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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 22 Nov, 2024
  • 15 min read
प्रारंभिक परीक्षा

सांभर झील में 'एवियन बोटुलिज़्म'

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान की सांभर झील में प्रवासी पक्षियों की सामूहिक रूप से मृत्यु हो गई, जो संभवतः एवियन बोटुलिज़्म नामक बीमारी के कारण हुई हैमाना जा रहा है कि इस बीमारी का कारण उच्च तापमान और झील की लवणता में कमी है।

एवियन बोटुलिज़्म क्या है?

  • परिभाषा: एवियन बोटुलिज़्म एक न्यूरोमस्कुलर बीमारी है जो क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम नामक जीवाणु द्वारा उत्पादित विषाक्त पदार्थों के कारण होती है। यह बीमारी जंगली पक्षियों, मुख्य रूप से जलपक्षी और मछली खाने वाले पक्षियों को प्रभावित करती है, जिससे उनके पंख और पैर लकवाग्रस्त हो जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है।
  • पर्यावरणीय परिस्थितियाँ: एवियन बोटुलिज़्म विशिष्ट पर्यावरणीय कारकों से प्रेरित होती है, जिनमें शामिल हैं:
    • जल का उच्च तापमान
    • पानी में ऑक्सीजन का स्तर कम होना।
    • स्थिर या उप-इष्टतम जल स्थितियाँ।
  • संक्रमण: जब मछलियाँ या अकशेरुकी जीव बैक्टीरिया का सेवन करते हैं और प्रतिकूल जल स्थितियों में मर जाते हैं, जिससे बोटुलिज़्म बीमारी उत्पन्न होती है। शवों में बैक्टीरिया विकसित होते हैं जो मछली खाने वाले पक्षियों और बत्तखों को नुकसान पहुँचाते हैं।
    • शवों से निकलने वाले विष को अन्य पक्षी और स्तनधारी जैसे जीव भी ग्रहण कर सकते हैं।
  • पक्षियों में लक्षण: मांसपेशियों में कमज़ोरी, लकवा और उड़ने या खड़े होने में कठिनाई। इससे प्रभावित पक्षी अपना सिर ऊपर उठाने की क्षमता खो सकते हैं
  • रोग प्रबंधन: इस बीमारी का कोई इलाज़ नहीं है। पर्यावरण में  क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम की प्राकृतिक उपस्थिति के कारण एवियन बोटुलिज़्म पर नियंत्रण चुनौतीपूर्ण है।
    • हालाँकि, शवों को हटाने और उचित तरीके से निपटाने से विष के प्रसार को सीमित करने में मदद मिलती है। छोटी झीलों में जल स्तर प्रबंधन से प्रकोप को कम किया जा सकता है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ: क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम के सात प्रकार (AG) हैं, जिनमें C और E प्रकार जंगली पक्षियों को प्रभावित करते हैं। 
    • मनुष्यों में बोटुलिज़्म आमतौर पर अनुचित तरीके से डिब्बाबंद भोजन से उत्पन्न टाइप A या B विषाक्त पदार्थों के कारण होता है। 
    • टाइप C मनुष्यों को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन टाइप E संक्रमित मछली से फैल सकता है, हालाँकि उचित तरीके से पकाने से विष को निष्क्रिय किया जा सकता है।
    • संदूषण से बचने के लिये मृत पक्षियों या मछलियों को संभालते समय दस्ताने पहनने और हाथ धोने जैसी सावधानियाँ बरतनी चाहिये।
  • सांभर झील में बोटुलिज़्म को बढ़ावा देने वाले कारक: अक्तूबर के महीने में जयपुर में उच्च तापमान (सामान्य से 1-5.1 डिग्री सेल्सियस अधिक), मीठे पानी के प्रवाह से लवणता में कमी, तथा वर्षा की कमी ने सांभर झील में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर दिया, जिससे क्लॉस्ट्रिडियम बोटुलिनम के विकास के लिये आदर्श स्थितियाँ उत्पन्न हो गई है।

सांभर झील

  • सांभर झील, भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की आर्द्रभूमि है, जो राजस्थान के नागौर और जयपुर ज़िलों में अरावली पहाड़ियों से घिरी हुई है। यह राजस्थान में नमक उत्पादन का एक स्रोत है।
    • इसके पारिस्थितिक महत्त्व के कारण इसे वर्ष 1990 में रामसर स्थल घोषित किया गया।
  • नवंबर से फरवरी तक यह झील फ्लेमिंगो सहित हज़ारों प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है। मानसून के दौरान, इस झील में कूट्स, ब्लैक-विंग्ड स्टिल्ट, सैंडपाइपर और रेडशैंक जैसे पक्षी पाए जाते हैं।


प्रारंभिक परीक्षा

एंटी-पर्सनल लैंडमाइन्स कन्वेंशन

स्रोत: एलएम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूक्रेन को एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस भेजने को मंज़ूरी दे दी है जो एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस कन्वेंशन, 1997 के तहत प्रतिबंधित हैं। 

  • एक अन्य घटनाक्रम में अमेरिका ने यूक्रेन को आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) की आपूर्ति की है, जिससे रूसी क्षेत्र के अंदर लक्ष्यों को लक्षित किया जा सकता है।

एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस कन्वेंशन, 1997 क्या है?

