स्रावों में पाया जाता है। यह बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर की रक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • यह एंज़ाइम विशेष बैक्टीरिया की कोशिका भित्तियों को तोड़ने का कार्य करता है जो उनके विकास को बाधित करता है और अंततः उनको विनाश की ओर ले जाता है।
    • यह वायुमार्ग द्रव का प्रमुख घटक भी है, जो अमाइलॉइडोसिस जैसी व्याधियों का अध्ययन करने में एक मॉडल प्रोटीन के रूप में कार्य करता है, जो अंततः बहु-अंग शिथिलता (मल्टी-ऑर्गन डिसफंक्शन) का कारण बनता है।
  • अमाइलॉइडोसिस दुर्लभ स्थितियों के एक समूह को संदर्भित करता है जो पूरे शरीर में विभिन्न अंगों और ऊतकों में अमाइलॉइड्स नामक असामान्य प्रोटीन गुच्छों के संचय की विशेषता है।
    • ये अमाइलॉइड प्रोटीन, सामान्यतः मिसफोल्डेड प्रोटीन से बने होते हैं, हृदय, गुर्दे, यकृत, प्लीहा जैसे सामान्य अंग के कार्य को बाधित कर सकते हैं और समय के साथ नुकसान पहुँचा सकते हैं।

शोध की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  • वैज्ञानिकों ने शुद्ध जल उपचरण के इंटरफेस पर लाइसोजाइम अणुओं को 2D मोनोलेयर में इकट्ठा किया।  
    • अलग-अलग इंटरफेस पर स्थित लाइसोजाइम की ये सावधानीपूर्वक व्यवस्थित परतें, अमाइलॉइडोसिस की जटिलताओं को समझने के लिये एक असाधारण मॉडल प्रदान करती हैं।
    • इस विशेष द्वि-आयामी प्रोटीन परत को बनाने में परिष्कृत लैंगमुइर-ब्लोडेट (LB) तकनीक का उपयोग करना महत्त्वपूर्ण था।
      • लैंगमुइर-ब्लोडेट तकनीक एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग वायु-जल और वायु-ठोस इंटरफेस पर प्रोटीन सहित अणुओं की मोनोलेयर बनाने के लिये किया जाता है।
  • विभिन्न pH स्थितियों के तहत लाइसोजाइम अणुओं की संरचना और आकार में देखे गए परिवर्तन अमाइलॉइडोसिस में देखी गई असामान्यताओं को उल्लेखनीय रूप से दर्शाते हैं।
  • यह अभूतपूर्व शोध न केवल अमाइलॉइडोसिस की अधिक गहन समझ का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि रोग तंत्र की जाँच के लिये एक बहुमुखी मंच भी स्थापित करता है।
    • इसके अलावा यह प्रोटीन विज्ञान के क्षेत्र में नैनोटेक्नोलॉजी अनुप्रयोगों की खोज के लिये रोमांचक संभावनाएँ प्रस्तुत करता है।

इंटरनेशनल ट्रॉपिकल टिम्बर काउंसिल का 59वाँ सत्र

स्रोत: डाउन टू अर्थ

हाल ही में इंटरनेशनल ट्रॉपिकल टिम्बर ऑर्गेनाइज़ेशन (ITTO) की शासी निकाय, इंटरनेशनल ट्रॉपिकल टिम्बर काउंसिल (ITTC) के 59वें सत्र का आयोजन किया गया। यह उष्णकटिबंधीय वनों के सतत् प्रबंधन के भविष्य और स्थायी रूप से उत्पादित उष्णकटिबंधीय इमारती लकड़ी के व्यापार की दशा और दिशा तय करने वाले महत्त्वपूर्ण निर्णयों के साथ संपन्न हुआ।

ITTC के 59वें सत्र के प्रमुख परिणाम क्या हैं?

