प्रिलिम्स फैक्ट्स (13 Dec, 2021)



नासा का IXPE मिशन

हाल ही में ‘नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (NASA) ने ‘इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर’ (IXPE) नाम से एक नया मिशन लॉन्च किया।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • IXPE वेधशाला नासा और इटालवी अंतरिक्ष एजेंसी का संयुक्त प्रयास है।
    • यह "ब्रह्मांड में सबसे चरम और रहस्यमय वस्तुओं-सुपरनोवा अवशेष, सुपरमैसिव ब्लैक होल" तथा दर्जनों अन्य उच्च-ऊर्जा वस्तुओं का अध्ययन करेगा।
    • इस मिशन की प्राथमिक अवधि दो वर्ष है और इसकी वेधशाला पृथ्वी की भूमध्य रेखा के चारों ओर परिक्रमा करते हुए 600 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित होगी।
    • इसके द्वारा पहले वर्ष में लगभग 40 खगोलीय पिंडों का अध्ययन करने की उम्मीद है।
    • यह अन्य एक्स-रे दूरबीनों जैसे चंद्रा एक्स-रे वेधशाला और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की एक्स-रे वेधशाला, एक्सएमएम-न्यूटन का पूरक होगा।
  • महत्त्व:
    • यह न्यूट्रॉन सितारों और सुपरमैसिव ब्लैक होल से ध्रुवीकृत एक्स-रे का निरीक्षण करने में मदद करेगा। इन एक्स-रे के ध्रुवीकरण को मापकर हम यह अध्ययन कर सकते हैं कि प्रकाश का स्रोत क्या है और प्रकाश स्रोत की ज्यामिति और आंतरिक कार्यप्रणाली को समझ सकते हैं।
    • इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि ब्लैक होल घूर्णन कैसे करते हैं और अतीत में उनकी स्थिति क्या है।
    • यह पता लगाने में मदद करेगा कि पल्सर एक्स-रे में इतने चमकीले कैसे होते हैं।
    • यह सीखने में मदद करेगा कि आकाशगंगाओं के केंद्रों पर सुपरमैसिव ब्लैक होल के आसपास के क्षेत्र से निकाले गए ऊर्जावान कणों को कौन सी शक्तियाँ मिलती हैं।
  • नासा के अन्य हालिया मिशन:
  • सुपरनोवा (Supernova)
    • सुपरनोवा का अर्थ अंतरिक्ष में एक विशाल तारे के अंत के साथ किसी भयंकर और चमकीले विस्फोट से है। 
  • ब्लैक होल (Black Hole)
    • ब्लैकहोल्स अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक होता है कि यहाँ पर प्रकाश का पारगमन तक नहीं हो पाता है। गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है कि पदार्थ एक छोटे से स्थान पर सिकुड़ जाता है।
    • गुरुत्वाकर्षण तरंगें तब बनती हैं जब दो ब्लैक होल एक दूसरे की परिक्रमा करते हैं और परस्पर विलीन हो जाती हैं।
  • न्यूट्रॉन तारा (Neutron Stars)
    • न्यूट्रॉन तारों में उच्च द्रव्यमान तारों के संभावित अंत-बिंदुओं में से एक शामिल होता है।
      • एक बार जब तारे का कोर पूरी तरह से लोहे में जल जाता है तो ऊर्जा उत्पादन बंद हो जाता है और कोर तेज़ी से ढह जाता है, इलेक्ट्रॉनों और प्रोटॉन को एक साथ संपीडित कर न्यूट्रॉन और न्यूट्रिनो बनाते हैं।
      • न्यूट्रॉन अधोपतन दबाव द्वारा समर्थित एक तारे को 'न्यूट्रॉन स्टार' के रूप में जाना जाता है, जिसे पल्सर के रूप में जाना जाता है यदि इसका चुंबकीय क्षेत्र इसके स्पिन अक्ष के साथ अनुकूल रूप से संरेखित हो।

