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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 17 Aug, 2020
  • 20 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 17 अगस्त, 2020

फिट इंडिया यूथ क्लब

Fit India Youth Club

केंद्रीय युवा एवं खेल मंत्री ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नागरिकों के बीच फिटनेस को बढ़ावा देने के लिये ‘फिट इंडिया यूथ क्लब’ (Fit India Youth Club) नामक देशव्यापी पहल की शुरुआत की।

fit india

प्रमुख बिंदु:

  • ‘फिट इंडिया यूथ क्लब’ जो प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ का एक हिस्सा है, फिटनेस के महत्त्व के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिये युवाओं की शक्ति का दोहन करने का प्रयास करता है।
  • इस पहल के तहत नेहरू युवा केंद्र संगठन (Nehru Yuva Kendra Sangathan) और राष्ट्रीय सेवा योजना (National Service Scheme) के 75 लाख स्वयंसेवक, स्काउट्स एंड गाइड्स, राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps) और अन्य युवा संगठनों के साथ मिलकर देश के प्रत्येक ज़िले के प्रत्येक ब्लॉक में ‘फिट इंडिया यूथ क्लब’ के रूप में पंजीकरण के लिये जाएंगे।

राष्ट्रीय सेवा योजना (National Service Scheme):

  • यह भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक सार्वजनिक सेवा कार्यक्रम है जो भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
  • यह योजना वर्ष 1969 में गांधीजी के जन्म शताब्दी वर्ष पूरे होने के अवसर पर शुरू की गई थी।
  • इस योजना का उद्देश्य सामुदायिक सेवा के माध्यम से छात्रों के व्यक्तित्त्व का विकास करना है।

नेहरू युवा केंद्र संगठन (Nehru Yuva Kendra Sangathan- NYKS):

  • नेहरू युवा केंद्र संगठन (NYKS) की स्थापना वर्ष 1987-88 में एक स्वायत्त संगठन के रूप में भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय के तहत की गई थी।
  • यह दुनिया में एक अलग तरह का सबसे बड़ा ज़मीनी स्तर का युवा संगठन है।
  • इस फिट इंडिया यूथ क्लब का प्रत्येक सदस्य अपनी दैनिक दिनचर्या में समुदाय के लोगों को 30 से 60 मिनट की फिटनेस गतिविधियों के लिये प्रेरित करेगा।
    • इसके अतिरिक्त ये क्लब प्रत्येक तिमाही में एक सामुदायिक फिटनेस कार्यक्रम आयोजित करने के लिये स्कूलों एवं स्थानीय निकायों को संगठित और प्रोत्साहित करेंगे।
  • 15 अगस्त, 2020 को शुरू की गई यह पहल 2 अक्तूबर, 2020 तक चलेगी।


फ्लाई ऐश

Fly Ash

राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (National Thermal Power Corporation- NTPC) ने फ्लाई ऐश (Fly Ash) के बढ़ते उपयोग के लिये उत्तर प्रदेश की रिहंद परियोजना (Rihand Project) में बुनियादी ढाँचे का विकास किया।

प्रमुख बिंदु:

  • इस बुनियादी ढाँचे से कम लागत पर सीमेंट प्लांटों में थोक फ्लाई ऐश पहुँचाने में मदद मिलेगी।
  • केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने कहा कि इस बुनियादी ढाँचे का विकास NTPC द्वारा बिजली संयंत्रों से फ्लाई ऐश के 100% उपयोग के प्रति प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
  • यह प्रयास एक दूरस्थ स्थान से उपभोग केंद्र तक फ्लाई ऐश के परिवहन के लिये एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है जिसमें फ्लाई ऐश के उपयोग को उन्नत करने के लिये बिजली संयंत्रों को सक्षम किया जाता है।
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान विभिन्न उत्पादक उद्देश्यों के लिये 44 मिलियन टन से अधिक फ्लाई ऐश का उपयोग किया गया।

फ्लाई ऐश (Fly Ash):

  • फ्लाई ऐश (Fly Ash) कई पदार्थों जैसे- कोयला आदि को जलाने से निर्मित महीन कणों से बनी होती है।
  • ये महीन कण वातावरण में उत्सर्जित होने वाली गैसों के साथ ऊपर उठने की प्रवृत्ति रखते हैं। इसके इतर जो राख/ऐश ऊपर नहीं उठती है, वह 'पेंदी की राख' कहलाती है।
  • कोयला संचालित विद्युत संयंत्रों से उत्पन्न फ्लाई ऐश को प्रायः चिमनियों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है।
  • फ्लाई ऐश में सिलिकन डाईऑक्साइड और कैल्सियम ऑक्साइड बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है।

