बिहार की पुनौरा धाम परियोजना
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
बिहार राज्य सरकार द्वारा हाल ही में सीतामढ़ी ज़िले में स्थित एक मंदिर परिसर, पुनौरा धाम को एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिये एक परियोजना को मंज़ूरी दे दी गई है।
- पुनौरा धाम को भगवान श्री राम की पत्नी तथा हिंदू धर्म में पूजनीय देवी सीता का जन्मस्थान माना जाता है।
- इस पहल का उद्देश्य मिथिला की संस्कृति तथा धरोहर को बढ़ावा देना है, यह वह क्षेत्र है जहाँ माता सीता का जन्म और पालन-पोषण हुआ था।
नोट: वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण के अनुसार, जब मिथिला के शासक राजा जनक भूमि पर हल चला रहे थे तब सीता का अवतरण एक कुंड से हुआ था।
- उन्होंने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया तथा उनका नाम ‘सीता’ रखा, जिसका संस्कृत में अर्थ "खाड़ी" होता है। उन्होंने उन्हें जानकी नाम भी दिया, जिसका अर्थ "जनक की पुत्री" होता है।
मिथिला के प्रमुख सांस्कृतिक पहलू क्या हैं?
- ऐतिहासिक महत्त्व:
- मिथिला का एक समृद्ध तथा प्राचीन इतिहास रहा है, जिसका इतिहास वैदिक काल (1500-500 ईसा पूर्व) से प्रारंभ है, उस दौरान यह भारत के 16 महाजनपदों में से एक था।
- मिथिला, जिसे तिरहुत अथवा तिरभुक्ति के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है जिसमें दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, सुपौल, सहरसा, मधेपुरा एवं बिहार व नेपाल के निकटवर्ती क्षेत्र शामिल हैं।
- इस पर विदेह जनक वंश का शासन था।
- भाषा और साहित्य:
- मिथिला की मुख्य भाषा मैथिली है जो इंडो-आर्यन परिवार से संबंधित है।
- मैथिली की एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा रही है, कवि विद्यापति (1352-1448 ई.) द्वारा इस भाषा में प्रेम एवं भक्ति के प्रसिद्ध गीत लिखे गये हैं।
- मैथिली साहित्य में महाकाव्य, नाटक, लोककथाएँ तथा संतों एवं नायकों की जीवनियाँ भी शामिल हैं।
- मिथिला की मुख्य भाषा मैथिली है जो इंडो-आर्यन परिवार से संबंधित है।
- सांस्कृतिक धरोहर:
- मिथिला पेंटिंग अपनी अनूठी शैली के लिये प्रसिद्ध है, जिसे मधुबनी अथवा मिथिला पेंटिंग के रूप में जाना जाता है, जो चमकीले मिट्टी के प्राकृतिक रंगों तथा ज्यामितीय पैटर्न का उपयोग करके बनाई जाती है।
- ये पेंटिंग हिंदू पौराणिक कथाओं, विशेष रूप से रामायण और साथ ही वनस्पतियों, जीवों व सामाजिक घटनाओं के दृश्यों को दर्शाती हैं।
- मिथिला पेंटिंग अपनी अनूठी शैली के लिये प्रसिद्ध है, जिसे मधुबनी अथवा मिथिला पेंटिंग के रूप में जाना जाता है, जो चमकीले मिट्टी के प्राकृतिक रंगों तथा ज्यामितीय पैटर्न का उपयोग करके बनाई जाती है।
- GI टैग:
- मिथिला मखाना अथवा मखान (वानस्पतिक नाम: यूरयाले फेरोक्स सैलिस्ब) बिहार तथा नेपाल के मिथिला क्षेत्र में खेती की जाने वाली जलीय मखाने की एक विशेष किस्म है। इसे GI (भौगोलिक संकेत) टैग का दर्जा भी प्राप्त है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 22 दिसंबर, 2023
राष्ट्रीय गणित दिवस 2023
राष्ट्रीय गणित दिवस 2012 से प्रतिवर्ष 22 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती के सम्मान में मनाया जाता है।
- 22 दिसंबर, 1887 को इरोड, तमिलनाडु में जन्में रामानुजन को संख्या सिद्धांत, अनंत श्रेणी और सतत भिन्न में उनके योगदान के लिये जाना जाता है।
- गणित में रामानुजन का सबसे बड़ा योगदान रामानुजन संख्या यानी 1729 को माना जाता है। यह ऐसी सबसे छोटी संख्या है, जिसको दो अलग-अलग तरीके से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है।
- रामानुजन ने अपने में लगभग 3,900 परिणामों (समीकरणों और सर्वसमिकाओं) का संकलन किया है। उनके सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में पाई (Pi) की अनंत श्रेणी शामिल थी।
- रामानुजन के अन्य उल्लेखनीय योगदानों में हाइपर जियोमेट्रिक सीरीज़, रीमान सीरीज़, एलिप्टिक इंटीग्रल, माॅक थीटा फंक्शन और डाइवर्जेंट सीरीज़ का सिद्धांत आदि शामिल हैं।
