पीएम को मिला भूटान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री को भूटान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, 'ऑर्डर ऑफ द ड्रक ग्यालपो' से सम्मानित किया गया है, इसे "नगदग पेल जी खोरलो" के नाम से भी जाना जाता है।
प्रमुख बिंदु:
- परिचय:
- पुरस्कार की घोषणा भूटान के 114वें राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर की गई।
- यह भूटान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है तथा भूटान साम्राज्य और वहाँ के आम लोगों की सेवा करने हेतु सम्मानित किया जाता है।
- 'द ऑर्डर ऑफ द ड्रैगन किंग' (ड्रक ग्यालपो) की स्थापना 7 नवंबर, 2008 को उन लोगों को पुरस्कृत करने के लिये की गई थी, जिन्होंने देश और भूटान के लोगों की जीवन भर सेवा की।
- यह सम्मान दो श्रेणियों में दिया जाता है और यह ऑर्डर ऑफ द ड्रैगन किंग भूटान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
भारतीय प्रधानमंत्री को दिये गए अन्य पुरस्कार:
- अब्दुल अज़ीज़ अल सऊद ऑर्डर (2016): यह सऊदी अरब का सर्वोच्च सम्मान है जो गैर-मुस्लिम गणमान्य व्यक्तियों को दिया जाता है।
- गाज़ी अमीर अमानुल्लाह खान स्टेट ऑर्डर (2016): अफगानिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
- फिलिस्तीन राज्य का ग्रैंड कॉलर पुरस्कार (2018): विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को दिया जाने वाला फिलिस्तीन का सर्वोच्च सम्मान।
- ऑर्डर ऑफ़ ज़ायद अवार्ड (2019): संयुक्त अरब अमीरात का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
- ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू अवार्ड (2019): रूस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
- ऑर्डर ऑफ द डिस्टिंग्विश्ड रूल ऑफ निशान इज्जुद्दीन (2019) मालदीव का सर्वोच्च सम्मान जो विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को दिया जाता है।
- पुनर्जागरण के राजा हमद आदेश- प्रथम श्रेणी (2019): बहरीन का सर्वोच्च सम्मान।
- लीजन ऑफ मेरिट पुरस्कार (2020) : उत्कृष्ट सेवाओं और उपलब्धियों के प्रदर्शन में असाधारण मेधावी आचरण के लिये दिया जाने वाला संयुक्त राज्य सशस्त्र बल पुरस्कार।
- सियोल पीस प्राइज़ (2018): सियोल पीस प्राइज़ कल्चरल फाउंडेशन का द्विवार्षिक पुरस्कार (दक्षिण कोरिया) उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने मानव विकास में सुधार, राष्ट्र और विश्व में शांति तथा लोकतंत्र को मज़बूती प्रदान करने हेतु कार्य किये हैं।
- चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड (2018): संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान।
- पहला फिलिप कोटलर राष्ट्रपति पुरस्कार (2019): यह किसी राष्ट्र के प्रमुख नेता को दिया जाता है।
- ग्लोबल गोलकीपर अवार्ड: स्वच्छ भारत अभियान (2019) के लिये बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया है।
- वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार (2021): वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण के भविष्य के प्रति नेतृत्व की प्रतिबद्धता के लिये कैम्ब्रिज एनर्जी रिसर्च एसोसिएट्स सीईआरए द्वारा सम्मानित किया गया है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
इंडियन डेज़र्ट कैट
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के ‘पन्ना टाइगर रिज़र्व’ (PTR) में पहली बार एक ‘इंडियन डेज़र्ट कैट’ को देखा गया है।
