प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 25 जून, 2021
टैक्स इंस्पेक्टर विदाउट बॉर्डर्स प्रोग्राम
Tax Inspectors Without Borders Programme
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) की एक संयुक्त पहल टैक्स इंस्पेक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (TIWB) को भूटान में शुरू किया गया।
- भारत को इसमें भागीदार के रूप में चुना गया है। भारत ने इस कार्यक्रम के लिये कर-विशेषज्ञ उपलब्ध कराए हैं।
प्रमुख बिंदु
- यह कार्यक्रम लगभग 24 महीने की अवधि का है।
- इसका उद्देश्य कर लेखा परीक्षकों को तकनीकी जानकारी और कौशल हस्तांतरित कर सर्वोत्तम लेखापरीक्षा प्रथाओं को साझा करके कर प्रशासन को मज़बूत करने में भूटान की सहायता करना है। कार्यक्रम का फोकस अंतर्राष्ट्रीय कराधान और हस्तांतरण तथा मूल्य निर्धारण के क्षेत्र पर होगा।
- स्थानांतरण मूल्य, जिसे स्थानांतरण लागत के रूप में भी जाना जाता है, वह मूल्य है जिस पर संबंधित पक्ष एक-दूसरे के साथ लेन-देन करते हैं, इसमें विभागों के बीच आपूर्ति या श्रम के व्यापार के दौरान होने वाला लेन-देन शामिल है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अपने को कम कर क्षेत्रों में स्थानांतरित करने के लिये हस्तांतरण कीमतों में हेरफेर कर सकती हैं।
- यह कार्यक्रम भारत और भूटान के बीच निरंतर सहयोग और दक्षिण-दक्षिण सहयोग हेतु भारत के निरंतर तथा सक्रिय समर्थन में एक और मील का पत्थर है।
टैक्स इंस्पेक्टर विदाउट बॉर्डर्स (TIWB)
- TIWB एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम है।
- यह दुनिया भर में विकासशील देशों की लेखापरीक्षा क्षमता और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अनुपालन को मज़बूत करने के लिये जुलाई 2015 में शुरू की गई एक संयुक्त ओईसीडी / यूएनडीपी पहल है।
- यह पूरे अफ्रीका, एशिया, पूर्वी यूरोप, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के विकासशील देशों में योग्य विशेषज्ञों को नियुक्त करता है ताकि ऑडिट, आपराधिक कर जाँच और स्वचालित रूप से आदान-प्रदान की गई जानकारी के प्रभावी उपयोग के क्षेत्रों में कर क्षमता का निर्माण किया जा सके।
- TIWB की सहायता से दुनिया के कुछ सबसे कम विकसित देशों में घरेलू संसाधन जुटाने में वृद्धि हुई है।
काला सागर
Black Sea
हाल ही में रूस ने आरोप लगाया है कि ब्रिटिश युद्धपोत ने काला सागर में उसकी क्षेत्रीय जल सीमा का उल्लंघन किया है, जबकि ब्रिटेन और दुनिया के अधिकांश देशों द्वारा इस क्षेत्र को यूक्रेन की सीमा के रूप में जाना जाता है।
- रूस ने वर्ष 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया प्रायद्वीप का अधिग्रहण कर लिया था और इस कब्ज़े वाले क्षेत्र के तट के आसपास के क्षेत्रों को रूस अपने क्षेत्रीय जल के रूप में स्वीकार करता है।
प्रमुख बिंदु
‘काला सागर’ की भौगौलिक स्थिति
- काला सागर, जिसे यूक्सिन सागर के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया के प्रमुख जल निकायों और प्रसिद्ध अंतर्देशीय समुद्रों में से एक है।
- अटलांटिक महासागर का यह सीमांत समुद्र, पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया के बीच स्थित है।
- यह दक्षिण, पूर्व और उत्तर में क्रमशः पोंटिक, काकेशस और क्रीमियन पहाड़ों से घिरा हुआ है।
- तुर्की जलडमरूमध्य प्रणाली- डारडेनेल्स, बोस्फोरस और मरमारा सागर- भूमध्यसागर तथा काला सागर के बीच एक ट्रांज़ीशन ज़ोन के रूप में कार्य करती है।
- काला सागर, केर्च जलडमरूमध्य के माध्यम से सागर से भी जुड़ा हुआ है।
