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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 14 Oct, 2022
  • 23 min read
प्रारंभिक परीक्षा

इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक 2022

हाल ही में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन पैटर्न पर इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक 2022 नाम से एक रिपोर्ट जारी की गई।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • वैश्विक परिदृश्य:
    • कोविड-19 संकट के कारण वर्ष 2020 में भारी कमी के बाद OECD देशों में स्थायी प्रवास के मामले में वर्ष 2021 में 22% की वृद्धि हुई है।
    • वर्ष 2021 में पारिवारिक प्रवास में 40% की वृद्धि के साथ यह प्रवास की सबसे बड़ी श्रेणी बनी रही और कुल 10 स्थायी प्रवासियों में से चार से भी अधिक OECD में प्रवासित हुए।
    • मुक्त गतिशीलता क्षेत्रों में प्रवासन महामारी से कम प्रभावित हुआ था, फिर भी वर्ष 2020 में 17% की गिरावट आई।
    • वर्ष 2020 में OECD में 4.4 मिलियन अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थी नामांकित थे, जो कुल टर्शियरी विद्यार्थियों (tertiary students) का 10% थे। सबसे अधिक अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थी संयुक्त राज्य अमेरिका (22%), यूनाइटेड किंगडम (13%) और ऑस्ट्रेलिया (10%) में हैं।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका में वर्ष 2021 (83,4000) में स्थायी अप्रवासियों की सबसे बड़ी संख्या देखी गई, यह वर्ष 2020 की तुलना में 43% अधिक और वर्ष 2019 की तुलना में 19% कम है। स्थायी प्रवास के मामले में यूरोपीय संघ (+15%) में वृद्धि की स्थिति कम स्पष्ट थी।
  • भारतीय परिदृश्य:
    • OECD देशों में विदेशी छात्रों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी चीन (22%) और भारत (10%) की है। 20-29 आयु वर्ग की दुनिया की लगभग एक-तिहाई आबादी इन दोनों देशों में रहती है।
    • वर्ष 2015 में शिक्षा परमिट प्राप्त करने वाले भारतीयों तथा चीनी छात्रों के ठहरने की दरों पर नज़र डालने से पता चलता है कि कनाडा, जर्मनी ऑस्ट्रेलिया न्यूज़ीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और जापान सहित लगभग हर OECD देश में भारतीयों की प्रतिधारण दर चीनियों की तुलना में काफी अधिक है।
    • भारतीय छात्रों की निवास की दर समग्र अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या की तुलना में अधिक है।

 आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD):

  • परिचय: OECD एक अंतर-सरकारी आर्थिक संगठन है जिसकी स्थापना आर्थिक प्रगति और विश्व व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिये की गई है।
  • अधिकांश OECD सदस्य उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ हैं जिनका मानव विकास सूचकांक (HDI) बहुत अधिक है और उन्हें विकसित देश माना जाता है।
  • स्थापना: 1961
  • मुख्यालय: पेरिस, फ्राँस
  • कुल सदस्य: 38
  • OECD में हाल ही में शामिल हुए देश हैं- कोलंबिया (अप्रैल 2020 में ) और कोस्टा रिका (मई 2021 में)।
  • भारत इसका सदस्य नहीं है बल्कि एक प्रमुख आर्थिक भागीदार है।
    •  OECD द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट और सूचकांक:
    • सरकार,एक नज़र में
    • OECD बेहतर जीवन सूचकांक।

प्रवासन के प्रकार:

