सा₹थी मोबाइल ऐप
हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने निवेशकों को शिक्षित करने वाला एक मोबाइल एप सा₹थी लॉन्च किया है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- इसका उद्देश्य निवेशकों के बीच प्रतिभूति बाज़ार की बुनियादी अवधारणाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
- यह एप केवाईसी प्रक्रिया, व्यापार और निपटान, म्यूचुअल फंड (एमएफ), हालिया बाज़ार के विकास, निवेशक शिकायत निवारण तंत्र आदि के बारे में भी बताएगा।
- आवश्यकता:
- हाल ही में व्यक्तिगत निवेशकों के बाज़ार में प्रवेश करने में वृद्धि देखी गई है, और इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि व्यापार का एक बड़ा हिस्सा मोबाइल फोन आधारित है।
- ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ के आँकड़ों के अनुसार, व्यक्तिगत निवेशकों की हिस्सेदारी वर्ष 2021 में बढ़कर 45% हो गई, जो वर्ष 2020 में 39% थी।
- ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाज़ार है।
- प्रतिभूति बाज़ार:
- प्रतिभूतियाँ एक प्रकार का वित्तीय साधन हैं, जो धन जुटाने हेतु जारी किये जाते हैं।
- प्रतिभूति बाज़ारों का प्राथमिक कार्य उन लोगों से पूंजी के प्रवाह को सक्षम करना है, जिनके पास इसकी अधिकता है।
- प्रतिभूति बाज़ार निवेश के लिये धन के आवंटन हेतु चैनल प्रदान करते हैं और इस तरह इन दोनों गतिविधियों को अलग कर देते हैं।
- नतीजतन, बचतकर्त्ता और निवेशक अपनी व्यक्तिगत क्षमताओं की वजह से विवश नहीं होते हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था की क्रमशः निवेश तथा बचत करने की क्षमता से बाध्य होते हैं जो अनिवार्य रूप से अर्थव्यवस्था में बचत एवं निवेश को बढ़ाता है।
- उदाहरण: इक्विटी, ऋण प्रतिभूतियाँ आदि।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI):
- SEBI 12 अप्रैल, 1992 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
- इसका मूल कार्य प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करना और प्रतिभूति बाज़ार को बढ़ावा देना तथा विनियमित करना है।
- सेबी बोर्ड में एक अध्यक्ष और कुछ अन्य पूर्णकालिक व अंशकालिक सदस्य होते हैं।
- सेबी समय पर जब भी आवश्यक हो के दबाव वाले मुद्दों को देखने के लिये, विभिन्न समितियों की नियुक्ति भी करता है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
इस्टर्न स्वैंप डियर
हाल ही में काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिज़र्व (असम) में सुभेद्य इस्टर्न स्वैंप डियर की आबादी में गिरावट आई है। इस्टर्न स्वैंप डियर दक्षिण एशिया में अन्य स्थानों से विलुप्त हो गया है।
- वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में आईं बाढ़ों को इस गिरावट का कारण माना जा सकता है।
- हालाँकि, इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि ‘स्टर्न स्वैंप डियर’ अब काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी पाया जाता है, जैसे कि ओरंग राष्ट्रीय उद्यान और लाओखोवा-बुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्य (असम)।
प्रमुख बिंदु
- दलदली हिरण के बारे में: भारतीय उपमहाद्वीप में दलदली हिरण की तीन उप-प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- पश्चिमी दलदली हिरण (Rucervus duvaucelii) नेपाल में पाया जाता है।
- मध्य और उत्तर भारत में पाए जाने वाले दक्षिणी दलदली हिरण /हार्ड ग्राउंड बारासिंघा (Rucervus duvaucelii branderi)।
- काजीरंगा (असम) और दुधवा राष्ट्रीय उद्यानों (उत्तर प्रदेश) में पाए जाने वाले पूर्वी दलदली हिरण (Rucervus duvaucelii ranjitsinhi)।
- दलदली हिरण की संरक्षण स्थिति:
- IUCN की लाल सूची: सुभेद्य
- CITES: परिशिष्ट I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 जनवरी, 2022
क्षुद्रग्रह 1994 PC1
