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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 21 Mar, 2022
  • 18 min read
प्रारंभिक परीक्षा

महात्मा गांधी ग्रीन ट्राएंगल

हाल ही में आज़ादी के अमृत महोत्सव को चिह्नित करने के लिये मेडागास्कर में महात्मा गांधी ग्रीन ट्राएंगल (Mahatma Gandhi Green Triangle) का अनावरण किया गया है।

madagascar

प्रमुख बिंदु

  • ट्राएंगल या तिराहे में ग्रीन या हरा शब्द सतत् विकास और पर्यावरण को बचाने के लिये उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • इस ट्राएंगल का नाम महात्मा गांधी ग्रीन ट्राएंगल रखने का उद्देश्य महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करना है।
    • महात्मा गांधी एक ‘प्रसिद्ध प्रवासी' थे, जो दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे तथा भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया और भारतीयों के जीवन को हमेशा के लिये बदल दिया।
  • मेडागास्कर में भारतीय राज्य गुजरात के प्रवासी लोग बड़ी संख्या में रहते हैं तथा गांधीजी गुजरात राज्य के पोरबंदर से संबंधित थे, अत: उन्ही के नाम पर एक ग्रीन ट्राएंगल का अनावरण मेडागास्कर की राजधानी में किया गया है।
  • मेडागास्कर ने क्षेत्र को हरा-भरा करने में दूतावास के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रयास एंटानानारिवो की शहरी नगर पालिका के उद्देश्य को पूरा करता है जो कि दूतावास द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, राजधानी मेडागास्कर में अधिकतम हरित क्षेत्र को निर्मित करना है।

महात्मा गांधी से संबंधित प्रमुख तथ्य:

  • जन्म: 2 अक्तूबर, 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में।
  • संक्षिप्त परिचय: वे एक प्रसिद्ध वकील, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्त्ता और लेखक थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन का नेतृत्व किया।
  • सत्याग्रह: दक्षिण अफ्रीका (1893-1915) में उन्होंने जन आंदोलन की एक नई पद्धति यानी ‘सत्याग्रह’ की स्थापना की और इसके साथ ही नस्लवादी शासन का सफलतापूर्वक मुकाबला किया।

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  • भारत वापसी: वे 9 जनवरी, 1915 को दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे।
    • भारत के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान को चिह्नित करने हेतु प्रतिवर्ष 09 जनवरी को ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ का आयोजन किया जाता है।
  • भारत में सत्याग्रह आंदोलन: महात्मा गांधी का मानना था कि अहिंसा का धर्म सभी भारतीयों को एकजुट कर सकता है।
    • वर्ष 1917 में उन्होंने किसानों को नील की खेती की दमनकारी प्रणाली के खिलाफ संघर्ष के लिये प्रेरित करने हेतु बिहार के चंपारण की यात्रा की थी।
    • वर्ष 1919 में उन्होंने प्रस्तावित ‘रॉलेट एक्ट’ (1919) के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह शुरू करने का फैसला किया।
  • असहयोग आंदोलन (1920-22): सितंबर 1920 में काॅन्ग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में उन्होंने अन्य नेताओं को खिलाफत और स्वराज के समर्थन में एक असहयोग आंदोलन शुरू करने की आवश्यकता के बारे में आश्वस्त किया।
  • नमक मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन: असहयोग आंदोलन समाप्त होने के बाद कई वर्षों तक महात्मा गांधी ने अपने सामाजिक सुधार कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया।
    • वर्ष 1930 में गांधीजी ने घोषणा की कि वे नमक कानून को तोड़ने के लिये एक मार्च का नेतृत्व करेंगे।
      • इस कानून के अनुसार नमक के निर्माण और बिक्री पर राज्य का एकाधिकार था।
  • भारत छोड़ो आंदोलन:
    • द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) के प्रकोप के साथ भारत में राष्ट्रवादी संघर्ष अपने अंतिम महत्त्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर गया।
  • सामाजिक कार्य:
    • उन्होंने तथाकथित अछूतों के उत्थान के लिये भी महत्त्वपूर्ण कार्य किये और अछूतों को एक नया नाम दिया- 'हरिजन', जिसका अर्थ है ‘ईश्वर की संतान’।
    • आत्मनिर्भरता का उनका प्रतीक- चरखा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक लोकप्रिय चिह्न बन गया।
  • पुस्तकें: हिंद स्वराज, सत्य के साथ मेरे प्रयोग (आत्मकथा)।
  • मृत्यु: 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
    • 30 जनवरी को देश भर में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

भारत के संविधान का ओल चिकी लिपि में अनुवाद

भारत के संविधान का पहली बार ओल चिकी लिपि (Ol Chiki Script) में अनुवाद किया गया है।

  • ओल चिकी लिपि (Ol Chiki Script) जिसे ओल चेमेट (Ol Chemet), ओल सिकी (Ol Ciki), ओल (Ol) और कभी-कभी संथाली वर्णमाला के रूप में भी जाना जाता है, संथाली के लिये आधिकारिक लेखन प्रणाली तथा भारत में एक आधिकारिक क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त ऑस्ट्रोएशियाटिक भाषा है।

मान्यता का महत्त्व:

  • भारत के संविधान में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु विशेष प्रावधान हैं तथा अनुवाद हेम्ब्रम (Hembram), पाठकों के लिये कानूनों, शक्तियों और समुदाय के मौलिक अधिकारों की गहरी समझ प्रदान करने में उपयोगी रहा है। (हेम्ब्रम एक उपनाम है जो आमतौर पर संथाल आदिवासियों के बीच प्रयोग किया जाता है)।
  • आदिवासी विद्वान अक्सर संविधान की अनुसूचियों V और VI के तहत अनुच्छेद 21 की ओर इशारा करते हुए आदिवासी लोगों के विकास के लिये इनके अधिकारों की स्वायत्तता एवं गरिमा की पुष्टि करते हैं तथा कई लोग इसे आदिवासी अधिकारों की नींव भी मानते हैं।
    • 5वीं अनुसूची: यह अनुसूचित क्षेत्रों के साथ-साथ असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम राज्यों के अलावा किसी भी राज्य में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन एवं नियंत्रण से संबंधित है।
    • 6वीं अनुसूची: यह असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम राज्यों में आदिवासी आबादी के अधिकारों की रक्षा के लिये आदिवासी क्षेत्रों के प्रशासन का प्रावधान करती है। यह विशेष प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275(1) के तहत प्रदान किया गया है।

भारतीय संविधान में संथाली भाषा को जोड़ना:

  • वर्ष 2003 में 92वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा संथाली को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में बोडो, डोगरी और मैथिली भाषाओं के साथ भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • आठवीं अनुसूची में इसे शामिल करने का अर्थ था कि भारत सरकार संथाली भाषा के विकास के लिये प्रतिबद्ध थी तथा स्कूल स्तर की परीक्षाओं और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों हेतु प्रवेश परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों को भाषा का उपयोग करने की अनुमति देने के लिये बाध्य थी।

संथाल लोगों की आबादी:

  • भारत की वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश भर में संथाली बोलने वाले 70 लाख से अधिक लोग हैं।
  • लेकिन उनका भौगोलिक वितरण भारत तक ही सीमित नहीं है अपितु यह समुदाय बांग्लादेश, भूटान और नेपाल में भी फैला हुआ है।
  • संथालों की सर्वाधिक जनसख्या भारत के झारखंड राज्य में सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति के रूप में पाई जाती हैं, इसके अलावा असम, त्रिपुरा, बिहार, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्यों में भी इनकी जनसख्या पाई जाती हैं।

संविधान की आठवीं अनुसूची:

  • संविधान की आठवीं अनुसूची के बारे में:
    • इस अनुसूची में भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है। भारतीय संविधान के भाग XVII में अनुच्छेद 343 से 351 तक शामिल अनुच्छेद आधिकारिक भाषाओं से संबंधित हैं।
    • आठवीं अनुसूची से संबंधित संवैधानिक प्रावधान इस प्रकार हैं:
      • अनुच्छेद 344: अनुच्छेद 344(1) संविधान के प्रारंभ से पांँच वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रपति द्वारा एक आयोग के गठन का प्रावधान करता है।
      • अनुच्छेद 351: यह हिंदी भाषा का विकास करने हेतु इसके प्रसार का प्रावधान करता है ताकि यह भारत की मिश्रित संस्कृति के सभी घटकों के लिये अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में काम कर सके।
    • हालांँकि यह ध्यान देने योग्य है कि किसी भी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिये कोई निश्चित मानदंड निर्धारित नहीं है।
  • आधिकारिक भाषाएँ:
    • संविधान की आठवीं अनुसूची में निम्नलिखित 22 भाषाएँ शामिल हैं:
      • असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी।
    • इन भाषाओं में से 14 भाषाओं को संविधान के प्रारंभ में ही शामिल कर लिया गया था।
    • वर्ष 1967 में सिंधी भाषा को 21वें सविधान संशोधन अधिनियम द्वारा आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था।
    • वर्ष 1992 में 71वें संशोधन अधिनियम द्वारा कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को शामिल किया गया।
    • वर्ष 2003 में 92वें सविधान संशोधन अधिनियम जो कि वर्ष 2004 से प्रभावी हुआ, द्वारा बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया।

