प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 14 अगस्त, 2020
सार्थक
Sarthak
13 अगस्त, 2020 को भारतीय तटरक्षक बल के लिये एक अपतटीय गश्ती पोत (Offshore Patrol Vessel) लॉन्च किया गया और इसे भारतीय तटरक्षक जहाज़ ‘सार्थक’ (Sarthak) के रूप में पुनः नामांकित किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में आयोजित लॉन्चिंग समारोह को नई दिल्ली में तटरक्षक मुख्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया गया था।
- समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिये तटरक्षक बल द्वारा तैनात पाँच अपतटीय गश्ती पोत (OPV) की श्रृंखला में ‘सार्थक’ चौथे स्थान पर है।
- इसे ‘मेक इन इंडिया’ दृष्टिकोण के अनुरूप ‘गोवा शिपयार्ड लिमिटेड’ द्वारा स्वदेशी रूप से डिज़ाइन एवं निर्मित किया गया है।
- यह जहाज़ अत्याधुनिक नेवीगेशन एवं संचार उपकरण, सेंसर एवं मशीनरी से सुसज्जित है।
- इस जहाज़ को ट्विन-इंजन हेलीकॉप्टर, चार उच्च गति वाली नावों तथा स्विफ्ट बोर्डिंग एवं सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन के लिये एक इनफ्लैटेबल (Inflatable) नाव को ढोने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- यह जहाज़ समुद्र में तेल रिसाव प्रदूषण से निपटने के लिये ‘सीमित प्रदूषण प्रतिक्रिया उपकरण’ ले जाने में भी सक्षम है।
- इस जहाज़ को राष्ट्र के समुद्री हितों की सुरक्षा के लिये तैनात किया गया है जिनमें अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone- EEZ) की निगरानी, तटीय सुरक्षा और तट रक्षक चार्टर में निहित अन्य कर्त्तव्य शामिल हैं।
अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone- EEZ): EEZ बेसलाइन से 200 नॉटिकल मील की दूरी तक फैला होता है। इसमें तटीय देशों को सभी प्राकृतिक संसाधनों की खोज, दोहन, संरक्षण और प्रबंधन का संप्रभु अधिकार प्राप्त होता है।
SPT0418-47 : बेबी मिल्की वे
SPT0418-47 : Baby Milky Way
हाल ही में खगोलविदों ने बताया कि हमारी आकाशगंगा की तरह दिखने वाली 12 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर एक अन्य सुनहरे प्रभामंडल वाली आकाशगंगा है। जिसे उन्होंने ‘SPT0418-47’ नाम दिया है।
प्रमुख बिंदु:
- खगोलविदों के अनुसार, यह शिशु तारा प्रणाली (Infant Star System) ब्रह्मांड के बारे में प्रारंभिक वर्षों में किये गए विश्लेषण को चुनौती देती है।
- इस आकाशगंगा की खोज में शामिल यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला (European Southern Observatory- ESO) ने कहा है कि ‘SPT0418-47’ नामक आकाशगंगा इतनी दूर है कि इसके प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में अरबों वर्ष लग गए।
- खगोलविदों ने बताया कि जब ब्रह्मांड की आयु 1.4 अरब वर्ष थी तब इस आकाशगंगा की मौजूदगी थी और ब्रह्मांड में आकाशगंगाएँ अभी भी सृजित हो रही हैं।
- ‘बेबी’ SPT0418-47 आकाशगंगा को चिली में स्थित ‘अल्मा रेडियो टेलीस्कोप’ (Alma Radio Telescope) द्वारा ‘गुरुत्त्वाकर्षण लेंसिंग’ (Gravitational Lensing) नामक तकनीक का उपयोग करके खोजा गया था जिसमें पास स्थित एक आकाशगंगा एक शक्तिशाली आवर्धक काँच (Magnifying Glass) के रूप में कार्य करती है।
- ‘SPT0418-47’ आकाशगंगा में हमारी आकाशगंगा के समान विशेषताएँ हैं:
- एक घूर्णन डिस्क
- एक उभार जो गैलाक्टिक केंद्र (Galactic Centre) के चारों ओर उपस्थित तारों के उच्च घनत्व को दर्शाता है।
गौरतलब है कि ब्रह्मांडीय इतिहास में यह पहली बार है कि ब्रह्मांड में एक उभार देखा गया है जो SPT0418-47 के रूप में पृथ्वी से सबसे दूर हमारी आकाशगंगा जैसा दिखता है।
कृषि मेघ
Krishi Megh
हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने आभासी तरीके से ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ (ICAR) के डेटा रिकवरी सेंटर ‘कृषि मेघ’ (Krishi Megh) की शुरुआत की।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य सरकार के प्रमुख अनुसंधान निकाय ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद’ (Indian Council of Agricultural Research) के महत्त्वपूर्ण आँकड़ों की रक्षा करना है।
प्रमुख बिंदु:
- इस डेटा रिकवरी सेंटर को हैदराबाद में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी (National Academy of Agricultural Research Management- NAARM) में स्थापित किया गया है।
- वर्तमान में ICAR का मुख्य डेटा सेंटर नई दिल्ली में भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Statistics Research Institute- IASRI) में स्थापित है।
- भारत सरकार और विश्व बैंक दोनों द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (National Agricultural Higher Education Project- NAHEP) के तहत ‘कृषि मेघ’ की स्थापना की गई है।
‘कृषि मेघ’ का महत्त्व:
