‘प्रलय’ मिसाइल
हाल ही में ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) ने एक नई स्वदेशी रूप से विकसित सतह-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल 'प्रलय' का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया है।
- मिसाइल का परीक्षण ‘डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वीप’ (ओडिशा) के तट से किया गया।
प्रमुख बिंदु
- प्रलय के विषय में: ‘प्रलय’ भारत की पहली पारंपरिक अर्द्ध-बैलिस्टिक मिसाइल है और उत्तरी या पश्चिमी सीमाओं से किसी भी पारंपरिक मिसाइल हमले का जवाब देने में सक्षम है।
- एक अर्द्ध-बैलिस्टिक मिसाइल का प्रक्षेपवक्र कम होता है और यद्यपि यह काफी हद तक बैलिस्टिक मिसाइल के समान ही होती है, यह उड़ान के दौरान ‘मनूवर’ (Maneuver) में सक्षम होती है।
- मिसाइल को इस तरह से विकसित किया गया है कि यह इंटरसेप्टर मिसाइलों को हराने में सक्षम है और हवा में एक निश्चित सीमा को कवर करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता भी रखती है।
- यह एक ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर और कई नई तकनीकों से संचालित है।
- मिसाइल गाइडेंस प्रणाली में अत्याधुनिक नेविगेशन प्रणाली और एकीकृत एवियोनिक्स शामिल हैं।
- पृष्ठभूमि: यह ‘प्रहार’ मिसाइल कार्यक्रम से व्युत्पन्न है, जिसका पहली बार वर्ष 2011 में परीक्षण किया गया था।
- ‘प्रहार’ सतह-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 150 किलोमीटर है।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य अनगाइडेड पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर और निर्देशित पृथ्वी मिसाइल वेरिएंट के बीच के मौजूदा अंतराल को कम करना है।
- रेंज: मिसाइल की रेंज 150-500 किलोमीटर है और इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है।
- ‘प्रलय’ सेना की सूची में सतह-से-सतह पर मार करने वाली सबसे लंबी दूरी की मिसाइल होगी।
- सेना के पास अपने शस्त्रागार में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल भी है, जिसकी सीमा 290 किलोमीटर से अधिक है।
- ‘प्रलय’ सेना की सूची में सतह-से-सतह पर मार करने वाली सबसे लंबी दूरी की मिसाइल होगी।
- महत्त्व: यह सामरिक युद्धक्षेत्र की गतिशीलता को पूरी तरह से बदल देगा और भारत के पास लंबी दूरी की दो पारंपरिक मिसाइलें होंगी।
- ब्रह्मोस एक क्रूज़ मिसाइल विकल्प होगा, जबकि ‘प्रलय’ एक बैलिस्टिक मिसाइल विकल्प होगा।
बैलिस्टिक मिसाइल बनाम क्रूज़ मिसाइल
बैलिस्टिक मिसाइल |
क्रूज़ मिसाइल |
इसमें प्रक्षेप्य गति और प्रक्षेपवक्र में यात्रा गुरुत्वाकर्षण, वायु प्रतिरोध तथा कोरिओलिस बल पर निर्भर करती है। |
यह तुलनात्मक रूप से गति के लिये सीधे प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करती है। |
पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर जाती है और पुनः उसमें प्रवेश करती है। |
इसका उड़ान पथ पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर ही होता है। |
लंबी दूरी की मिसाइलें (300 किमी. से 12,000 किमी. तक) |
कम दूरी की मिसाइलें (1000 किमी. तक की रेंज) |
उदाहरण: पृथ्वी-I, पृथ्वी-II, अग्नि-I, अग्नि-II और धनुष मिसाइलें। |
उदाहरण: ब्रह्मोस मिसाइल |
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 दिसंबर, 2021
राष्ट्रीय गणित दिवस
प्रत्येक वर्ष 22 दिसंबर को देश में राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है। यह देश के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को समर्पित है जिनका जन्म 22 दिसंबर, 1887 को हुआ था। गणित का मानवता के विकास में बड़ा महत्त्व है। इस महत्त्व के प्रति लोगों के बीच जागरुकता पैदा करना राष्ट्रीय गणित दिवस का मुख्य उद्देश्य है। इलाहाबाद स्थित सबसे पुरानी विज्ञान अकादमी नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस इंडिया प्रत्येक वर्ष गणित के अनुप्रयोगों और रामानुजन पर कार्यशाला का आयोजन करती है। गणित में रामानुजन का सबसे बड़ा योगदान हार्डी-रामानुजन नंबर को माना जाता है। यह सबसे छोटी संख्या है जिसको दो अलग-अलग तरीकों से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है।” तब से 1729 को उनके सम्मान में हार्डी-रामानुजन नंबर कहा जाता है।