- काला सागर के सीमावर्ती देशों में- रूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, तुर्की, बुल्गारिया और रोमानिया शामिल हैं।
काला सागर- एनोक्सिक जल
- काला सागर के जल में ऑक्सीजन की भारी कमी है।
- काला सागर एक मेरोमिक्टिक बेसिन के साथ सबसे बड़ा जल निकाय है, जिसका अर्थ है कि यहाँ समुद्र की निचली और ऊपरी परतों के बीच पानी की आवाजाही एक दुर्लभ घटना है।
- एनोक्सिक स्थिति समुद्र में यूट्रोफिकेशन की प्रक्रिया की उपस्थिति के कारण भी होती है।
एनोक्सिक जल
- एनोक्सिक जल समुद्र के पानी, ताज़े पानी या भूजल के वह क्षेत्र है, जहाँ घुलित ऑक्सीजन की कमी होती है और ये हाइपोक्सिया की अधिक गंभीर स्थिति में होते हैं।
- यह स्थिति आमतौर पर उन क्षेत्रों में पाई जाती है, जहाँ आसपास के जल निकायों से जल विनिमय सीमित अथवा पूर्णतः प्रतिबंधित होता है।
समुद्र से गुज़रने संबंधी अंतर्राष्ट्रीय नियम
- समुद्र परिवहन संबंधी अंतर्राष्ट्रीय कानून (यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी, 1982) एक जहाज़ को दूसरे राज्य के क्षेत्रीय जल से गुज़रने की अनुमति देता है, जब तक कि यह उसकी सुरक्षा को प्रभावित नहीं करता हो।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 जून, 2021
अंतर्राष्ट्रीय नाविक दिवस
दुनिया भर में वाणिज्य एवं आर्थिक प्रणाली में नाविकों के अमूल्य योगदान को मान्यता देने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 25 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय नाविक दिवस’ का आयोजन किया जाता है। दुनिया भर का लगभग 90 प्रतिशत व्यापार जहाज़ों के माध्यम से किया जाता है और इन जहाज़ों का संचालन नाविकों द्वारा किया जाता है, जो पानी के माध्यम से व्यापार के सुचारु प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिये अथक प्रयास करते हैं। ‘अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन’, जो कि नौवहन को विनियमित करने हेतु उत्तरदायी संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, ने वर्ष 2010 में प्रतिवर्ष 25 जून को अंतर्राष्ट्रीय नाविक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इसके पश्चात् वर्ष 2011 में पहला ‘अंतर्राष्ट्रीय नाविक दिवस’ आयोजित किया गया। इस दिवस की शुरुआत का प्राथमिक लक्ष्य आम लोगों को वैश्विक व्यापार और परिवहन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नाविकों के कार्य के संदर्भ में जागरूक करना है। साथ ही यह दिवस निजी जहाज़ कंपनियों से समुद्र में सुरक्षित यात्रा के लिये अपने नाविकों को पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान करने का भी आग्रह करता है। गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक विशेष संस्था है, जिसकी स्थापना वर्ष 1948 में जिनेवा सम्मेलन के दौरान एक समझौते के माध्यम से की गई थी। यह एक अंतर्राष्ट्रीय मानक-निर्धारण प्राधिकरण है जो मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग की सुरक्षा में सुधार करने हेतु उत्तरदायी है।
‘कवल प्लस कार्यक्रम’
हाल ही में केरल सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने ‘कवल प्लस’ कार्यक्रम को राज्य के पाँच अन्य ज़िलों में विस्तारित करने की घोषणा की है। बच्चों को देखभाल और सुरक्षा प्रदान करने तथा यौन शोषण से पीड़ित बच्चों का समग्र समर्थन करने संबंधी इस महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम को प्रारंभ में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया गया था। दिसंबर 2020 में तिरुवनंतपुरम और पलक्कड़ ज़िलों में इसकी शुरुआत के बाद