रिहंद परियोजना (Rihand Project):

  • रिहंद सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट (Rihand Super Thermal Power Project) उत्तर प्रदेश में सोनभद्र ज़िले के रेणूकूट में अवस्थित है।
  • यह पावर प्लांट NTPC लिमिटेड के कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में से एक है।
  • रिहंद बांध को ‘गोविंद बल्लभ पंत सागर’ के नाम से भी जाना जाता है। यह आयतन के आधार पर भारत का सबसे बड़ा बांध है और यह भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है।
    • इसका जलाशय क्षेत्र मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर अवस्थित है। यह सोन नदी की एक सहायक नदी रिहंद नदी पर अवस्थित है।
  • रिहंद बांध उत्तर प्रदेश में सोनभद्र ज़िले के पिपरी में स्थित एक कंक्रीट गुरुत्वाकर्षण बांध है।


औरोरल बीड्स

Auroral Beads

रात के समय आसमान में पूर्व-पश्चिम में फैला हुआ एक विशेष प्रकार का औरोरा (Aurora) जो चमकती हुई मोती की माला की तरह है, वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में औरोरा एवं उनके शक्तिशाली चालकों के विज्ञान को बेहतर ढंग से समझने में मददकर रहा है। औरोरल बीड्स (Auroral Beads) के रूप में ज्ञात यह प्रकाश अक्सर बड़े औरोरल डिस्प्ले (Auroral Displays) से ठीक पहले दिखाई देता है जो अंतरिक्ष में विद्युत तूफान के कारण होते हैं जिन्हें सबस्टॉर्म (Substorms) कहा जाता है।

Ororal beads

प्रमुख बिंदु:

  • इससे पहले वैज्ञानिक इस तथ्य पर एकमत नहीं थे कि औरोरल बीड्स (Auroral Beads) पृथ्वी के वायुमंडल के निकट गड़बड़ी के कारण होते हैं।
    • किंतु एक कंप्यूटर मॉडल जो नासा के थेमिस मिशन (THEMIS -Time History of Events and Macroscale Interactions during Substorms) के अवलोकनों से संयुक्त है, ने अंतरिक्ष में होने वाली घटनाओं के पहले मज़बूत साक्ष्य प्रदान किये हैं जो इस प्रकाश की उपस्थिति का नेतृत्त्व करते हैं और वे हमारे निकट अंतरिक्ष वातावरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • नए मॉडल से पता चला है कि औरोरल बीड्स (Auroral Beads) प्लाज्मा (पदार्थ की चौथी अवस्था) में गड़बड़ी के कारण होते हैं जो पृथ्वी के आस-पास गैसीय एवं अत्यधिक प्रवाहकीय आवेशित कणों से निर्मित होते हैं।
  • औरोरल बीड्स (Auroral Beads) से संबंधित इस शोध को हाल ही में ‘जियोफिज़िकल रिसर्च लेटर्स एंड जर्नल ऑफ जियोफिज़िकल रिसर्च: स्पेस फिज़िक्स’ (Geophysical Research Letters and Journal of Geophysical Research: Space Physics) में प्रकाशित किया गया है।

औरोरा (Aurora):

  • औरोरा (Aurora) तब बनता है जब सूर्य से आवेशित कण पृथ्वी के चुंबकीय वातावरण (मैग्नेटोस्फीयर) में फंस जाते हैं और पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में चिमनी या रोशनदान की तरह हो जाते हैं, वहाँ इन कणों में आपस में टकराव के कारण हाइड्रोजन, ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन के परमाणु व अणु चमकते हुए दिखाई देते हैं।

थेमिस मिशन (THEMIS Mission):

  • नासा के इस मिशन को फरवरी 2007 में शुरू किया गया था।
  • इस मिशन का उद्देश्य नासा के पाँच उपग्रहों (THEMIS ‘A’ से THEMIS ‘E’ तक) के माध्यम से पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर से उत्सर्जित ऊर्जा का अध्ययन करना था जिसे सबस्टॉर्म (Substorms) के रूप में जाना जाता है यह चुंबकीय घटना पृथ्वी के ध्रुवों के निकट औरोरा से संबंधित है।


