प्रारंभिक परीक्षा
ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में संवैधानिक परिवर्तन और एक मूल समिति बनाने के समर्थकों ने जनमत संग्रह में हार मान ली, जिसका उद्देश्य संसद में एक स्वतंत्र आवाज़ बनना था।
- जनमत संग्रह को पारित करने के लिये छह ऑस्ट्रेलियाई राज्यों में से कम-से-कम चार में बहुमत के साथ-साथ राष्ट्रीय बहुमत की भी आवश्यकता थी।
- प्रस्तावित जनमत संग्रह में ऑस्ट्रेलिया में सबसे पहले बसने वाले लोगों को आधिकारिक मान्यता देने के लिये ऑस्ट्रेलिया के संविधान में संशोधन करने की मांग की गई, जिसमें जनजातीय और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर समुदाय दोनों शामिल हैं।
ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी या आदिवासी:
- परिचय:
- ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी, ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोग हैं, जो यूरोपीय उपनिवेशीकरण से पहले ऑस्ट्रेलिया एवं आसपास के द्वीपों में मौजूद समूहों के वंशज हैं।
- ऑस्ट्रेलिया के स्थानिक लोग इस महाद्वीप के मूल निवासी हैं, जिनका इतिहास कम-से-कम 45,000 वर्ष पुराना है। हालाँकि 18वीं शताब्दी में यूरोपीय उपनिवेशीकरण का इन समुदायों पर गंभीर तथा स्थायी प्रभाव पड़ा।
- ये समुदाय ऑस्ट्रेलियाई जनसंख्या का केवल 3.8 प्रतिशत हैं।
- विविधता:
- वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में ये समूह स्थानीय समुदायों में विभाजित हैं। आरंभिक यूरोपीय बंदोबस्त के समय 250 से अधिक भाषाएँ बोली जाती थीं; वर्तमान में यह अनुमान लगाया गया है कि इनमें से 120 से 145 प्रयोग में हैं, लेकिन इनमें से केवल 13 को ही लुप्तप्राय नहीं माना जाता है।
- पिछली गलतियाँ और संकट:
- ऐतिहासिक नीतियों, जैसे कि मूल बच्चों को ज़बरन हटाने (तस्करी की गई पीढ़ी), भूमि बेदखली और भेदभाव के परिणामस्वरूप सामाजिक एवं आर्थिक असमानताएँ उत्पन्न हुई हैं।
- मूल आस्ट्रेलियाई निवासियों को प्रायः न्यून जीवन प्रत्याशा, बीमारी की उच्च दर और शिक्षा व अन्य सेवाओं तक अपर्याप्त अभिगम का सामना करना पड़ता है।
- ऑस्ट्रेलियाई प्रयास और मान्यता:
- ऑस्ट्रेलिया ने ऐतिहासिक अन्यायों को दूर करने के लिये कदम उठाए हैं, जैसे- "ब्रिंगिंग देम होम" रिपोर्ट, जिसने तस्करी की गई पीढ़ियों को मान्यता दी और उनसे माफी मांगी।
- राष्ट्रीय पूछताछ और क्षमायाचना के तहत पिछली गलतियों को स्वीकार करने की मांग की गई है।
- वर्ष 1962 में मूल आस्ट्रेलियाई निवासियों को मतदान का अधिकार दिया गया और उच्च न्यायालय के वर्ष 1992 के माबो फैसले ने कुछ भूमि पर मूल स्वामित्व को मान्यता दी।
- वर्ष 1995 से ऑस्ट्रेलियाई मूल निवासी ध्वज और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर ध्वज ऑस्ट्रेलिया के आधिकारिक झंडों में से रहे हैं।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 अक्तूबर, 2023
रीजनल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (RRTS)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में रीजनल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (RRTS) के पहले चरण का उद्घाटन किया, जिसे नमो भारत भी कहा जाता है, यह क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिये समर्पित भारत का पहला मास रैपिड सिस्टम है।
- RRTS 180 किमी./घंटा तक की गति से चलने में सक्षम है।
- रेल मंत्रालय ने वर्ष 1998-1999 में इस प्रकार के परिवहन नेटवर्क के निर्माण के संबंध में एक अध्ययन किया था, वह RRTS के निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित करने वाला पहला अध्ययन था। वर्ष 2006 में कुछ NCR शहरों में दिल्ली मेट्रो लाइनों के विस्तार के साथ इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया गया था।
RRTS राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के भीतर मौजूदा परिवहन केंद्रों पर मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के अतिरिक्त विभिन्न तरीकों से परिवहन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव करने पर केंद्रित है।
और पढ़ें…पीएम गति शक्ति योजना, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर
महसा अमीनी यूरोपीय संघ के शीर्ष मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित
वर्ष 2022 में ईरान में पुलिस हिरासत में मरने वाली 22 वर्षीय कुर्द-ईरानी महिला महसा अमीनी को यूरोपीय संघ के शीर्ष मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिसने ईरान की रूढ़िवादी इस्लामी धर्मतंत्र के खिलाफ समग्र विश्व में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था।
- कथित तौर पर ईरान के हेडस्कार्फ के अनिवार्य कानून की अवज्ञा करने के आरोप में गिरफ्तार किये जाने के बाद अमीनी की मृत्यु हो गई। इसके चलते महिलाओं के नेतृत्व में एक आंदोलन शुरू हुआ तथा विश्व "वुमेन, लाइफ, लिबर्टी" (Women, Life, Liberty) के नारों से गूँज उठा।
- इस वर्ष (2023) इस पुरस्कार के दावेदारों में विल्मा नुनेज डी एस्कोर्सिया और रोमन कैथोलिक बिशप रोलैंडो अल्वारेज़ शामिल थे जिन्होंने निकारागुआ में मानवाधिकारों की रक्षा के लिये संघर्ष किया था। इनके अलावा पोलैंड, अल सल्वाडोर और संयुक्त राज्य अमेरिका की तीन महिलाएँ भी शामिल थीं जो ‘‘निशुल्क, सुरक्षित और कानूनी गर्भपात’’ के लिये लड़ाई का नेतृत्व कर रही हैं।
- यूरोपीय संघ पुरस्कार, जिसका नाम सोवियत डिसीडेंट आंद्रेई सखारोव के नाम पर रखा गया था, वर्ष 1988 में मानवाधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा करने वाले व्यक्तियों अथवा समूहों को सम्मानित करने के लिये स्थापित किया गया था। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता सखारोव का निधन वर्ष 1989 में हुआ।
- विगत वर्ष का पुरस्कार यूक्रेन के लोगों तथा उनके प्रतिनिधियों को जारी युद्ध के दौरान उनकी बहादुरी एवं रूस के आक्रमण के प्रतिरोध के लिये दिया गया था।
और पढ़ें… विश्व मानवाधिकार दिवस, मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा