बिहार का तारापुर नरसंहार
हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री ने 90 वर्ष पहले बिहार के मुंगेर ज़िले के तारापुर शहर (अब उपखंड) में पुलिस द्वारा मारे गए 34 स्वतंत्रता सेनानियों की याद में 15 फरवरी को "शहीद दिवस" के रूप में मनाने की घोषणा की है।
- 1919 में अमृतसर के जलियाँवाला बाग में हुए हत्याकांड के बाद तारापुर हत्याकांड ब्रिटिश पुलिस द्वारा किया गया सबसे बड़ा नरसंहार था।
तारापुर नरसंहार:
- 15 फरवरी, 1932 को युवा स्वतंत्रता सेनानियों के एक समूह ने तारापुर थाना भवन में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने की योजना बनाई।
- पुलिस को इस योजना की जानकारी थी और मौके पर कई अधिकारी मौजूद थे।
- 4,000 की भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया, जिसमें नागरिक प्रशासन का एक अधिकारी घायल हो गया।
- पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में भीड़ पर अंधाधुंध फायरिंग की। लगभग 75 राउंड फायरिंग के बाद मौके पर 34 शव मिले, हालाँकि इससे भी बड़ी संख्या में मौतों का दावा किया जा रहा था।
- मृतकों में से सिर्फ 13 लोगों की ही पहचान की गई।
विरोध की वजह:
- 23 मार्च, 1931 को लाहौर में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांँसी दिये जाने के कारण पूरे देश में शोक और आक्रोश की लहर दौड़ गई।
- गांधी-इरविन पैक्ट निरस्त होने के बाद महात्मा गांधी को वर्ष 1932 की शुरुआत में गिरफ्तार कर लिया गया था।
- इस समझौते द्वारा गांधीजी ने लंदन में एक गोलमेज़ सम्मेलन (काॅन्ग्रेस ने पहले गोलमेज़ सम्मेलन का बहिष्कार किया था) में भाग लेने के लिये सहमति व्यक्त की और सरकार राजनीतिक कैदियों को रिहा करने पर सहमत हो गई।
- काॅन्ग्रेस को एक अवैध संगठन घोषित किया गया और नेहरू, पटेल तथा राजेंद्र प्रसाद को भी जेल में डाल दिया गया।
- मुंगेर में स्वतंत्रता सेनानी श्रीकृष्ण सिंह, नेमधारी सिंह, निरापद मुखर्जी, पंडित दशरथ झा, बासुकीनाथ राय, दीनानाथ सहाय और जयमंगल शास्त्री को गिरफ्तार किया गया था।
- काॅन्ग्रेस नेता सरदार शार्दुल सिंह कविश्वर द्वारा सरकारी भवनों पर तिरंगा फहराने का आह्वान तारापुर में गूँज उठा।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
गिलोय/गुडुची
हाल ही में आयुष मंत्रालय ने एक बार फिर यह दोहराया है कि गिलोय/गुडुची (टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया) एक सुरक्षित औषधि है और उपलब्ध आंँकड़ों के अनुसार, इसका शरीर पर कोई विषाक्त प्रभाव नहीं पड़ता है।
- इससे पहले मीडिया के कुछ वर्गों ने एक बार फिर गिलोय/गुडुची का लीवर (यकृत) की खराबी से संबंध जोड़ा है।
- आयुष मंत्रालय के अनुसार, किसी भी दवा की सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि उसका किस प्रकार उपयोग किया जा रहा है। दवा की खुराक एक प्रमुख कारक है,जिससे उस विशेष दवा की सुरक्षा का निर्धारण होता है।
प्रमुख बिंदु
गिलोय/गुडुची के बारे में:
- गिलोय पेड़ों के सहारे बढ़ने वाली एक झाड़ी है, जो कि ‘मेनिस्पर्मेसी’ वानस्पतिक परिवार से संबद्ध है।
- यह पौधा भारत का स्थानिक है, लेकिन चीन,ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में भी पाया जाता है।
- इसका उपयोग बुखार, संक्रमण, दस्त और मधुमेह सहित कई तरह की समस्याओं के इलाज के लिये किया जाता है।
गिलोय/गुडुची के औषधीय अनुप्रयोग:
- विभिन्न चयापचय संबंधी विकारों के उपचार में इसके स्वास्थ्य लाभों और एक प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में इसकी क्षमता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
- यह एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक, एंटी-हाइपरलिपिडेमिक, हेपेटोप्रोटेक्टिव, कार्डियोवस्कुलर प्रोटेक्टिव, न्यूरोप्रोटेक्टिव, ओस्टियोप्रोटेक्टिव, रेडियोप्रोटेक्टिव, एंटी-डिप्रेशन, एडाप्टोजेनिक, एनाल्जेसिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीपीयरेटिक, एंटी-डायरियल, एंटी-अल्सर और एंटी-माइक्रोबियल के रूप में उपयोग किया जाता है एवं इसे कैंसर रोधी के तौर पर भी देखा जाता है।
- इसका उपयोग मानव जीवन प्रत्याशा की वृद्धि में सहायता करते हुए चयापचय, अंतःस्रावी और कई अन्य बीमारियों के उपचार के लिये चिकित्सा विज्ञान के एक प्रमुख घटक के रूप में किया जाता है।
- यह पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में अपने व्यापक चिकित्सीय अनुप्रयोगों के लिये एक लोकप्रिय जड़ी- बूटी है और इसका उपयोग कोविड-19 के प्रबंधन में किया गया है।
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 फरवरी, 2022
‘DefExpo-2022’ का आयोजन