ब्लैक ड्वार्फ सुपरनोवा

Black Dwarf Supernova

हाल ही में भौतिकविदों ने पता लगाया है कि ब्रह्मांड में होने वाले अंतिम विस्फोट ‘ब्लैक ड्वार्फ सुपरनोवा’ (Black Dwarf Supernova) होंगे।

black dwarf

प्रमुख बिंदु:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका की इलिनोइस स्टेट यूनिवर्सिटी के भौतिकविद ने ब्रह्मांड में एक सैद्धांतिक प्रकार के विस्फोट को देखा है जो ब्रह्मांड के समाप्त होने पर हो सकता है।
    • यह इस विचार पर आधारित है कि ब्रह्मांड अंततः ऊर्जा क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा जिसे हीट डेथ (Heat Death) के रूप में जाना जाता है। इसे बिग फ्रीज़ (Big Freeze) के रूप में भी जाना जाता है।
  • हालाँकि ब्रह्मांड का विस्तार अभी भी जारी है। किंतु जब नए सितारों के सृजन हेतु आवश्यक गैस की आपूर्ति बंद हो जाएगी तब ब्रह्मांड में किसी नए तारे का सृजन नहीं होगा। यह घटना बिग फ्रीज़ (Big Freeze) कहलाती है।
  • इस घटना के बाद तारे उस सीमा तक समाप्त होंगे जिस सीमा तक अवशेष के रूप में वह सब उपस्थित हैं जिनमें ब्लैक होल्स, न्यूट्रॉन तारे एवं सफेद बौने (White Dwarfs) शामिल हैं।
  • इस अध्ययन में भौतिकविदों ने पता लगाया कि भविष्य में लंबे समय तक सफेद बौना (White Dwarfs) पर क्या प्रभाव पड़ता है?
    • परिणामतः ब्रह्मांड के सबसे विशाल सितारों के विपरीत सफेद बौना (White Dwarfs) में सुपरनोवा के रूप में विस्फोट नहीं होता है।
    • किंतु वे लाखों वर्षों के लिये सिकुड़ कर दूर हट जाते हैं और अंततः ‘काले बौने’ (Black Dwarf) तारे बन जाते हैं जो प्रकाश या ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं करते हैं।
  • यदि किसी तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से कम या बराबर (चंद्रशेखर सीमा) होता है तो वह लाल दानव से ‘सफेद बौना’ (White Dwarf) और अंततः ‘काला बौना’ (Black Dwarf) में परिवर्तित हो जाता है।
  • भौतिकविदों का मानना है कि इन प्रतिक्रियाओं के घटित होने में बहुत अधिक समय लगता है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 अगस्त, 2020

नवरोज़

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पारसी नव वर्ष, नवरोज़ पर बधाई देते हुए कहा कि भारत, पारसी समुदाय के असाधारण योगदान की सराहना करता है, जिन्होंने व्‍यापक क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है। फारसी में ‘नव’ का अर्थ ‘नया’ होता है और ‘रोज़’ का अर्थ ‘दिन’ से होता है। ध्यातव्य है कि पूरी दुनिया का पारसी समुदाय नवरोज़ त्योहार को मार्च माह के आस-पास मनाता है, जबकि भारत और पाकिस्तान के पारसी समुदाय से संबंधित लोग इस त्योहार को अगस्त के माह में मानते हैं। इसका मुख्य कारण है कि भारत में रहने वाला पारसी समुदाय ‘शहंशाही कैलेंडर’ (Shahenshahi Calendar) को मानता है, जबकि शेष विश्व का पारसी समुदाय ‘ईरानी कैलेंडर’ को मानता है। शहंशाही कैलेंडर में लीप इयर को नहीं माना जाता, जिसके कारण इसमें ईरानी कैलेंडर की अपेक्षा नवरोज़ त्योहार लगभग 200 दिन बाद आता है। ‘शहंशाही कैलेंडर’ के निर्माण का श्रेय फारसी राजा जमशेद को दिया जाता है, जिसके कारण नवरोज़ त्योहार को जमशेद-ए-नवरोज़ के नाम से भी जाना जाता है। भारत में नवरोज़ त्योहार सबसे अधिक महाराष्ट्र और गुजरात में मनाया जाता हैं, क्योंकि भारत में इन क्षेत्रों में पारसियों की सबसे अधिक आबादी पाई जाती है।