- 'द मैन हू न्यू इनफिनिटी' भारतीय गणितज्ञ एस. रामानुजन (1887-1920) की जीवनी पर आधारित फिल्म है।
और पढ़ें…राष्ट्रीय गणित दिवस
CMFRI ने समुद्री शैवाल-आधारित न्यूट्रास्यूटिकल्स का व्यवसायीकरण किया
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) - केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) ने दो समुद्री शैवाल-आधारित न्यूट्रास्यूटिकल उत्पादों, कैडलमिनTM इम्यूनलगिन अर्क (CadalminTM IMe) और कैडलमिन TM एंटीहाइपरकोलेस्ट्रोलेमिक अर्क (CadalminTM ACe) का सफलतापूर्वक व्यावसायीकरण किया है।
- पर्यावरण-अनुकूल 'हरित' प्रौद्योगिकी के साथ विकसित इन उत्पादों का उद्देश्य एंटी-वायरल प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना और उच्च कोलेस्ट्रॉल या डिस्लिपिडेमिया (कोलेस्ट्रॉल का असंतुलन) से निपटना है।
- उत्पाद को कोविड के बाद की जटिलताओं के विरुद्ध एक संभावित उपाय के रूप में पेश किया गया है, जो SARS CoV-2 के डेल्टा संस्करण के खिलाफ एंटीवायरल गुण प्रदर्शित करता है।
- समुद्री शैवाल, आदिम समुद्री शैवाल, जिनमें जड़ें, तना और पत्तियाँ नहीं होती हैं, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- समुद्री शैवाल पोषण संबंधी लाभ और औषधीय गुण प्रदान करते हैं, जिनमें कैंसर से लड़ने वाले संभावित प्रभाव वाले सूजन-रोधी एवं रोगाणुरोधी एजेंट शामिल होते हैं।
और पढ़ें: समुद्री शैवाल खेती, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)
जूट किसानों की सुविधा हेतु पाट-मित्रो (Paat-Mitro) ऐप
हाल ही में वस्त्र मंत्रालय ने जूट संगोष्ठी के दौरान जूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (JCI) द्वारा विकसित एक मोबाइल एप्लीकेशन "Paat-Mitro" लॉन्च किया।
- एप्लीकेशन 6 भाषाओं में उपलब्ध है और सभी कार्यक्षमताएँ उपयोगकर्त्ताओं को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।
- यह ऐप कृषि संबंधी प्रथाएँ, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) विवरण, जूट ग्रेडेशन पैरामीटर, 'जूट-ICARE' योजनाएँ, मौसम पूर्वानुमान, JCI के खरीद केंद्रों के स्थान और खरीद नीतियाँ भी प्रदान करता है। यह किसानों को अपने जूट भुगतान को ट्रैक करने एवं प्रश्नों के लिये चैटबॉट का उपयोग करने में सक्षम बनाता है।
- भारत जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बाद बांग्लादेश और चीन का स्थान है।
- हालाँकि रकबा और व्यापार के मामले में बांग्लादेश भारत के 7% की तुलना में वैश्विक जूट निर्यात में तीन-चौथाई का योगदान देता है।
और पढ़ें: जूट उद्योग
काशी तमिल संगमम
भारत के प्रधानमंत्री ने नमो घाट वाराणसी में काशी तमिल संगमम का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य उत्तर तथा दक्षिण भारत के बीच ऐतिहासिक एवं सभ्यतागत संबंधों को बेहतर करना है।
- इस कार्यक्रम स्थल पर तमिलनाडु तथा वाराणसी की कला, संगीत, हथकरघा, हस्तशिल्प, व्यंजन एवं अन्य विशेष उत्पादों को प्रदर्शित करने वाले स्टॉल लगाए गए हैं। यह उत्सव एक माह तक जारी रहेगा।
- काशी (उत्तर प्रदेश) तथा तमिलनाडु के बीच प्राचीन संबंध 15वीं शताब्दी से हैं जब मदुरई के समीपवर्ती क्षेत्र के शासक राजा पराक्रम पंड्या ने अपने मंदिर के लिये लिंगम वापस लाने के लिये काशी की यात्रा की थी।
- लौटते समय राजा ने एक पेड़ के नीचे विश्राम किया तथा जब अपनी यात्रा जारी रखने की कोशिश की तो लिंगम ले जाने वाली गाय ने अपनी स्थान से आगे बढ़ने से इनकार कर दिया।
- पराक्रम पंड्या ने इसे भगवान की इच्छा समझा तथा वहाँ लिंगम स्थापित किया, जिसे आज शिवकाशी के नाम से जाना जाता है।
- पांड्यों ने काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण भी करवाया जिसे दक्षिण-पश्चिमी तमिलनाडु में तेनकासी के नाम से जाना जाता है।
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