भारत का पहला एल्युमीनियम फ्रेट रेक
हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री ने भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन पर भारत के पहले एल्युमिनियम फ्रेट रेक-61 BOBRNALHSM1 का उद्घाटन किया।
एल्युमीनियम फ्रेट रेक का महत्त्व:
- मेक इन इंडिया कार्यक्रम में सुधार: यह मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिये एक समर्पित प्रयास है क्योंकि इसे RDSO, HINDALCO और बेस्को वैगन के सहयोग से पूरी तरह से स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित किया गया है।
- कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाना: यह खाली रहने की दशा में ईंधन का कम उपयोग करके और भरी हुई स्थिति में अधिक माल ढुलाई करके कार्बन फुटप्रिंट को कम करेगा। यह एल्युमिनियम रेक अपने पूरे सेवा काल में करीब 14,500 टन कम कार्बन उत्सर्जन करेगा।
- अनुमान के अनुसार, एक वर्ष में लगभग 15 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सकता है, भले ही केंद्र सरकार द्वारा पेश किये जाने वाले 2 लाख रेलवे वैगनों (Wagons) में से केवल 5% एल्यूमीनियम निर्मित हों।
- आयात में कमी: लोहा उद्योग निकेल और कैडमियम की बहुत अधिक खपत करता है जो आयात से आता है। इसलिये एल्युमीनियम वैगनों के प्रसार के परिणामस्वरूप कम आयात होगा। साथ ही यह स्थानीय एल्युमीनियम उद्योग के लिये अच्छा है।
- कम ऊर्जा की खपत: नए एल्युमीनियम रेक कथित तौर पर मौजूदा स्टील रेक की तुलना में 180 टन हल्के हैं। नए डिज़ाइन की वहन क्षमता उनके स्टील समकक्षों की तुलना में 5% -10% अधिक बताई गई है। इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि वे रोलिंग स्टॉक और रेल के अपेक्षाकृत नगण्य वियर एंड टिअर के साथ कम ऊर्जा की खपत करते हैं।
- नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जक: यह भारतीय रेलवे को 2030 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करने में मदद करेगा और दुनिया का सबसे बड़ा हरित रेलवे बन जाएगा।
स्रोत: पी.आई.बी.
नीलकुरिंजी फूलों की नई किस्म
हाल ही में पश्चिमी घाट के संथानपारा क्षेत्र की कालीपारा पहाड़ियों में नीलकुरिंजी फूलों की 6 नई किस्मों की पहचान की गई है।
- केरल के इडुक्की में कालीपारा पहाड़ियों पर एक विशाल क्षेत्र में नीलकुरिंजी के फूल खिले हुए हैं।
नीलकुरिंजी के फूल:
- परिचय:
- नीलकुरिंजी मे ‘नील’ का अर्थ है नीला और 'कुरिंजी' का अर्थ फूलों से है।
- परिपक्वता पर फूलों का हल्का नीला रंग बैंगनी-नीले रंग में बदल जाता है।
- इन फूलों के आधार पर ही "नीलगिरि पर्वत शृंखला” का नाम पड़ा है।
- इसका नाम प्रसिद्ध कुंती नदी के नाम पर रखा गया है जो केरल के साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती है, जहाँ यह फूल बहुतायत में पाया जाता है।
- यह आमतौर पर 1,300-2,400 मीटर की ऊँचाई पर उगता है।
- नीलकुरिंजी मे ‘नील’ का अर्थ है नीला और 'कुरिंजी' का अर्थ फूलों से है।
- वैज्ञानिक नाम:
- कुंथियाना स्ट्रोबिलेंथिस
- नई किस्मों की खोज:
- नीलकुरिंजी के फूलों के वे प्रकार जिनकी पहचान पहाड़ी शृंखलाओं में की गई है, उनमें शामिल हैं:
- स्ट्रोबिलेंथिस अनामलिका
- स्ट्रोबिलेंथिस हेयनियस
- स्ट्रोबिलेंथिस पुलिनेंसिस
- स्ट्रोबिलेंथिस नियोएस्पर
- नीलकुरिंजी के फूलों के वे प्रकार जिनकी पहचान पहाड़ी शृंखलाओं में की गई है, उनमें शामिल हैं:
- आवास:
- सभी नीलकुरिंजी प्रजातियाँ पश्चिमी घाट के शोला वन के लिये स्थानिक हैं।
- आँकड़ों के अनुसार, भारत में नीलकुरिंजी की 40 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- फूलों का खिलना:
- यह फूल 12 वर्ष में एक बार खिलता है क्योंकि फूलों के परागण के लिये लंबी अवधि की आवश्यकता होती है।
- यह आखिरी बार वर्ष 2006 में खिला था। अगली संभावना वर्ष 2018 में खिलने की थी, लेकिन वनाग्नि के कारण नीलकुरिंजी उस वर्ष नहीं देखा गया था।
- यह फूल 12 वर्ष में एक बार खिलता है क्योंकि फूलों के परागण के लिये लंबी अवधि की आवश्यकता होती है।