विगत वर्षों के प्रश्न

निम्नलिखित में से किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत भाषाओं में चार भाषाओं को जोड़ा गया, जिससे उनकी संख्या बढ़कर 22 हो गई? (2008)

(a) 90वाँ संविधान संशोधन
(b) 1वाँ संविधान संशोधन
(c) 92वाँ संविधान संशोधन
(d) 93वाँ संविधान संशोधन

उत्तर: (c)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 मार्च, 2022

अंतर्राष्‍ट्रीय वन दिवस

21 मार्च, 2021 को वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस का आयोजन किया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2012 में 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस (IDF) के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी। इस दिवस का उद्देश्य वनों के महत्त्व और योगदान के बारे में विभिन्न समुदायों में जागरूकता पैदा करना है। इस दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष सरकारी तंत्र और निजी संगठन मिलकर लोगों को वनों के महत्त्व और पर्यावरण तथा अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका के बारे में जागरूक करते हैं। इस दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र वन फोरम (UNFF) और संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (UNFAO) द्वारा किया जाता है। वर्ष 2021 के लिये इस दिवस की थीम है- ‘वन और सतत् उत्पादन एवं खपत’ (Forests and Sustainable Production and Consumption) है। स्वतंत्रता के बाद से भारत की आबादी में तीन गुना वृद्धि दर्ज की गई है, हालाँकि इसके बावजूद भारत के कुल भूमि क्षेत्र के पाँचवें हिस्से पर वन मौजूद हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2021 के अनुसार, पिछले दो वर्षों में 1,540 वर्ग किलोमीटर के अतिरिक्त कवर के साथ देश में वन और वृक्षों के आवरण में वृद्धि जारी है। भारत का वन क्षेत्र अब 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है, यह देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% है जो वर्ष 2019 के 21.67% से अधिक है। क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं। कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन आवरण के मामले में शीर्ष पाँच राज्य मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर और नगालैंड हैं।

विश्व गौरैया दिवस

प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को दुनिया भर में विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य गौरैया के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उसके संरक्षण की दिशा में कार्य करना है। ध्यातव्य है कि गौरैया की आबादी में तेज़ी से आ रही गिरावट को देखते हुए भारतीय पर्यावरणवविद् मोहम्मद दिलावर की नेचर फॉरएवर सोसायटी (Nature Forever Society) द्वारा इस दिवस की शुरुआत की गई थी। विश्व गौरैया दिवस पहली बार वर्ष 2010 में मनाया गया था। गौरैया भारत में पाई जाने वाली एक सामान्य चिड़िया है, किंतु बीते कुछ वर्षों में यह देश के शहरी क्षेत्रों में विलुप्ति के कगार पर है। एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में बीते 40 वर्षों में अन्य पक्षियों की संख्या में वृद्धि हुई है, किंतु गौरैया की संख्या में 60 प्रतिशत की कमी आई है। दुनिया भर में गौरैया की 26 प्रजातियाँ हैं, जबकि उनमें से 5 भारत में पाई जाती हैं। इस वर्ष विश्व गौरैया दिवस की थीम ‘आई लव स्पैरो’ है।

अंतर्राष्ट्रीय खुशहाली दिवस

प्रत्येक वर्ष 20 मार्च को मनुष्य के जीवन में खुशहाली के महत्त्व को इंगित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय खुशहाली दिवस का आयोजन किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2013 में अंतर्राष्ट्रीय खुशहाली दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी, जुलाई 2012 में इसके लिये एक प्रस्ताव पारित किया गया। पहली बार खुशहाली दिवस का संकल्प भूटान द्वारा लाया गया था, जिसमें 1970 के दशक की शुरुआत से राष्ट्रीय आय के बजाय राष्ट्रीय खुशी के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया तथा सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product- GNP) पर सकल राष्ट्रीय खुशहाली (Gross National Happiness- GNH) को अपनाया गया। वर्ष 2022 के लिये अंतर्राष्ट्रीय खुशहाली दिवस की थीम “कीप काम, स्टे वाइज़ एंड बी काइंड” (Keep Calm, Stay Wise and Be Kind) है। वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वावधान में ‘सतत् विकास समाधान नेटवर्क’ द्वारा जारी की जाती है।


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