- ‘इंडियन डेज़र्ट कैट’ को एशियाटिक वाइल्ड कैट या एशियन स्टेपी वाइल्ड कैट के नाम से भी जाना जाता ह
प्रमुख बिंदु
- वैज्ञानिक नाम: फेलिस सिल्वेस्ट्रिस ओरनाटा
- परिचय:
- यह आमतौर पर राजस्थान के थार रेगिस्तान का एक प्राणी है और झाड़ीदार रेगिस्तानी इलाकों में पाया जाता है।
- यह बिल्ली पश्चिमी भारत के शुष्क और अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है जिसमें गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र (पुणे व नागपुर) शामिल हैं।
- यह बिल्ली रेगिस्तान में पाई जाती है और पानी के बिना भी जीवित रह सकती है।
- इन प्रजातियों के पैर की उंगलियों में कुशन जैसे बाल होते हैं जो इसे उतार-चढ़ाव वाले रेगिस्तानी तापमान को संतुलित करने में मदद करते हैं।
- प्राकृतिक वास:
- यह अधिकतर स्क्रब रेगिस्तान में 2,000-3,000 मीटर की ऊँचाई तक, पर्याप्त वनस्पति वाले पहाड़ी क्षेत्रों, साथ ही समशीतोष्ण जंगलों में पाई जाती है।
- एशियाई जंगली बिल्ली आमतौर पर जल स्रोतों के करीब रहती है, लेकिन कम पानी वाले क्षेत्रों में भी रह सकती है।
- यह विशाल रेगिस्तानों, घने जंगलों और गहरी बर्फ में भी बच जाती है।
- खतरा:
- इसके सुंदर मुलायम फर होते हैं, इसलिये अंतर्राष्ट्रीय फर व्यापार में इसकी सबसे अधिक मांग है।
- घरेलू बिल्लियों के साथ संकरण से आनुवंशिक गुणों का नुकसान हो सकता है और इसलिये इसे मुख्य खतरों में से एक माना जाता है। पाकिस्तान और मध्य एशिया से संकरण की सूचना मिली थी तथा यह भारत में भी एक बड़ी समस्या है।
- एक अन्य महत्त्वपूर्ण खतरा मानव संघर्ष से संबंधित अवैध शिकार है।
- आवास विनाश और आवास की गुणवत्ता में कमी महत्त्वपूर्ण मुद्दे बने हुए हैं। भूमि उपयोग में बदलाव के कारण एशियाई जंगली बिल्ली भारी दबाव में है।
- कृंतक और अन्य रसायनों से भी इन्हें खतरा है।
- सुरक्षा की स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: कम संकटग्रस्त
- CITES: परिशिष्ट-II
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: अनुसूची-I
पन्ना टाइगर रिज़र्व
- अवस्थिति:
- मध्य प्रदेश के पन्ना और छतरपुर ज़िलों में लगभग 576 वर्ग किलोमीटर में फैले पन्ना टाइगर रिज़र्व (Panna Tiger Reserve) में बाघों की वर्तमान आबादी 55 तक पहुँच गई है।
- पन्ना टाइगर रिज़र्व की स्थापना 1981 में हुई थी।
- इस रिज़र्व को भारत के 22वें टाइगर रिज़र्व के रूप में शामिल किया गया था।
- केन-बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना टाइगर रिज़र्व के भीतर स्थित होगी।
- मान्यता:
- जुलाई 2021 में PTR को बाघ संरक्षण और प्रबंधन के लिये स्थापित अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने हेतु राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा सुनिश्चित संरक्षण बाघ मानक (CAITS) प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया था।
- संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 25 अगस्त, 2011 को पन्ना टाइगर रिज़र्व को बायोस्फीयर रिज़र्व के रूप में नामित किया।
- मध्य प्रदेश में अन्य टाइगर रिज़र्व:
- संजय-दुबरी
- सतपुड़ा
- बांधवगढ़
- माधव राष्ट्रीय उद्यान
- पेंच टाइगर रिज़र्व
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
अस्पतालों हेतु स्तनपान अनुकूल टैग
हाल ही में ब्रेस्टफीडिंग प्रमोशन नेटवर्क ऑफ इंडिया (BPNI) ने स्तनपान अनुकूल अस्पतालों हेतु राष्ट्रीय प्रत्यायन केंद्र (NAC) लॉन्च किया।