  • आवागमन पैटर्न के आधार पर
    • क्रमिक प्रवास: इसका तात्पर्य छोटी बस्ती और छोटे पैमाने से प्रवासन शुरू होकर आगे के वर्षों में बड़े पैमाने पर शहरी पदानुक्रम की ओर पलायन करना है। जैसे कि जंगली क्षेत्र से गाँव, फिर शहर और बाद में उपनगर (यदि उपलब्ध हो) तथा अंत में शहर की ओर जाना।   
    • चक्रीय प्रवासन: कम-से-कम एक प्रवास और वापसी के साथ मूल व गंतव्य के बीच चक्रीय प्रवासन अनुभव।
      • मौसमी प्रवास, चक्रीय प्रवास का एक बहुत ही सामान्य रूप है, यह ज़्यादातर कृषि क्षेत्र में जहाँ श्रम की मांग हो, मौसमी घटनाओं द्वारा संचालित है।
      • रिटर्न माइग्रेशन एक बार के उत्प्रवास को संदर्भित करता है तथा मेज़बान क्षेत्र के बाहर विस्तारित प्रवास के बाद लौटता है।
      • शृंखला प्रवास: जीवन चक्र के विभिन्न चरणों में परिवारों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास, जो बाद में लोगों को उनके गृह स्थान से इस नए स्थान पर लाता है।
  • निर्णय लेने के दृष्टिकोण के आधार पर:
    • स्वैच्छिक प्रवासन: किसी व्यक्ति की स्वतंत्र इच्छा, पहल और बेहतर स्थान पर रहने एवं अन्य कारकों के बीच अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करने की इच्छा के आधार पर।
    • अनैच्छिक प्रवासन: कुछ प्रतिकूल पर्यावरणीय और राजनीतिक परिस्थितियों के कारण किसी व्यक्ति को अपने गृह क्षेत्र से बाहर निकलने के लिये मज़बूर होने के आधार पर।
  • अवधि के आधार पर:
    • स्थायी प्रवासन: जब लोग लंबी अवधि के लिये रहने हेतु लंबी दूरी पर दूसरे स्थान पर प्रवास करते हैं, तो इसे स्थायी प्रवास कहा जाता है। उदाहरण के लिये एक व्यक्ति नौकरी के बेहतर अवसरों के लिये सतना (मध्य प्रदेश) से गुरुग्राम (हरियाणा) चला गया और उसने वहीं बसने की योजना बनाई। इस प्रकार के प्रवास को स्थायी प्रवास माना जाएगा।
    • अस्थायी प्रवासन: यह एक ऐसे देश में प्रवास है जिसमें स्थायी रूप से रहने का इरादा नहीं होता, इस तरह का प्रवास निर्दिष्ट और सीमित अवधि के लिये आमतौर पर एक विशिष्ट उद्देश्य के लिये किया जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारंभिक परीक्षा

संवाद और विश्वास निर्माण उपायों का सम्मेलन (CICA )

हाल ही में विदेश मंत्री ने कज़ाखस्तान के ‘अस्ताना’ में संवाद और विश्वास निर्माण उपायों का सम्मेलन (Conference of Interaction & Confidence Building Measures-CICA)’ की 6वीं मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित किया। 

  • भारत इसके संस्थापक सदस्यों में से एक है।

 CICA:

  • CICA एक अंतर-सरकारी मंच है जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करना और एशिया में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता सुनिश्चित करना है।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा के 47वें सत्र में 5 अक्तूबर, 1992 को कज़ाखस्तान गणराज्य के पहले राष्ट्रपति नूरसुल्तान नज़रबायेव (Nursultan Nazarbayev) द्वारा CICA के आयोजन का विचार पहली बार प्रस्तावित किया गया था। पहला CICA शिखर सम्मेलन जून 2002 में आयोजित किया गया था।
  • CICA का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला अंग CICA राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों (शिखर सम्मेलन) की बैठक है। CICA की गतिविधियों के लिये परामर्श करने, प्रगति की समीक्षा करने और प्राथमिकताओं को निर्धारित करने हेतु हर चार वर्ष में CICA शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाता है।
    • प्रति दो वर्ष में इसके विदेश मंत्रियों की बैठक होनी चाहिये।
  • CICA के सदस्यों में 27 एशियाई देश शामिल हैं, जिनमें अज़रबैजान, बहरीन, चीन, मिस्र, भारत, ईरान, इज़रायल, रूस, दक्षिण कोरिया और तुर्की, नौ पर्यवेक्षक राज्य व पाँच अंतर्राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं।
  • भारत 'परिवहन गलियारों की सुरक्षित और प्रभावी प्रणालियों के विकास' तथा 'ऊर्जा सुरक्षा' पर दो CICA CBM (विश्वास निर्माण उपाय) की सह-अध्यक्षता करता है।
  • CICA सचिवालय जून 2006 से अल्माटी (कज़ाखस्तान) में स्थित है।