नासा की नई संचार प्रणाली: LCRD

हाल ही में नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) ने अपना नया ‘लेज़र कम्युनिकेशंस रिले डिमॉन्स्ट्रेशन’ (LCRD) लॉन्च किया है।

प्रमुख बिंदु

  • लेज़र कम्युनिकेशंस रिले डिमॉन्स्ट्रेशन

    • यह नासा की एकमात्र लेज़र संचार प्रणाली है, जो भविष्य के ऑप्टिकल संचार मिशनों का मार्ग प्रशस्त करेगी।
    • वर्तमान में, नासा के अधिकांश अंतरिक्ष यान डेटा भेजने के लिये रेडियो फ्रीक्वेंसी संचार का उपयोग करते हैं।
    • ‘लेज़र कम्युनिकेशंस रिले डिमॉन्स्ट्रेशन’ के पेलोड को अमेरिकी रक्षा विभाग के अंतरिक्ष परीक्षण कार्यक्रम सैटेलाइट-6 (STPSat-6) के माध्यम से लॉन्च किया गया है। यह भू-समकालिक कक्षा में होगा, जो पृथ्वी से लगभग 36,000 किलोमीटर ऊपर स्थित है।
    • इसे ‘कैलिफोर्निया’ और ‘हवाई’ में LCRD मिशन के ग्राउंड स्टेशनों के इंजीनियरों द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
    • यह टीम रेडियो फ्रीक्वेंसी सिग्नल के माध्यम से टेस्ट डेटा भेजेगी और LCRD ऑप्टिकल सिग्नल का इस्तेमाल करके जवाब देगा।
  • विशेषताएँ

    • इसके दो ऑप्टिकल टर्मिनल हैं। एक उपयोगकर्त्ता अंतरिक्ष यान से डेटा प्राप्त करने के लिये और दूसरा ग्राउंड स्टेशनों पर डेटा संचारित करने के लिये।
    • मॉडेम डिजिटल डेटा को लेज़र सिग्नल में ट्रांसलेट करेगा। इसके बाद इसे प्रकाश के एन्कोडेड बीम के माध्यम से प्रेषित किया जाएगा।
    • ये क्षमताएँ LCRD को नासा का पहला टू-वे, एंड-टू-एंड ऑप्टिकल रिले बनाती हैं।
  • महत्त्व

    • लेज़र अवरक्त प्रकाश का उपयोग करता है और रेडियो तरंगों की तुलना में कम तरंग दैर्ध्य होता है। इससे कम समय में ज्यादा डाटा ट्रांसफर करने में मदद मिलेगी।
      • इन्फ्रारेड लेज़र का उपयोग करते हुए, LCRD 1.2 गीगाबिट-प्रति-सेकंड (Gbps) की स्पीड से पृथ्वी पर डेटा भेजेगा। इस स्पीड से मूवी डाउनलोड होने में एक मिनट से भी कम समय लगेगा।
      • वर्तमान रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम के साथ मंगल ग्रह के एक पूर्ण मानचित्र को पृथ्वी पर वापस भेजने में लगभग नौ सप्ताह लगते हैं। लेज़रों के साथ, हम इसे लगभग नौ दिनों तक ओर बढ़ा सकते हैं।
    • ऑप्टिकल संचार रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम की तुलना में बैंडविड्थ को 10 से 100 गुना अधिक बढ़ाने में मदद करेगा।
    • ऑप्टिकल संचार बैंडविड्थ को रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम से 10 से 100 गुना अधिक बढ़ाने में मदद करेगा।
    • छोटे आकार का अर्थ है विज्ञान के उपकरणों के लिये अधिक जगह का उपलब्ध होना।
    • प्रेक्षपण यान का वज़न कम होने से लॉन्च कम खर्चीला होता है।
    • अंतरिक्ष यान में कम ऊर्जा आवश्यकता से इसकी बैटरियों में कम ऊर्जा संग्रहण करना होता है।
    • इस मिशन में रेडियो, ऑप्टिकल कम्युनिकेशन सप्लेमेंटिंग (Optical Communications Supplementing) जैसी अद्वितीय संचार क्षमताएंँ होंगी।

स्रोत-इंडियन एक्सप्रेस


काशी विश्वनाथ कॉरिडोर

हाल ही में प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन किया है।

  • परियोजना के हिस्से के रूप में 23 इमारतों- पर्यटक सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, मुमुक्षु भवन, भोगशाला, शहर संग्रहालय, व्यूइंग गैलरी, फूड कोर्ट आदि का उद्घाटन किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:

    • वर्ष 1780 ईस्वी के बाद पहली बार इंदौर की मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र का जीर्णोद्धार करवाया था।
    • इसकी नींव मार्च, 2019 में रखी गई थी। इस परियोजना की परिकल्पना तीर्थयात्रियों के लिये आसानी से सुलभ मार्ग स्थापित करने हेतु की गई थी, जिन्हें गंगा में डुबकी लगाने और मंदिर में पवित्र नदी का पानी चढ़ाने के लिये भीड़भाड़ वाली सड़कों से गुजरना पड़ता था।
    • परियोजना पर काम के दौरान 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को फिर से खोजा गया। उनकी मूल संरचना में कोई बदलाव नहीं करते हुए उन्हें बहाल किया गया।
  • महत्त्व:

    • यह प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर और गंगा नदी के घाटों को जोड़ता है।
      • काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है।
      • मंदिर पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो शिव मंदिरों में सबसे पवित्र है।
    • यह तीर्थयात्रियों और यात्रियों को चौड़ी, साफ-सुथरी सड़कें तथा गलियाँ, चमकदार स्ट्रीट लाइट के साथ बेहतर रोशनी एवं स्वच्छ पेयजल जैसी सुविधाएँ प्रदान करके पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 दिसंबर, 2021

ऐनी राइस

विश्व प्रसिद्ध गॉथिक उपन्यास ‘इंटरव्यू विद द वैम्पायर’ की लेखिका ‘ऐनी राइस’ का हाल ही में 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। ‘ऐनी राइस’ का जन्म वर्ष 1941 में ‘न्यू ऑरलियन्स’ (अमेरिका) में हुआ था और उनके कई उपन्यास इसी स्थान पर आधारित हैं। एक आयरिश कैथोलिक परिवार में पली-बढ़ीं राइस ने वर्ष 2008 के अपने संस्मरण- ‘कॉल आउट ऑफ डार्कनेस: ए स्पिरिचुअल कन्फेशन’ में अपनी उतार-चढ़ाव भरी आध्यात्मिक यात्रा के बारे में लिखा। उनका पहला उपन्यास ‘इंटरव्यू विद द वैम्पायर’ वर्ष 1976 में प्रकाशित हुआ और उसी वर्ष ‘बेस्टसेलर’ बन गया। इस उपन्‍यास पर हॉलीवुड अभिनेता टॉम क्रूज और ब्रैड पिट को लेकर एक फिल्‍म भी बनाई गई थी। उन्होंने बाद में ‘द वैम्पायर क्रॉनिकल्स’ नामक एक शृंखला का निर्माण भी किया। इसके अलावा उनके एक अन्‍य उपन्‍यास ‘क्‍वीन ऑफ द डेम्‍ड’ पर वर्ष 2002 में भी एक फिल्‍म बनाई गई थी। 

