प्रिलिम्स फैक्ट: 13 सितंबर, 2021
स्वामी विवेकानंद
(Swami Vivekanada)
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद द्वारा वर्ष 1893 में शिकागो में दिये गए प्रतिष्ठित भाषण को याद करते हुए कहा कि इसमें पृथ्वी को अधिक न्यायपूर्ण, समृद्ध एवं समावेशी बनाने की क्षमता है।
- स्वामी विवेकानंद को भारत के सबसे बेहतरीन आध्यात्मिक नेताओं और बुद्धिजीवियों में से एक माना जाता है।
प्रमुख बिंदु
- जन्म: स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को नरेंद्रनाथ दत्त के रूप में हुआ था।
- प्रतिवर्ष स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ का आयोजन किया जाता है।
- वर्ष 1893 में खेतड़ी राज्य के महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर उन्होंने 'विवेकानंद' की उपाधि धारण की।
- योगदान
- उन्होंने दुनिया को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया।
- उन्होंने 'नव-वेदांत' (पश्चिमी दृष्टिकोण के माध्यम से हिंदू धर्म की व्याख्या) का प्रचार किया और भौतिक प्रगति के साथ आध्यात्मिकता के संयोजन में विश्वास किया।
- विवेकानंद ने मातृभूमि के उत्थान के लिये शिक्षा पर सबसे अधिक बल दिया। साथ ही उन्होंने मानव हेतु चरित्र-निर्माण की शिक्षा की वकालत की।
- उन्हें वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में दिये गए उनके भाषण के लिये जाना जाता है।
- उन्होंने अपनी पुस्तकों (राजयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग) में सांसारिक सुख एवं मोह से मोक्ष प्राप्त करने के चार मार्गों का वर्णन किया है।
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने विवेकानंद को "आधुनिक भारत का निर्माता" कहा था।
- संबंधित संगठन
- वह 19वीं सदी के रहस्यवादी रामकृष्ण परमहंस के मुख्य शिष्य थे और उन्होंने वर्ष 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
- रामकृष्ण मिशन एक ऐसा संगठन है जो मूल्य आधारित शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण, युवा एवं आदिवासी कल्याण और राहत तथा पुनर्वास के क्षेत्र में काम करता है।
- वर्ष 1899 में उन्होंने ‘बेलूर मठ’ की स्थापना की, जो उनका स्थायी निवास बन गया।
- मृत्यु: वर्ष 1902 में बेलूर मठ में उनकी मृत्यु हो गई। पश्चिम बंगाल में स्थित बेलूर मठ, रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है।
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 सितंबर, 2021
'महाकवि' सुब्रमण्यम भारती
स्वतंत्रता सेनानी और महान कवि ‘सुब्रमण्यम भारती’ की 100वीं पुण्यतिथि को चिह्नित करने हेतु तमिलनाडु सरकार ने 11 सितंबर को 'महाकवि' दिवस के रूप में घोषित किया है। माना जाता है कि तमिल कविता और गद्य में भारती के अभिनव योगदान ने 20वीं सदी में तमिल साहित्य में पुनर्जागरण को जन्म दिया। उन्होंने अंग्रेज़ी में भी व्यापक स्तर पर लिखा, हालाँकि उन्हें अंग्रेज़ी के लिये काफी कम प्रसिद्धि मिली। सुब्रमण्यम भारती का जन्म 1882 में सी. सुब्रमण्यम के रूप में ‘एट्टायपुरम’ में हुआ था, जो कि वर्तमान तमिलनाडु के ‘थूथुकुडी’ में स्थित है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी से प्राप्त की थी। वह मात्र 11 वर्ष के थे, जब एट्टायपुरम के तत्कालीन राजा ने उनकी कविता से प्रभावित होकर उन्हें 'भारती' की उपाधि दी थी, जिसका अर्थ है ‘देवी सरस्वती का आशीर्वाद’। यद्यपि उनकी कुछ सबसे प्रसिद्ध कृतियाँ उनकी मातृभाषा तमिल में हैं, किंतु माना जाता है कि सुब्रमण्यम भारती को तीन विदेशी भाषाओं सहित 14 भाषाओं में प्रवीणता प्राप्त थी। उन्होंने बाल विवाह के विरुद्ध चिंता ज़ाहिर की और ब्राह्मणवाद की समाप्ति तथा धार्मिक सुधार की वकालत की। उन्हें अपने लेखन के कारण ब्रिटिश सरकार की कार्यवाही का सामना करना पड़ा और अपना अधिकांश जीवन निर्वासन में बिताया। बाद में वह पांडिचेरी (वर्तमान पुद्दुचेरी) चले गए, जो कि उस समय फ्राँसीसी शासन के अधीन था। वहाँ उन्होंने साप्ताहिक पत्रिकाओं का संपादन और प्रकाशन किया। वर्ष 1921 में 38 वर्ष की अल्प आयु में उनका निधन हो गया।
शिक्षा को हमले से बचाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस
प्रतिवर्ष 09 सितंबर को वैश्विक स्तर पर ‘शिक्षा को हमले से बचाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस प्रकार का पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस वर्ष 2020 में आयोजित किया गया था। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य संघर्ष से प्रभावित देशों में रहने वाले लाखों बच्चों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिवस की घोषणा करने वाले संयुक्त राष्ट्र के संकल्प को ‘कतर’ द्वारा प्रस्तुत किया गया था और कुल 62 देशों द्वारा इसे सह-प्रायोजित किया गया था। यह दिवस स्पष्ट करता है कि सभी शिक्षार्थियों को सुरक्षा प्रदान करना और सभी स्तरों पर समावेशी एवं समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना सरकारों का प्राथमिक उत्तरदायित्व है। यह दिवस स्कूलों, शिक्षार्थियों और शैक्षिक कर्मियों को किसी भी प्रकार के हमले से बचाने हेतु सभी संभव उपायों द्वारा मानवीय आपात स्थितियों में सुरक्षित और सुरक्षात्मक स्कूल वातावरण को बढ़ावा देने के लिये प्रयासों को तेज़ करने, वित्तपोषण बढ़ाने और सशस्त्र संघर्ष की स्थितियों में शिक्षा तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है, साथ ही यह उन कार्यों पर रोक लगाता है, जो बच्चों की शिक्षा तक पहुँच में बाधा उत्पन्न करते हैं।
‘प्रवासियों के संरक्षक’ सम्मेलन का चौथा संस्करण
10 सितंबर, 2021 को ‘प्रवासियों के संरक्षक’ (POE) सम्मेलन का चौथा संस्करण आयोजित किया गया। संयोगवश इसी दिन ‘इमिग्रेंट एक्ट, 1983’ को भी अधिनियमित किया गया था। विदेश मंत्रालय के तहत ‘प्रवासियों के संरक्षक जनरल’ (PGE) भारतीय कामगारों के हितों की रक्षा हेतु उत्तरदायी प्राधिकरण है। PGE विदेशी जनशक्ति निर्यात व्यवसाय के लिये भर्ती एजेंटों को पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने का पंजीकरण प्राधिकरण भी है। ‘प्रवासियों के संरक्षक’ ‘इमिग्रेंट एक्ट, 1983’ के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार इच्छुक प्रवासियों को इमिग्रेशन हेतु मंज़ूरी देने के लिये उत्तरदायी होते हैं। ‘प्रवासियों के संरक्षक’ प्रायः ‘प्रवासियों के संरक्षक जनरल’ के नियंत्रण में कार्य करते हैं। इस संबंध में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, गतिशीलता एवं साझेदारी पर ब्रिटेन के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन, 14 क्षेत्रों में जापान के साथ विशिष्ट कुशल कामगारों पर समझौते और हाल ही में भारत एवं पुर्तगाल के बीच कुशल जनशक्ति गतिशीलता पर कैबिनेट की मंज़ूरी की पृष्ठभूमि में युवाओं व श्रमिकों को नए गंतव्यों और अवसरों के बारे में सूचित करने में POEs की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
सेंटर फॉर ओल्डेस्ट आइस एक्सप्लोरेशन (COLDEX)
अंटार्कटिका की सबसे पुरानी बर्फ की खोज हेतु अन्वेषण करने और पिछले कई मिलियन वर्षों में पृथ्वी की जलवायु में आए बदलावों का पता लगाने के उद्देश्य से जल्द ही ‘सेंटर फॉर ओल्डेस्ट आइस एक्सप्लोरेशन’ (COLDEX) की स्थापना की जाएगी। इस अन्वेषण अभियान को अमेरिका के ‘नेशनल साइंस फाउंडेशन’ द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा और इसमें विभिन्न विश्विद्यालयों के शोधकर्त्ता शामिल होंगे। इस अध्ययन का प्राथमिक उद्देश्य यह पता लगाना है कि पिछले दस लाख वर्षों की तुलना में अधिक गर्म होने पर वर्तमान में पृथ्वी किस प्रकार व्यवहार कर रही है। इस अध्ययन के हिस्से के तौर पर अंटार्कटिका में बर्फ के सबसे पुराने हिस्से को खोजने का प्रयास किया जाएगा। इस अध्ययन के माध्यम से प्राप्त सूचना जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों को दूर करने के प्रयासों को आगे भी जारी रखने हेतु काफी महत्त्वपूर्ण हो सकती है। अंटार्कटिका की बर्फ का सबसे पुराना रिकॉर्ड वर्तमान में लगभग 800,000 वर्ष पुराना है, जिसे महाद्वीप की सतह से मीलों नीचे ड्रिलिंग करके एकत्र किया गया था। शोधकर्त्ताओं को उम्मीद है कि इस अध्ययन के माध्यम से 1.5 मिलियन वर्ष से 3 मिलियन वर्ष तक के पुराने बर्फ के टुकड़े खोजे जा सकेंगे।