प्रीलिम्स फैक्ट्स: 21 जुलाई, 2020
ज़ोरम मेगा फूड पार्क
Zoram Mega Food Park
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मिज़ोरम के ज़ोरम मेगा फूड पार्क (Zoram Mega Food Park) का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु:
- केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने बताया कि ज़ोरम मेगा फूड पार्क (Zoram Mega Food Park) 5000 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोज़गार देगा और कोर प्रसंस्करण केंद्र (Core Processing Centre) एवं प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र (Primary Processing Centre) के जलग्रहण क्षेत्रों के लगभग 25000 किसानों को लाभान्वित करेगा।
- यह मेगा फूड पार्क मिज़ोरम में अवस्थित लगभग 30 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों में तकरीबन 250 करोड़ रुपए के अतिरिक्त निवेश का लाभ उठाएगा और अंतत: वार्षिक तौर पर लगभग 450-500 करोड़ रुपये का कारोबार करेगा।
- मिज़ोरम के कोलासिब (Kolasib) ज़िले के खमरंग (Khamrang) गाँव में मेगा फूड पार्क को ‘ज़ोरम मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड’ (M/s Zoram Mega Food Park Pvt. Ltd.) द्वारा बढ़ावा दिया गया है।
- यह मिज़ोरम राज्य में संचालित होने वाला पहला मेगा फूड पार्क है।
- गौरतलब है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से सहायता प्राप्त कुल 88 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है जिनमें 41 परियोजनाएँ कार्यान्वित की जा चुकी हैं।
- भारत को एक सुदृढ़ खाद्य अर्थव्यवस्था और विश्व की खाद्य फैक्टरी बनाने के लिये भारत सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को ‘मेक इन इंडिया’ का एक प्रमुख क्षेत्र बनाया है।
ज़ोरम मेगा फूड पार्क (Zoram Mega Food Park):
- 55.00 एकड़ भूमि में स्थापित मिज़ोरम की ‘ज़ोरम मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड’ की परियोजना लागत 75.20 करोड़ रुपए है।
- इस मेगा फूड पार्क के कोर प्रसंस्करण केंद्र में स्थापित की गई इकाइयों में अत्याधुनिक अवसंरचना के अलावा कोल्ड स्टोरेज- 1000 मीट्रिक टन, सुखाने का गोदाम (ड्राईवेयरहाउस)- 3000 मीट्रिक टन, डिब्बाबंदी के साथ कीटाणुनाशक पल्प लाइन, कीटाणुनाशक एवं टेट्रा पैकिंग-2 मीट्रिक टन/प्रति घंटा, राइपनिंग (पकने में सहायक) चैम्बर्स-40 मीट्रिक टन/प्रति घंटा, मसाले सुखाने की सुविधा-2 मीट्रिक टन/प्रति घंटा, खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला शामिल हैं।
मेगा फूड पार्क (Mega Food Park):
- मेगा फूड पार्क योजना के तहत भारत सरकार प्रत्येक मेगा फूड पार्क परियोजना के लिये 50 करोड़ तक की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- वर्तमान में विभिन्न राज्यों में 18 मेगा फूड पार्क परियोजनाएँ कार्यान्वित की जा रही हैं और विभिन्न राज्यों में 19 मेगा फूड पार्कों में पहले ही परिचालन शुरू हो चुका है। इनमें से 6 पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में 2 मेगा फूड पार्क असम एवं मिज़ोरम में शुरू किये गए हैं।
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण
National Financial Reporting Authority
हाल ही में लेखा परीक्षा नियामक ‘राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण’ (National Financial Reporting Authority- NFRA) ने भारतीय प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरु के प्रोफेसर आर. नारायण स्वामी (R Narayanaswamy) की अध्यक्षता में एक तकनीकी सलाहकार समिति (Technical Advisory Committee- TAC) का गठन किया है।
प्रमुख बिंदु:
- तकनीकी सलाहकार समिति (Technical Advisory Committee- TAC) जिसमें अध्यक्ष सहित कुल सात सदस्य शामिल हैं, लेखांकन मानकों एवं ऑडिटिंग मानकों के ड्राफ्ट से संबंधित मुद्दों पर NFRA के कार्यकारी निकाय को सहायता एवं सलाह देगी।
- यह समिति वित्तीय विवरणों के उपयोगकर्त्ताओं, तैयारीकर्त्ताओं एवं लेखा परीक्षकों को इनपुट भी प्रदान करेगी।
- तकनीकी सलाहकार समिति (TAC) निम्नलिखित कार्य करेगी।
- लेखा परीक्षा गुणवत्ता के उपायों के विकास पर सलाह देना।
- जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये उपयुक्त तरीकों पर सलाह देना शामिल है। जिनमें निम्नलिखित को शामिल किया गया है।
- लेखांकन एवं लेखा परीक्षा मानकों के अनुपालन से संबंधित।
- स्वतंत्र ऑडिटर विनियमन के माध्यम से निवेशकों की सुरक्षा में NFRA की भूमिका से संबंधित।
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण
(National Financial Reporting Authority- NFRA):
- राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) का गठन कंपनी अधिनियम, 2013 (Companies Act, 2013) की धारा 132 के उप खंड (1) के तहत भारत सरकार द्वारा 01 अक्तूबर, 2018 को किया गया था।
NFRA के प्रमुख कार्य:
- केंद्रीय सरकार द्वारा अऩुमोदन के लिये लेखांकन एवं लेखा परीक्षा नीतियाँ तथा कंपनियों द्वारा अपनाये जाने वाले मानकों की सिफारिश करना।
- लेखा मानकों एवं ऑडिटिंग मानकों के अनुपालन की निगरानी करना एवं उन्हें लागू करना।
क्षुद्रग्रह 2020 एनडी
Asteroid 2020 ND
हाल ही में नासा (NASA) ने चेतावनी जारी की है कि एक विशाल ‘क्षुद्रग्रह 2020 एनडी’ (Asteroid 2020 ND) 24 जुलाई, 2020 को पृथ्वी के नज़दीक से होकर गुजरेगा।
प्रमुख बिंदु:
- लगभग 170 मीटर लंबा यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी से 0.034 खगोलीय इकाई (5086328 किलोमीटर) के करीब होगा और यह 48,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा कर रहा है।
- पृथ्वी से इस क्षुद्रग्रह की दूरी के कारण इसे ‘संभावित खतरनाक’ (Potentially Dangerous) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह
(Potentially Hazardous Asteroids- PHAs):
- नासा के अनुसार, ‘संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह (PHAs) वर्तमान में उन मापदंडों के आधार पर परिभाषित किये गए हैं जो क्षुद्रग्रह की क्षमता को मापते हैं और पृथ्वी के करीब आने पर खतरनाक साबित हो सकते हैं। विशेष रूप से 0.05 खगोलीय इकाई (AU) या उससे कम की ‘मिनिमम ऑर्बिट इंटरसेक्शन डिस्टेंस’ (Minimum Orbit Intersection Distance- MOID) वाले सभी क्षुद्रग्रहों को संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह (PHAs) माना जाता है।’
- नासा (NASA) इन वस्तुओं (जैसे- क्षुद्रग्रह) को ‘नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट’ (NEO) के रूप में वर्गीकृत करता है क्योंकि वे अन्य ग्रहों के गुरुत्त्वाकर्षण बल से प्रभावित होते हैं जिसके परिणामस्वरूप हमारी सौर प्रणाली से उनकी निकटता होती है।
- फिर भी यह आवश्यक नहीं है कि PHAs के रूप में वर्गीकृत क्षुद्रग्रह पृथ्वी को प्रभावित करेंगे।
नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट (NEO):
- NEO धूमकेतु एवं क्षुद्र ग्रह हैं जो पास के ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा कक्षाओं में प्रवेश कर जाते हैं जो उन्हें पृथ्वी के आस-पास की कक्षाओं में प्रवेश करने की अनुमति देता है।
- ये NEO ज्यादातर बर्फीले जल के साथ धूल कणों से निर्मित होते हैं और कभी-कभी ये पृथ्वी के करीब पहुँचते हैं।
माइन प्लाउ
Mine Ploughs