महाकवि सुब्रह्मण्य भारती

11 दिसंबर, 2021 को उप-राष्ट्रपति ने महान स्वतंत्रता सेनानी और महाकवि सुब्रह्मण्य भारती को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। माना जाता है कि तमिल कविता और गद्य में भारती के अभिनव योगदान ने 20वीं सदी में तमिल साहित्य में पुनर्जागरण को जन्म दिया। उन्होंने अंग्रेज़ी में भी व्यापक स्तर पर लिखा। सुब्रमण्यम भारती का जन्म 1882 में सी. सुब्रमण्यम के रूप में ‘एट्टायपुरम’ में हुआ था, जो कि वर्तमान तमिलनाडु के ‘थूथुकुडी’ में स्थित है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी से प्राप्त की थी। वह मात्र 11 वर्ष के थे, जब एट्टायपुरम के तत्कालीन राजा ने उनकी कविता से प्रभावित होकर उन्हें 'भारती' की उपाधि दी थी, जिसका अर्थ है ‘देवी सरस्वती का आशीर्वाद’। यद्यपि उनकी कुछ सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ उनकी मातृभाषा तमिल में हैं, किंतु माना जाता है कि सुब्रमण्यम भारती को तीन विदेशी भाषाओं सहित 14 भाषाओं में प्रवीणता प्राप्त थी। उन्होंने बाल विवाह के विरुद्ध चिंता ज़ाहिर की और ब्राह्मणवाद की समाप्ति तथा धार्मिक सुधार की वकालत की। उन्हें अपने लेखन के कारण ब्रिटिश सरकार की कार्यवाही का सामना करना पड़ा और अपना अधिकांश जीवन निर्वासन में बिताया। बाद में वह पांडिचेरी (वर्तमान पुद्दुचेरी) चले गए, जो कि उस समय फ्राँसीसी शासन के अधीन था। वहाँ उन्होंने साप्ताहिक पत्रिकाओं का संपादन और प्रकाशन किया। वर्ष 1921 में 38 वर्ष की अल्प आयु में उनका निधन हो गया। 

अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस

प्रतिवर्ष विश्व भर में 11 दिसंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस’ (International Mountain Day) मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पर्वतीय क्षेत्र के सतत् विकास के महत्त्व के बारे में जानने और पर्वतीय क्षेत्र के प्रति दायित्वों के लिये जागरूक करना है। यह दिवस पहाड़ों में सतत् विकास को प्रोत्साहित करने के लिये वर्ष 2003 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित किया गया था। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस की थीम ‘सतत् पर्वतीय पर्यटन’ रखी गई है, जो पर्यावरणीय दृष्टि से सतत् एवं स्थायी पर्यटन के महत्त्व को रेखांकित करने और उसके समक्ष मौजूद चुनौतियों को संबोधित करने पर केंद्रित है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, विश्व के तकरीबन 15 प्रतिशत लोग पर्वतों पर निवास करते हैं और विश्व के लगभग आधे जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट पर्वतों पर मौजूद हैं। पर्वत पृथ्वी की सतह का तकरीबन 27 प्रतिशत भाग कवर करते हैं। पर्वत न केवल आम लोगों के दैनिक जीवन के लिये आवश्यक हैं, बल्कि सतत् विकास की दृष्टि से भी इनका काफी महत्त्व है। 

रॉयल गोल्ड मेडल-2022

अहमदाबाद स्थित ‘बालकृष्ण दोशी’ को ‘रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स’ (RIBA) द्वारा ‘रॉयल गोल्ड मेडल-2022’ प्रदान किया जाएगा, जो कि वास्तुकला के लिये विश्व का सर्वोच्च सम्मान है। 94 वर्षीय बालकृष्ण दोशी को उनके सात दशकों लंबे कॅरियर के दौरान देश भर में 100 से अधिक परियोजनाओं को पूरा करने के लिये यह सम्मान दिया जा रहा है। गौरतलब है कि ‘रॉयल गोल्ड मेडल’ एक ऐसे व्यक्ति या समूह को प्रदान किया जाता है, जिनका वास्तुकला की उन्नति में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। ‘प्रित्ज़कर पुरस्कार’ विजेता बालकृष्ण दोशी ने वास्तुकला शिक्षा को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है और स्थानीय तकनीकों से समझौता किये बिना आधुनिकता के विचारों को नया रूप दिया है।