मुख्यमंत्री वायु स्वास्थ्य सेवा-एयर एम्बुलेंस
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य के दुर्गम और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने हेतु ‘मुख्यमंत्री वायु स्वास्थ्य सेवा-एयर एम्बुलेंस’ की शुरुआत की है। इस योजना के तहत पहले चरण में राज्य के चार ज़िलों- मलकानगिरी, नबरंगपुर, कालाहांडी और नुआ पाडा के लोगों के लिये निशुल्क सेवाएँ प्रदान की जाएंगी। इसके तहत विशेषज्ञ डाक्टर ज़िला मुख्यालयों के अस्पतालों से रोगियों तक पहुँचेंगे। राज्य के अन्य ज़िलों को चरणबद्ध तरीके से कार्यक्रम के तहत शामिल किया जाएगा। इसे स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अंतिम व्यक्ति तक उत्कृष्ट सेवा प्रदान करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। इस सेवा के माध्यम से समाज के कमज़ोर वर्गों को लाभ मिल सकेगा। यह सेवा स्वास्थ्य सेवाओं में मौजूद अंतराल को कम करने हेतु महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। यह प्रमुख रूप से राज्य के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लोगों की सेवा करेगी।
राष्ट्रीय किसान दिवस
समाज के विकास में किसानों के योगदान को रेखांकित करने के लिये भारत में प्रतिवर्ष 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस का आयोजन किया जाता है। भारत गाँवों का देश है, जहाँ की अधिकांश आबादी अपनी आजीविका के लिये प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। ऐसे में ‘राष्ट्रीय किसान दिवस’ भारत के आम नागरिकों को किसानों की समस्याओं को जानने और वार्ता करने का अवसर प्रदान करता है। यह दिवस भारत के पाँचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष में आयोजित किया जाता है। चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर, 1902 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले में हुआ था। प्रधानमंत्री के तौर पर चरण सिंह का कार्यकाल अल्प अवधि का रहा। वे दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तथा उन्होंने केंद्र सरकार में भी कई मंत्री पदों पर कार्य किया, साथ ही महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए किसानों के कल्याण के लिये कई योजनाएँ लागू कीं, उन्हें उत्तर प्रदेश ज़मींदारी उन्मूलन अधिनियम का प्रधान वास्तुकार माना जाता है। चरण सिंह ने ज़मींदारी उन्मूलन, भूमि सुधार और किसानों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने से संबंधित कई पुस्तकें भी लिखीं। किसानों के कल्याण में चौधरी चरण सिंह के योगदान को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 में इस दिवस की शुरुआत की थी।
राजधानी दिल्ली में पहला ‘शिक्षक विश्वविद्यालय’
दिल्ली कैबिनेट ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी में पहला ‘शिक्षक विश्वविद्यालय’ स्थापित करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है। इस संबंध में घोषणा करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य बेहतर रूप से प्रशिक्षित और योग्य शिक्षकों को तैयार करना है। शिक्षकों की एक नई और उच्च योग्यता प्राप्त पीढ़ी को विकसित करने के लिये यह विश्वविद्यालय ‘कक्षा-12’ के बाद चार वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम प्रस्तुत करेगा। इस कार्यक्रम में बीए और बीएड, बीएससी, बीएड, बीकॉम और बीएड जैसे विभिन्न पाठ्यक्रम शामिल किये जाएंगे। साथ ही विश्वविद्यालय में नामांकित छात्रों को प्रशिक्षण के उद्देश्यों से दिल्ली सरकार के स्कूलों से जोड़ा जाएगा, ताकि वे क्रियात्मक अनुसंधान पर ज़ोर देने के साथ व्यावहारिक अनुभव प्राप्त कर सकें।