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सामाजिक न्याय

धार्मिक समूहों के बीच बेरोज़गारी दर में अंतर

  • 29 Jun 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey- PLFS) के आँकड़ों के आधार पर लोकसभा में एक रिपोर्ट पेश की जिसमें कहा गया कि भारत के विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच बेरोज़गारी दर में काफी अंतर है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत के चार प्रमुख धार्मिक समूहों- हिंदू,मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई से संबंधित बेरोज़गारी के आँकड़े शहरी-ग्रामीण और लैंगिक विभाजन के आधार पर पेश किये गए। इससे पहले श्रम और रोज़गार मंत्रालय ने वर्ष 2017-18 के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के आधार पर भारतीय बेरोज़गारी दर- ग्रामीण पुरुष के लिये 5.8%, ग्रामीण महिलाओं के लिये 3.8%, शहरी पुरुषों के लिये 7.1% और शहरी महिलाओं के लिये 10.8% बताई थी।
  • केंद्र सरकार के अधिकांश सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सशक्तीकरण कार्यक्रम निर्धन और दलित वर्गों के लिये हैं, जिससे अल्पसंख्यकों को भी समान रूप से लाभ मिल रहा है।
  • शैक्षिक सशक्तीकरण, रोज़गारोन्मुखी कौशल विकास आदि से संबंधित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अधिसूचित अल्पसंख्यकों (मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी और जैन) की रोज़गार क्षमता बढ़ाने हेतु रणनीति अपनाई गई है।\

अल्पसंख्यकों से संबंधित कुछ प्रमुख योजनाएँ

  • नई मंज़िल: औपचारिक स्कूली शिक्षा और स्कूल बीच छोड़ने वालों के कौशल संवर्द्धन के लिये योजना।
  • उस्ताद (USTTAD): पारंपरिक कला/शिल्प कौशल और प्रशिक्षण के उन्नयन के लिये योजना।
  • हुनर ​​हाट योजना के माध्यम से पारंपरिक शिल्प /कला,रोज़गार सृजन को बढ़ावा दिया जा रहा है। हुनर हाट के आयोजन के माध्यम से उत्पादों की बाज़ार तक पहुँच को आसान किया जा रहा है।
  • हमारी धरोहर: इस योजना के कार्यान्वयन से भारतीय संस्कृति की समग्र अवधारणा के तहत अल्पसंख्यक समुदायों की समृद्ध विरासत को संरक्षित किया जा रहा है।
  • ग़रीब नवाज़ कौशल विकास प्रशिक्षण के माध्यम से 6 अल्पसंख्यक समुदायों (मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन) के युवाओं को रोज़गारोन्मुखी अल्पकालिक कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना है। इसे मौलाना आज़ाद एजुकेशन फाउंडेशन के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है ।
  • नया सवेरा योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिससे सरकारी और निजी नौकरियों में उनकी भागीदारी में सुधार हो।
  • जियो पारसी योजना का उद्देश्य भारत में पारसियों की कम होती जनसंख्या को बढ़ाना है।
  • पढ़ो परदेश योजना के अंतर्गत अल्पसंख्यक समुदाय के विद्यार्थियों को विदेश में अध्ययन के लिये शैक्षिक ऋण के ब्याज पर सब्सिडी दी जाती है।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

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