अटल बिहारी वाजपेयी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्‍यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि भारत की प्रगति की दिशा में उनकी असाधारण सेवा और प्रयासों को देश हमेशा याद रखेगा।’ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। जनता के बीच खासे लोकप्रिय अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिये जाने जाते थे। अटल बिहारी वाजपेयी अपने छात्र जीवन के दौरान सर्वप्रथम राष्ट्रवादी राजनीति में तब सामने आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों में काफी अधिक थी, यही कारण है कि बाद में उन्होंने विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्त्व कर अपने कौशल का परिचय दिया। वर्ष 1947 में वाजपेयी जी ने एक पत्रकार के तौर पर अपने कैरियर की शुरुआत की और वर्ष 1951 में वे भारतीय जन संघ (Bharatiya Jana Sangh) में शामिल हो गए। चुनावी राजनीति में उनकी यात्रा वर्ष 1957 में शुरू हुई, जब उन्होंने तीन सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ा और उत्तर प्रदेश के बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए। दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद वर्ष 1968 में वाजपेयी जी को जनसंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। वाजपेयी जी को प्रधानमंत्री के तौर पर कुल 3 कार्यकाल मिले, वर्ष 1996 में उनका पहला कार्यकाल केवल 13 दिनों तक चला, जिसके बाद वर्ष 1998 से वर्ष 1999 तक वह 13 महीने के लिये प्रधानमंत्री पद पर रहे और अंत में वर्ष 1999 से वर्ष 2004 तक उन्होंने सफलतापूर्वक अपना पाँच वर्षों का कार्यकाल पूरा किया। 16 अगस्त, 2018 को 93 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।

सलाइवाडायरेक्ट परीक्षण

संयुक्त राज्य अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (Food and Drug Administration- FDA) ने COVID-19 के लिये एक नए लार-आधारित प्रयोगशाला परीक्षण के आपातकालीन उपयोग को अधिकृत कर दिया है। अमेरिका में इस COVID-19 परीक्षण को सलाइवाडायरेक्ट (SalivaDirect) के नाम से जाना जा रहा है। यह कोरोना वायरस (COVID-19) संक्रमण के लिये एक नया रैपिड डायग्नोस्टिक परीक्षण है, जो मुख्य तौर पर लार (Saliva) के नमूनों का उपयोग करता है। यह नया परीक्षण COVID-19 संक्रमण का पता लगाने के लिये उपयोग की जाने वाले पारंपरिक विधियों की अपेक्षा अधिक सरल और अधिक मितव्ययी है। इस परीक्षण की संवेदनशीलता (Sensitivity) लगभग 93 प्रतिशत है, जब लार के नमूने में वायरस की प्रतियाँ 6-12 प्रति माइक्रोलीटर तक भी है, तो भी यह परीक्षण व्यक्ति में संक्रमण का पता लगा सकता है।

महेंद्र सिंह धोनी और सुरेश रैना

भारत के महानतम खिलाड़ियों में से एक महेंद्र सिंह धोनी और सुरेश रैना ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास लेने की घोषणा कर दी है। 7 जुलाई, 1981 को जन्मे महेंद्र सिंह धोनी को विश्व क्रिकेट के इतिहास में सबसे सर्वश्रेष्ठ कप्तान के रूप में पहचाना जाता है, उन्होंने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैरियर की शुरुआत वर्ष 2004 में बांग्लादेश के विरुद्ध खेलते हुए की थी, हालाँकि धोनी इस मैच में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। महेंद्र सिंह धोनी ने अपने लगभग 16 वर्ष के लंबे अंतर्राष्ट्रीय कैरियर में कुल 90 टेस्ट मैच, 350 एकदिवसीय मैच और 98 T-20 मैच खेले, इस दौरान उन्होंने टेस्ट में 4876 रन, एकदिवसीय प्रारूप में 10773 रन और T20 में कुल 1617 बनाए। वहीं 27 नवंबर, 1986 को उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में जन्मे सुरेश रैना ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत वर्ष 2005 में श्रीलंका के विरुद्ध खेलते हुए की थी, सुरेश रैना ने अपने लगभग 15 वर्ष के लंबे अंतर्राष्ट्रीय कैरियर में कुल 18 टेस्ट मैच, 226 एकदिवसीय मैच और 78 T20 मैच खेले, इस दौरान उन्होंने टेस्ट में 768 रन, एकदिवसीय प्रारूप में 5615 रन और T20 में कुल 1604 बनाए। सुरेश रैना एक अच्छे बल्लेबाज़ के साथ एक गेंदबाज़ भी हैं।


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