- अन्य तथ्य:
- तमिलनाडु की 'पालियाँ' जनजाति द्वारा उम्र की गणना के लिये नीलकुरिंजी के फूलों का उपयोग किया जाता है।
- दुनिया में नीलकुरिंजी की लगभग 250 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
स्रोत: द हिंदू
डी.वाई. चंद्रचूड़: भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश
न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में नियुक्त किया गया है, जो 49वें CJI उदय उमेश ललित के उत्तराधिकारी है।
- न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का अपेक्षाकृत दो वर्ष का लंबा कार्यकाल होगा और वे 10 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त होंगे।
भारत का मुख्य न्यायाधीश (CJI):
- योग्यता:
- CJI को भारत का नागरिक होना चाहिये।
- निम्लिखित अहर्ता को प्रुआ करता हो :
- कम-से-कम पाँच साल के लिये उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या दो या दो से अधिक न्यायालयों का न्यायाधीश रहा हो, या
- कम-से-कम दस वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय या दो या अधिक ऐसे न्यायालयों के में अधिवक्ता रहा हो, या
- राष्ट्रपति की राय में प्रतिष्ठित विधिवेत्ता हो।
- CJI की नियुक्ति:
- CJI और सर्वोच्च न्यायालय (SC) के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) के तहत की जाती है।
- जहाँ तक CJI का सवाल है, निवर्तमान CJI अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश करता है।
- केंद्रीय कानून मंत्री प्रधानमंत्री को सिफारिश भेजता है, जो बदले में राष्ट्रपति को सलाह देता है।
- दूसरे न्यायाधीश मामले (वर्ष 1993) में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को CJI के पद पर नियुक्त किया जाना चाहिये।
- सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम का नेतृत्व CJI करता है और इसमें न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
- कॉलेजियम प्रणाली न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की प्रणाली है जो सर्वोच्च न्यायालय (न्यायाधीशों के मामलों) के निर्णयों के माध्यम से विकसित हुई है, न कि संसद के अधिनियम या संविधान के प्रावधान द्वारा।
- CJI की प्रशासनिक शक्तियाँ (मास्टर ऑफ रोस्टर):
- 'मास्टर ऑफ द रोस्टर' मुख्य न्यायाधीश के विशेषाधिकार को संदर्भित करता है, मुख्य न्यायाधीश को ‘समकक्षों में प्रथम’ (first among the equals) कहा जाता है।
- अपनी न्यायिक भूमिका के अलावा CJI न्यायालय के प्रशासनिक प्रमुख की भूमिका भी निभाता है।
- अपनी प्रशासनिक क्षमता में मुख्य न्यायाधीश विशेष पीठों को मामलों को आवंटित करने का विशेषाधिकार का उपयोग करता है।
- CJI किसी मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों की संख्या भी निर्धारित करता है।
- इस प्रकार वह केवल न्यायाधीशों को चुनकर परिणाम को प्रभावित कर सकता है जिससे लगता है कि वह किसी विशेष परिणाम का पक्ष ले सकता है।
- ऐसी प्रशासनिक शक्तियों का प्रयोग बिना किसी सामूहिक सहमति के और बिना कोई कारण बताए किया जा सकता है।
- पद से हटाना:
- संसद द्वारा राष्ट्रपति का अभिभाषण प्रस्तुत किये जाने के बाद ही उसे राष्ट्रपति के आदेश द्वारा हटाया जा सकता है।
- इसे संसद के प्रत्येक सदन के विशेष बहुमत द्वारा पारित किया जाना चाहिये (अर्थात् उस सदन की कुल सदस्यता के बहुमत से और उस सदन के उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के कमसे-कम दो-तिहाई बहुमत से)।
- पद से हटाने का आधार: सिद्ध कदाचार या अक्षमता (अनुच्छेद 124 (4)।
- संसद द्वारा राष्ट्रपति का अभिभाषण प्रस्तुत किये जाने के बाद ही उसे राष्ट्रपति के आदेश द्वारा हटाया जा सकता है।
- हाल के विकास:
- वर्ष 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) का कार्यालय सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 के दायरे में आता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारतीय न्यायपालिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: C व्याख्या:
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 अक्तूबर, 2022
डेफएक्सपो 2022
डेफएक्सपो (रक्षा प्रदर्शनी) का 12वाँ संस्करण 18 अक्तूबर से गुजरात के अहमदाबाद और गांधीनगर में शुरू हो रही है। इस अवसर पर गांधीनगर के महात्मा मंदिर सम्मेलन और प्रदर्शनी केन्द्र में कई संगोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा। संगोष्ठियों का आयोजन अग्रणी उद्योग परिसंघों, विचार मंचों, भारतीय रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों, सेना मुख्यालयों, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), गुणवत्ता महानिदेशालय, नागर विमानन मंत्रालय और राज्य सरकार करेंगी। प्रदर्शनी का आयोजन दो वर्ष में एक बार किया जाता है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रम और उद्योग, सशस्त्र बलों के लिये रक्षा उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे। पाँच दिन की यह प्रदर्शनी 22 अक्तूबर तक चलेगी। इस बार का डेफएक्सपो अब तक का सबसे बड़ा आयोजन है। यह रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में भारत की क्षमता को प्रदर्शित करेगा। भारत एक समय रक्षा उत्पादों का बड़ा आयातक था, लेकिन अब वह रक्षा उत्पादों का निर्यात करने वाले विश्व के 25 शीर्ष देशों में शामिल हो चुका है। अब तक की सबसे बडी रक्षा प्रदर्शनी में इस बार 1136 कंपनियाँ भाग लेगी।
किसान सम्मान सम्मेलन 2022
प्रधानमंत्री मोदी ने 17 अक्तूबर को नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में पीएम किसान सम्मान सम्मेलन 2022 का उद्घाटन किया। उन्होंने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत 600 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों का भी शुभारंभ किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना- एक राष्ट्र एक उर्वरक का भी शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत 16,000 करोड़ रुपए की 12वीं किस्त भी जारीी की। प्रधानमंत्री ने कृषि स्टार्टअप कॉन्क्लेव और प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने उर्वरक पर एक ई-पत्रिका 'इंडियन एज' का भी विमोचन किया। साथ ही उन्होंने स्टार्टअप प्रदर्शनी पवेलियन का भ्रमण कर वहाँ प्रदर्शित उत्पादों का अवलोकन किया।
खेलो इंडिया महिला जूडो नेशनल लीग
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का आईजी स्टेडियम 20 से 23 अक्तूबर, 2022 तक होने वाली पहली ‘खेलो इंडिया महिला जूडो नेशनल लीग’ की मेज़बानी करेगा। यह लीग जो कि 4 ज़ोन की महिला जूडो खिलाड़ियों के लिये एक राष्ट्रीय रैंकिंग टूर्नामेंट है, का आयोजन जूडो फेडरेशन ऑफ इंडिया और युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के खेल विभाग द्वारा किया जा रहा है। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा इस आयोजन और ज़मीनी स्तर पर जूडो के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये 1.74 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई है। 31 भार वर्गों में इस टूर्नामेंट की कुल पुरस्कार राशि 24.43 लाख रुपए है। यह टूर्नामेंट चार आयु समूहों में आयोजित किया जा रहा है- सब जूनियर (12-15 वर्ष), कैडेट (15-17 वर्ष), जूनियर (15-20 वर्ष) और सीनियर (20 वर्ष और उससे अधिक)। 31 भार वर्गों में शीर्ष 7 जूडो खिलाडियों को नकद पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। राष्ट्रमंडल खेल, 2022 की रजत पदक विजेता तूलिका मान के साथ-साथ विश्व कैडेट जूडो चैंपियनशिप की स्वर्ण पदक विजेता व इतिहास रचने वाली लिंथोई चनमबाम टूर्नामेंट में हिस्सा लेंगी। इस प्रतियोगिता में कुल 496 जूडो खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। इस राष्ट्रीय लीग के लिये प्रतियोगियों का चयन उनकी रैंकिंग और उनके संबंधित क्षेत्रों यानी उत्तर, दक्षिण, पूर्व एवं पश्चिम में प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है।