- इसका निर्माण भारत में कृषि क्षेत्र में जोखिम कम करने, गुणवत्ता बढ़ाने, ई-प्रशासन की उपलब्धता एवं पहुँच, शोध, विस्तार एवं शिक्षा के लिये किया गया है।
- इस केंद्र में इमेज विश्लेषण के माध्यम से फसलों से संबंधित बीमारी एवं नुकसान पहुँचाने वाला कीटों की पहचान, फलों की परिपक्वता एवं उनके पकने से संबंधित जानकारी जुटाना, पशुओं को होने वाले रोगों की पहचान आदि से जुड़े ‘डीप लर्निंग बेस्ड एप्लीकेशंस’ के विकास एवं उपयोग के लिये नवीनतम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (artificial intelligence)/ डीप लर्निंग सॉफ्टवेयर/ टूल किट्स मौजूद हैं।
- कृषि मेघ किसानों, शोधकर्त्ताओं, छात्रों एवं नीति निर्माताओं को कृषि एवं अनुसंधान के बारे में अद्यतन व नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराएगा।
राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना
(National Agricultural Higher Education Project- NAHEP):
- इस परियोजना को भारत सरकार तथा विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित किया गया है।
- इस परियोजना का उद्देश्य कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों को नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप अधिक प्रासंगिक एवं उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करना है।
भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान
(Indian Agricultural Statistics Research Institute- IASRI):
- IASRI, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का एक अग्रणी संस्थान है जो कृषि सांख्यिकी, कंप्यूटर अनुप्रयोग एवं जैव सूचना विज्ञान में अनुसंधान, शिक्षण एवं प्रशिक्षण का कार्य करता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1930 में की गई थी तब इसे ‘इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च’ (Imperial Council of Agricultural Research) के रूप में जाना जाता था।
उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने उच्च कृषि शैक्षिक संस्थानों के लिये ‘KVC ALUNET’ (कृषि विश्व विद्यालय छात्र एल्युमनी नेटवर्क-Krishi Vishwavidyalaya Chhatr Alumni Network) और ‘ऑनलाइन प्रत्यायन प्रणाली’ (Online Accreditation System) का भी शुभारंभ किया।
मैक्सिकन स्कॉर्पियन एवं अमेरिकन बुलफ्रॉग
Mexican Scorpion & American Bullfrog
ऐसे समय में जब केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environment Impact Assessment- EIA) मसौदा चर्चा का केंद्र बना हुआ है तब केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने गुजरात में एक सड़क परियोजना के लिये EIA रिपोर्ट दर्ज की जिसमें मैक्सिकन स्कॉर्पियन (Mexican Scorpion) एवं अमेरिकन बुलफ्रॉग (American Bullfrog) और यूरोप की एक सामान्य छिपकली की सूची दी गई है जबकि इनमें से कोई भी प्रजाति भारत में नहीं पाई जाती है।
प्रमुख बिंदु:
- यह मामला केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति के समक्ष 29-30 जुलाई, 2020 को हुई बैठक में सामने आया जब भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highways Authority of India) की भारतमाला परियोजना (Bharatmala Pariyojana) के तहत गुजरात में 109 किमी. का अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेस वे (Ahmedabad-Dholera Expressway) के निर्माण पर विचार किया गया।
अमेरिकन बुलफ्रॉग (American Bullfrog):
- अमेरिकन बुलफ्रॉग को EIA रिपोर्ट में सूचीबद्ध किया गया है, इसका वैज्ञानिक नाम लिथोबैटेस कैटेस्बेइनस (Lithobates Catesbeianus) है।
- यह उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है और कई देशों में इसे आक्रामक प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है किंतु यह भारत में नहीं पाया जाता है।
- इसे IUCN की रेड लिस्ट में संकटमुक्त (Least Concern) की श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
पोडार्किस मुरालिस (Podarcis Muralis):
- यह एक सामान्य दीवार वाली छिपकली है जो यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका में पाई जाती है किंतु भारत में नहीं।
- इसे उत्तरी अमेरिका में ‘यूरोपियन वाल लिज़ार्ड’ (European Wall Lizard) भी कहा जाता है।
- इसे IUCN की रेड लिस्ट में संकटमुक्त (Least Concern) की श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
टायफ्लोचाक्टस मिटचेल्ली (Typhlochactas Mitchelli):
- यह एक मैक्सिकन स्कॉर्पियन (Mexican Scorpion) प्रजाति है जो मूल रूप से मैक्सिको में पाई जाती है।
- यह प्रजाति नेत्रहीन गुफा-आवास (Cave-Dwelling) वाले जीनस टायफ्लोचाक्टस (Typhlochactas) से संबंधित है।
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 14 अगस्त, 2020
राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी
राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (National Testing Agency-NTA) ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया है कि अंडरग्रेजुएट मेडिकल पाठ्यक्रम के लिये 'राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा' (National Eligibility Cum Entrance Test- NEET) विदेशी छात्रों के लिये ऑनलाइन आयोजित नहीं की जा सकती है। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने न्यायालय के समक्ष स्पष्ट किया कि ‘मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) के नियमों के अनुसार, 'राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा' (NEET) अनिवार्य रूप से सभी उम्मीदवारों के लिये पेपर-बुक प्रारूप में होना अनिवार्य है। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने पश्चिम एशिया में 4,000 से अधिक NEET अभ्यर्थियों के माता-पिता द्वारा या तो इन देशों में परीक्षा केंद्र स्थापित करने या फिर परीक्षा स्थगित करने को लेकर निर्देश देने संबंधी याचिका को लेकर जवाब दिया है। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के अनुसार, विदेश में परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकती, क्योंकि एकरूपता बनाए रखने के लिये 'राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा' (NEET) को एक ही दिन और एक ही पाली में आयोजित किया जाना अनिवार्य है। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने कहा कि 'राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा' (NEET) की तुलना संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) के साथ-साथ नहीं की जा सकती है। ध्यातव्य है कि इंजीनियरिंग और तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिये आयोजित होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) के केंद्र विदेश में भी स्थित हैं। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) एक स्वायत्त संस्था है जो देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश एवं छात्रवृत्ति हेतु प्रवेश परीक्षाएँ आयोजित कराती है। राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की स्थापना भारतीय संस्था पंजीकरण अधिनियम-1860 के तहत की गई थी। इस एजेंसी का उद्देश्य प्रवेश और भर्ती हेतु उम्मीदवारों की योग्यता का आकलन करने के लिये कुशल, पारदर्शी और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर परीक्षण करना है।
विश्व अंगदान दिवस
दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस (World Organ Donation Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को जीवन बचाने के लिये मृत्यु के पश्चात् अपने स्वस्थ और कीमती अंगों को दान करने के लिये प्रेरित करना है। अंगदान ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति (जीवित या मृत, दोनों) से स्वस्थ अंगों और ऊतकों को लेकर किसी अन्य ज़रूरतमंद व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। प्रत्यारोपित होने वाले अंगों में दोनों गुर्दे (किडनी), यकृत (लीवर), ह्रदय, फेफड़े, आंत और अग्न्याशय शामिल होते हैं। जबकि ऊतकों के रूप में कॉर्निया, त्वचा, ह्रदय वाल्व कार्टिलेज, हड्डियों और वेसल्स का प्रत्यारोपण होता है। जीवित व्यक्ति के लिये अंगदान के समय न्यूनतम आयु 18 वर्ष होना अनिवार्य है, हालाँकि अधिकांश अंगों के प्रत्यारोपण का निर्णायक कारक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति होती है, उसकी आयु नहीं। भारत में प्रति वर्ष लाखों लोग अंग प्रत्यारोपण का इंतजार करते-करते मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। इसका कारण मांग और दान किये गए अंगों की संख्या के बीच बड़ा अंतराल है। भारत में इस संबंध में जागरुकता पैदा करने के लिये प्रत्येक वर्ष 27 नवंबर को भारतीय अंगदान दिवस (Indian Organ Donation Day) मनाया जाता है।
अरुणोदय योजना
लगभग 17 लाख परिवारों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से असम सरकार राज्य में अरुणोदय योजना (Arunoday Scheme) लागू करने की योजना बना रही है है। इस संबंध में सूचना देते हुए राज्य के वित्त मंत्री हेमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि इस योजना के तहत आवश्यक वस्तुएँ खरीदने के लिये पात्र परिवारों को 830 रुपए प्रति महीने प्रदान किये जाएंगे। हेमंता बिस्वा सरमा के अनुसार, यह योजना असम में सबसे बडी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) योजना होगी। आधिकारिक सूचना के अनुसार, इस योजना के माध्यम से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के 15 से 17 हजार परिवारों को लाभ पहुँचेगा। अरुणोदय योजना के लिये असम सरकार 210 करोड़ रुपए प्रति माह खर्च करेगी।