प्रारंभिक परीक्षा
विश्व फ्रैजाइल X दिवस
विश्व फ्रैजाइल X जागरूकता दिवस प्रत्येक वर्ष 22 जुलाई को मनाया जाता है, जिसे दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी, फ्रैजाइल X या मार्टिन-बेल सिंड्रोम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये वर्ष 2021 में शुरू किया गया था।
फ्रैजाइल X या मार्टिन-बेल सिंड्रोम:
- परिचय:
- फ्रैजाइल X सिंड्रोम (FXS) एक वंशानुगत आनुवंशिक बीमारी है जो माता-पिता से बच्चों में स्थानांतरित होती है जो बौद्धिक और विकास संबंधी विकलांगताओं का कारण बनती है।
- FXS लड़कों में मानसिक विकलांगता का सबसे आम वंशानुगत कारण है। यह 4,000 लड़कों में से 1 को प्रभावित करता है।
- यह लड़कियों में आम नहीं है, प्रत्येक 8,000 में से लगभग 1 को प्रभावित करता है। लड़कों में आमतौर पर लड़कियों की तुलना में अधिक गंभीर लक्षण होते हैं।
- FXS वाले व्यक्ति आमतौर पर विकासात्मक और सीखने की समस्याओं का अनुभव करते हैं।
- यह रोग दीर्घकालिक या आजीवन रहने वाली स्थिति है। केवल FXS वाले कुछ व्यक्ति ही स्वतंत्र रूप से रहने में सक्षम हैं।
- कारण:
- FXS, X क्रोमोसोम पर स्थित FMR1 जीन में दोष के कारण होता है।
- FMR1 (फ्रैजाइल X मेंटल रिटार्डेशन 1 जीन) जीन मनुष्यों में X क्रोमोसोम पर स्थित होता है। यह FMRP (फ्रैजाइल एक्स मेंटल रिटार्डेशन प्रोटीन) नामक प्रोटीन के उत्पादन के लिये ज़िम्मेदार है, जो सामान्य मस्तिष्क विकास और कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- जोखिम:
- वाहकों में जल्दी रजोनिवृत्ति, या रजोनिवृत्ति का अनुभव होने की अधिक संभावना होती है जो 40 वर्ष की आयु से पहले प्रारंभ होती है।
- जो पुरुष इसके वाहक हैं उनमें फ्रैजाइल X ट्रेमर एटैक्सिया सिंड्रोम (FXTAS) नामक स्थिति का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रगतिशील अनुमस्तिष्क गतिभंग, गति में कंपन, पार्किंसनिज़्म और संज्ञानात्मक हानि सभी इस स्थिति के लक्षण हैं।
- इसके अतिरिक्त इससे चलना और संतुलन बनाए रखना भी कठिन हो सकता है। पुरुष वाहक भी मनोभ्रंश विकसित होने के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
- वंशानुक्रम से संबद्ध:
- जिन महिलाओं में फ्रैजाइल X होता है, उनके प्रत्येक बच्चे में उत्परिवर्तित जीन पहुँचने की 50% संभावना होती है। यदि वह प्रभावित जीन से गुज़रती है, तो उसके बच्चे या तो वाहक होंगे या उनमें फ्रैजाइल X सिंड्रोम होगा।
- जिन पुरुषों में फ्रैजाइल X पाया जाता है, इस अनुक्रम परिवर्तन का इनकी सभी पुत्रियों में स्थानांतरण होता है लेकिन इनके किसी भी पुत्र में फ्रैजाइल X का स्थानांतरण नहीं होता है। ये पुत्रियाँ वाहक के रूप में कार्य करती हैं लेकिन इनमें फ्रैजाइल X सिंड्रोम नहीं पाया जाता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
कच्छ के छोटे रण के साल्टपैन श्रमिक
18 जुलाई, 2023 को साल्टपैन श्रमिकों (आमतौर पर अगरिया के रूप में जाना जाता है) ने गुजरात के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा था। इसमें साल्टपैन श्रमिकों ने वन विभाग के निर्देशों के जवाब में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है क्योंकि उन्होंने कच्छ के छोटे रण में उनके प्रवेश को प्रतिबंधित कर दिया था।
वन विभाग का आदेश:
- कच्छ के छोटे रण को वर्ष 1972 में जंगली गधा अभयारण्य घोषित किया गया।
- वर्ष 1997 में आवासीय बस्ती सर्वेक्षण आयोजित किया गया था जिसमें नमक की खेती और साल्टपैन श्रमिकों को भूमि पट्टे पर देने की अनुमति दी गई थी। इसके साथ पारंपरिक अगरिया को बंदोबस्त सर्वेक्षण के लाभ से बाहर रखा गया था।
