प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 17 अगस्त, 2021
हुनर हाट
(Hunar Haats)
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने 75 ‘हुनर हाट’ के माध्यम से 7 लाख 50 हज़ार कारीगरों, शिल्पकारों को रोज़गार के अवसर प्रदान करने का लक्ष्य रखा है।
- देश भर में आयोजित होने वाले 75 हाट 'अमृत महोत्सव' का हिस्सा होंगे और भारत की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर को चिह्नित करेंगे।
- साथ ही ‘वक्फ तरक्कियाती योजना’ और ‘प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम’ (PMJVK) के तहत देश भर में खाली पड़ी वक्फ भूमि पर 75 ‘अमृत महोत्सव पार्क’ स्थापित किये जाएंगे।
प्रमुख बिंदु
हुनर हाट
- हुनर हाट अल्पसंख्यक समुदायों के कारीगरों द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प और पारंपरिक उत्पादों की एक प्रदर्शनी है।
थीम
आयोजक
- ये अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा ‘उस्ताद’ (विकास के लिये पारंपरिक कला/शिल्प में कौशल और प्रशिक्षण उन्नयन) योजना के तहत आयोजित किये जाते हैं।
- उस्ताद योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों की पारंपरिक कला एवं शिल्प की समृद्ध विरासत को बढ़ावा देना और संरक्षित करना है।
उद्देश्य
- ‘हुनर हाट’ का उद्देश्य कारीगरों, शिल्पकारों और पारंपरिक पाक कला विशेषज्ञों को बाज़ार में एक्सपोज़र एवं रोज़गार के अवसर प्रदान करना है।
- यह उन शिल्पकारों, बुनकरों और कारीगरों के कौशल को बढ़ावा देने की परिकल्पना करता है जो पहले से ही पारंपरिक पुश्तैनी काम में संलग्न हैं।
महत्त्व
- 'हुनर हाट' कुशल कारीगरों और शिल्पकारों के लिये ‘सशक्तीकरण’ का एक माध्यम साबित हुआ है।
- यह कारीगरों और शिल्पकारों के लिये बेहद फायदेमंद और उत्साहजनक साबित हुआ है, क्योंकि लाखों लोग ‘हुनर हाट’ में जाते हैं और बड़े पैमाने पर कारीगरों के स्वदेशी उत्पादों को खरीदते हैं।
- पिछले लगभग 5 वर्षों में ‘हुनर हाट’ के माध्यम से 5 लाख से अधिक कारीगरों, शिल्पकारों और उनसे जुड़े लोगों को रोज़गार के अवसर प्रदान किये गए हैं।
स्लेंडर लोरिस
Slender Loris
हाल ही में कुछ पर्यावरणविदों ने मांग की है कि स्लेंडर लोरिस (लोरिस टार्डिग्राडस- Loris Tardigradus) के संरक्षण के लिये तमिलनाडु के कदवुर रिज़र्व फॉरेस्ट को वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया जाए।
- वर्ष 2016-17 के दौरान की गई वन्यजीव गणना के अनुसार करूर रिज़र्व फॉरेस्ट में स्लेंडर लोरिस की आबादी 3,500 देखी गई।
प्रमुख बिंदु
परिचय:
- स्लेंडर लोरिस भारत और श्रीलंका की स्थानिक/मूल लोरिस की एक प्रजाति है।
- स्लेंडर लोरिस अपना अधिकांश जीवन वृक्षों पर व्यतीत करते हैं। ये धीमी और सटीक गति के साथ शाखाओं के शीर्ष पर घूमते रहते हैं।
- ये प्रायः कीड़े, सरीसृप, पौधों और फलों का भोजन करते हैं।
आवास:
- वे उष्णकटिबंधीय वर्षावनों, झाड़ीदार जंगलों, अर्द्ध-पर्णपाती वनों और दलदली भूमि पर पाए जाते हैं।
प्रकार:
- स्लेंडर लोरिस की दो प्रजातियाँ हैं, जो 'लोरिस' जीनस (वर्ग) के सदस्य हैं:
- रेड स्लेंडर लोरिस (लोरिस टार्डिग्रैडस)
- ग्रे स्लेंडर लोरिस (लोरिस लिडेकेरियानस)
खतरे:
- ऐसा माना जाता है कि इनमें औषधीय गुण होते हैं और इन्हें पकड़कर बेचा जाता है। चूँकि इन जानवरों को पालतू जानवर के रूप में रखने की बहुत मांग है, इसलिये इनकी अवैध रूप से तस्करी की जाती है।
- पर्यावास का नुकसान, बिजली के तारों का करंट लगना और सड़क दुर्घटना अन्य खतरे हैं जिनके कारण इनकी आबादी कम हो गई है।
संरक्षण स्थिति:
- IUCN: संकटग्रस्त
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची- I
- CITES: परिशिष्ट- II
कदवुर रिज़र्व फॉरेस्ट
संदर्भ:
- यह जंगल तमिलनाडु के करूर ज़िले में लगभग 6000 हेक्टेयर वन क्षेत्र में स्थित है। जंगल में पहाड़ियाँ और घने शुष्क क्षेत्र हैं।
- भारतीय बाइसन, चित्तीदार हिरण, चूहा हिरण, स्लेंडर लोरिस, सियार, नेवला, काले रंग का खरगोश, जंगली सूअर, साही, मॉनिटर छिपकली, पैंगोलिन, बंदर, अजगर आदि इन जंगलों में पाए जाते हैं।
तमिलनाडु में प्रमुख संरक्षित क्षेत्र:
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 अगस्त, 2021
डी जुरे ट्रांसफर डे