- BPNI भारत में स्तनपान के संरक्षण, संवर्द्धन और समर्थन के लिये एक राष्ट्रीय संगठन है। जो स्तनपान की रक्षा, प्रचार और समर्थन तथा शिशुओं एवं छोटे बच्चों के उचित पूरक आहार की दिशा में काम करता है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- यह एक नई पहल है जिसमें देश भर के अस्पतालों को ब्रेस्टफीडिंग फ्रेंडली/स्तनपान अनुकूल के रूप में प्रमाणित किया जाएगा।
- यह कदम नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के मद्देनज़र उठाया गया है, जिसमें सिजेरियन डिलीवरी में और वृद्धि देखी गई है।
- एक सीज़ेरियन डिलीवरी जिसे सी-सेक्शन भी कहा जाता है, एक शल्य प्रक्रिया है, इसे तब किया जाता है जब प्राकृतिक डिलीवरी सुरक्षित नहीं होती है।
- इसका उद्देश्य अस्पतालों के लिये नीति, कार्यक्रमों और प्रथाओं को निर्धारित करना है।
- यह नवजात मृत्यु दर को कम करने में मदद करेगा और हमारी शिशु मृत्यु दर (IMR) में सुधार करेगा।
- शिशु मृत्यु दर को जन्म के पहले 28 दिनों के भीतर मृत्यु के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- स्तनपान का महत्त्व:
- यह माताओं और शिशुओं दोनों के लिये इष्टतम है। यह शिशुओं को संक्रमण से बचाता है और बाद में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं जैसे- मधुमेह, मोटापा और अस्थमा की दर को कम कर सकता है।
- माता के दूध में मौजूद प्रोटीन फार्मूला, गाय के दूध के बजाय बच्चे द्वारा आसानी से पचा लिया जाता है। साथ ही माता के दूध में मौजूद कैल्शियम और आयरन का पाचन अधिक आसानी से होता है।
- ऐसा कहा जाता है कि इससे स्तनपान कराने वाली माताओं के गर्भाशय को सिकुड़ने में मदद मिलती है और प्रसव के बाद होने वाला रक्तस्राव अधिक तेज़ी से बंद हो जाता है। इसके अलावा यह स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर के खतरे को कम करता है तथा माताओं का अपने बच्चों के साथ एक अच्छा बंधन बनाने में मदद करता है।
- यह माताओं और शिशुओं दोनों के लिये इष्टतम है। यह शिशुओं को संक्रमण से बचाता है और बाद में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं जैसे- मधुमेह, मोटापा और अस्थमा की दर को कम कर सकता है।
- संबंधित डेटा:
- नवीनतम NFHS (2019-21) के अनुसार, केवल 41.8% माताएँ जन्म के पहले घंटे के भीतर स्तनपान कराने और जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशु की त्वचा से त्वचा का संपर्क स्थापित करने में सक्षम हैं। इसका मतलब है कि 58% माताएँ सक्षम नहीं हैं।
- प्रतिवर्ष लगभग 24.5 मिलियन जन्मों में से 14.2 मिलियन बच्चे माँ के दूध और माताएँ इसके लाभों से वंचित हैं, ये माँ और बच्चे के मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
संबंधित सरकारी पहल
- माँ- "माँ पूर्ण स्नेह"
- किशोर अनुकूल स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम
- सहायक नर्स दाई
- जननी सुरक्षा योजना (JSY)
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई)
- इंदिरा गांधी मातृत्त्व सहयोग योजना (IGMSY)
- केरल में कुदुम्बश्री
- पोषण अभियान
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 दिसंबर, 2021
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस
18 दिसंबर को विश्व भर में ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ का आयोजन किया जाता है। दुनिया भर में प्रवासियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2000 में 18 दिसंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ के रूप में नामित किया था। साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसी दिवस पर वर्ष 1990 में सभी प्रवासी कामगारों और उनके परिवारों के सदस्यों के अधिकारों के संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन को भी अपनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्ष 2020 में लगभग 281 मिलियन लोगों को (वैश्विक जनसंख्या का 3.6 प्रतिशत) अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। यद्यपि बहुत से लोग अपनी इच्छा से पलायन करते हैं, किंतु अधिकांश लोगों को आर्थिक चुनौतियों, प्राकृतिक आपदाओं, अत्यधिक गरीबी और संघर्ष जैसे कारणों के चलते मजबूर होकर पलायन करना पड़ता है। ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस’ 2021 की थीम 'मानव गतिशीलता की क्षमता का दोहन' है। यह विषय प्रवासियों द्वारा अपने ज्ञान, नेटवर्क और कौशल के माध्यम से समुदायों के निर्माण हेतु किये गए महत्त्वपूर्ण योगदान को उजागर करता है। ज्ञात हो कि भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को चिह्नित करने के लिये प्रतिवर्ष 9 जनवरी को 'प्रवासी भारतीय दिवस' का आयोजन किया जाता है।
हैती का ‘जौमौ सूप’
संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी यूनेस्को ने हैती के पारंपरिक सूप को ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची’ में शामिल कर लिया है। यूनेस्को के मुताबिक, हैती का यह ‘जौमौ सूप’ सिर्फ एक डिश नहीं है, बल्कि यह देश की आज़ादी का प्रतीक है, जो हैती के स्वतंत्रता नायकों और नायिकाओं की कहानी, मानवाधिकारों के लिये उनके संघर्ष एवं उनकी कड़ी मेहनत की कहानी बयाँ करता है। ‘स्क्वैश-आधारित’ यह सूप उन चीज़ों का प्रतीक बन गया, जिन्हें लंबे समय तक फ्राँसीसी वर्चस्व के तहत गुलामों के लिये प्रतिबंधित किया गया था, जब तक कि 'हैती’ ने 1 जनवरी, 1804 को स्वतंत्रता प्राप्त नहीं की। इस प्रकार हैती विद्रोही अश्वेत दासों द्वारा निर्मित प्रथम राष्ट्र के रूप में सामने आया था। ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची’ उन अमूर्त विरासतों से मिलकर बनी है जो सांस्कृतिक विरासत की विविधता को प्रदर्शित करने और इसके महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करते हैं। इस सूची का निर्माण वर्ष 2008 में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा पर कन्वेंशन के समय किया गया था।
किदाम्बी श्रीकांत
भारतीय शटलर ‘किदाम्बी श्रीकांत’ ने हाल ही में ‘बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप’ में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। ऐसा करने वाले वह पहले पुरुष भारतीय शटलर बन गए हैं। फाइनल मैच में उनका मुकाबला सिंगापुर के ‘लोह किन येव’ से हुआ, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
वीरा रानी अब्बक्का
21 दिसंबर, 2021 को ‘वीरा रानी अब्बक्का उत्सव’ का आयोजन किया जाएगा। रानी अब्बक्का, उल्लाल की पहली तुलुव रानी थीं। उन्होंने 16वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में पुर्तगालियों से युद्ध लड़ा था। रानी अब्बक्का, चौटा वंश से संबद्ध थीं, जिन्होंने तटीय कर्नाटक (तुलु नाडु) के कुछ हिस्सों पर शासन किया था। इस राजवंश की राजधानी पुट्टीगे थी। बंदरगाह शहर- ‘उल्लाल’ उनकी सहायक राजधानी थी। ‘उल्लाल’ को रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण माना जाता था, जिसके कारण पुर्तगालियों ने इस पर कब्ज़ा करने के कई प्रयास किये लेकिन रानी ने चार दशकों से अधिक समय तक उनके हमलों को रोका। उनकी बहादुरी के कारण उन्हें ‘अभय रानी’ के नाम से भी जाना जाता है।