हाल ही में क्षुद्रग्रह 1994 PC1 पृथ्वी के पास से 12 लाख मील की दूरी से गुज़रा। यह चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी का पांँच गुना है, इसलिये इस क्षुद्रग्रह से पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं पहुंँचा। इसे “7482” के नाम से भी जाना जाता है। इसकी लंबाई एक किलोमीटर से अधिक है। इस क्षुद्रग्रह की गति 45,000 मील प्रति घंटा है। यह एक पथरीला क्षुद्रग्रह है। इसे संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह की श्रेणी में रखा गया है और निकट-पृथ्वी वस्तु (near – earth object) श्रेणी के अंतर्गत भी रखा गया है। क्षुद्रग्रहों को कभी-कभी ‘छोटे ग्रह’ (minor planets) भी कहा जाता है। ये चट्टानी अवशेष हैं, जिन्हें लगभग 4.6 बिलियन वर्ष पूर्व सौरमंडल के आरंभिक निर्माण के दौरान छोड़ दिया गया था। सभी क्षुद्रग्रहों का कुल द्रव्यमान पृथ्वी के उपग्रह के द्रव्यमान से कम होता है। 150 से अधिक क्षुद्रग्रहों के दो चन्द्रमा हैं। इसलिये इन्हें ‘बाइनरी क्षुद्रग्रह’ भी कहा जाता है। इनमें एक समान आकार के दो चट्टानी पिंड एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं। इनका वर्गीकरण मुख्य क्षुद्रग्रह पट्टी (main asteroid belt), ट्रोजन्स (trojans) और पृथ्वी के समीप उपस्थित क्षुद्रग्रह (near earth asteroids) में किया जाता है।
जलवायु खतरे और भेद्यता एटलस का निर्माण
हाल ही में जलवायु अनुसंधान और सेवाएंँ (Climate Research and Services-CRS) के वैज्ञानिकों द्वारा भारत के लिये एक जलवायु खतरे और भेद्यता एटलस (Climate Hazards and Vulnerability Atlas) का निर्माण किया गया है। CRS भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के तहत कार्य करता है। वैज्ञानिकों द्वारा 14 चरम मौसम की घटनाओं के आधार पर इस एटलस का निर्माण किया गया है। उन्होंने स्थानीय आबादी और उनकी अर्थव्यवस्था पर इन 14 मौसम की घटनाओं द्वारा प्रस्तुत किये गए जोखिमों व खतरों पर भी विचार किया। यह गर्मी की लहरों, ठंडी लहरों, अत्यधिक वर्षा, गरज, बिजली और बर्फबारी, चक्रवात, हवाओं तथा कोहरे एवं ओलावृष्टि के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह भेद्यता मूल्य और जोखिम मूल्य प्रदान करता है। इन मूल्यों की गणना मौसम विभाग के ऐतिहासिक जलवायु डेटा का उपयोग करके की गई है। यह नक्शा प्रत्येक ज़िले के लिये सामान्यीकृत भेद्यता सूचकांक प्रदान करता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science- MoES) की एक एजेंसी है। यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है।
ऑपरेशन सर्द हवा
राजस्थान की पाकिस्तान से सटी सीमा पर 23 से 28 जनवरी तक बीएसएफ का 'ऑपरेशन सर्द हवा' चलेगा। इसके तहत सीमा पर तारबंदी के आसपास निगरानी को बढ़ाया जाएगा। सर्दियों (Winter) के दिनों में कोहरे (Fog) और धुंध के कारण सीमा पार से घुसपैठ व किसी भी तरह की नापाक हरकत से निपटने के लिये सीमा सुरक्षा बल 'हाई अलर्ट' पर आ जाता है। बल अपने नियमित अभ्यास के तहत गर्मी में 'ऑपरेशन गर्म हवा' और सर्दी में 'ऑपरेशन सर्द हवा' चलाता है। ये अभियान हर वर्ष चलते है और इस दौरान सीमा पर कड़ी निगरानी रखी जाती है। 'ऑपरेशन सर्द हवा' के दौरान सीमा पर बीएसएफ की इंटेलिजेंस विंग भी एक्टिव रहती है और अन्य खुफिया एजेंसियों से भी बीएसएफ का तालमेल रहता है। इस दौरान हर संदिग्ध गतिविधि पर नज़र रखी जाती है। ऑपरेशन सर्द हवा (Operation Sard Hawa) में सीमा से सटी पुलिस चौकियों की विशेष भूमिका रहेगी साथ ही निगरानी को और बढ़ाया जाएगा।
आईएनएस रणवीर
हाल ही में मुंबई नेवल डाकयार्ड में एक हादसे के दौरान तीन नौसैनिक कर्मियों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि आईएनएस रणवीर के अंदरूनी हिस्से में एक धमाका हुआ है, जिसमें तीन नौसैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी।आईएनएस रणवीर भारतीय नौसेना के लिये बनाए गए पाँच राजपूत श्रेणी के विध्वंसक में से चौथा है। आईएनएस रणवीर को 28 अक्तूबर, 1986 को कमीशन किया गया था। आईएनएस रणवीर नवंबर, 2021 से पूर्वी नौसेना कमान से क्रॉस कोस्ट ऑपरेशनल तैनाती पर था और जल्द ही बेस पोर्ट पर लौटने वाला था। मामले की जाँच के लिये बोर्ड ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिये गए हैं। आईएनएस रणवीर के साथ आईएनएस मैसूर को 15वें सार्क शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये श्रीलंकाई क्षेत्रीय जल के बाहर भेजा गया था। 22-26 मई 2015 को आईएनएस रणवीर ने आईएनएस शक्ति के साथ सिंगापुर का दौरा किया। 31 मई - 4 जून, 2015 को आईएनएस रणवीर ने आईएनएस शक्ति के साथ इंडोनेशिया के जकार्ता में एक पोर्ट कॉल किया।