  • परिचय: यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य एंटी-पर्सनल बारूदी सुरंगों के उपयोग, उत्पादन, भंडारण एवं हस्तांतरण को रोकना करना है।
    • इसे आमतौर पर ओटावा कन्वेंशन या एंटी-पर्सनल माइन बैन संधि के रूप में जाना जाता है।
  • 18 सितम्बर 1997 को ओस्लो में अंतर्राष्ट्रीय एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस पूर्ण प्रतिबंध पर राजनयिक सम्मेलन द्वारा इसे अपनाया गया तथा 1 मार्च 1999 को इसे लागू किया गया।
  • क्षेत्राधिकार: इसके तहत एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस पर प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन एंटी-व्हीकल बारूदी सुरंगों को इसके दायरे में नहीं लाया गया है।
  • सदस्यता: इस कन्वेंशन पर 133 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं। वर्तमान में इसके 164 देश भागीदार हैं।
    • अमेरिका, रूस और भारत इस समझौते के पक्षकार नहीं हैं। यूक्रेन इसका हस्ताक्षरकर्त्ता है।

एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस

  • बारूदी सुरंगें विस्फोटक होती हैं जिन्हें जमीन में छिपाकर रखा जाता है और इन्हें इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि जब दुश्मन सेना उनके ऊपर से या उनके पास से गुजरे तो उनमें विस्फोट हो जाए।
  • एंटी-पर्सनल माइंस दुश्मन सैनिकों को नुकसान पहुँचाने के लिये बनाई जाती हैं जबकि एंटी-टैंक माइंस बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने के लिये बनाई जाती हैं।

नोट: ATACMS एक सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है जिसे 300 किलोमीटर तक की दूरी के लक्ष्य पर हमला करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। यह ठोस रॉकेट प्रणोदक द्वारा संचालित है तथा इसके द्वारा बैलिस्टिक प्रक्षेप पथ का अनुसरण किया जाता है।

  • बैलिस्टिक प्रक्षेप पथ का उपयोग मिसाइलों या तोप के गोले जैसे प्रक्षेप्यों के पथों का वर्णन करने के लिये किया जाता है, जिन्हें प्रक्षेपित करने से यह गुरुत्वाकर्षण के कारण अपने लक्ष्य को भेदते हैं।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न:निम्नलिखित में से किसका उपयोग विस्फोटक के रूप में किया जाता है?(2009)

(a) फॉस्फोरस ट्राइक्लोराइड
(b) मरक्यूरिक ऑक्साइड
(c) ग्रेफाइट
(d) नाइट्रोग्लिसरीन

उत्तर: (d)


रैपिड फायर

मार्गदर्शित पिनाका शस्त्र प्रणाली

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने मार्गदर्शित पिनाका शस्त्र प्रणाली (Guided Pinaka Weapon System) के परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे कर लिये हैं। ये परीक्षण तात्कालिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए प्रोविजनल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स (Provisional Staff Qualitative Requirements- PSQR) के तहत किये गए, जो कि तीन चरणों में विभिन्न फील्ड फायरिंग रेंज में पूरे हुए।

  • PSQR मापदंडों में रेंज, सटीकता, स्थिरता और सैल्वो मोड में कई लक्ष्यों पर एक साथ हमला करने की क्षमता का मूल्यांकन किया गया। 
  • मार्गदर्शित पिनाका शस्त्र प्रणाली: यह एक मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम है, जिसे DRDO की प्रयोगशाला, आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (Armament Research and Development Establishment- ARDE) द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
    • भगवान शिव के धनुष के नाम पर रखा गया पिनाका एक बहुमुखी और उच्च परिशुद्धता वाला रॉकेट सिस्टम है।
  • प्रमुख विशेषताएँ: यह अपनी गतिशीलता, तीव्र प्रतिक्रिया और दुश्मन के लक्ष्यों पर केंद्रित मारक क्षमता के लिये प्रसिद्ध है।
    • हथियार प्रणाली के प्रारंभिक संस्करण को मार्क I कहा जाता था, जिसकी मारक क्षमता 40 किमी. थी। 
      • उन्नत संस्करण या पिनाका मार्क II की मारक क्षमता 70 से 80 किमी. है , जिसे भविष्य में 120 किमी. और 300 किमी तक बढ़ाने की योजना है।
    • लांचर उत्पादन एजेंसियों द्वारा अपग्रेड किये गए दो इन-सर्विस पिनाका लांचरों से प्रत्येक उत्पादन एजेंसी के 12-12 रॉकेटों का परीक्षण किया गया है।

और पढ़ें: पिनाका रॉकेट प्रणाली


रैपिड फायर

प्रसार भारती का WAVES OTT प्लेटफॉर्म

स्रोत: पी.आई.बी

हाल ही में प्रसार भारती ने भारत में डिजिटल स्ट्रीमिंग सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये  अपना OTT (ओवर-द-टॉप) प्लेटफॉर्म WAVES लॉन्च किया।

लहरें:

  • यह ONDC नेटवर्क के माध्यम से लाइव टीवी, वीडियो ऑन डिमांड, रेडियो स्ट्रीमिंग, गेम्स और ई-कॉमर्स सहित विभिन्न प्रकार की सामग्री प्रदान करता है। 
    • यह 65 लाइव चैनलों तक पहुँच प्रदान करता है, जिसमें मनोरंजन, समाचार और संस्कृति जैसी विधाएँ शामिल हैं।
  • इस प्लेटफॉर्म में डाउनलोड की सुविधा और अधिकांश सामग्री निःशुल्क उपलब्ध हैं, जबकि प्रीमियम सुविधाएँ सदस्यता योजनाओं के माध्यम से उपलब्ध हैं।

OTT और इसका विनियमन:

  • OTT से तात्पर्य पारंपरिक प्रसारण विधियों को दरकिनार करते हुए इंटरनेट के माध्यम से सामग्री वितरित करने वाली स्ट्रीमिंग सेवाओं से है। 
  • OTT प्लेटफार्मों को सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा विनियमित किया जाता है, जिससे सामग्री का अनुपालन और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।

और पढ़ें: भारत में ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म


रैपिड फायर

मृत सागर में साल्ट चिमनियाँ

स्रोत: फोर्ब्स

हाल ही में, शोधकर्त्ताओं ने मृत सागर के तल पर अनोखी साल्ट चिमनियों की खोज की है, जो अत्यधिक खारे भू-जल से बनी हुई हैं। 

  • साल्ट चिमनी: ये ऊर्ध्वाधर खनिज संरचनाएँ हैं जो मृत सागर से उठने वाले खारे भू-जल द्वारा निर्मित होती हैं, जो संपर्क में आने पर नमक को क्रिस्टलीकृत कर देती हैं।
    • ये चिमनियाँ जलभृतों से हाइपरसैलिन लवण जल के ऊपर की ओर प्रवाह से निर्मित होती हैं, जो मृत सागर के जल के संपर्क में आने पर क्रिस्टलीकृत हो जाती हैं। 
      • हाइपरसैलिन ब्राइन अत्यधिक सांद्रित खारा पानी है, जिसका घनत्व मीठे पानी की तुलना में अधिक होता है, तथा भू-जल में घुले खनिजों से बनता है, जिसके कारण प्रायः क्रिस्टलीकरण हो जाता है।
    • चिमनियाँ सिंकहोल जोखिम के प्रारंभिक संकेतक हैं, क्योंकि वे तेज़ी से निर्मित होती हैं तथा कार्स्टिफिकेशन और भूमि पतन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों के बारे में संकेत प्रदान करती हैं।
  • मृत सागर: इज़रायल और जॉर्डन के बीच स्थित यह लवणीय झील समुद्र तल से 430 मीटर नीचे स्थित है। यह पश्चिम में जूडियन पहाड़ियों और पूर्व में ट्रांसजॉर्डनियन पठार से घिरी हुई है।
    • यह पानी के सबसे खारे/लवणीय निकायों में से एक है, जिसमें अद्वितीय चिकित्सीय गुण हैं। न्यूनतम अंतर्वाह और उच्च वाष्पीकरण के कारण इसका जल स्तर प्रत्येक वर्ष गिरता रहता है।
    • यद्यपि अतीत में जॉर्डन नदी मृत सागर का प्रमुख जल स्रोत हुआ करती थी, किंतु अब सल्फर स्प्रिंग और अपशिष्ट जल से इसका अधिकांश जल प्राप्त होता है।

और पढ़ें: विश्व की सबसे लंबी साल्ट केव


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