- कानूनी निहितार्थ:
- वर्ष 1997 के आवासीय बस्ती सर्वेक्षण की जाँच गुजरात उच्च न्यायालय और भूमि-अवैध गतिविधियों के समाधान में शामिल राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा की जा रही है।
अपने बचाव में अगरिया लोगों द्वारा प्रस्तुत तर्क:
- जंगली गधों की जनसंख्या वृद्धि बनाम मानव-पशु संघर्ष: जनगणना के आंँकड़ों से पता चलता है कि क्षेत्र में जंगली गधों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 1973 के 700 से बढ़कर वर्ष 2019 में 6,082 हो गई है।
- जनगणना के आंँकड़ों के अनुसार साल्टपैन श्रमिकों के काम के कारण जंगली गधा अभयारण्य में मानव-पशु संघर्ष की संभावना से इनकार किया गया है।
- साल्टपैन श्रमिकों का भूमि उपयोग: कच्छ के छोटे रण में नमक की खेती के लिये साल्टपैन श्रमिक कुल भूमि क्षेत्र का केवल 6% का उपयोग करते हैं, जो मात्रा और स्थान दोनों में नगण्य है।
- अनुचित सर्वेक्षण के विरुद्ध चिंताएँ: 100-125 गाँवों में से 16 में आयोजित बैठकों में वन विभाग के अधिकारियों ने अगरिया (साल्टपैन श्रमिक) लोगों के 8000 परिवारों में से 95% के नाम हटा दिये।
- बंदोबस्त सर्वेक्षण रिपोर्ट में सूचीबद्ध अधिकांश अगरिया जीवित नहीं हैं।
साल्टपैन श्रमिक:
- उत्तरी गुजरात, कच्छ और सौराष्ट्र क्षेत्रों में कच्छ के छोटे रण के आसपास 100-125 गाँवों में रहने वाले कोली, सांधी और मियाना समुदाय नमक निर्माण पर निर्भर हैं, जिन्हें साल्टपैन श्रमिक कहा जाता है।
- ये ब्रिटिश शासन काल यानी 600-700 वर्षों से इस पेशे में कार्यरत हैं।
जंगली गधा अभयारण्य का परिचय:
- स्थान: यह भारत में गुजरात राज्य में कच्छ के छोटे रण में स्थित है।
- यह एकमात्र स्थान है जहाँ भारतीय जंगली गधा, जिसे स्थानीय भाषा में खच्चर कहा जाता है, पाया जाता है।
- यह अभयारण्य रेबारी और भरवाड जनजातियों की एक बड़ी आबादी का आवास स्थान है।
भारतीय जंगली गधे के बारे में मुख्य तथ्य:
- यह एशियाई जंगली गधे यानी इक्वस हेमिओनस (Equus hemionus) की एक उप-प्रजाति है।
- इसकी विशेषता पूँछ के अगले हिस्से और कंधे के पिछले हिस्से पर विशिष्ट सफेद निशान तथा पीठ के नीचे एक धारी है जो सफेद रंग की होती है।
- वितरण: विश्व में भारतीय जंगली गधों की आखिरी आबादी कच्छ के रण, गुजरात तक ही सीमित है।
- प्राकृतिक आवास: रेगिस्तान और घास के मैदान पारिस्थितिकी तंत्र।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN: संकटापन्न (Near Threatened)
- CITES: परिशिष्ट II
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972): अनुसूची-I
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से अगरिया समुदाय कौन है? (2009) (a) आंध्र प्रदेश का एक पारंपरिक ताड़ी निकालने वाला समुदाय उत्तर: d |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 24 जुलाई, 2023
बाल गंगाधर तिलक जयंती
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने 23 जुलाई, 2023 को बाल गंगाधर तिलक को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है।
- 23 जुलाई, 1856 को जन्मे बाल गंगाधर तिलक एक स्वतंत्रता सेनानी, वकील और शिक्षाविद् थे जिन्हें लोकमान्य तिलक के नाम से जाना जाता है।
- वर्ष 1884 में डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी के संस्थापक और उन्होंने वर्ष 1885 में फर्ग्यूसन कॉलेज की भी स्थापना की।
- तिलक ने स्व-शासन या स्वराज्य की आवश्यकता पर बल दिया तथा उनका लोकप्रिय नारा था- "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा!"
