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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 24 Jul, 2020
  • 23 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 24 जुलाई, 2020

भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र

Largest Solar Power Plant of Indian Navy

हाल ही में भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला (Indian Naval Academy, Ezhimala) में तीन मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र की शुरुआत की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • यह भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र है।
  • यह वर्ष 2022 तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा लक्ष्य प्राप्त करने से संबंधित भारत सरकार के ‘नेशनल सोलर मिशन’ पहल के अनुरूप है।  
  • इस सौर ऊर्जा संयंत्र का अनुमानित जीवन-काल 25 वर्ष है। इस संयंत्र के लिये सभी उपकरणों की आपूर्ति स्थानीय स्तर पर की गई है जिसमें नवीनतम तकनीक पर आधारित 9180 अत्यधिक कुशल मोनोक्रिस्टलाइन (Monocrystalline) सौर पैनल भी हैं।

मोनोक्रिस्टलाइन (Monocrystalline) सौर पैनल:

  • मोनोक्रिस्टलाइन जिसे ‘एकल क्रिस्टलीय सिलिकॉन सौर पैनल’ भी कहा जाता है, अपने बाहरी काले रंग के कारण आसानी से पहचानने योग्य होते हैं।
  • ये ‘बेलनाकार सिलिकॉन सिल्लियों’ (Cylindrical Silicon Ingots) से बने होते हैं जिन्हें वेफर्स (Wafers) के रूप में काटा जाता है और ये उच्च दक्षता वाले होते है। 
  • इनमें सूर्य विकिरण को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने की क्षमता होती है।

पॉलीक्रिस्टलाइन (Polycrystalline) सौर पैनल:

  • पॉलीक्रिस्टलाइन को ‘बहु-क्रिस्टलीय सौर पैनल’ के रूप में भी जाना जाता है। मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल के विपरीत इनके निर्माण के लिये पिघला हुआ सिलिकॉन एक वर्गाकार आकार में ढाला जाता है।
  • फिर इस सिलिकॉन को ठंडा करके पॉलीक्रिस्टलाइन आकार बनाते हुए चौकोर वेफर्स (Wafers) में काटा जाता है।
  • इस सौर ऊर्जा परियोजना को ‘केरल राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड’ (Kerala State Electronics Development Corporation Ltd- KELTRON) द्वारा निष्पादित किया गया है। 

महत्त्व:

  • यह सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में नौसेना स्टेशन, एझिमाला की मदद करेगी। 
  • यह भारतीय नौसेना अकादमी द्वारा स्वच्छ एवं हरित वातावरण की दिशा में की गई विभिन्न पहलों में से एक है। 
  • इस संयंत्र से उत्पादित अतिरिक्त बिजली को केरल राज्य विद्युत बोर्ड (Kerala State Electricity Board) के इलेक्ट्रीसिटी ग्रिड में भेजा जाएगा।  

Bihar-PCS


परिचालन मार्ग 

Operation Routes

भारत सरकार के पोत परिवहन मंत्रालय (Ministry of Shipping) ने भारतीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दक्षिण-पश्चिम समुद्री क्षेत्र में व्यापारिक जहाज़ों और मछली पकड़ने वाले जहाज़ों के परिचालन मार्गों (Operation Routes) को अलग कर दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • पोत परिवहन मंत्रालय ने सुरक्षा एवं नेवीगेशन की दक्षता को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। 
  • इन नए मार्गों से संबंधित नियम 1 अगस्त, 2020 से लागू होंगे।
  • भारत सरकार का यह निर्णय जहाज़ों के टकराव की घटनाओं को भी कम करेगा और समुद्री पर्यावरण के संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ-साथ समुद्री यातायात के आसान परिचालन को सुनिश्चित करेगा।
    • गौरतलब है कि भारत सरकार भारतीय समुद्री क्षेत्र में आसान नेवीगेशन सुनिश्चित करने पर ज़ोर दे रही है।  
  • उल्लेखनीय है कि देश के दक्षिण-पश्चिम तट पर अरब सागर से होकर कई व्यापारिक जहाज़ गुजरते हैं और उसी क्षेत्र में मछली पकड़ने वाले जहाज़ भी परिचालन करते हैं। यह क्षेत्र व्यस्त मार्गों में से एक है जो व्यापारिक जहाज़ों और मछली पकड़ने वाले जहाज़ों के टकराने से दुर्घटनाओं का कारण बनता है।

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बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती

Birth Anniversaries of Bal Gangadhar Tilak and Chandra Shekhar Azad

भारत के उपराष्ट्रपति ने महान स्वतंत्रता सेनानियों बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नागरिकों से कहा कि वे इस महान देश के लिये उनके सपनों को साकार करने की दिशा में प्रयास करते रहें।

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प्रमुख बिंदु:

  • उपराष्ट्रपति ने युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिये प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेताओं एवं स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, देशभक्ति एवं वीरता की कहानियों पर स्कूली पुस्तकों में अधिक ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। 

बाल गंगाधर तिलक: 

  • बाल गंगाधर तिलक (केशव गंगाधर तिलक) का जन्म 23 जुलाई, 1856 को वर्तमान महाराष्ट्र (तब बॉम्बे प्रेसिडेंसी) के रत्नागिरी ज़िले में हुआ था।
  • ये एक विद्वान, गणितज्ञ, दार्शनिक, पत्रकार, समाज सुधारक एवं उग्र राष्ट्रवादी थे।
  • औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा प्रायः बाल गंगाधर तिलक को ‘भारतीय अशांति के जनक’ (Father of the Indian Unrest) के रूप में संदर्भित किया जाता है किंतु वे 'स्वराज' की बात करने वाले पहले एवं सबसे मज़बूत अधिवक्ताओं में से एक थे।
  • सर वैलेंटाइन शिरोल ने तिलक को ‘भारतीय अशांति का जनक’ कहा था।   
  • उनका प्रसिद्ध उदघोष ‘स्वराज मेरा जन्म अधिकार है और हम इसको लेकर रहेंगें’ भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों के लिये एक शक्तिशाली स्पष्टीकरण आह्वान के रूप में काम आया।
  • तिलक ने राष्ट्रीय भावना को मज़बूत करने और इसे शिक्षित अभिजात्य वर्ग के दायरे से सामान्य जनमानस के बीच ले जाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जैसे- भगवान गणेश की पूजा को सार्वजनिक गणेशोत्सव जैसे भव्य सार्वजनिक कार्यक्रमों में परिवर्तित करना, शिवाजी महोत्सव आदि।
  • तिलक ने ‘केसरी’ और ‘द मराठा’ नामक दो साप्ताहिक समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों में राजनीतिक चेतना को जागृत करने का प्रयास किया।
  • वर्ष 1908 में तिलक को ‘केसरी’ में प्रकाशित लेखों के आधार पर राजद्रोह का मुक़दमा चलाकर 6 वर्ष के कारावास की सजा देकर मांडले जेल (बर्मा) भेज दिया गया था। जिसके विरोध स्वरूप बंबई में कपड़ा मिल मज़दूरों ने देश में पहली राजनीतिक हड़ताल की थी।
  • मांडले जेल में ही उन्होंने ‘गीता रहस्य’ नामक पुस्तक लिखी थी।     
  • तिलक वर्ष 1884 में स्थापित की गई ‘डेक्कन एजुकेशन सोसायटी’ (Deccan Education Society) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और वे शिक्षा को लोकतांत्रिक एवं उदारवादी विचारों के प्रसार में एक गुणक बल के रूप में देखते थे।
  • बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु 1 अगस्त, 1920 को हुई थी।  

चंद्रशेखर आज़ाद:

  • चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के वर्तमान अलीराजपुर ज़िले के भाभरा गाँव में हुआ था।
  • अपनी वीरता और नि:स्वार्थता के लिये प्रसिद्ध एक महान देशभक्त चंद्रशेखर आज़ाद को बहुत कम उम्र में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल होने का अवसर मिला था।
  • भगत सिंह सहित कई युवा स्वतंत्रता सेनानियों के संरक्षक, दार्शनिक एवं मार्गदर्शक के रूप में चंद्रशेखर आज़ाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रेरणादायक युवा नेताओं में से एक थे।
  • उनकी सर्वोच्च नेतृत्व कौशल एवं संगठनात्मक क्षमता ने उन्हें ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HRA) को ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HRSA) के रूप में पुनर्गठित करने और उसे मज़बूत बनाने में मदद की।

हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HRA):

  • देश में उचित ढंग से क्रांतिकारी आंदोलन का संचालन करने के उद्देश्य से अक्तूबर 1924 में युवा क्रांतिकारियों ने कानपुर में एक सम्मेलन बुलाया और ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HRA) नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की।
  • इसके संस्थापक सदस्यों में शचींद्र सान्याल (अध्यक्ष) राम प्रसाद बिस्मिल, जोगेश चंद्र चटर्जी और चंद्रशेखर आज़ाद थे।
  • इस संस्था द्वारा 9 अगस्त, 1925 को उत्तर रेलवे के लखनऊ-सहारनपुर संभाग के काकोरी नामक स्थान पर ‘आठ डाउन लखनऊ-सहारनपुर पैसेंजर ट्रेन’ पर डकैती डाल कर सरकारी खजाना लूटा गया था। यह घटना काकोरी कांड के नाम से प्रसिद्ध हुई।       

हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन(HRSA):

  • वर्ष 1928 में चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्त्व में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HRSA) की स्थापना की गई थी। 
  • इसका उद्देश्य भारत में एक समाजवादी गणतंत्रवादी राज्य की स्थापना करना था।       
  • 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद (प्रयागराज) के अल्फ्रेड पार्क में चंद्रशेखर आज़ाद की मृत्यु हो गई। 

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कृष्णापट्टनम पोर्ट कंपनी लिमिटेड

Krishnapatnam Port Company Limited

हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) ने ‘अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड’ (Adani Ports and Special Economic Zone Limited) द्वारा ‘कृष्णापट्टनम पोर्ट कंपनी लिमिटेड’ (Krishnapatnam Port Company Limited) के अधिग्रहण को मंज़ूरी दी है।

Krishnapatnam

प्रमुख बिंदु:

  • प्रस्तावित संयोजन में ‘अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड’ (अडानी पोर्ट्स) द्वारा कृष्णापट्टनम पोर्ट कंपनी लिमिटेड’ में इक्विटी शेयर होल्डिंग के साथ प्रबंधन नियंत्रण के अधिग्रहण की परिकल्पना की गई है।

अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड’ (अडानी पोर्ट्स):  

  • यह भारत का सबसे बड़ा निजी मल्टी-पोर्ट ऑपरेटर (Multi-port Operator) है।
  • अडानी पोर्ट्स एकीकृत पोर्ट अवसंरचना सेवा प्रदाता है जो वर्तमान में छह तटीय राज्यों- गुजरात, गोवा, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा के दस घरेलू बंदरगाहों पर मौज़ूद है। 
  • यह अधिग्रहणकर्त्ता लॉजिस्टिक्स चेन (अर्थात् जहाज़ों के प्रबंधन से लेकर जहाज़ों के ठहरने का स्थान, जहाज़ संचालन, कर्षण, लंगर डालने की जगह, सामानों के रखरखाव, आतंरिक परिवहन, भंडारण एवं संचालन, प्रोसेसिंग तथा सड़क या रेल द्वारा अंतिम निकासी) का प्रबंधन करता है।

कृष्णापट्टनम पोर्ट कंपनी लिमिटेड

(Krishnapatnam Port Company Limited- KPCL):

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  • कृष्णापट्टनम पोर्ट’ जिसे KPCL के नाम से भी जाना जाता है, आंध्र प्रदेश के नेल्लोर ज़िले में स्थित भारत के पूर्वी तट पर एक निजी तौर पर विकसित किया गया डीप वाटर पोर्ट (Deep Water Port) है।
  • यह चेन्नई पोर्ट के उत्तर में 190 किलोमीटर और नेल्लोर शहर से 18 किलोमीटर पूर्व में स्थित है।
  • KPCL आंध्र प्रदेश के कृष्णापट्टनम में गहरे जल के बंदरगाह को विकसित करने तथा संचालित करने का कार्य कर रही है। 
  • KPCL का आंध्र प्रदेश सरकार के साथ वाणिज्यिक संचालन शुरू होने की तारीख से 30 वर्ष की अवधि के लिये ‘बिल्ड-ऑपरेट-शेयर-ट्रांसफर (Build-Operate-Share-Transfer) के आधार पर रियायती समझौता हुआ है।

उल्लेखनीय है कि कृष्णापट्टनम बंदरगाह ऐतिहासिक रूप से विजयनगर साम्राज्य से संबंधित है। इस बंदरगाह का महत्त्व कृष्णदेवराय के शासनकाल में अधिक बढ़ गया था इसलिये इसका नाम ‘कृष्णापट्टनम’ रखा गया।


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 24 जुलाई, 2020

रंजन गोगोई: विदेश मामलों की स्थाई समिति के सदस्य

हाल ही में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) को राज्यसभा में विदेश मामलों की स्थाई समिति के सदस्य के रूप में नामित किया गया है, जबकि राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ग्रहण करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा (H. D. Deve Gowda) को रेलवे संबंधी समिति में शामिल किया गया है। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को मानव संसाधन विकास से संबंधित संसदीय समिति में शामिल किया गया है। राज्यसभा की स्थाई समिति के नए सदस्यों के नामों की घोषणा कुल 61 नवनिर्वाचित सदस्यों में से 45 सदस्यों द्वारा राज्यसभा में शपथ लेने के एक दिन बाद सभापति वेंकैया नायडू द्वारा की गई, जबकि शेष 16 सदस्य अपनी संबंधित समिति की बैठक में शपथ लेने के बाद शामिल हो सकेंगे। गौरतलब है कि संसद में कार्य की बेहद अधिकता को देखते हुए वहाँ प्रस्तुत सभी विधेयकों पर विस्तृत चर्चा करना संभव नहीं हो पाता, अतः संसदीय समितियों का प्रयोग एक मंच के रूप में किया जाता है, जहाँ प्रस्तावित कानूनों पर चर्चा की जाती है। समितियों की चर्चाएँ ‘बंद दरवाज़ों के भीतर’ होती हैं और उसके सदस्य अपने दल के सिद्धांतों से भी बंधे नहीं होते, जिसके कारण वे किसी विषय विशेष पर खुलकर अपने विचार रख सकते हैं। आमतौर पर संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं: (1) स्थायी समितियाँ और (2) अस्थायी समितियाँ या तदर्थ समितियाँ। इसके अलावा कुछ विभागीय समितियाँ भी होती हैं, जिनमें अधिकतम 31 सदस्य होते हैं, इनमें से 21 सदस्यों का मनोनयन स्पीकर द्वारा एवं 10 सदस्यों का मनोनयन राज्यसभा के सभापति द्वारा किया जा सकता है। 

अमला शंकर

24 जुलाई, 2020 को प्रसिद्ध नृत्यांगना अमला शंकर (Amala Shankar) का 101 वर्ष की आयु में कोलकाता में निधन हो गया है। अमला शंकर का जन्म 27 जून, 1919 को जसोर (वर्तमान बांग्लादेश में स्थित) में अविभाजित बंगाल में हुआ था, अमला शंकर ने 1930 के दशक में नृत्य करना सीखा था, जब वे पहली बार फ्रांँस में वर्ष 1930 में अपने गुरु और भावी पति उदय शंकर (Uday Shankar) से मिली थीं। ध्यातव्य है कि उदय शंकर भी एक प्रसिद्ध नर्तक और कोरियोग्राफर के रूप में जाने जाते थे। जल्द ही वे उदय शंकर की नृत्य मंडली में शामिल हो गईं और दुनिया भर में अपनी बेहतरीन कला का प्रदर्शन करने लगीं और इस तरह उनके जीवन की एक ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत हुई। विदित हो कि अमला शंकर ने अपना पहला स्टेज प्रदर्शन वर्ष 1931 में बेल्ज़ियम में किया था। कला के क्षेत्र में अमला शंकर के योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 2011 में बंगाल सरकार ने बंगा विभूषण (Banga Vibhushan) से सम्मानित किया था, वहीं वर्ष 2012 में उन्हें नृत्य में उनके योगदान के लिये संगीत नाटक अकादमी टैगोर रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। 

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राष्‍ट्रीय प्रसारण दिवस

भारत में प्रत्येक वर्ष 23 जुलाई को राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के रूप में मनाया जाता है, गौरतलब है कि इसी ही के दिन वर्ष 1927 में पहली बार मुंबई स्टेशन से इंडियन ब्रोडकास्टिंग कंपनी (Indian Broadcasting Company) के नाम से एक निजी कंपनी ने देश में रेडियो प्रसारण शुरू किया था। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत में रेडियो और प्रसारण (Broadcasting) की एक लंबी परंपरा है, जिसका इतिहास भारतीय आज़ादी से भी पुराना है। इस अवसर पर प्रसार भारती (Prasar Bharati) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) शशि शेखर ने कहा कि प्रसारण ने बीते कई दशकों में भारत के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक माध्यम के रूप में प्रसारण (Broadcasting) भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में अभिव्यक्ति की आज़ादी का एक सशक्त उदाहरण है। उल्लेखनीय है कि ज्ञान, सूचना और मनोरंजन के एक प्रभावी तथा विश्वसनीय माध्यम के रूप में रेडियो ने भी भारतीय संस्कृति और परंपरा के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। 

झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश

कोरोना वायरस (COVID-19) के मामले में लगातार वृद्धि के बीच झारखंड मंत्रिमंडल ने झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश (Jharkhand Contagious Disease Ordinance) को मंज़ूरी दे दी है। गौरतलब है कि झारखंड सरकार के इस नए अध्यादेश में कोरोना वायरस (COVID-19) के रोकथाम संबंधी उपायों का उल्लंघन करने वाले लोगों को 1 लाख रुपए तक का जुर्माना और 2 वर्ष तक के कारावास तक की सज़ा दी जाएगी। इस अध्यादेश के लागू होने के पश्चात् सोशल डिस्टेंसिंग संबंधी नियमों का पालन न करने, सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का प्रयोग न करने, दफ्तरों और दुकानों के लिये जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वाले लोगों के विरुद्ध राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई की जाएगी। ध्यातव्य है कि झारखंड अकेला ऐसा राज्य नहीं है, जहाँ अनिवार्य रूप से मास्क न पहनने पर जुर्माना लगाया गया है। झारखंड के अतिरिक्त कई अन्य राज्यों और शहरों ने भी इस संबंध में जुर्माने का प्रावधान किया है। इन राज्यों और शहरों में- केरल, अहमदाबाद, हरियाणा, पुणे, दिल्ली, चंडीगढ़ और बिहार आदि शामिल हैं।


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