समुद्री कछुए का अवैध शिकार
एक नए अध्ययन के अनुसार, 1.1 मिलियन से अधिक समुद्री कछुओं का अवैध रूप से शिकार किया गया है और कुछ मामलों में वर्ष 1990 से 2020 तक तस्करी की गई है।
- 30 साल की अवधि में सबसे अधिक शिकार समुद्री कछुए की प्रजातियाँ ग्रीन (56%) और हॉक्सबिल (39%) का किया गया।
प्रमुख बिंदु
- अवैध शिकार में कमी: समुद्री जीवों के अवैध शिकार में 28% की कमी आई है, पिछले एक दशक में सालाना 44,000 से अधिक कछुओं को लक्षित किया गया है।
- दोहन/शोषण: विभिन्न संरक्षण कानूनों के बावजूद सरीसृपों को 65 देशों/क्षेत्रों और दुनिया में 44 समुद्री कछुए क्षेत्रीय प्रबंधन इकाइयों (Regional Management Units-RMU) में दोहन का सामना करना पड़ा।
- प्रजातियों का अवैध व्यापार: दक्षिण-पूर्व एशिया और मेडागास्कर अवैध समुद्री कछुओं के व्यापार के लिये विशेष तौर पर गंभीर रूप से लुप्तप्राय हॉक्सबिल के संबंध में प्रमुख आकर्षण के केंद्र थे।
- अवैध समुद्री कछुओं की तस्करी के लिये वियतनाम प्रमुख केंद्र था, जबकि चीन और जापान लगभग सभी तस्करी वाले समुद्री कछुओं के उत्पादों के लिये गंतव्य के रूप में जाने जाते हैं।
- उनके अंडे, मांस, त्वचा और खोल के लिये उनका शिकार किया जाता है तथा वे मछली पकड़ने वाली मशीन से आवास विनाश और आकस्मिक रूप से जाल में फँसने या बायकैच का भी सामना करते हैं।
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: जलवायु परिवर्तन का कछुओं के घोंसले के स्थलों पर प्रभाव पड़ता है, यह रेत के तापमान को बदल देता है, जो हैचलिंग के लिंग को प्रभावित करता है।
- चूँकि कछुए के अंडों का ऊष्मायन तापमान जानवर के लिंग को निर्धारित करता है, इसलिये गर्म घोंसले में अधिक मादाएँ होती हैं। जलवायु परिवर्तन से जुड़े क्वींसलैंड के उत्तर (ऑस्ट्रेलिया) में बढ़ते तापमान के कारण वस्तुतः कोई नर ग्रीन सी टर्टल पैदा नहीं हुआ है।
- पहल:
- वैश्विक: वर्ष 2017 में पूर्वी इंडोनेशिया के मालुकु प्रांत के निवासियों ने नेस्टिंग बीच (कछुए के घोंसले के समुद्र तट) पर रखे गए लेदरबैक कछुए के अंडे का 75% नष्ट किया।
- गैर-सरकारी संगठन वर्ल्ड वाइड फंड जैसे संगठनों द्वारा किये गए शिक्षा और सामुदायिक जागरूकता के कार्य ने कछुए के अंडे को नष्ट करने से बचाने में 10% तक कम करने में मदद की है।
- भारत: ओडिशा में 30,000 ओलिव रिडले कछुओं की पहचान करने की योजना है, इससे वैज्ञानिकों को उनका अध्ययन करने और संरक्षण योजनाओं का मसौदा तैयार करने में मदद मिलेगी।
- वैश्विक: वर्ष 2017 में पूर्वी इंडोनेशिया के मालुकु प्रांत के निवासियों ने नेस्टिंग बीच (कछुए के घोंसले के समुद्र तट) पर रखे गए लेदरबैक कछुए के अंडे का 75% नष्ट किया।
समुद्री कछुए (Sea Turtles):
- परिचय:
- समुद्री कछुए सुव्यवस्थित शरीर और बड़े फ्लिपर्स के साथ समुद्री सरीसृप हैं जो समुद्र में जीवन के लिये अच्छी तरह से अनुकूलित हैं।
- समुद्री कछुए के परिवार में हॉक्सबिल, लॉगरहेड, लेदरबैक, ग्रीन और ओलिव रिडले कछुए शामिल हैं।
- ये पाँच प्रजातियाँ दुनिया भर में मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जल में पाई जाती हैं।
- पाँच प्रजातियों के अलावा दो अन्य समुद्री कछुए हैं जिनकी सीमाएँ सीमित हैं।
- केम्प्स रिडले मुख्य रूप से मैक्सिको की खाड़ी और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया तथा दक्षिणी पापुआ न्यू गिनी के आसपास पाए जाते हैं।
- संरक्षण की स्थिति:
- प्रकृति के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN ) की स्थिति:
- फ्लैटबैक टर्टल: अपर्याप्त आँकड़े
- ग्रीन टर्टल: संकटग्रस्त
- हॉक्सबिल टर्टल: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- केम्प्स (Kemp’s) रिडले: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- लॉगरहेड टर्टल: सुभेद्य
- ओलिव रिडले: सुभेद्य
- लेदरबैक टर्टल: सुभेद्य
- वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) की स्थिति:
- समुद्री कछुओं की सभी सात प्रजातियों को वर्तमान में CITES के तहत परिशिष्ट- I के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- समुद्री कछुओं की सभी सात प्रजातियों को वर्तमान में CITES के तहत परिशिष्ट- I के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- प्रकृति के संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN ) की स्थिति:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ):प्रिलिम्स: प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही है। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
हिंदी दिवस
भारत के प्रधानमंत्री ने हिंदी दिवस के अवसर पर कहा कि हिंदी भाषा ने भारत को विश्व स्तर पर विशेष सम्मान दिलाया है और इसकी सादगी और संवेदनशीलता हमेशा लोगों को आकर्षित करती है।
हिंदी दिवस के पीछे का इतिहास:
- वर्ष 1949 में भारत की संविधान सभा द्वारा हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने के दिन को चिह्नित करने के लिये भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस या राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है।
- भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी का उपयोग करने का निर्णय 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान द्वारा लिया गया था तथा भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया था।
- हिंदी भाषा आठवीं अनुसूची में भी शामिल है।
- हिंदी शास्त्रीय भाषा नहीं है।
- अनुच्छेद 351 'हिंदी भाषा का प्रचार एवं उत्थान' से संबंधित है।
हिंदी को बढ़ावा देने हेतु सरकार की पहल:
- केंद्रीय हिंदी निदेशालय की स्थापना वर्ष 1960 में भारत सरकार द्वारा शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत हिंदी को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिये की गई थी।
- भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद ने हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिये विदेशों में विभिन्न विश्वविद्यालयों/संस्थानों में 'हिंदी चेयर' की स्थापना की है।
- लीला-राजभाषा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से भारतीय भाषा को सीखना) हिंदी सीखने के लिये एक मल्टीमीडिया आधारित स्व-शिक्षण अनुप्रयोग है।
- ई-सरल हिंदी वाक्य कोश और ई-महाशब्दकोश मोबाइल एप, राजभाषा विभाग की दोनों पहलों का उद्देश्य हिंदी के विकास के लिये सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है।
- राजभाषा गौरव पुरस्कार और राजभाषा कीर्ति पुरस्कार हिंदी भाषा के विकास में योगदान देने वालों को प्रदान किये जाते हैं।
हिंदी भाषा:
- हिंदी विश्व की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। भाषा का नाम फारसी शब्द 'हिंद' से मिला- जिसका अर्थ है 'सिंधु नदी की भूमि'; और संस्कृत के वंशज हैं।
- 11वीं शताब्दी की शुरुआत में तुर्की के आक्रमणकारियों ने सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र की भाषा को हिंदी यानी 'सिंधु नदी की भूमि की भाषा' नाम दिया।
- यह भारत की आधिकारिक भाषा है, जबकि अंग्रेज़ी दूसरी आधिकारिक भाषा है।
- भारत के बाहर कुछ देशों में भी हिंदी बोली जाती है, जैसे मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो एवं नेपाल आदि।
- हिंदी अपने वर्तमान स्वरूप में विभिन्न अवस्थाओं के माध्यम से उभरी, जिसके दौरान इसे अन्य नामों से जाना जाता था। पुरानी हिंदी का सबसे प्रारंभिक रूप अपभ्रंश था। 400 ईस्वी में कालिदास ने अपभ्रंश में ‘विक्रमोर्वशियम’ नामक नाटक लिखा।
- आधुनिक देवनागरी लिपि 11वीं शताब्दी में अस्तित्व में आई।
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 सितंबर, 2022
‘बहुराष्ट्रीय अभ्यास काकाडू-2022’
भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस सतपुड़ा और P-8I समुद्री गश्ती विमान 12 सितंबर, 2022 को रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी द्वारा आयोजित ‘बहुराष्ट्रीय अभ्यास काकाडू-2022’ में भाग लेने के लिये ऑस्ट्रेलिया के डार्विन पहुँचे। बंदरगाह और समुद्र, दोनों में दो सप्ताह तक चलने वाले इस अभ्यास में 14 नौसेनाओं के जहाज़ एवं समुद्री विमान शामिल होंगे। इस अभ्यास के बंदरगाह चरण के दौरान इस पोत के चालक दल भाग लेने वाली नौसेनाओं के साथ परिचालन संबंधी योजना के बारे में संवाद और खेल गतिविधियों में संलग्न होंगे। आईएनएस सतपुड़ा एक स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित 6000 टन निर्देशित मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट है जो हवा, सतह और पानी के नीचे विरोधी को तलाशने और नष्ट करने में सक्षम है। P-8I भारतीय नौसेना के लिये बोइंग कंपनी द्वारा निर्मित एक लंबी दूरी की बहु-मिशन समुद्री गश्ती पोत है। इसे भारत के समुद्र तट और क्षेत्रीय जल की रक्षा हेतु डिज़ाइन किया गया था। यह पनडुब्बी-रोधी युद्ध (ASW), सतह-रोधी युद्ध (AsuW), खुफिया, समुद्री गश्ती और निगरानी व सैनिक परीक्षण का संचालन कर सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस
केंद्र सरकार 17 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस पर एक बड़ा अभियान शुरू कर रही है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री के अनुसार, 75 दिन के तटीय सफाई अभियान “स्वच्छ सागर-सुरक्षित सागर” को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। कई राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, चर्चित हस्तियाँ और विभिन्न समूह इस अभियान में शामिल हो रहे हैं। देश भर के 75 समुद्री तटों पर सफाई अभियान चलाया जाएगा, जिसमें प्रति किलोमीटर के लिये 75 स्वयंसेवकों को शामिल किया जाएगा। समुद्र तटों से 1500 टन कचरा, मुख्य रूप से सिंगल यूज़ प्लास्टिक हटाने के लिये लोगों से मदद ली जाएगी। विश्व स्तर पर "अंतर्राष्ट्रीय तटीय सफाई दिवस" प्रत्येक वर्ष सितंबर के तीसरे शनिवार को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस का उद्देश्य महासागरों, समुद्र तटों पर कूड़े के संचय तथा इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है। स्वच्छ सागर, सुरक्षित सागर अभियान दुनिया में अपनी तरह का पहला और सबसे लंबे समय तक चलने वाला तटीय सफाई अभियान है, जिसमें सबसे अधिक संख्या में लोग भाग ले रहे हैं। इस अभियान के माध्यम से लोगों के बीच बड़े पैमाने पर व्यवहार परिवर्तन का उद्देश्य इस बारे में जागरूकता बढ़ाना है कि कैसे प्लास्टिक का उपयोग समुद्री जीवन को नष्ट कर रहा है। इस अभियान के बारे में जागरूकता फैलाने और समुद्र तट की सफाई गतिविधियों में स्वैच्छिक भागीदारी हेतु आम लोगों का पंजीकरण करने हेतु एक मोबाइल एप "इको मित्रम" लॉन्च किया गया है।