  • सत्र में शामिल देशों ने सतत् वन प्रबंधन और संबद्ध उद्देश्यों से संबंधित आठ परियोजनाओं के समर्थन पर सहमति जताई।
  • इसमें आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिये 7.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर के बजट को भी मंज़ूरी दी गई।
  • परिषद ने एक परीक्षण उपाय को भी मंज़ूरी दी जिसके तहत गैर सदस्यों को परियोजना प्रस्ताव और अवधारणा संबंधी विवरण प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाएगी
    • वित्तीय योगदान को पूरा करने में असक्षम रहे देशों (अयोग्य भी) को उनके बकाया भुगतान के प्रत्येक दो वर्ष के लिये परियोजना प्रस्ताव और अवधारणा संबंधी विवरण प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाएगी।
  • परिषद ने वर्ष 2024-25 के लिये कार्य योजना भी निर्धारित की, जो इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिये वनों पर सहयोगात्मक साझेदारी हेतु सदस्यों तथा अन्य भागीदारों के साथ सहयोग पर ज़ोर देता है।

इंटरनेशनल ट्रॉपिकल टिम्बर ऑर्गेनाइज़ेशन क्या है?

  • परिचय:
    • ITTO, एक अंतर-सरकारी संगठन है जो उष्णकटिबंधीय वनों के टिकाऊ प्रबंधन और संरक्षण को बढ़ावा देता है, साथ ही यह स्थायी रूप से प्रबंधित तथा कानूनी रूप से उष्णकटिबंधीय वनों से काटी गई लकड़ी के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विस्तार और विविधीकरण को भी बढ़ावा देता है।
    • ITTO की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय उष्णकटिबंधीय इमारती लकड़ी समझौता, 1983 के अंर्तगत की गई थी, जिस पर व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में चर्चा की गई थी।
    • यह ITTC द्वारा शासित है, जो टिकाऊ उष्णकटिबंधीय वन प्रबंधन (SFM) के साथ स्थायी रूप से उत्पादित उष्णकटिबंधीय लकड़ी के व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से व्यापक एजेंडे पर चर्चा करने के लिये वर्ष में कम-से-कम एक बार बैठक करता है।
  • सदस्य:
    • इसमें भारत समेत 75 देश शामिल हैं।
    • इसके सदस्य विश्व के लगभग 80% उष्णकटिबंधीय वनों का प्रबंधन करने के साथ-साथ  90% वैश्विक उष्णकटिबंधीय लकड़ी व्यापार के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • कार्य:
    • टिकाऊ उष्णकटिबंधीय लकड़ी के व्यापार और SFM को बढ़ावा देने के लिये ITTO ऐसे मानदंड एवं नीति दिशा-निर्देश बनाता है जो व्यापक रूप से स्वीकार किये जाते हैं।
    • उष्णकटिबंधीय सदस्य देशों को ऐसे दिशा-निर्देशों एवं मानदंडों को स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलित करने तथा परियोजनाओं के साथ अन्य गतिविधियों के माध्यम से क्षेत्र में लागू करने में भी सहायता प्रदान करता है।
    • उष्णकटिबंधीय लकड़ी के उत्पादन और व्यापार पर डेटा एकीकरण, विश्लेषण एवं प्रसार करता है। यह टिकाऊ उष्णकटिबंधीय लकड़ी आपूर्ति शृंखला को भी बढ़ावा देता है।
  • मुख्यालय: योकोहामा, जापान

नासा का वायुमंडलीय तरंग प्रयोग

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

उपग्रह संचार और GPS प्रणालियों में बढ़ते व्यवधानों के बीच नासा ने वायुमंडलीय तरंग प्रयोग (Atmospheric Waves Experiment- AWE) का अनावरण किया है, जो अंतरिक्ष के मौसम को समझने की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

  • वायुमंडलीय गुरुत्वाकर्षण तरंगों (Atmospheric Gravity Waves- AGWs) में अंतरिक्ष घटनाओं को प्रभावित करने वाली पृथ्वी की चरम मौसम की घटनाओं को देखते हुए AWE का आसन्न प्रक्षेपण इन परस्पर जुड़ी गतिशीलता में अभूतपूर्व अंतर्दृष्टि प्रदान करने की संभावना रखता है।

अंतरिक्ष मौसम क्या है? 