16 अगस्त, 2021 को पुद्दुचेरी में ‘डी जुरे ट्रांसफर डे’ मनाया गया। ‘डी जुरे ट्रांसफर डे’ एक क्षेत्रीय सार्वजनिक अवकाश है, जो पुडुचेरी में प्रतिवर्ष 16 अगस्त को मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन वर्ष 1962 में पुद्दुचेरी का भारतीय संघ में विलय हुआ था। गौरतलब है कि यद्यपि 15 अगस्त, 1947 को संपूर्ण भारत को स्वतंत्रता मिल गई, किंतु उस समय देश के कई क्षेत्र ऐसे भी थे जो यूरोपीय देशों के नियंत्रण में थे और पुद्दुचेरी तथा गोवा उनमें से थे। वर्तमान केंद्रशासित प्रदेश पुद्दुचेरी में तत्कालीन फ्राँसीसी उपनिवेश- पुद्दुचेरी, कराईकल, माहे और यनम शामिल थे। पुद्दुचेरी और कराईकल क्षेत्र तमिलनाडु राज्य से घिरे हुए हैं, जबकि माहे केरल राज्य से और यनम आंध्र प्रदेश राज्य से घिरा हुआ है। 1 नवंबर, 1954 को फ्राँसीसी कब्ज़े वाले भारत के क्षेत्रों को वास्तव में भारत गणराज्य में स्थानांतरित कर दिया गया था और 16 अगस्त, 1962 को भारत में फ्राँसीसी अस्तित्व समाप्त हो गया तथा फ्राँसीसी संसद ने भारत सरकार और फ्राँसीसी सरकार द्वारा हस्ताक्षरित संधि की पुष्टि कर दी।
अटल बिहारी वाजपेयी
16 अगस्त, 2021 को देश भर में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तीसरी पुण्यतिथि मनाई गई। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी अपने छात्र जीवन के दौरान सर्वप्रथम राष्ट्रवादी राजनीति में तब सामने आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों में काफी अधिक थी, यही कारण है कि बाद में उन्होंने विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर अपने कौशल का परिचय दिया। वर्ष 1947 में वाजपेयी जी ने एक पत्रकार के तौर पर अपने कॅरियर की शुरुआत की और वर्ष 1951 में वे ‘भारतीय जनसंघ’ में शामिल हो गए। चुनावी राजनीति में उनकी यात्रा वर्ष 1957 में शुरू हुई, जब उन्होंने तीन सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ा और उत्तर प्रदेश के बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए। दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद वर्ष 1968 में वाजपेयी जी को जनसंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। वाजपेयी जी को प्रधानमंत्री के तौर पर कुल 3 कार्यकाल मिले, वर्ष 1996 में उनका पहला कार्यकाल केवल 13 दिनों तक चला, जिसके बाद वर्ष 1998 से वर्ष 1999 तक वह 13 महीने के लिये प्रधानमंत्री पद पर रहे और अंत में वर्ष 1999 से वर्ष 2004 तक उन्होंने सफलतापूर्वक अपना पाँच वर्षीय कार्यकाल पूरा किया। 16 अगस्त, 2018 को 93 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।
डीज़ल की डोर-टू-डोर डिलीवरी
‘भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (BPCL) ने डीज़ल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये 'हाई स्पीड डीज़ल' की डोर-टू-डोर डिलीवरी शुरू की है। मोबाइल डिस्पेंसर के माध्यम से डोर-टू-डोर डिलीवरी की पहल के परिणामस्वरूप पूरे उद्योग में लगभग 1588 फ्यूलकार्ट और 129 फ्यूलएंट्स चालू किये गए हैं। तीव्र डिलीवरी, गुणवत्ता और मात्रा का पूर्ण आश्वासन, सुरक्षित उत्पाद हैंडलिंग तथा कई अन्य लाभों के साथ फ्यूलकार्ट ग्राहकों के लिये परिचालन दक्षता बढ़ाने में मदद करेंगे, जो व्यापार करने में सुगमता की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगा। कंपनी पहले ही पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा और उत्तर-पूर्व राज्यों की ज़रूरतों को पूरा करने हेतु 63 मोबाइल डिस्पेंसर लॉन्च कर चुकी है। यह पहल पूर्वी क्षेत्र के युवा उद्यमियों के लिये व्यापार के नए अवसर और रोज़गार सृजित करने में भी काफी मददगार साबित होगी। इसके अलावा कई निजी उद्यम और स्टार्ट-अप भी ईंधन की डोरस्टेप डिलीवरी की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
शहरी क्षेत्र में ‘सामुदायिक वन संसाधन अधिकार’
हाल ही में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने 4,127 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र पर धमतरी ज़िले के निवासियों के अधिकारों को मान्यता प्रदान की है, जिसके साथ ही छत्तीसगढ़, शहरी क्षेत्र में सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों को मान्यता देने वाला पहला राज्य बन गया है। गौरतलब है कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार ग्राम सभाओं को समग्र समुदाय या गाँव द्वारा उपयोग किये जाने वाले किसी भी वन संसाधन की रक्षा, पुनरुत्पादन या संरक्षण या प्रबंधन करने का अधिकार दिया जाता है। उनके अधिकारों की मान्यता के साथ अब ग्राम सभा में शामिल लोगों को जंगल में प्रवेश की अनुमति होगी और वे वन संसाधनों का उपयोग कर सकेंगे।