प्रिलिम्स फैक्ट्स : 23 जून, 2021
पिग्मी हॉग
Pygmy Hog
हाल ही में असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान में विश्व के सबसे दुर्लभ और सबसे छोटे जंगली सूअर पिग्मी हॉग (Pygmy Hogs) को छोड़ा गया था।
- यह एक वर्ष में पिग्मी हॉग कंजर्वेशन प्रोग्राम (Pygmy Hog Conservation Programme- PHCP) के तहत जंगल में फिर से शुरू किया गया दूसरा बैच है।
प्रमुख बिंदु:
पिग्मी हॉग कंजर्वेशन प्रोग्राम (PHCP):
- पिग्मी हॉग को सहभागी प्रयासों द्वारा लगभग विलुप्त होने की कगार से बचाया गया था और अब संपूर्ण क्षेत्र में इसकी संख्या में वृद्धि हो रही है।
- PHCP, यूनाईटेड किंगडम के ड्यूरेल वाइल्डलाइफ कंज़र्वेशन ट्रस्ट (Durrell Wildlife Conservation Trust), असम वन विभाग, वाइल्ड पिग स्पेशलिस्ट ग्रुप ऑफ इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बीच एक सहयोग है।
- इसे वर्तमान में गैर सरकारी संगठनों, आरण्यक और इकोसिस्टम्स इंडिया द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- पिग्मी हॉग के संरक्षण की शुरुआत प्रसिद्ध प्रकृतिवादी गेराल्ड ड्यूरेल और उनके ट्रस्ट द्वारा वर्ष 1971 में की गई थी।
- प्रजनन कार्यक्रम शुरू करने के लिये वर्ष 1996 में मानस राष्ट्रीय उद्यान के बांसबारी क्षेत्र से छह हॉग को पकड़ा गया था।
- वर्ष 2008 में सोनाई-रूपाई वन्यजीव अभयारण्य, ओरंग राष्ट्रीय उद्यान और बोर्नडी वन्यजीव अभयारण्य (ये सभी असम में हैं) के साथ पुनर्स्थापना कार्यक्रम शुरू हुआ।
- वर्ष 2025 तक PHCP ने मानस में 60 पिग्मी हॉग छोड़ने की योजना बनाई है।
पिग्मी हॉग के संदर्भ में:
- वैज्ञानिक नाम: पोर्कुला साल्वेनिया (Porcula Salvania)
- विशेषताएँ:
- यह उन गिने-चुने स्तनधारियों में से एक है जो एक 'छत' के साथ अपना घर या घोंसला बनाते हैं।
- यह एक संकेतक प्रजाति भी है। इनकी उपस्थिति इसके प्राथमिक आवास, क्षेत्र, गीले घास के मैदानों के स्वास्थ्य की स्थिति को दर्शाती है।
- आवास:
- ये आर्द्र घास के मैदान में पाए जाते हैं।
- पूर्व में हिमालय की तलहटी- नेपाल के तराई क्षेत्रों और बंगाल के दुअर क्षेत्रों से होते हुए उत्तर प्रदेश से असम तक- में लंबे और गीले घास के मैदानों की एक संकीर्ण पट्टी में पाए जाते थे। वर्तमान में ये मुख्य रूप से असम में पाए जाते हैं।
- संरक्षण स्थिति:
- खतरे:
- पर्यावास (घास का मैदान) क्षति और गिरावट तथा अवैध शिकार।
राजस्थान का चौथा बाघ अभयारण्य
4th Tiger Reserve in Rajasthan
हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की तकनीकी समिति ने राजस्थान के रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य (Ramgarh Vishdhari wildlife sanctuary) को बाघ अभयारण्य बनाने की मंज़ूरी दी है। इसके साथ ही रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य राजस्थान का चौथा टाइगर रिज़र्व/बाघ अभयारण्य बन जाएगा।
- यहाँ भारत का 52वाँ टाइगर रिज़र्व होगा।
- प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस (Global Tiger Day) मनाया जाता है जो कि बाघ संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये चिह्नित एक वार्षिक कार्यक्रम है।
प्रोजेक्ट टाइगर
- हमारे राष्ट्रीय पशु, बाघ के संरक्षण के लिये 9 बाघ अभयारण्यों के साथ इस परियोजना को 1973 में लॉन्च किया गया था।
- यहाँ पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक केंद्र-प्रायोजित योजना है।
- वर्तमान में, 51 बाघ अभयारण्य, प्रोजेक्ट टाइगर के दायरे में आते हैं, यह परियोजना टाइगर रेंज वाले 18 राज्यों में विस्तारित है, जो हमारे देश के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 2.21% है।
- बाघ अभयारण्यों का गठन एक कोर/बफर रणनीति के आधार पर किया जाता है। मुख्य/कोर क्षेत्रों को राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्य के रूप में कानूनी दर्जा प्राप्त है, जबकि बफर या परिधीय क्षेत्र वन और गैर-वन भूमि का मिश्रण हैं, जिन्हें बहु उपयोग क्षेत्र के रूप में प्रबंधित किया जाता है।
