प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 23 सितंबर, 2020
ज्योति जोत
Jyoti Jot
पिछले वर्ष करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) खुलने के बाद पहली बार 23 सितंबर, 2020 को सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के ज्योति जोत (पुण्यतिथि की प्रार्थना) को पाकिस्तान में उनके अंतिम विश्राम स्थल गुरुद्वारा दरबार साहिब (Gurdwara Darbar Sahib) में आयोजित किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- यह आयोजन 20 सितंबर, 2020 को शुरू हुआ और 23 सितंबर, 2020 को नगर कीर्तन के साथ ज़ीरो लाइन (भारत-पाकिस्तान सीमा) पर समाप्त हुआ।
- गुरु नानक देव की ज्योति जोत (पुण्यतिथि की प्रार्थना) का करतारपुर में बहुत महत्त्व है जो सिख धर्म के संस्थापक के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में जाना जाता है।
- माना जाता है कि गुरु नानक देव की मृत्यु 22 सितंबर, 1539 को करतारपुर में हुई थी।
- गुरु नानक देव की ज्योति जोत (पुण्यतिथि की प्रार्थना) का करतारपुर में बहुत महत्त्व है जो सिख धर्म के संस्थापक के अंतिम विश्राम स्थल के रूप में जाना जाता है।
- इस समारोह में पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा एवं सिंध से बड़ी संख्या में सिख/नानक नाम लेवा संगत (Nanak Naam Lewa Sangat) ने भाग लिया।
नानक नाम लेवा संगत (Nanak Naam Lewa Sangat):
- कोई भी व्यक्ति जो गुरु नानक देव के बताए मार्ग पर विश्वास करता है और जीवन में उसकी शिक्षाओं का पालन करता है चाहे वह किसी भी धर्म से संबंधित हो नानक नाम लेवा (Nanak Naam Lewa) या नानकपंथी (Nanakpanthi) कहलाता है।
- गुरु नानक देव जी ने एकता का संदेश दिया जिसके कारण विभिन्न धर्मों के लोग उनके अनुयायी बन गए। उनके दर्शन का मूल सार ‘सबना जिया का इक दाता’ (Sabhna jiya ka ik daata) अर्थात् जीवन देने वाला ईश्वर एक है, और ‘ना कोई हिंदू, ना कोई मुसलमान’।
- एक अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में 12-15 करोड़ नानकपंथी हैं।
गुरुद्वारा दरबार साहिब (Gurdwara Darbar Sahib):
- करतारपुर साहिब गुरुद्वारा या गुरुद्वारा दरबार साहिब पाकिस्तान में रावी नदी के किनारे बना है। पाकिस्तान के नारोवाल ज़िले में स्थित यह गुरुद्वारा भारत की सीमा से केवल 4 किलोमीटर दूर है।
गुरु नानक देव:
- गुरु नानक देव 10 सिख गुरुओं में से पहले गुरु और सिख धर्म के संस्थापक हैं।
- उनका जन्म वर्ष 1469 में ननकाना साहिब (वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है) में हुआ था
- उन्होंने भक्ति के 'निर्गुण' रूप की शिक्षा दी।
- उन्होंने अपने अनुयायियों को एक समुदाय में संगठित किया और सामूहिक पूजा (संगत) के लिये कुछ नियम बनाए।
- सिख धर्म के अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने खालसा (जिसका अर्थ है 'शुद्ध') पंथ की स्थापना की जो सैनिक-संतों का विशिष्ट समूह था। खालसा प्रतिबद्धता, समर्पण और सामाजिक चेतना के सर्वोच्च सिख गुणों को उजागर करता है।
- खालसा ऐसे पुरुष और महिलाएँ हैं जिन्होंने सिख बपतिस्मा समारोह में भाग लिया हो और जो सिख आचार संहिता एवं परंपराओं का सख्ती से पालन करते हैं तथा पंथ की पाँच निर्धारित भौतिक वस्तुओं – केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण धारण करते हैं।
युवाह: युवा कौशल पहल
YuWaah: Youth Skilling Initiative
20 जुलाई, 2020 को भारत सरकार के युवा मामले एवं खेल मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nations Children Fund- UNICEF) ने भारत में वैश्विक मल्टी-स्टेकहोल्डर प्लेटफॉर्म ‘युवाह: जनरेशन अनलिमिटेड’ (YuWaah: Generation Unlimited- GenU) की स्थापना करने के लिये ‘स्टेटमेंट ऑफ इंटेंट’ (Statement of Intent) पर हस्ताक्षर किये थे।
प्रमुख बिंदु:
- इस परियोजना के उद्देश्य हैं:
- युवा उद्यमियों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिये सफल उद्यमियों एवं विशेषज्ञों के माध्यम से उद्यमिता कक्षाएँ (ऑनलाइन एवं ऑफलाइन) आयोजित कराके युवाओं को प्रोत्साहित करना।
- 21वीं सदी के कौशल, जीवन कौशल, डिजिटल कौशल पर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन चैनलों के माध्यम से युवा लोगों को अपग्रेड करना और उनके उत्पादक जीवन एवं भविष्य में कार्य करने के लिये स्व-शिक्षण के माध्यम से उनका समर्थन करना।