CICA

स्रोत: द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

इसरो नेक्स्ट-जेन लॉन्च व्हीकल

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो/ISRO) ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) जैसी परिचालन प्रणालियों को बदलने के लिये नेक्स्ट-जेन लॉन्च व्हीकल (NGLV) का विकास कर रहा है।

  • अंतरिक्षयान को अंतरिक्ष में ले जाने के लिये प्रक्षेपण यान का उपयोग किया जाता है। भारत के पास दो ऑपरेशनल लॉन्चर हैं- PSLV और जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV)।

नेक्स्ट-जेन लॉन्च व्हीकल:

  • परिचय:
    • इसरो NGLV के लिये जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में दस टन की पेलोड क्षमता वाले लागत प्रभावी, तीन चरण वाला, पुन: प्रयोज्य भारी-लिफ्ट वाहन के निर्माण पर विचार कर रहा है।
    • इसका मज़बूत डिज़ाइन थोक विनिर्माण, मॉड्यूलरिटी इन सिस्टम, सब-सिस्टम और चरणों में न्यूनतम टर्नअराउंड समय की अनुमति देता है।
  • विशेषताएँ: इसमें बूस्टर चरणों के लिये सेमी-क्रायोज़ेनिक प्रोपल्शन [लिक्विड ऑक्सीजन के साथ ईंधन के रूप में परिष्कृत मिट्टी तेल (ऑक्सीडाइज़र के रूप में)] की सुविधा होगी।
  • उपयोग: इसका संभावित उपयोग संचार उपग्रह, डीप स्पेस मिशन, भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान और कार्गो मिशन लॉन्च करने में होगा।

इसरो द्वारा विकसित अन्य प्रक्षेपण यान:

  • सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV):
    • इसरो द्वारा विकसित पहले रॉकेट को केवल SLV या सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल कहा जाता था।
    • इसके बाद संवर्द्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV) विकसित हुआ।
  • संवर्द्धित सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (ASLV):
    • SLV और ASLV दोनों ही छोटे उपग्रहों, जिनका वज़न 150 किलोग्राम तक होता है, को पृथ्वी की निचली कक्षाओं में ले जा सकते हैं।
    • ASLV का परिचालन PSLV के निर्माण से पहले वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत तक किया जाता था।
  • ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV): PSLV का पहला प्रक्षेपण वर्ष 1994 में हुआ था और तब से यह इसरो का मुख्य रॉकेट है। हालाँकि वर्तमान PSLV वर्ष 1990 के दशक में इस्तेमाल किये जाने वाले PSLV की तुलना में काफी बेहतर और कई गुना अधिक शक्तिशाली है।
    • यह लिक्विड स्टेज से लैस पहला भारतीय लॉन्च व्हीकल है।
    • PSLV, ISRO द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला अब तक का सबसे विश्वसनीय रॉकेट है, जिसकी 54 में से 52 उड़ानें सफल रही हैं।
    • इसने सफलतापूर्वक दो अंतरिक्षयान- वर्ष 2008 में चंद्रयान-1 और वर्ष 2013 में मार्स ऑर्बिटर अंतरिक्षयान को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जिन्होंने क्रमशः चंद्रमा और मंगल की यात्रा की।
  • जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV): GSLV एक अधिक शक्तिशाली रॉकेट है, जो भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में अधिक गहराई तक ले जाने में सक्षम है। GSLV रॉकेटों ने अब तक कुल 18 मिशनों को अंजाम दिया है, जिनमें से चार विफल रहे हैं।
    • यह लो अर्थ ऑर्बिट में 10,000 किलो के उपग्रह प्रक्षेपित कर सकता है।
    • स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS), GSLV Mk-II के तीसरे चरण का निर्माण करता है।
    • Mk-III संस्करणों ने ISRO को अपने उपग्रहों को लॉन्च करने में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना दिया है।
      • इससे पहले यह अपने भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिये यूरोपीय एरियन प्रक्षेपण यान पर निर्भर था।

Launch-Vehicle

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. PSLVs पृथ्वी के संसाधनों की निगरानी के लिये उपयोगी उपग्रहों को लॉन्च करते हैं, जबकि GSLVs को मुख्य रूप से संचार उपग्रहों को लॉन्च करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  2. PSLVs द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह पृथ्वी पर किसी विशेष स्थान से देखने पर आकाश में उसी स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर प्रतीत होते हैं।
  3. GSLV Mk-III एक चार चरणों वाला प्रक्षेपण यान है जिसमें पहले और तीसरे चरण में ठोस रॉकेट मोटर्स का उपयोग तथा दूसरे व चौथे चरण में तरल रॉकेट इंजन का उपयोग किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 2
(d) केवल 3

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • PSLV भारत की तीसरी पीढ़ी का प्रक्षेपण यान है। PSLV पहला लॉन्च वाहन है जो तरल चरण (Liquid Stages) से सुसज्जित है। इसका उपयोग मुख्य रूप से पृथ्वी की निम्न कक्षाओं में विभिन्न उपग्रहों विशेष रूप से भारतीय उपग्रहों की रिमोट सेंसिंग शृंखला को स्थापित करने के लिये किया जाता है। यह 600 किमी. की ऊँचाई पर सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षाओं में 1,750 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है।
  • GSLV को मुख्य रूप से भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (इनसैट) को स्थापित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, यह दूरसंचार, प्रसारण, मौसम विज्ञान और खोज एवं बचाव कार्यों जैसी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये इसरो द्वारा प्रक्षेपित बहुउद्देशीय भू-स्थिर उपग्रहों की एक शृंखला है। यह उपग्रहों को अत्यधिक दीर्घवृत्तीय भू-तुल्यकालिक कक्षा (GTO) में स्थापित करता है। अत: कथन 1 सही है।
  • भू-तुल्यकालिक कक्षाओं में उपग्रह आकाश में एक ही स्थिति में स्थायी रूप से स्थिर प्रतीत होते हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • GSLV Mk-III चौथी पीढ़ी तथा तीन चरण का प्रक्षेपण यान है जिसमें चार तरल स्ट्रैप-ऑन हैं। स्वदेशी रूप से विकसित सीयूएस जो कि उड़ने में सक्षम है, GSLV Mk-III के तीसरे चरण का निर्माण करता है। रॉकेट में दो ठोस मोटर स्ट्रैप-ऑन (S200) के साथ एक तरल प्रणोदक कोर चरण (L110) और एक क्रायोजेनिक चरण (C-25) के साथ तीन चरण शामिल हैं। अत: कथन 3 सही नहीं है।

अतः विकल्प (A) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 अक्तूबर, 2022

विश्व मानक दिवस

प्रतिवर्ष 14 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 'विश्व मानक दिवस' का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य उपभोक्ताओं, नियामकों और उद्योग के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था के मानकीकरण के महत्त्व के बारे में जागरूकता पैदा करना है। विश्व मानक दिवस, 2022 की थीम “बिल्ड बैक बेटर” है। यह दिवस वर्ष 1956 में लंदन में आयोजित 25 देशों के प्रतिनिधियों की पहली बैठक को चिह्नित करता है, जिन्होंने मानकीकरण की सुविधा हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के निर्माण का निर्णय लिया था। 'विश्व मानक दिवस' का आयोजन पहली बार वर्ष 1970 में किया गया था। यह दिवस उन हज़ारों विशेषज्ञों के प्रयासों का सम्मान करता है, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर मानकों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। भारत में मानकीकरण गतिविधियों के सामंजस्यपूर्ण विकास के उद्देश्य से वर्ष 1947 में भारतीय मानक संस्थान की स्थापना की गई थी। भारतीय मानक संस्थान को भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम 1986 के माध्यम से भारतीय मानक ब्यूरो में रूपांतरित कर दिया गया। भारतीय मानक ब्यूरो का मुख्य कार्य माल के मानकीकरण, अंकन (Marking) और गुणवत्ता प्रमाणीकरण की गतिविधियों को क्रियान्वित करना है। भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 के माध्यम से भारतीय मानक ब्यूरो को सेवाओं के मानकीकरण और प्रमाणन से संबंधित गतिविधियों का उत्तरदायित्त्व भी सौंपा गया है।

17वाँ प्रवासी भारतीय दिवस अधिवेशन की वेबसाइट जारी 

विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस जयशंकर ने 13 अक्तूबर, 2022 को मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और विदेश राज्‍य मंत्री वी मुरलीधरन के साथ मिलकर वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के माध्‍यम से 17वाँ प्रवासी भारतीय दिवस अधिवेशन की वेबसाइट जारी की। मध्‍य प्रदेश के इन्‍दौर में जनवरी 2023 में 17वाँ  प्रवासी भारतीय दिवस अधिवेशन आयोजित किया जाएगा। प्रत्येक वर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस (Pravasi Bharatiya Divas- PBD) भारत के विकास में प्रवासी भारतीय समुदाय के योगदान को चिह्नित करने हेतु मनाया जाता है। 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में इसलिये चुना गया था क्योंकि इसी दिन वर्ष 1915 में महान प्रवासी महात्मा गांधी, दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्त्व किया और भारतीयों के जीवन को हमेशा के लिये बदल दिया। वर्ष 2003 से प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की शुरुआत हुई लेकिन वर्ष 2015 में इसे संशोधित कर प्रत्येक दो वर्ष में मनाने का निर्णय लिया गया। यह तब एक विषय-आधारित सम्मेलन था जिसे प्रत्येक वर्ष अंतरिम अवधि के दौरान आयोजित किया जाता था। PBD सम्मेलन प्रत्येक दो वर्ष में आयोजित किया जाता हैं। प्रवासी भारतीय दिवस 2021: 16वाँ PBD सम्मेलन वस्तुतः नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। जिसकी थीम "आत्मनिर्भर भारत में योगदान" थी।

राष्‍ट्रीय वन्‍यजीव बोर्ड की स्‍थायी समिति की 70वीं बैठक

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्‍द्र यादव नराष्‍ट्रीय वन्‍यजीव बोर्ड की स्‍थायी समिति की 70वीं बैठक की अध्‍यक्षता की। इस बैठक में वन्‍यजीव संरक्षण और भारतीय सोन चिरैया को बचाने से संबंधित विभिन्‍न नीतिगत मामलों पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक में गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र की राज्य सरकारों से भारतीय सोन चिरैया के संरक्षण के लिये प्रजनन केंद्रों की स्थापना हेतु प्रस्ताव भेजने को कहा गया। साथ ही गुजरात के नर्मदा तथा वडोदरा ज़िलों के नौ जनजातीय गाँवों एवं उत्तर प्रदेश में कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के पास के गाँवों में निर्बाध संचार संपर्क की आवश्यकता को देखते हुए स्थायी समिति ने दूरसंचार टावरों के निर्माण और ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने की सिफारिश की। समिति ने उत्तराखंड में रामबाड़ा से गरुड़ मंदिर तक ब्रिडल ट्रैक के निर्माण की भी सिफारिश की। समिति ने केदारनाथ धाम जाने वाले  हज़ारों तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिये उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम के बीच रोपवे के विकास की भी सिफारिश की है। 


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