गांधीनगर (गुजरात) में 10-13 मार्च के बीच एशिया की सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी- ‘DefExpo-2022’ का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन में अब तक 900 से अधिक रक्षा फर्मों और 55 देशों ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की है। भारत की प्रमुख रक्षा प्रदर्शनी का फोकस देश को एक उभरते रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में पेश करने पर है। इस द्विवार्षिक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे 900 भागीदारों में से 100 से अधिक विदेशी हैं। 1,000-ड्रोन डिस्प्ले इस प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण होगा। यह दूसरी बार है जब देश में ड्रोन प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा, इससे पूर्व 29 जनवरी को दिल्ली में बीटिंग रिट्रीट के दौरान भी इस प्रकार की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। गौरतलब है कि ‘DefExpo’ के रूप में इस द्विवार्षिक कार्यक्रम की परंपरागत शुरुआत वर्ष 2014 में दिल्ली में की गई थी, जिसके बाद से इसे कई नए स्थानों पर आयोजित किया जा चुका है- गोवा (2016), चेन्नई (2018) और लखनऊ (2020)। सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने हेतु कई महत्त्वपूर्ण उपाय किये हैं, जिसमें रक्षा निर्माण में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना, स्थानीय रूप से निर्मित सैन्य हार्डवेयर की खरीद के लिये एक अलग बजट बनाना और ऐसे रक्षा हथियारों/उपकरणों की सूची बनाना जिन्हें आयात नहीं किया जा सकता आदि शामिल हैं।
राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक
देश की समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के भारत के प्रयास के तहत सरकार ने वाइस एडमिरल (सेवानिवृत्त) ‘जी. अशोक कुमार’ को देश की समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने हेतु भारत का पहला ‘राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक’ (NMSC) नियुक्त किया है। देश को सुरक्षित करने के समग्र उद्देश्य के साथ विभिन्न प्रमुख हितधारकों के बीच सामंजस्य सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से यह कदम काफी महत्त्वपूर्ण है। ‘राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक’ देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय’ के समन्वय में काम करेंगे। ‘राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक’ के रूप में जी. अशोक कुमार का प्राथमिक दायित्व भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, तटीय एवं समुद्री सुरक्षा में संलग्न विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों और 13 तटीय राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के बीच समन्वय स्थापित करना होगा। गौरतलब है कि सरकार विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनज़र भारत की समुद्री सुरक्षा एवं निगरानी बढ़ाने के लिये सभी समुद्री हितधारकों के बीच सहयोग सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। भारत के पास तकरीबन 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा है, मुंबई आतंकी हमले के बाद से सरकार ने तटीय एवं समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करने के लिये स्तरित समुद्री निगरानी स्थापित करने सहित कई सुरक्षा उपाय किये हैं।
कला रामचंद्रन- गुरुग्राम की पहली महिला पुलिस आयुक्त
हरियाणा कैडर की आईपीएस अधिकारी कला रामचंद्रन को गुरुग्राम की पहली महिला पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। वर्ष 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी कला रामचंद्रन ने के.के. राव का स्थान लिया है, जिन्हें गुरुग्राम के पास स्थित पुलिस प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया है। कला रामचंद्रन इससे पहले रेवाड़ी, फतेहाबाद और पंचकुला ज़िलों में पुलिस अधीक्षक के रूप में काम कर चुकी हैं। वह वर्ष 2001 से इंटेलिजेंस ब्यूरो में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थीं और वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक उन्होंने मेघालय में उत्तर पूर्वी पुलिस अकादमी का नेतृत्व किया। अगस्त 2020 में वह अपने गृह कैडर में लौट आई और प्रमुख सचिव (परिवहन) के अलावा हरियाणा पुलिस मुख्यालय में क्राइम अगेंस्ट वूमेन सेल एंड विजिलेंस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के रूप में कार्य किया।
तुर्की के नाम में परिवर्तन
राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन के नेतृत्व वाली तुर्की सरकार ने राष्ट्र का नाम तुर्की से बदलकर 'तुर्किये' करने का निर्णय किया है। इस कदम का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि सुधारना और देश के इतिहास को इसके नाम के साथ जोड़ना है। इस संबंध में राष्ट्रपति एर्दोगन द्वारा जारी बयान के अनुसार, 'तुर्किये' नाम देश की संस्कृति एवं सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है और राष्ट्र के मूल्यों का सबसे उपयुक्त तरीके से विवरण प्रस्तुत करता है। राष्ट्र के लिये इस नाम का उपयोग सभी आर्थिक गतिविधियों एवं अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं एवं पत्राचार में किया जाएगा। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार गतिविधियों में इस नाम का उपयोग इसे एक अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड बनाने में भी मदद करेगा। ज्ञात हो कि तुर्की को ‘तुर्क भाषा’ में ‘तुर्किये’ नाम से जाना जाता है। औपनिवेशिक शासन के दौरान देश को लैटिन भाषा में ‘तुर्की’ उपनाम दिया गया था, जो कि समय के साथ इसकी पहचान से जुड़ गया।