प्रिलिम्स फैक्ट्स: 18 अगस्त, 2021
कैटल आइलैंड: हीराकुंड जलाशय
Cattle Island: Hirakud Reservoir
ओडिशा वन और पर्यावरण विभाग पर्यटकों के लिये हीराकुंड जलाशय के द्वीपों के लिये इकोटूरिज़्म पैकेज शुरू कर रहा है।
- हीराकुंड जलाशय के तीन द्वीपों में से एक कैटल आइलैंड (Cattle Island) को दर्शनीय स्थल के रूप में चुना गया है।
प्रमुख बिंदु
कैटल द्वीप:
- यह हीराकुंड जलाशय के चरम बिंदुओं में से एक में स्थित है। यह पूरी तरह से जंगली जानवरों का निवास स्थान है और यहाँ मनुष्यों का किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं है।
- यह बेलपहाड़-बन्हरपाली रेंज के कुमारबंध गाँव के पास है जो ओडिशा के संबलपुर से लगभग 90 किमी. दूर है।
- द्वीप एक जलमग्न पहाड़ी है और हीराकुंड बाँध के निर्माण से पहले यह एक विकसित गाँव था।
- पुनर्वास अवधि के दौरान ग्रामीणों ने अपने कुछ मवेशियों को यहीं छोड़ दिया था; तथा बाँध का निर्माण समाप्त होने पर ये मवेशी पहाड़ी की चोटी पर बस गए।
- जैसे ही बाँध के निर्माण के बाद क्षेत्र जलमग्न होने लगा मवेशी झारसुगुडा ज़िले के एक ऊँचे स्थान भुजापहाड़ पर चले गए। बाद में इसका नाम 'कैटल आइलैंड' रखा गया।
हीराकुंड बाँध:
- स्थापना:
- वर्ष 1937 में महानदी में विनाशकारी बाढ़ की पुनरावृत्ति के बाद इंजीनियर एम. विश्वेश्वरैया द्वारा परिकल्पित यह एक बहुउद्देशीय योजना है।
- इसका पहला पनबिजली संयंत्र वर्ष 1956 में चालू किया गया था।
- यह भारत का सबसे लंबा बाँध है।
- अवस्थिति:
- यह बाँध ओडिशा के संबलपुर शहर के ऊपर की ओर लगभग 15 किमी. की दूरी पर महानदी नदी में बनाया गया है।
- महानदी नदी प्रणाली गोदावरी और कृष्णा के बाद प्रायद्वीपीय भारत की तीसरी सबसे बड़ी और ओडिशा राज्य की सबसे बड़ी नदी है।
- इसका उद्गम छत्तीसगढ़ राज्य की बस्तर पहाड़ियों में सिहावा के पास अमरकंटक के दक्षिण से होता है।
- नदी का जलग्रहण क्षेत्र छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और महाराष्ट्र तक फैला हुआ है।
- उद्देश्य:
- सिंचाई: यह परियोजना संबलपुर, बरगढ़, बोलांगीर और सुबरनापुर ज़िलों में 1,55,635 हेक्टेयर खरीफ तथा 1,08,385 हेक्टेयर रबी फसलों हेतु सिंचाई सुविधा प्रदान करती है।
- पावर हाउस के माध्यम से छोड़ा गया जल महानदी डेल्टा में 4,36,000 हेक्टेयर क्षेत्रों को सिंचित करता है।
- विद्युत उत्पादन: विद्युत उत्पादन के लिये स्थापित क्षमता 347.5 मेगावाट है, इसके दो बिजलीघरों बुर्ला में दाहिने किनारे पर और चिपलीमा, बांध से 22 किमी. नीचे की ओर स्थित हैं।
- बाढ़ नियंत्रण: परियोजना कटक और पुरी ज़िलों में 9500 वर्ग किलोमीटर डेल्टा क्षेत्र सहित महानदी बेसिन को बाढ़ सुरक्षा प्रदान करती है।
- सिंचाई: यह परियोजना संबलपुर, बरगढ़, बोलांगीर और सुबरनापुर ज़िलों में 1,55,635 हेक्टेयर खरीफ तथा 1,08,385 हेक्टेयर रबी फसलों हेतु सिंचाई सुविधा प्रदान करती है।
- वन्यजीव अभयारण्य:
- देबरीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, हीराकुंड बाँध के पास स्थित है। यह पूर्व और उत्तर में विशाल हीराकुंड जलाशय से घिरा है।
- यह स्थलीय और जलीय जैव विविधता दोनों का समर्थन करने वाले राज्य के कुछ चुनिंदा अभयारण्यों में से एक है।
- देबरीगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, हीराकुंड बाँध के पास स्थित है। यह पूर्व और उत्तर में विशाल हीराकुंड जलाशय से घिरा है।
नई शैवाल प्रजाति: अंडमान और निकोबार
New Algal Species: Andaman & Nicobar
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वनस्पति वैज्ञानिकों के एक समूह ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक 'अम्ब्रेला हेड' वाली शैवाल प्रजाति की खोज की है।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह प्रवाल भित्तियों का सकेंद्रण स्थल है तथा समुद्री जैव विविधता से समृद्ध है।
- मार्च 2021 में भारत के समुद्र तट के किनारे लाल समुद्री शैवाल की दो नई प्रजातियों की खोज की गई।
शैवाल (Algae)