से यह परियोजना क्रमशः लगभग 300 और 150 बच्चों तक मदद पहुँचाने में सक्षम रही है। अब इस परियोजना को एर्नाकुलम, इडुक्की, मलप्पुरम, कोझीकोड और कन्नूर में भी लागू किया जाएगा। इस परियोजना को बच्चों के साथ कार्य करने में सक्षम गैर-सरकारी संगठनों की सहायता से क्रियान्वित किया जाएगा। सभी ज़िलों में गैर-सरकारी संगठन का चयन ज़िला स्तर पर गठित एक समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी, बाल कल्याण समिति के प्रतिनिधि एवं संरक्षण अधिकारी (गैर-संस्थागत देखभाल) आदि शामिल होते हैं। पात्र बच्चों के व्यक्तिगत मूल्यांकन के आधार गैर-सरकारी संगठन प्रत्येक बच्चे के लिये व्यक्तिगत देखभाल योजना तैयार करेगा। इसके पश्चात् बच्चों को समग्र मनो-सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक सहायता प्रदान की जाती है।
‘सपोर्टिंग आंध्र लर्निंग ट्रांसफॉर्मेशन’ कार्यक्रम
हाल ही में ‘इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट’ (IBRD) ने ‘सपोर्टिंग आंध्र लर्निंग ट्रांसफॉर्मेशन’ कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिये 1,860 करोड़ रुपए की धनराशि की मंज़ूरी दे दी है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सरकारी स्कूलों को जीवंत और प्रतिस्पर्द्धी संस्थानों में बदलकर बुनियादी शिक्षा में सीखने के परिणामों, शिक्षण प्रथाओं की गुणवत्ता और स्कूल प्रबंधन में सुधार करना है। इस कार्यक्रम के तहत राज्य भर के सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को नया रूप दिया जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत मुख्य तौर पर राज्य द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेज़ी को शुरू करके पाठ्यक्रम में सुधार, बेहतर कक्षा प्रबंधन, शिक्षकों का व्यावसायिक विकास और छात्रों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनने हेतु तैयार करने जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस पाँच वर्षीय परियोजना को शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से वर्ष 2026-27 तक लागू किया जाएगा। ज्ञात हो कि ‘इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट’ (IBRD) विश्व बैंक में शामिल एक अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है, जिसे वर्ष 1945 में स्थापित किया गया था और वर्तमान में इसमें 189 सदस्य हैं।
हाई-पावर लेज़र एयर डिफेंस सिस्टम
हाल ही में इज़रायल ने ‘हाई-पावर लेज़र एयर डिफेंस सिस्टम’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। विदित हो कि इज़रायल की यह प्रणाली ड्रोन के कारण उत्पन्न खतरों का मुकाबला करने के लिये काफी महत्त्वपूर्ण हो सकती है। इस तरह इज़रायल दुनिया का पहला देश बन गया, जिसने शत्रु के ड्रोन को मार गिराने के लिये एरियल लेज़र हथियारों का निर्माण किया है। प्रारंभ में लेज़र हथियार का परीक्षण एक हल्के विमान पर किया गया और इसने लगभग आधा मील (1 किलोमीटर) की दूरी पर कई ड्रोनों को सफलतापूर्वक मार गिराया। कम निर्माण लागत, व्यापक क्षेत्र को कवर करने की क्षमता और अधिक ऊँचाई पर भी लंबी दूरी के खतरों को प्रभावी ढंग से रोकने की क्षमता इस प्रणाली को काफी महत्त्वपूर्ण बनाती है। इस नई लेज़र प्रणाली में ‘सी-म्यूज़िक’ के समान ट्रैकिंग तकनीकों का उपयोग किया गया है, ज्ञात हो कि ‘सी-म्यूज़िक’ विमान में फिट की जाने वाली एक रक्षा प्रणाली है जो आने वाली मिसाइलों की दृश्य क्षमता को कम करने के लिये लेज़र का उपयोग करती है और लक्ष्य को इस हद तक गर्म कर देती है कि वह कुछ सेकंड के भीतर ही आग पकड़ लेता है।