- टाइगर टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद वर्ष 2005 में NTCA का गठन किया गया था। यह मंत्रालय का एक सांविधिक निकाय है, जो व्यापक पर्यवेक्षी/समन्वयकारी निकाय की भूमिका निभाता है। यह वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में के तहत किये गए प्रावधानों/कार्यों कार्यों का निष्पादन करता है।
- M-STrIPES (Monitoring System for Tigers - Intensive Protection and Ecological Status) यानी बाघों के लिये निगरानी प्रणाली - गहन सुरक्षा और पारिस्थितिक स्थिति, एक एप आधारित निगरानी प्रणाली है, जिसे वर्ष 2010 में NTCA द्वारा भारतीय बाघ अभयारण्यों में लॉन्च किया गया था।
बाघ/टाइगर की संरक्षण स्थिति
- भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट: संकटग्रस्त (Endangered)
- वन्य जीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट-I
प्रमुख बिंदु
रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य:
- अवस्थिति:
- यह अभयारण्य राजस्थान के बूंदी ज़िले में रामगढ़ गाँव के निकट बूंदी शहर से 45 किमी. की दूरी पर बूंदी-नैनवा रोड पर स्थित है।
- स्थापना:
- इसे वर्ष 1982 में वन्यजीव अभयारण्यके रूप में अधिसूचित किया गया था और यह 252.79 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
- बाघ अभयारण्य का क्षेत्रफल:
- 1,017 वर्ग किमी. के कुल क्षेत्र को आरक्षित क्षेत्र के रूप में चिह्नित गया है जिसमें भीलवाड़ा के दो वन ब्लॉक- बूंदी का क्षेत्रीय वन ब्लॉक और इंदरगढ़ शामिल हैं, जो रणथंभौर टाइगर रिज़र्व (RTR) के बफर ज़ोन के अंतर्गत आता है।
- जैव-विविधता:
- इसकी वनस्पतियों में आम और बेर के कुछ वृक्षों के साथ-साथ ढोक, खैर, सालार, खिरनी के वृक्ष शामिल हैं।
- यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख जंतु वर्ग में तेंदुआ, सांभर, जंगली सूअर, चिंकारा, स्लॉथ बियर, भारतीय भेड़िया, लकड़बग्घा, सियार, लोमड़ी, हिरण और मगरमच्छ जैसे पक्षी और जानवर शामिल हैं।
राजस्थान के अन्य तीन टाइगर रिज़र्व:
- राजस्थान के अन्य तीन बाघ अभयारण्यों में सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिज़र्व (RTR), अल्वर स्थित सरिस्का टाइगर रिज़र्व (STR) और कोटा स्थित मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व (MHTR) शामिल हैं जहाँ बाघों की संख्या 90 से अधिक है।
राजस्थान में अन्य संरक्षित क्षेत्र:
- मरुभूमि राष्ट्रीय उद्यान (Desert National Park), जैसलमेर
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर
- सज्जनगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, उदयपुर
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रि-जंक्शन पर)
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 जून, 2021
ओडिशा में मगरमच्छ की तीनों प्रजातियाँ मौजूद
हाल ही में ओडिशा की महानदी में घड़ियाल की एक गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजाति का प्राकृतिक निवास स्थान देखा गया है। इसी के साथ ओडिशा भारत का एकमात्र राज्य बन गया है, जहाँ मगरमच्छ की तीनों प्रजातियाँ मौजूद हैं। इन तीन प्रजातियों में सरीसृप मीठे पानी के घड़ियाल, मगर क्रोकोडाइल और साल्टवाटर क्रोकोडाइल शामिल हैं। ज्ञात हो कि घड़ियाल गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियाँ हैं और ओडिशा में उन्हें पहली बार वर्ष 1975 में लाया गया था, यह पहली बार है जब ओडिशा में इन प्रजातियों को प्राकृतिक रूप से देखा गया है। घड़ियाल के अंडों को लगभग 70 दिनों तक ऊष्मायन की आवश्यकता होती है आर घड़ियाल के बच्चे कई हफ्तों या महीनों तक माताओं के साथ ही रहते हैं। घड़ियाल, मगर क्रोकोडाइल से अलग होते हैं और वे इंसानों को नुकसान नहीं पहुँचाते हैं, हालाँकि कई लोग इन्हें गलती से मगरमच्छ समझ लेते हैं और इन्हें नुकसानदेह मानते हैं। अतिक्रमण और मछली पकड़ने जैसी गतिविधियों के कारण घड़ियाल के प्राकृतिक आवास खतरे में हैं। मछली पकड़ने के जाल में फँसने पर वे या तो मारे जाते हैं या उनके शरीर के अगले हिस्से को काट दिया जाता है। विदित हो कि घड़ियाल को स्थानीय कानूनों के तहत पूर्ण संरक्षण प्रदान किया गया और इसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस
सैनिक गतिविधियों में खेल एवं स्वास्थ्य के महत्त्व को बढ़ावा देने के लिये प्रतिवर्ष 23 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यह दिवस वर्ष 1894 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना को चिह्नित करता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम लोगों के बीच खेलों को प्रोत्साहित करना और खेल को जीवन का अभिन्न अंग बनाने का संदेश प्रसारित करना है। ज्ञात हो कि आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत ओलंपिया (ग्रीस) में आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईस्वी तक आयोजित प्राचीन ओलंपिक खेलों से प्रेरित है। यह ग्रीस के ओलंपिया में ज़ीउस (Zeus) (ग्रीक धर्म के सर्वोच्च देवता) के सम्मान में आयोजित किया जाता था। बेरोन पियरे दी कोबर्टिन ने वर्ष 1894 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की स्थापना की और ओलंपिक खेलों की नींव रखी। यह एक गैर-लाभकारी स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो खेल के माध्यम से एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिये प्रतिबद्ध है। यह ओलंपिक खेलों के नियमित आयोजन को सुनिश्चित करता है, सभी संबद्ध सदस्य संगठनों का समर्थन करता है और उचित तरीकों से ओलंपिक के मूल्यों को बढ़ावा देता है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के आयोजन का विचार वर्ष 1947 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की बैठक में प्रस्तुत किया गया और वर्ष 1948 में इस प्रस्ताव को आधिकारिक स्वीकृति दी गई।
संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 23 जून को दुनिया भर के लोक सेवाओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में ‘संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस’ का आयोजन किया जाता है। यह दिवस लोक सेवकों के कार्य को मान्यता देते हुए समाज के विकास में उनके योगदान पर ज़ोर देता है और युवाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में कॅॅरियर बनाने के लिये प्रेरित करता है। 20 दिसंबर, 2002 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 जून को संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस के रूप में घोषित किया था। इस दिवस के संबंध में जागरूकता और लोक सेवा के महत्त्व को बढ़ाने के लिये संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2003 में ‘संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार’ (UNPSA) कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसे वर्ष 2016 में सतत् विकास के लिये वर्ष 2030 एजेंडा के अनुसार अपडेट किया गया था। ‘संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार’ कार्यक्रम सार्वजनिक संस्थाओं की नवीन उपलब्धियों और सेवाओं को मान्यता देकर लोक सेवाओं में नवाचार एवं गुणवत्ता को बढ़ावा देता है तथा उन्हें पुरस्कृत करता है, जो सतत् विकास के पक्ष में दुनिया भर के देशों में अधिक कुशल एवं अनुकूल लोक प्रशासन में योगदान दे रहे हैं।
मेडिटेशन एंड योग साइंसेज़' डिप्लोमा
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2021 के अवसर पर दिल्ली सरकार ने 'मेडिटेशन एंड योग साइंसेज़' विषय पर एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की घोषणा की है। दिल्ली सरकार के मुताबिक, लगभग 450 उम्मीदवारों ने इस पाठ्यक्रम में अपना नामांकन कराया है। इस पाठ्यक्रम की शुरुआत का प्राथमिक उद्देश्य ‘योग और ध्यान’ संबंधी गतिविधियों को घर-घर तक पहुँचाना है। गौरतलब है कि इस पाठ्यक्रम की शुरुआत ‘दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज़ एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी’ में की गई है, हालाँकि इस शहर के स्कूलों में भी कई केंद्र स्थापित किये जाएंगे, जो सप्ताह में तीन बार दो घंटे के लिये योग सत्र आयोजित करेंगे। इस डिप्लोमा कार्यक्रम के पूरा होने के बाद छात्र एक पेशेवर योग प्रशिक्षक के रूप में योग सिखाने में सक्षम होंगे। इस तरह इस कार्यक्रम के माध्यम से दिल्ली में योग प्रशिक्षकों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी।