प्रिलिम्स फैक्ट्स (23 Nov, 2020)



प्रिलिम्स फैक्ट्स: 23 नवंबर, 2020

होयसल मंदिर

Hoysala Temple

हाल ही में कर्नाटक के हासन के पास डोड्डागाड्डावल्ली (Doddagaddavalli) में ऐतिहासिक होयसल मंदिर (Hoysala Temple) में देवी काली (Kali) की एक मूर्ति क्षतिग्रस्त पाई गई।

Hoysala-Temple

प्रमुख बिंदु: 

होयसल वास्तुकला के बारे में

  • होयसल वास्तुकला 11वीं एवं 14वीं शताब्दी के बीच होयसल साम्राज्य के अंतर्गत विकसित एक वास्तुकला शैली है जो ज़्यादातर दक्षिणी कर्नाटक क्षेत्र में केंद्रित है।
  • होयसल मंदिर, हाइब्रिड या बेसर शैली के अंतर्गत आते हैं क्योंकि उनकी अनूठी शैली न तो पूरी तरह से द्रविड़ है और न ही नागर।
  • होयसल मंदिरों में खंभे वाले हॉल के साथ एक साधारण आंतरिक कक्ष की बजाय एक केंद्रीय स्तंभ वाले हॉल के चारों ओर समूह में कई मंदिर शामिल होते हैं और यह संपूर्ण संरचना एक जटिल डिज़ाइन वाले तारे के आकार में होती है।
    • इन मंदिरों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये मंदिर एक वर्गाकार मंदिर के आधार पर प्रोजेक्शन कोणों के साथ बेहद जटिल संरचना का निर्माण करते हैं जिससे इन मंदिरों का विन्यास एक तारे जैसा दिखने लगता है और इस तरह यह संपूर्ण संरचना एक तारामय योजना (Stellate-Plan) के रूप में जानी जाती है।   
  • चूँकि ये मंदिर शैलखटी (Steatite) चट्टानों से निर्मित हैं जो अपेक्षाकृत एक नरम पत्थर होता है जिससे कलाकार मूर्तियों को जटिल रूप देने में सक्षम होते थे। इसे विशेष रूप से देवताओं के आभूषणों में देखा जा सकता है जो मंदिर की दीवारों को सुशोभित करते हैं।
  • ये अपने तारे जैसी मूल आकृति एवं सजावटी नक्काशियों के कारण अन्य मध्यकालीन मंदिरों से भिन्न हैं।
  • कुछ प्रसिद्ध मंदिर हैं: 
    • होयसलेश्वर मंदिर (Hoysaleshvara Temple) जो कर्नाटक के हलेबिड में है, इसे 1150 ईस्वी में होयसल राजा द्वारा काले शिष्ट पत्थर (Dark Schist Stone) से बनवाया गया था।
    • कर्नाटक के सोमनाथपुरा में चेन्नेकेशवा मंदिर (Chennakeshava Temple) जिसे नरसिम्हा III की देखरेख में 1268 ईस्वी के आसपास बनाया गया था।   
    • विष्णुवर्धन द्वारा निर्मित कर्नाटक के हसन ज़िले के बेलूर में केशव मंदिर (Kesava Temple)।

सिम्बेक्स-20

SIMBEX-20

भारतीय नौसेना, अंडमान सागर (Andaman Sea) में 23 से 25 नवंबर, 2020 तक 27वें भारत-सिंगापुर द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास सिम्बेक्स-20 (SIMBEX-20) की मेज़बानी करेगी।

SIMBEX-20

प्रमुख बिंदु: 

  • भारतीय नौसेना और ‘रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर नेवी’ (Republic of Singapore Navy- RSN) के बीच वर्ष 1994 से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले अभ्यास ‘सिम्बेक्स’ शृंखला का उद्देश्य आपसी अंतर-संचालन को बढ़ाना और एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं को सीखना है। 
  • सिम्बेक्स-2020 में चेतक हेलीकॉप्टर के साथ विध्वंसक ‘राणा’ और स्वदेश निर्मित कोरवेट कामोर्टा (Kamorta) व करमुक (Karmuk) समेत भारतीय नौसेना के जहाज़ शामिल होंगे। इसके अलावा भारतीय नौसेना की पनडुब्बी सिंधुराज और समुद्री टोही विमान पी8आई भी इस अभ्यास में भाग लेंगे।
  • ‘फाॅर्मीडेबल’ (Formidable) श्रेणी के फ्रिगेट्स ‘इंट्रेपीड’ (Intrepid) व ‘स्टेडफास्ट’ (Steadfast), एस70बी हेलीकॉप्टर तथा ‘एंड्योरेंस’ (Endurance) श्रेणी के लैंडिंग शिप टैंक ‘इनडेवर’ (Endeavour) अभ्यास में ‘रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर नेवी’ (Republic of Singapore Navy- RSN) का प्रतिनिधित्त्व करेंगे।

अंडमान सागर (Andaman Sea): 

Bay-of-Bengal

  • अंडमान सागर उत्तर-पूर्वी हिंद महासागर का एक सीमांत सागर है जो मर्तबान की खाड़ी के साथ-साथ म्याँमार एवं थाईलैंड के तट से घिरा हुआ है और यह मलय प्रायद्वीप के पश्चिम में है। 
    • अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह द्वारा अंडमान सागर, बंगाल की खाड़ी से अलग होता है।
      • बंगाल की खाड़ी में 10 डिग्री चैनल अंडमान द्वीप और निकोबार द्वीप समूह को एक-दूसरे से अलग करता है।
  • अंडमान सागर एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में चार देशों (भारत, म्याँमार, थाईलैंड, इंडोनेशिया) के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone) स्थापित हैं।

अनन्य आर्थिक क्षेत्र ( Exclusive Economic Zone-EEZ): 

  • EEZ बेसलाइन से 200 नॉटिकल मील की दूरी तक फैला होता है। इसमें तटीय देशों को सभी प्राकृतिक संसाधनों की खोज, दोहन, संरक्षण और प्रबंधन का संप्रभु अधिकार प्राप्त होता है।
  • म्याँमार से बहते हुए इरावदी नदी, अंडमान सागर में जाकर मिलती है।   

चांग’ई-5 प्रोब  

Chang’e-5 probe

पृथ्वी के उपग्रह ‘चंद्रमा’ से लूनार रॉक्स (Lunar Rocks) के नमूने लाने के लिये चीन नवंबर 2020 के अंत तक चंद्रमा पर एक मानव रहित अंतरिक्षयान ‘चांग’ई-5 प्रोब’ (Chang’e-5 Probe) भेजने की योजना बना रहा है। 

Chang’e-5-probe

प्रमुख बिंदु:

  • ‘चांग’ई-5 प्रोब’ जिसका नाम चंद्रमा की प्राचीन चीनी देवी के नाम पर रखा गया है, ऐसी सामग्री एकत्र करेगा जो वैज्ञानिकों को चंद्रमा की उत्पत्ति एवं निर्माण के बारे में समझने में अधिक मदद कर सके। 
  • यह मिशन जटिल मिशनों से आगे बढ़कर अंतरिक्ष से नमूने प्राप्त करने की चीन की क्षमता को भी दर्शाएगा।
    • यदि चीन का यह मिशन सफल होता है तो संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बाद चीन तीसरा ऐसा देश होगा जो चंद्रमा के नमूनों (Lunar Samples) को प्राप्त करेगा।
  • चीन का ‘चांग’ई-5 प्रोब’ ओशियनस प्रोसेलरम (Oceanus Procellarum) या ‘ओशियन ऑफ स्टॉर्म’ (Ocean of Storms) के नाम से जाने जाने वाले एक विशाल लावा मैदान से 2 किलोग्राम नमूने एकत्र करने का प्रयास करेगा।
  • उल्लेखनीय है कि चीन ने वर्ष 2030 तक मंगल से नमूने प्राप्त करने की भी योजना बनाई है।

लूना-2 (Luna 2): 

  • गौरतलब है कि वर्ष 1959 में सोवियत संघ ने चंद्रमा पर लूना 2 को उतारा था जो अन्य खगोलीय पिंड तक पहुँचने वाली पहली मानव निर्मित वस्तु थी, इसके बाद जापान और भारत सहित कुछ अन्य देशों ने चंद्र मिशन शुरू किया।   
  • सोवियत संघ ने 1970 के दशक में तीन सफल ‘रोबोटिक सैंपल रिटर्न मिशन’ शुरू किये थे। अंतिम लूना 24 (Luna 24) ने वर्ष 1976 में ‘मारे क्रिसियम’ (Mare Crisium) या ‘सी ऑफ क्राइसिस’ (Sea of Crises) से 170.1 ग्राम नमूने प्राप्त किये थे।

अपोलो मिशन: 