  • अंतरिक्ष मौसम (Space Weather) शब्द का प्रयोग पृथ्वी और अन्य ग्रहों के आस-पास के अंतरिक्ष वातावरण में परिवर्तनशील स्थितियों का वर्णन करने के लिये किया जाता है, जो सूर्य की गतिविधि तथा सौर हवा एवं ग्रहों के चुंबकीय क्षेत्रों के बीच अंतःक्रिया से प्रभावित होते हैं।
  • अंतरिक्ष का मौसम मानवीय गतिविधियों और प्रौद्योगिकियों के विभिन्न पहलुओं जैसे- उपग्रह-आधारित संचार, नेविगेशन तथा विद्युत प्रणाली के साथ-साथ अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा तथा विमानन व अंतरिक्ष अन्वेषण आदि को प्रभावित कर सकता है।

वायुमंडलीय गुरुत्वाकर्षण तरंगें (AGW) क्या हैं?

  • गुरुत्वाकर्षण तरंगें: एक स्थिर वातावरण में गुरुत्वाकर्षण तरंगें तब उत्पन्न होती हैं जब बढ़ती वायु तथा आसपास के वातावरण के बीच तापमान में अंतर होता है, जिससे एक बल उत्पन्न होता है जो वायु को उसके प्रारंभिक स्थान पर पुनः स्थापित कर देता है।
  • वायुमंडलीय गुरुत्वाकर्षण तरंगें: AGW तरंगें हैं एक स्थिर वायुमंडलीय परत के भीतर गति करती हैं, इनकी उपस्थिति विशेष रूप से उन क्षेत्रों में होती है जहाँ वायु ऊपर की ओर बढ़ रही होती है, जिससे विशिष्ट बादल संरचनाओं के निर्माण की सुविधा मिलती है।
    • उल्लेखनीय रूप से ये AGW अंतरिक्ष में विस्तारित होते हैं, जो अंतरिक्ष के मौसम को आकार देने में भूमिका निभाते हैं।
    • वे अधिकतर खराब मौसम की घटनाओं अथवा स्थिर वायु के ऊर्ध्वाधर विस्थापन के कारण होने वाली अव्यवस्था से उत्पन्न होते हैं।
      • आँधी, तूफान और क्षेत्रीय स्थलाकृति निचले वायुमंडल में AGW के विकास में योगदान करते हैं।

नासा का वायुमंडलीय तरंग प्रयोग क्या है?

परिचय

  • हेलियोफिजिक्स एक्स्प्लोरर्स प्रोग्राम के तहत नासा के एक अग्रणी प्रयोग के रूप में AWE का लक्ष्य निम्न वायुमंडलीय तरंगों और अंतरिक्ष मौसम के बीच संबंधों का अध्ययन करना है।
  • परिचालन तंत्र: अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर स्थापित AWE पृथ्वी के वायुमंडल में, विशेष रूप से मेसोपॉज (पृथ्वी की सतह से लगभग 85 से 87 किमी. ऊपर) में कलरफुल नाईटग्लो (किसी ग्रहीय वातावरण द्वारा प्रकाश का उत्सर्जन) का निरीक्षण करेगा। 
    • उन्नत मेसोस्फेरिक तापमान मैपर (Advanced Mesospheric Temperature Mapper- ATMT) से सुसज्जित, AWE विशिष्ट तरंग दैर्ध्य की चमक को पकड़ने के लिये इमेजिंग रेडियोमीटर का उपयोग करके मेसोपॉज को स्कैन करेगा।
  • मिशन का उद्देश्य: अंतरिक्ष मौसम को संचालित करने वाले बलों को समझना तथा उन पर स्थलीय मौसम के संभावित प्रभाव की जाँच करना। 
    • AWE से प्राप्त डेटा मौसम मॉडल के लिये इनपुट के रूप में योगदान देगा, जिससे मौसम पूर्वानुमान में सुधार होगा।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. यदि कोई बड़ा सौर तूफान (सौर ज्वाला) पृथ्वी पर पहुँचता है, तो पृथ्वी पर निम्नलिखित में से कौन-से प्रभाव संभावित हैं? (2022)