- स्वरोज़गार को बढ़ावा देने के साथ रोज़गार के अवसरों से युवाओं को जोड़ने के लिये आकांक्षी आर्थिक अवसरों के साथ संबंध विकसित करना। इसके लिये अभिनव समाधान एवं प्रौद्योगिकी प्लेटफाॅर्मों के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा देना।
- युवाओं को कैरियर पोर्टल के साथ-साथ नौकरी पोर्टल के द्वारा आत्म-अन्वेषण सत्रों के माध्यम से कैरियर मार्गदर्शन सहायता प्रदान करना।
- इस परियोजना में युवा मामलों के विभाग की भूमिका युवा तकनीकी कार्य समूहों/कार्य बलों में भाग लेने के लिये उपयुक्त विशेषज्ञ प्रदान करना है।
ग्लोबल जनरेशन अनलिमिटेड
(Global Generation Unlimited):
- ग्लोबल जनरेशन अनलिमिटेड की शुरुआत वर्ष 2018 में UNICEF द्वारा की गई थी।
- यह सभी देशों को युवाओं की शिक्षा, कौशल और सशक्तीकरण हेतु समर्थन करने तथा विस्तार करने के लिये एक एजेंडा प्रदान करता है।
शुचि योजना
Shuchi Scheme
COVID-19 के मद्देनज़र कर्नाटक सरकार द्वारा शुचि योजना (Shuchi Scheme) जो एक प्रकार की मासिक धर्म स्वच्छता परियोजना (Menstrual Hygiene Project) है, के लिये कोई धनराशि आवंटित नहीं किये जाने के कारण इस योजना का क्रियान्वयन नहीं हो सका।
प्रमुख बिंदु:
- इस वर्ष COVID-19 के मद्देनज़र कर्नाटक सरकार द्वारा शुचि योजना के तहत वितरित किये जाने वाले सेनेटरी नैपकिन (Sanitary Napkins) का वितरण रुक गया है।
- उल्लेखनीय है कि 5 मार्च, 2020 को कर्नाटक सरकार द्वारा लाए गए राज्य के बजट में शुचि योजना के लिये कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई थी जिसके कारण अब कर्नाटक के स्कूल एवं कॉलेज की 17 लाख से अधिक लड़कियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
शुचि योजना (Shuchi Scheme):
- वर्ष 2013-14 में शुरू की गई यह योजना शुरूआत में केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित थी।
- हालाँकि, वर्ष 2015-16 में केंद्र सरकार ने राज्यों को से पूरी तरह से इस योजना की ज़िम्मेदारी उठाने के लिये कहा था।
शुचि योजना का उद्देश्य:
- इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों में मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाना था।
- प्रत्येक वर्ष कर्नाटक सरकार इस योजना पर 49 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर रही है।
चिकित्सा उपकरण पार्क
Medical Devices Park
24 सितंबर, 2020 को केरल में देश के पहले चिकित्सा उपकरण पार्क (Medical Devices Park) का शिलान्यास किया जाएगा जो उच्च जोखिम वाले चिकित्सकीय उपकरणों पर आधारित होगा।
उद्देश्य:
- इस पार्क का उद्देश्य चिकित्सकीय उपकरण उद्योग को अनुसंधान एवं विकास, परीक्षण एवं मूल्यांकन जैसी सेवाओं की एक पूर्ण श्रृंखला उपलब्ध कराना है।
संयुक्त पहल:
- भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के श्री चित्रा तिरूनाल चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (Sree Chitra Tirunal Institute for Medical Sciences & Technology- SCTIMST) और केरल सरकार की औद्योगिक एवं निवेश संवर्द्धन एजेंसी केरल राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (Kerala State Industrial Development Corporation Ltd- KSIDC) की संयुक्त पहल के आधार पर चिकित्सकीय उपकरण पार्क को केरल के तिरूवनंतपुरम ज़िले के थोनक्कल (Thonnakkal) स्थित लाइफ साइंस पार्क ( Life Science Park) में स्थापित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु:
- यह चिकित्सकीय उपकरण पार्क चिकित्सकीय प्रत्यारोपण (Medical Implants) एवं बाह्य उपकरणों (Extracorporeal Devices) समेत उच्च जोखिम वाले चिकित्सकीय उपकरणों पर केंद्रित होगा।
महत्त्व:
- यह पार्क चिकित्सकीय उपकरण उद्योग से संबंधित ज्ञान का प्रसार भी करेगा। जिससे इस क्षेत्र के छोटे एवं मंझोले उद्योगों को भी लाभ होगा ।
- यह चिकित्सकीय पार्क, केरल राज्य के उच्च जोखिम वाले चिकित्सकीय उपकरण निर्माण के मौजूदा ढाँचे का उन्नयन करेगा और भारत के चिकित्सकीय उपकरण निर्माण उद्योग के लिये एक आकर्षक गंतव्य के तौर पर विकसित होगा।
केरल ही क्यों?
- वर्तमान में केरल में बहुत सी चिकित्सकीय उपकरण निर्माण कंपनियाँ हैं जिनका कारोबार 750 करोड़ रूपए वार्षिक है। इनमें से ज्यादातर SCTIMST से हस्तांतरित प्रौद्योगिकी से निर्माण कार्य करती हैं।
SCTIMST की भूमिका:
- SCTIMST ने पिछले तीस वर्षों से भी अधिक समय से जैव चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के विकास में अहम योगदान दिया है और स्वयं को इस क्षेत्र के अग्रणी संस्थान के रूप में स्थापित किया है।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 सितंबर, 2020
रामधारी सिंह दिनकर
23 सितंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ‘दिनकर की कालजयी कविताएँ साहित्य प्रेमियों को ही नहीं, बल्कि समस्त देशवासियों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी। हिंदी के सुविख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर, 1908 को बेगूसराय (हालाँकि अधिकांश लोग मुंगेर को उनके जन्मस्थान के रूप में जानते हैं क्योंकि बेगूसराय उनके जन्म के समय और उनके अधिकांश जीवनकाल में मुंगेर का हिस्सा था) के सिमरिया गाँव में एक छोटे से किसान परिवार में हुआ था। वर्ष 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद वर्ष 1952 में जब भारत की प्रथम संसद का निर्माण हुआ तो रामधारी सिंह दिनकर को राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया और वे बिहार से दिल्ली आ गए। दिनकर ओज के कवि माने जाते हैं, और उनकी भाषा अत्यंत प्रवाहपूर्ण, ओजस्वी और सरल थी। दिनकर के साहित्य में विचार और संवेदना का सुंदर समन्वय दिखाई देता है। दिनकर जी को उनकी पुस्तक ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार और पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था। दिनकर की प्रमुख कृतियों में हुँकार, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतिज्ञा, उर्वशी और संस्कृति के चार अध्याय आदि शामिल हैं।
अंग रीता शेरपा
नेपाल के प्रसिद्ध पर्वतारोही और संरक्षक अंग रीता शेरपा (Ang Rita Sherpa) का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। ‘स्नो लेपर्ड’ (Snow Leopard) के नाम से प्रसिद्ध अंग रीता शेरपा को वर्ष 2017 में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने वर्ष 1983 से वर्ष 1996 के बीच 10 बार बिना ऑक्सीजन के माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले दुनिया के एकमात्र व्यक्ति के रूप में मान्यता दी थी। विदित हो कि यह रिकॉर्ड अभी भी बरकरार है। अंग रीता शेरपा का जन्म वर्ष 1948 में पूर्वी नेपाल के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने काफी छोटी सी उम्र में ही शेरपा के तौर पर कार्य करना शुरू कर दिया था। शेरपा हिमालयी लोगों का एक वंश है, जो पर्वतारोहण में अपने कौशल के लिये काफी प्रसिद्ध होते हैं। अंग रीता शेरपा नेपाल के द माउंटेन इंस्टीट्यूट का हिस्सा थे और उन्होंने हिमालयी क्षेत्र के संरक्षण हेतु द माउंटेन इंस्टीट्यूट से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं में कार्य किया था। हिमालयी पारिस्थितिकी के संरक्षण के प्रयासों के लिये उन्हें वर्ष 2011 में सर एडमंड हिलेरी माउंटेन लिगेसी मेडल से भी सम्मानित किया गया था।
हाइफा दिवस
प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को भारतीय सेना द्वारा हाइफा दिवस के रूप में मनाया जाता है। हाइफा दिवस का मुख्य उद्देश्य हाइफा के युद्ध में लड़ने वाले भारतीय सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करना है हाइफा का युद्ध 23 सितंबर, 1918 को हुआ था जिसमें जोधपुर, मैसूर तथा हैदराबाद के सैनिकों, जो कि 15 इंपीरियल सर्विस कैवलरी ब्रिगेड का हिस्सा थे, ने मित्र राष्ट्रों की ओर से प्रथम विश्वयुद्ध में भाग लेकर जर्मनी व तुर्की के आधिपत्य वाले इज़राइल के हाइफा शहर को मुक्त करवाया था। इस युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने दिल्ली स्थित विख्यात तीन मूर्ति मेमोरियल को तीन मूर्ति हाइफा मेमोरियल के रूप में पुनः नामित किया है।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान कानून (संशोधन) विधेयक, 2020
हाल ही में राज्यसभा ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान कानून (संशोधन) विधेयक, 2020 पारित कर दिया है। इस विधेयक के तहत सूरत, भोपाल, भागलपुर, अगरतला तथा रायचूर स्थित 5 भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIITs) को भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) अधिनियम, 2017 के तहत पहले से मौजूद 15 IIITs के साथ वैधानिक दर्जा देते हुए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मोड में राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान के रूप में घोषित किया जाएगा। यह विधेयक भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIITs) को नवीन एवं गुणवत्तापूर्ण तरीके से देश में सूचना एवं प्रौद्योगिकी के अध्ययन को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित करेगा। विधेयक के माध्यम से उद्योग और अर्थव्यवस्था की उभरती ज़रूरतों के अनुरूप, कुशल तकनीकी श्रमशक्ति की आपूर्ति होने की उम्मीद है।