- शैवाल को मुख्य रूप से जलीय, प्रकाश संश्लेषक और नाभिक-असर वाले जीवों के समूह के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिनमें पौधों की वास्तविक जड़ों, तनों, पत्तियों और विशेष बहुकोशिकीय प्रजनन संरचनाओं की कमी होती है।
- उनके प्रकाश संश्लेषक वर्णक पौधों की तुलना में अधिक विविधतापूर्ण हैं और उनकी कोशिकाएँ पौधों एवं जानवरों के मध्य पाए जाने वाली विशेषताओं से भिन्न हैं।
- ऑक्सीजन उत्पादकों और लगभग सभी जलीय जीवन के लिये खाद्य आधार के रूप में उनकी पारिस्थितिक भूमिकाएँ हैं।
- वे कच्चे तेल एवं भोजन के स्रोत तथा मनुष्यों के लिये कई दवा और औद्योगिक उत्पादों हेतु आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। शैवालों के अध्ययन को फाइकोलॉजी (Phycology) कहते हैं।
प्रमुख बिंदु
परिचय :
- यह एक चमकीले हरे रंग का शैवाल है जिसका आकार 20 से 40 मिमी. होता है।
- काल्पनिक समुद्री मत्स्यांगना के नाम पर रखा गया एसिटाबुलरिया जलकन्याका (Acetabularia jalakanyakae) बहुत ही प्राचीन है और एक एकल कोशिका जीव है।
- संस्कृत में जलकन्याका का शाब्दिक अर्थ है मत्स्यांगना और महासागरों की देवी।
- यह भारत में खोजी गई जींस एसिटाबुलेरिया (Acetabularia ) की पहली प्रजाति है।
विशेषताएँ :
- यह एक छतरी या एक मशरूम की तरह दिखाई देता है, इसकी टोपी पर 15 से 20 मिमी. व्यास के खाँचे/रेखाएँ होती हैं।
- यह एक नाभिक के साथ एक विशाल कोशिका से बना होता है। इसका केंद्रक एक राइज़ॉइड (Rhizoid) संरचना बनाता है, जो शैवाल को उथली चट्टानों से खुद को जोड़ने की सुविधा प्रदान करता है। यह प्रकृति में अत्यधिक पुनर्योजी है।
- Rhizoids पौधों और कवक के रूप में एक संरचना है जो मज़बूती या अवशोषण में जड़ की तरह कार्य करती है।
महत्त्व :
- चूँकि उनके पास एक विशाल कोशिका है, यह आणविक जीवविज्ञानी के लिये लाभकारी है जो सेलुलर प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं; वे इसे देख सकते हैं और नग्न आँखों से इसमें परिवर्तन कर सकते हैं। इस कारण से एसिटाबुलरिया ( Acetabularia) को एक आदर्श जीव माना जाता है।
चिंताएँ :
- वे विभिन्न प्रवाल भित्तियों के साथ ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि के खतरे का सामना कर रहे हैं।
- वे वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण महासागर अम्लीकरण के लिये अत्यधिक प्रवण हैं क्योंकि जीनस एसिटाबुलरिया समूह के पौधों में समृद्ध कैल्शियम कार्बोनेट पाया जाता है जिनके सूखने पर इनका वज़न लगभग आधा हो जाता है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 अगस्त, 2021
अफगानिस्तान के लिये आपातकालीन वीज़ा
हाल ही में भारत सरकार ने भारत में प्रवेश के लिये तत्काल आवेदनों को सुविधाजनक बनाने हेतु इलेक्ट्रॉनिक वीज़ा की एक विशेष श्रेणी- 'e-Emergency X-Misc Visa’ से संबंधित नए नियम प्रस्तुत किये हैं। वीज़ा संबंधी ये नए प्रावधान विशेष रूप से अफगान नागरिकों के लिये पेश किये गए हैं, क्योंकि तालिबान के कब्ज़े के बाद से अफगानिस्तान की स्थिति काफी चिंताजनक हो गई है। इस प्रकार का वीज़ा उन विदेशी नागरिकों को जारी किया जाता है, जो वीज़ा की मौजूदा श्रेणियों में शामिल नहीं हैं, लेकिन किसी विशिष्ट आपात स्थिति के कारण उनके लिये तत्काल भारत आना आवश्यक है। इस प्रकार एकल-प्रवेश वीज़ा प्रायः भारतीय मिशनों/केंद्रों द्वारा उचित अवधि के लिये जारी किया जाता है। पुराने नियमों के मुताबिक, अफगान नागरिकों को इस श्रेणी के अंतर्गत शामिल नहीं किया जाता था और उन्हें वीज़ा प्राप्त करने के लिये स्वयं दूतावास में उपस्थित होना पड़ता था। हालाँकि अब काबुल में मौजूदा स्थिति को देखते हुए सभी अफगान नागरिकों को ई-वीज़ा के लिये आवेदन करने की अनुमति दे दी गई है। नियमो के मुताबिक, भारत में आपातकालीन पुनर्वास चाहने वाले व्यक्तियों को प्रारंभ में छः माह के लिये आपातकालीन वीज़ा जारी किया जाएगा।
मलेशिया के प्रधानमंत्री मुहिद्दीन यासीन का इस्तीफा
लंबे समय से चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बाद मलेशिया के प्रधानमंत्री मुहिद्दीन यासीन ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मुहिद्दीन यासीन ने प्रधानमंत्री के तौर पर अपने 17 महीने के कार्यकाल के बाद इस्तीफा दिया है, जो कि मलेशिया के किसी भी प्रधानमंत्री का अब तक का सबसे छोटा कार्यकाल है। दक्षिण-पूर्व एशियाई देश मलेशिया के राजा ने नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति तक मुहिद्दीन यासीन को कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया है, हालाँकि इसके लिये कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है। गौरतलब है कि मलेशिया दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित एक संघीय राज्य है। मलेशिया मुख्य तौर पर दो क्षेत्रों से मिलकर बना है, जिन्हें दक्षिण चीन सागर द्वारा अलग किया जाता है- ‘पश्चिम मलेशिया’ (उत्तर में थाईलैंड और दक्षिण में सिंगापुर के साथ सीमा) और ‘पूर्वी मलेशिया’ (बोर्नियो द्वीप का उत्तरी भाग, जो दक्षिण में इंडोनेशिया और ब्रुनेई के साथ सीमा साझा करता है)। मलेशिया भूमध्य रेखा के काफी करीब स्थित है। मलेशिया की अर्थव्यवस्था काफी हद तक पाम आयल के कारोबार पर निर्भर है और भारत प्रतिवर्ष लगभग 90 लाख टन पाम तेल मलेशिया तथा इंडोनेशिया से आयात करता है।
माकी काजी
हाल ही में ‘सुडोकू के गॉडफादर’ के रूप में प्रसिद्ध जापान के ‘माकी काजी’ का 69 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। माकी काजी ने ‘सुडोकू’ को 1980 के दशक में सर्वप्रथम अपनी पत्रिका ‘निकोली’ में प्रकाशित किया था। तब से यह लोकप्रिय खेल- जिसमें 9x9 ग्रिड की प्रत्येक पंक्ति, स्तंभ और वर्ग में 1 से 9 तक की संख्या भरनी होती है, दुनिया भर में फैल गया है। दुनिया भर में इस नंबर पहेली के टूर्नामेंट आयोजित किये जाते हैं और यह अनुमान है कि प्रतिदिन लाखों लोग इस खेल के अलग-अलग संस्करण खेलते हैं। माकी काजी का जन्म उत्तरी जापान के ‘साप्पोरो’ शहर में वर्ष 1951 में हुआ था। जापान के ‘कीओ विश्वविद्यालय’ से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ने के बाद उन्होंने एक पहेली पत्रिका ‘निकोली’ की स्थापना की और अगस्त 1980 में इसका पहला संस्करण प्रकाशित किया गया। एक खेल के रूप में ‘सुडोकू’ की उत्पत्ति का इतिहास स्पष्ट नहीं है, एक मत के अनुसार, इस खेल की उत्पत्ति का श्रेय 18वीं शताब्दी के स्विस गणितज्ञ ‘यूलर’ को दिया जाता है, जबकि एक अन्य मत के अनुसार, यह 8वीं या 9वीं शताब्दी में भारत के रास्ते चीन से अरब जगत में आया। ‘निकोली’ पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद ‘सुडोकू’ खेल जापान समेत दुनिया भर में लोकप्रिय हो गया।
‘बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना’ का विस्तार
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने हाल ही में राज्य के 96 लाख परिवारों को कवर करने के लिये प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना ‘बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना’ (BSKY) के विस्तार की घोषणा की है, गौरतलब है कि अब तक इस योजना के माध्यम से राज्य के लगभग 71.69 लाख परिवारों को कवर किया जा रहा था। योजना के तहत राज्य की कुल 4.5 करोड़ आबादी में से लगभग 3.5 करोड़ लोगों को जल्द ही ‘स्मार्ट हेल्थ कार्ड’ प्रदान कर दिये जाएंगे। इस पहल का प्राथमिक उद्देश्य राज्य की स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाना है। ज्ञात हो कि ओडिशा सरकार ने केंद्र की प्रमुख योजना, ‘आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (AB-PMJAY) को लागू नहीं किया है, बल्कि इसके बजाय वर्ष 2018 में ‘बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना’ को लॉन्च किया था। इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए तक के इलाज का लाभ उठा सकता है, जबकि परिवार की महिला सदस्य प्रतिवर्ष 10 लाख रुपए तक का लाभ उठा सकती है।