  1. जीपीएस और नेविगेशन सिस्टम विफल हो सकते हैं।
  2. भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में सुनामी आ सकती है।
  3. पावर ग्रिड क्षतिग्रस्त हो सकते हैं.
  4. पृथ्वी के अधिकांश भाग पर तीव्र अरोरा उत्पन्न हो सकता है।
  5. ग्रह के अधिकांश भाग में जंगल की आग लग सकती है।
  6. उपग्रहों की कक्षाएँ बाधित हो सकती हैं।
  7. ध्रुवीय क्षेत्रों के ऊपर उड़ान भरने वाले विमानों का शॉर्टवेव रेडियो संचार बाधित हो सकता है।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 4 और 5
(b) केवल 2, 3, 5, 6 और 7
(c) केवल 1, 3, 4, 6 और 7
(d) 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7

उत्तर: (c)


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 नवंबर, 2023

कंबाला भैंस दौड़

पारंपरिक भैंस दौड़, कंबाला पहली बार बंगलूरू, कर्नाटक में आयोजित होगी।

  • कंबाला एक भैंस दौड़ है जो सर्दियों के महीनों के दौरान तटीय कर्नाटक के ज़िलों (उडुपी और दक्षिण कन्नड़) में तब आयोजित की जाती है जब किसान अपनी धान की फसल काटते हैं।
    • यह दौड़ कीचड़ और जल से भरे दो समानांतर ट्रैक पर आयोजित की जाती है। भैंसों की प्रत्येक जोड़ी के पास ट्रैक पर जानवरों को नियंत्रित करने और आदेश देने के लिये एक जॉकी या 'कंबाला धावक' भी होगा।
    • जो टीम जीतती है वह चैंपियन बनने तक उच्च राउंड के लिये क्वालीफाई करती है।
  • दौड़ जीतने के लक्ष्य के अलावा दौड़ के दौरान धावक जितना संभव हो सके पानी के छींटे मारकर दर्शकों का मनोरंजन भी करता है। वास्तव में कुछ विजेताओं की घोषणा पानी के छींटे मारने के आधार पर भी की जाती है; इसे 'कोलू' कहा जाता है।

और पढ़ें…कंबाला

न्यायमूर्ति एम.फातिमा बीवी

भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम.फातिमा बीवी का निधन हो गया।

गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस 

गुरु तेग बहादुर की पुण्य तिथि को प्रतिवर्ष 24 नवंबर को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। वह नौवें सिख गुरु थे।

  • तेग बहादुर का जन्म वर्ष 1621 को अमृतसर में हुआ था। तेग बहादुर को उनके तपस्वी स्वभाव के कारण त्याग मल (Tyag Mal) कहा जाता था। विभाजनकारी प्रथाओं के खिलाफ और आस्था को लेकर एकता पर ज़ोर देने की उनकी शिक्षाओं ने पूरे उत्तर भारत में व्यापक प्रतिध्वनि पैदा की।
  • उनकी यात्राएँ, जिनमें ढाका और पुरी जैसे दूर-दराज़ के स्थानों की यात्राएँ शामिल थीं, ने उनकी निडरता और एकता के संदेश को फैलाने की उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया।
    • हालाँकि औरंगज़ेब के शासन के साथ उनका टकराव, जिसकी परिणति 24 नवंबर, 1675 को उनकी शहादत के रूप में हुई, अपने अडिग सिद्धांतों पर समझौता करने से इनकार का प्रतीक था।

और पढ़ें… गुरु तेग बहादुर

16वीं विश्व वुशू चैंपियनशिप

16वीं विश्व वुशू चैंपियनशिप हाल ही में फोर्ट वर्थ, टेक्सास, अमेरिका में संपन्न हुई।

  • इसका आयोजन अंतर्राष्ट्रीय वुशू महासंघ (IWUF) के तत्त्वावधान में संयुक्त राज्य अमेरिका वुशू-कुंगफू महासंघ (USAWKF) द्वारा किया गया था।
    • वुशू एक मार्शल आर्ट है जिसकी उत्पत्ति चीन में हुई तथा यह विभिन्न रूपों एवं शैलियों को समाहित करता है। यह युद्ध एवं आत्मरक्षा का एक अनुशासित और अत्यधिक शैलीबद्ध रूप है।
  • भारत के उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों में रोशिबिना देवी (रजत), कुशल कुमार (कांस्य) तथा छवि (कांस्य) ने अपने-अपने भार वर्ग में उल्लेखनीय कौशल के साथ लचीलेपन का भी प्रदर्शन किया।

और पढ़ें…भारत में मार्शल आर्ट के स्वरूप