  • अपोलो मिशन के तहत जिसमें मनुष्य को चंद्रमा पर भेजा गया था, संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 1969 से वर्ष 1972 तक छह उड़ानों के माध्यम से 12 अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारा था जो 382 किलोग्राम चट्टानें एवं मिट्टी वापस लाए थे। 

प्लैटिपस

Platypus

ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय (University of New South Wales) के नेतृत्त्व में किये गए शोध के अनुसार, केवल 30 वर्षों में प्लैटिपस (Platypus) के आवास स्थल में 22% ह्रास हुआ है।

Platypus

प्रमुख बिंदु: 

  • शोध में पाया गया कि मरे-डार्लिंग बेसिन (Murray-Darling Basin) जैसे क्षेत्रों में इनकी संख्या में सबसे अधिक गिरावट देखी गई जहाँ प्राकृतिक नदी प्रणालियों को मनुष्यों द्वारा संशोधित कर दिया गया है।  
  • अंडे देने वाले इस स्तनपायी जीव के आवास स्थल में न्यू साउथ वेल्स (NSW) में 32%, क्वींसलैंड में 27% जबकि विक्टोरिया में 7% ह्रास हुआ है।
  • शोध में कहा गया है कि यदि नदियों पर बाँधों के निर्माण से नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित किया गया और क्षेत्र में सूखे की समस्या से प्रभावी तरीके से निपटने के लिये कोई समाधान न निकाला गया तो कुछ नदियों से प्लैटिपस की आबादी पूरी तरह से विलुप्त हो जाएगी। 

मर्रे-डार्लिंग बेसिन (Murray-Darling Basin):

Murray-Darling-Basin

  • मर्रे-डार्लिंग बेसिन दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के आंतरिक भाग में एक बड़ा भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें मर्रे नदी (ऑस्ट्रेलिया की सबसे लंबी नदी) और डार्लिंग नदी (मर्रे की एक दक्षिणी सहायक नदी तथा ऑस्ट्रेलिया की तीसरी सबसे लंबी नदी) की सहायक नदियों के बेसिन शामिल हैं।
  • मर्रे-डार्लिंग बेसिन, जिसमें ऑस्ट्रेलिया की सात सबसे लंबी नदियों में से छह शामिल हैं, ऑस्ट्रेलिया के सबसे महत्त्वपूर्ण कृषि क्षेत्रों में से एक है।      
  • प्लैटिपस की संख्या घटने का कारण:
    • नदियों पर बाँधों का निर्माण 
    • अति निष्कर्षण 
    • भूमि समाशोधन 
    • जल प्रदूषण 
    • जंगली कुत्तों एवं लोमड़ियों द्वारा शिकार 
  • यह शोध ऑस्ट्रेलियाई संरक्षण फाउंडेशन (Australian Conservation Foundation- ACF) के सहयोग से ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के नेतृत्त्व में किया गया था।
  • ACF, WWF-ऑस्ट्रेलिया और ‘ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल’ ने अब संघीय (ऑस्ट्रेलिया) एवं NSW पर्यावरण कानूनों के तहत प्लैटिपस को आधिकारिक तौर पर संकटग्रस्त (Threatened) श्रेणी में नामित किया है।

प्लैटिपस (Platypus):

  • प्लैटिपस पूर्वी ऑस्ट्रेलिया और तस्मानिया में पाया जाता है। यह एक स्तनधारी जीव है जो बच्चे को जन्म देने के बजाय अंडे देता है।
  • प्लैटिपस, ओरनिथोरिनचिडे (Ornithorhynchidae) परिवार की एकमात्र जीवित प्रजाति है। हालाँकि जीवाश्म रिकॉर्ड में अन्य संबंधित प्रजातियों का जिक्र किया गया है।
  • यह मोनोट्रेम (Monotreme) की पाँच विलुप्त प्रजातियों में से एक है। मोनोट्रेम जीवित स्तनधारियों के तीन मुख्य समूहों में से एक है इसके दो अन्य समूह हैं- प्लेसेंटल्स (यूथेरिया-Eutheria) और मार्सुपियल्स (मेटाथेरिया-Metatheria)।
  • यह एक ज़हरीला स्तनधारी जीव है तथा इसमें इलेक्ट्रोलोकेशन की शक्ति होती है, अर्थात् ये किसी जीव का शिकार उसके पेशी संकुचन द्वारा उत्पन्न विद्युत तरंगों का पता लगाकर करते हैं।
  • इसे अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में निकट संकटग्रस्त (Near Threatened) की श्रेणी में रखा गया है।

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 नवंबर, 2020

सौर ऊर्जा कपड़ा मिल

महाराष्ट्र के परभणी ज़िले में एशिया की पहली सौर ऊर्जा संचालित कपड़ा मिल शुरू की जाएगी। इस परियोजना के माध्यम से ‘जय भवानी महिला सहकारी कपड़ा मिल’ एशिया की पहली सौर ऊर्जा संचालित कपड़ा मिल बन जाएगी। इस परियोजना के चलते आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाली तमाम महिलाओं को रोज़गार के नए अवसर मिल सकेंगे। तीस एकड़ भूमि में फैली इस कपड़ा मिल में कपास से कपड़ा बनाने का कार्य किया जाएगा और इस कार्य के लिये स्वयं परभणी से ही उत्तम किस्म की कपास खरीदी जाएगी। ध्यातव्य है कि परभणी महाराष्ट्र का प्रमुख कपास उत्पादक ज़िला है। यहाँ कपास  उत्पादन को एक लाभदायक निवेश के रूप में देखा जाता है, यही कारण है कि इस क्षेत्र के अधिकांश किसान कपास की खेती करते हैं। इस परियोजना की लागत तकरीबन 100 करोड़ रुपए है और मिल के परिचालन से निश्चित रूप से ज़िले में औद्योगिक क्षेत्र को गति मिलेगी। इस मिल में बहुत सारी गतिविधियाँ संपन्न की जाएंगी, जिसमें कपास की जिनिंग, प्रेसिंग, बुनाई और कताई आदि शामिल हैं। 

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट हेतु खिलाड़ियों की न्यूनतम आयु

खिलाड़ियों की सुरक्षा में सुधार के लिये अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने नया नियम जारी करते हुए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने की न्यूनतम आयु निर्धारित कर दी है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) द्वारा जारी नियमों के मुताबिक, 15 वर्ष से कम उम्र के किसी भी खिलाड़ी को किसी भी पुरुष या महिला या अंडर-19 (U-19) अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य युवा खिलाड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने कहा कि अपवाद की स्थिति में कोई भी देश परिषद के समक्ष अपील कर सकता है। ऐसे खिलाड़ियों को अनुमति देते समय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके खेल के अनुभव और मानसिक विकास जैसे कारकों पर ध्यान दिया जाएगा, साथ ही यह भी देखा जाएगा कि खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के दबाव को झेलने में सक्षम है अथवा नहीं। ध्यातव्य है कि अब तक ऐसे केवल 3 ही मामले सामने आए हैं, जहाँ 15 वर्ष से कम उम्र के खिलाड़ियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व किया है, इसमें हसन रज़ा (पाकिस्तान), एम. घेरसिम (रोमानिया) और मीत भावसार (कुवैत) शामिल हैं।

गिरीश चंद्र मुर्मू

भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) गिरीश चंद्र मुर्मू को तीन वर्ष के कार्यकाल के लिये जिनेवा स्थित अंतर-संसदीय संघ (IPU) का बाह्य लेखापरीक्षक (External Auditor) चुना गया है। ध्यातव्य है कि भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) पूर्व में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों जैसे-  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) आदि के बाह्य लेखापरीक्षक के रूप में कार्य कर चुके हैं। बाह्य लेखापरीक्षक के रूप में भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) संगठन के संचालन में अधिक पारदर्शिता, दक्षता एवं प्रभावशीलता लाने में सहायता करेगा। अंतर-संसदीय संघ (IPU) अलग-अलग देशों की संसदों (Parliaments) का एक वैश्विक संगठन है, जिसकी शुरुआत वर्ष 1889 में एक छोटे समूह के रूप में हुई थी और वर्तमान में यह अलग-अलग देशों की संसदों के एक वैश्विक संगठन के रूप में विकसित हुआ है। वर्तमान में इस संगठन में कुल 179 सदस्य देश शामिल हैं।

तुंगभद्रा पुष्करालु

मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने तुंगभद्रा नदी के सम्मान में आयोजित 12 दिवसीय तुंगभद्रा पुष्करालु त्योहार की शुरुआत की है। इस त्योहार का आयोजन तब किया जाता है, जब बृहस्पति मकर राशि में प्रवेश करता है। यह त्योहार इस दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है कि इसका आयोजन प्रत्येक 12 वर्ष की अवधि में एक बार किया जाता है। ध्यातव्य है कि भारतीय उपमहाद्वीप में कई नदियाँ बहती हैं और उनमें से प्रत्येक का अपना विशिष्ट महत्त्व है।