- तिलक, वर्ष 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (Indian National Congress- INC) में शामिल हुए और वर्ष 1907 में सूरत विभाजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा पूर्ण स्वराज या स्वराज्य की वकालत की।
- उन्होंने भारतीय आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिये स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन का प्रचार किया।
- तिलक ने अप्रैल 1916 में बेलगाम में अखिल भारतीय होम रूल लीग (All India Home Rule League) की स्थापना की, जिसका लक्ष्य वर्ष 1916 में लखनऊ समझौते के माध्यम से हिंदू-मुस्लिम एकता था।
- इन्होंने मराठी भाषा में केसरी तथा अंग्रेज़ी भाषा में मराठा नामक समाचार पत्रों का प्रकाशन किया तथा वेदों पर ‘गीता रहस्य’ और ‘आर्कटिक होम’ नामक पुस्तकें लिखीं।
- भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले बाल गंगाधर तिलक का 1 अगस्त, 1920 को निधन हो गया।
प्रतिहार शासक मिहिर भोज
हरियाणा के कैथल ज़िले में 9वीं सदी के शासक सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण को लेकर उठे विवाद के कारण राजपूत समुदाय ने बड़े पैमाने पर बहिष्कार किया है।
- मिहिर भोज या भोज प्रथम (836 - 885 ई.) प्रतिहार वंश का सबसे महान शासक था।
- मिहिर भोज ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया था। वह विष्णु का भक्त था, इसलिये विष्णु के सम्मान में उसने वराह तथा प्रभास जैसी उपाधियाँ धारण की थीं।
- मिहिर भोज की उपलब्धियों का वर्णन उसके ग्वालियर प्रशस्ति शिलालेख में किया गया है।
और पढ़ें… प्रतिहार शासक मिहिर भो
कैनबिस मेडिसिन परियोजना
हाल ही में भारत सरकार ने कैनबिस मेडिसिन परियोजना की घोषणा की है। CSIR-IIIM जम्मू द्वारा शुरू की गई यह शोध परियोजना भारत में अपनी तरह की पहली परियोजना है तथा यह भारत सरकार और एक कनाडाई फर्म के बीच सहयोग का प्रतिनिधित्व करती है। इसका उद्देश्य कैनबिस की औषधीय क्षमता का पता लगाना है जिससे न्यूरोपैथी, कैंसर तथा मिर्गी के रोगियों को लाभ होगा। चिकित्सीय निहितार्थों के अतिरिक्त यह परियोजना जम्मू और कश्मीर में निवेश को भी बढ़ावा देगी जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
और पढ़ें… न्यूरोपैथी, कैंसर, मिर्गी
चंद्रशेखर आजाद
- 23 जुलाई को हम भारत के एक प्रतिष्ठित और निडर स्वतंत्रता सेनानी, चंद्र शेखर आज़ाद की जयंती मनाते हैं।
- वर्ष 1906 में भाभरा गाँव (अब मध्य प्रदेश के अलीराजपुर ज़िले में) में जन्मे आज़ाद 15 वर्ष की छोटी उम्र में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी अवज्ञा के प्रतीक के रूप में "आजाद" नाम अपनाया।
- वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के एक प्रमुख सदस्य बन गए, जो औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष के लिये समर्पित एक क्रांतिकारी समूह था।
- आज़ाद काकोरी ट्रेन डकैती सहित प्रतिरोध के साहसिक कार्यों में भी शामिल थे।
- अपने संगठनात्मक कौशल और भेष बदलने में महारत के चलते आज़ाद ने कभी भी जीवित नहीं पकड़े जाने की प्रतिज्ञा ली। 27 फरवरी, 1931 को पुलिस के साथ भीषण गोलीबारी में उनकी मृत्यु हो गई।
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चंद्र शेखर आज़ाद ,असहयोग आंदोलन,हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA)