प्रारंभिक परीक्षा
वैश्विक आसूचना एवं सुरक्षा प्रमुखों का चौथा सम्मेलन
स्रोत: द हिंदू
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) ने वैश्विक आसूचना और सुरक्षा प्रमुखों के चौथे सम्मेलन की मेज़बानी की, जिसका आयोजन भारत की बाह्य आसूचना संस्था, अनुसंधान एवं विश्लेषण स्कंध (Research and Analysis Wing- R&AW) ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) के साथ सयुंक्त रूप से किया।
- इस कार्यक्रम में फाइव आइज़ एलायंस के प्रमुखों सहित 20 से अधिक देशों के आसूचना अधिकारियों ने भाग लिया ।
आसूचना एवं सुरक्षा प्रमुखों का सम्मेलन क्या है?
- यह रायसीना डायलॉग के हिस्से के रूप में आयोजित एक उच्च स्तरीय वार्षिक सुरक्षा वार्ता है, जिसका आयोजन विदेश मंत्रालय थिंक-टैंक ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के सहयोग से करता है।
- इसका आयोजन प्रथमतः वर्ष 2022 में किया गया।
- यह वार्षिक म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन और सिंगापुर के शांगरी-ला वार्ता की तर्ज पर आधारित है।
- यह आसूचना और सुरक्षा अधिकारियों के लिये उभरते खतरों, सहयोगात्मक सुरक्षा ढाँचे और समकालीन भूराजनीति और भू-रणनीतियों पर चर्चा करने के लिये एक रणनीतिक मंच है।
- वर्ष 2025 के सम्मेलन में आतंकवाद-रोध, पारराष्ट्रीय अपराध, आसूचना जानकारी साझाकरण प्रणाली, आव्रजन और प्रत्यर्पण के साथ-साथ हिंद-प्रशांत सहयोग और आतंकवाद के वित्तपोषण तथा मादक पदार्थों के व्यापार की रोकथाम किये जाने के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
रायसीना डायलॉग क्या है?
और पढ़ें: रायसीना डायलॉग
फाइव आइज़ एलायंस क्या है?
- परिचय: फाइव आइज़ एक आसूचना-साझाकरण गठबंधन है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूज़ीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
- गठन और विकास: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गठित यह गठबंधन जर्मन और जापानी कोड को समझने में UK-US सहयोग से विकसित हुआ।
- यह गठबंधन गुप्तचर समूह की एक शृंखला पर आधारित है, मुख्य रूप से UKUSA बिज़नेस एग्रीमेंट (वर्ष 1946), जो सदस्य देशों के बीच व्यापक पर्यवेक्षण, आसूचना संग्रहण और डेटा साझाकरण की सुविधा प्रदान करता है।
- परिचालन का दायरा:
- वैश्विक संचार का अवरोधन, संग्रहण, विश्लेषण और डिक्रिप्शन।
- पाँचों देशों के मध्य स्वचालित गुप्त जानकारी साझा करना।
- वैश्विक निगरानी के लिये एकीकृत कार्यक्रम, कर्मचारी, आधार और विश्लेषणात्मक प्रक्रियाएँ।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत ने निम्नलिखित में से किससे बराक मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली खरीदी है? (2008) (a) इज़रायल उत्तर: (a) प्रश्न. हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने ‘ऑस्ट्रेलिया समूह’ तथा ‘वासेनार व्यवस्था’ के नाम से ज्ञात बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत को सदस्य बनाए जाने का समर्थन करने का निर्णय लिया है। इन दोनों व्यवस्थाओं के बीच क्या अंतर है? (2011)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
रैपिड फायर
अंतरिक्ष डॉकिंग में भारत की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
अमेरिका, रूस और चीन के बाद वर्तमान में भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में डॉकिंग और अनडॉकिंग क्षमताओं का प्रदर्शन करने वाला चौथा देश बन गया है।
- ISRO ने अंतरिक्ष में दो उपग्रहों, SDX01 (चेज़र) और SDX02 (टारगेट) को स्वचालित रूप से सफलतापूर्वक अनडॉक किया, जिससे भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिये आवश्यक जटिल कक्षीय संचालन करने की भारत की क्षमता सुदृढ़ हुई।
- अंतरिक्ष डॉकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कक्षा में स्थित दो अंतरिक्ष यान को क्रमशः समीप लाया जाता है और एक साथ संसक्त किया जाता है।
- इस क्षमता से अंतरिक्ष में उन भारी अंतरिक्ष यानों का समन्वायोजन करने की सुविधा मिलती है, जिन्हें वज़न की सीमाओं के कारण एक ही मिशन में लॉन्च नहीं किया जा सकता है।
- स्पेस अनडॉकिंग से तात्पर्य किसी स्पेसक्राफ्ट को स्पेस स्टेशन या किसी अन्य स्पेसक्राफ्ट से अलग करने की प्रक्रिया से है।
- यह भारत की योजनाबद्ध भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (वर्ष 2035 तक) और चंद्रमा पर मानव मिशन (वर्ष 2040 तक) के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- चंद्रयान-4 , जो चंद्रमा की मिट्टी और चट्टान के नमूने लेकर आएगा, इसी तकनीक पर आधारित होगा।
- वर्ष 1966 में, नील आर्मस्ट्रांग की कमान में नासा के जेमिनी VIII ने टारगेट व्हीकल एजेना (Agena) के साथ पहली मैनुअल स्पेस डॉकिंग पूरी की।
- वर्ष 1967 में, पूर्व सोवियत संघ के कोस्मोस 186 और कोस्मोस 188 अंतरिक्ष यान ने पहली बार स्वचालित डॉकिंग की क्षमता प्राप्त की।
- चीन ने वर्ष 2011 में अपनी पहली मानवरहित डॉकिंग और वर्ष 2012 में अपनी पहली मानवयुक्त डॉकिंग की क्षमता प्राप्त की।
और पढ़ें: ISRO का स्पैडेक्स
रैपिड फायर
नागोर्नो-काराबाख संघर्ष का समाधान
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
आर्मेनिया और अज़रबैजान ने शांति समझौते को अंतिम रूप दिया, जो नागोर्नो-काराबाख संघर्ष पर शत्रुता समाप्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- संघर्ष: सोवियत काल के दौरान, नागोर्नो-काराबाख मुस्लिम बहुल अज़रबैजान में स्वायत्त क्षेत्र था, लेकिन इसकी अर्मेनियाई आबादी (ईसाई) ने आर्मेनिया के साथ एकीकरण की मांग की।
- सोवियत संघ के पतन के साथ यह संघर्ष युद्ध में परिणत हुआ (1988-1994)।
- वर्ष 1994 के युद्ध विराम के बाद नागोर्नो-काराबाख पर अर्मेनियाई समर्थित नियंत्रण स्थापित हुआ (लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह अज़रबैजान का भाग रहा)।
- प्रमुख संघर्ष:
- प्रथम नागोर्नो-काराबाख युद्ध (1988-1994): अर्मेनिया ने नागोर्नो-काराबाख और निकटवर्ती अज़रबैजानी क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया।
- दूसरा नागोर्नो-काराबाख युद्ध (2020): अज़रबैजान ने संबद्ध क्षेत्र के व्यापक हिस्से पर पुनः कब्ज़ा कर लिया।
- अज़रबैजानी आक्रमण (2023): अज़रबैजान ने एक दिवसीय ऑपरेशन में पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया और एन्क्लेव (विदेशी अंतः क्षेत्र) को आधिकारिक रूप से भंग कर दिया गया।
- नागोर्नो-काराबाख की लगभग पूरी आबादी यानी एक लाख से अधिक व्यक्तियों ने अर्मेनिया में पलायन किया।
- भारत किसी का पक्षधर नहीं है, बल्कि OSCE मिंस्क समूह के माध्यम से राजनयिक समाधान का समर्थन करता है।
- आर्मेनिया और अज़रबैजान अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) का हिस्सा हैं, जो भारत के व्यापार मार्गों के लिये एक प्रमुख परियोजना है।
और पढ़ें: नागोर्नो-काराबाख संघर्ष
रैपिड फायर
उनियाला केरलेंसिस
स्रोत: द हिंदू
शोधकर्त्ताओं ने केरल के अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व में एक नई पादप प्रजाति, उनियाला केरलेंसिस (Family Asteraceae) की पहचान की है।
उनियाला केरलेंसिस के बारे में:
- वंश: उनियाला
- पादप प्रकार: उनियाला केरलेंसिस एक झाड़ी है जो एक से तीन मीटर तक लंबी हो सकती है। इसमें हल्के बैंगनी रंग के फूल होते हैं जो अगस्त से अप्रैल तक खिलते हैं।
- विशिष्ट विशेषताएँ: यू. कोमोरिनेंसिस और यू. साल्विफोलिया की तुलना में बड़ी पत्तियाँ, लंबी पंखुड़ियाँ और कम पार्श्व शिराएँ।
- वितरण: दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थानिक, अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व में 700-1,400 मीटर ऊँचाई पर पाया जाता है।
- जनसंख्या: 250 वर्ग किमी में 4 उप-जनसंख्याओं में लगभग 5,000 व्यक्ति।
- IUCN स्थिति: अपर्याप्त डेटा (DD)
अगस्त्यमाला बायोस्फीयर रिज़र्व:
- स्थान: दक्षिणी पश्चिमी घाट, केरल और तमिलनाडु तक फैला हुआ।
- संरक्षित क्षेत्र: इसमें शेंदुर्नी, पेप्पारा, नेय्यर वन्यजीव अभयारण्य और कालाकाड मुंडनथुराई टाइगर रिज़र्व शामिल हैं।
- जैव विविधता: 2,254 उच्चतर पादप प्रजातियाँ (405 स्थानिक), नीलगिरि तहर, शेर-पूँछ वाला मैकाक, बंगाल टाइगर, भारतीय हाथी।
- जनजातियाँ: कानी जनजातियाँ (केरल और तमिलनाडु)
- यूनेस्को: मानव और जीवमंडल (MAB) कार्यक्रम, 2016।
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