हाल ही में भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) की अधिग्रहण विंग ने टी-90 टैंकों के लिये 1512 माइन प्लाउ (Mine Ploughs) की खरीद हेतु ‘भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड’ (Bharat Earth Movers Limited- BEML) के साथ 557 करोड़ रुपए के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये।
प्रमुख बिंदु:
- इन माइन प्लाउ (Mine Ploughs) को भारतीय बख्तरबंद कोर के टी-90 टैंकों पर फिट किया जाएगा जिससे यदि किसी इलाके में शत्रु सेना माइंस बिछा दे तो उन्हें टैंक के ऊपर रहकर ही खोदकर बाहर निकाला जा सकता है।
- ‘माइन प्लाउ’ (Mine Ploughs) एक ऐसा यंत्र है जिससे भूमि की खुदाई की जाती है। इसकी मदद से विस्फोटक या माइंस को सावधानीपूर्वक बाहर निकाला जा सकता है। इससे टैंक बेड़े की गतिशीलता कई गुना बढ़ जाएगी।
- रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अनुबंध के तहत माइन प्लाउ 50% स्वदेशी सामग्री के साथ खरीदे एवं निर्मित किये जाएंगे। सभी माइन प्लाउ वर्ष 2027 तक भारत को मिल जाएंगे।
भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (Bharat Earth Movers Limited- BEML):
- यह एक भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जिसका मुख्यालय बेंगलुरु (कर्नाटक) में है।
- यह विभिन्न प्रकार के भारी उपकरणों का निर्माण करता है जैसे- परिवहन एवं खनन में उपयोग की जाने वाली भारी मशीनरी आदि।
वानिकी में उत्कृष्टता के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार
National Award for Excellence in Forestry
वर्ष 2019 के लिये वानिकी में उत्कृष्ट अनुसंधान के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार कन्नन सी एस वॉरियर (Kannan C S Warrier) को दिया गया है जो ‘इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट जेनेटिक्स एंड ट्री ब्रीडिंग’ (Institute of Forest Genetics and Tree Breeding- IFGTB) के वैज्ञानिक हैं।
प्रमुख बिंदु:
- यह पुरस्कार भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (Indian Council of Forestry Research and Education- ICFRE) द्वारा प्रदान किया जाता है।
- ICFRE राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान प्रणाली में एक सर्वोच्च निकाय है। ICFRE को हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा भूमि क्षरण से संबंधित मुद्दों पर उत्कृष्ट कार्य करने के लिये उत्कृष्टता केंद्र के रूप में घोषित किया गया था।
- देश में पहली बार उपयुक्त लवणीय मृदा के लिये कैसुअरीना (Casuarina) के तीन लवण-सहिष्णु उत्पादक क्लोन जारी करने के लिये ‘कन्नन सी एस वॉरियर’ को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- भारत में 6.73 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र लवण प्रभावित है और यह दुनिया में कैसुअरीना (Casuarina) का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र भी है जो इन क्लोनों के उत्पादन के लिये एक महत्त्वपूर्ण स्थान भी है।
कैसुअरीना (Casuarina):
- कैसुअरीना (Casuarina) जिसे कट्टडी (Kattadi) एवं सवुक्कू (Savukku) के नाम से भी जाना जाता है, एक पौधे की प्रजाति है जिसकी कैसुअरीना इक्विसेटिफोलिया (Casuarina Equisetifolia) सहित 17 से अधिक प्रजातियाँ हैं।
- यह बैक्टीरिया फ्रैंकिया (Frankia) के साथ सहजीवी संघ में ‘नाइट्रोजन स्थिरीकरण’ (Nitrogen Fixation) में प्रमुख भूमिका निभाता है।
- यह ईंधन की लकड़ी, कागज बनाने की लुगदी और बायोमास-आधारित बिजली उत्पादन के लिये एक पसंदीदा विकल्प है।
- इनका उपयोग तटीय क्षेत्रों में आश्रय के लिये और कृषि फसलों एवं केले के बागानों की रक्षा के लिये वायु अवरोध के रूप में किया जाता है।
- ‘कन्नन सी एस वॉरियर’ ने केरल के अलप्पुझा ज़िले में लुप्तप्राय सेक्रेड ग्रोव्स (Sacred Groves) के संरक्षण पर भी व्यापक कार्य किया है।