प्रारंभिक परीक्षा
बटरफ्लाई माइन
ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध के अपने इंटेलिजेंस असेसमेंट में डोनेट्स्क और क्रामाटोर्स्क में रूसी सेना द्वारा PFM-1 शृंखला 'बटरफ्लाई माइन' के संभावित उपयोग को लेकर चिंता व्यक्त की है।
इंटेलिजेंस असेसमेंट
- रूस ने डोनबास (डोनेट्स्क और लुहान्स्क) में अपनी रक्षात्मक सीमाओं के साथ स्वतंत्र संचलन को रोकने के लिये एंटी-पर्सनल माइंस को तैनात किया है।
- इन माइंस में व्यापक स्तर पर सैन्य और स्थानीय नागरिक आबादी के हताहत होने की क्षमता है।
- रूस ने डोनेट्स्क और क्रामाटोर्स्क में संभवतः PFM-1 और PFM-1S के योग्य एंटी-कार्मिक माइंस के नियोजन का प्रयास किया है।
- PFM-1 और PFM-1S को आमतौर पर 'बटरफ्लाई माइन’ या 'ग्रीन पैरट' के रूप में जाना जाता है।
- यह नाम माइंस के आकार और रंग के आधार पर रखे गए हैं।
- PFM-1 और PFM-1S को आमतौर पर 'बटरफ्लाई माइन’ या 'ग्रीन पैरट' के रूप में जाना जाता है।
बटरफ्लाई माइन:
- परिचय:
- यह अत्यंत संवेदनशील एंटी-पर्सनल बारूदी सुरंग है।
- 5 किलो का एक प्रयुक्त पेलोड, खदान में विस्फोट करने के लिये पर्याप्त है।
- छोटे बच्चों के लिये भी यह बेहद खतरनाक है।
- PFM-1 और PFM-1S के बीच बड़ा अंतर यह है कि PFM-1S एक स्व-विनाशक तंत्र है जो 1 से 40 घंटों के भीतर सक्रिय हो जाता है।
- उपयोग:
- इन्हें हेलीकॉप्टरों से या तोपखाने और मोर्टार के गोले का उपयोग करके बैलिस्टिक प्रसार की भाँति गिराया जा सकता है।
- ये बिना विस्फोट किये धरातल पर गिरते हैं और धरातल के संपर्क में आने से विस्फोट करते हैं।
- इन्हें हेलीकॉप्टरों से या तोपखाने और मोर्टार के गोले का उपयोग करके बैलिस्टिक प्रसार की भाँति गिराया जा सकता है।
- खोज:
- इन माइंस का पता लगाना मुश्किल होता है क्योंकि ये प्लास्टिक से बनी होती हैं और इन्हें मेटल डिटेक्टर से नहीं ढूंँढा जा सकता है।
- तकनीकी विनिर्देश:
- ये पॉलीथीन प्लास्टिक से बनाये जाते हैं और इनमें विंग्स के समान संरचना होती हैं, जिसका एक भाग दूसरे भाग की अपेक्षा भारी होता है।
- भारी भाग मुख्य फ्यूज़ के लिये दबाव सक्रियण है जो केंद्रीय निकाय में निहित होता है।
- ये पॉलीथीन प्लास्टिक से बनाये जाते हैं और इनमें विंग्स के समान संरचना होती हैं, जिसका एक भाग दूसरे भाग की अपेक्षा भारी होता है।
- एंटी-पर्सनल माइंस पर कन्वेंशन:
- लैंड माइंस पर अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन द्वारा एंटी-पर्सनल माइंस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है लेकिन रूस और यूक्रेन इसके हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं हैं।
- कुछ पारंपरिक हथियारों के कन्वेंशन ऑन लैंड माइंस प्रोटोकॉल के लिये वर्ष 1996 का संशोधित प्रोटोकॉल II है, जिस पर रूस और यूक्रेन हस्ताक्षरकर्त्ता हैं।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारंभिक परीक्षा
लैंग्या वायरस
कोविड-19 और मंकीपॉक्स के मामलों के बीच एक नए जूनोटिक लैंग्या हेनिपावायरस ने चिंता बढ़ा दी है।
- लैंग्या वायरस का पहला मामला वर्ष 2019 में सामने आया था। लैंग्या वायरस को जैव सुरक्षा स्तर-4 (BSL4) रोगजनकों के बीच वर्गीकृत किया गया है।
जैव सुरक्षा स्तर
- BSL का उपयोग श्रमिकों, पर्यावरण और जनता की सुरक्षा के लिये प्रयोगशाला सेटिंग में आवश्यक सुरक्षात्मक उपायों की पहचान करने हेतु किया जाता है।
- जैविक प्रयोगशालाओं में संचालित गतिविधियों और परियोजनाओं को जैव सुरक्षा स्तर द्वारा वर्गीकृत किया जाता है।
- चार जैव सुरक्षा स्तर BSL-1, BSL-2, BSL-3 और BSL-4 हैं, जिसमें BSL-4 उच्चतम (अधिकतम) स्तर का नियंत्रण है।
लैंग्या वायरस
- परिचय:
- लैंग्या वायरस एक जूनोटिक वायरस है जिसका मतलब है कि यह जानवरों से इंसानों में फैल सकता है।
- लैंग्या जीनस हेनिपावायरस का हिस्सा है, जिसमें एक सिंगल स्ट्रैंडेड RNA जीनोम एक नकारात्मक अभिविन्यास के साथ है।
- हेनिपावायरस पैरामिक्सोविरिने की अद्वितीय विशेषताएँ उनके बड़े जीनोम हैं, लंबे समय तक अपरिवर्तित क्षेत्र यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ज़ूनोसिस का उभरता हुआ कारण है।
- नोवल लैंग्या वायरस:
- नया खोजा गया लैंग्या वायरस 'फाइलोज़ेनेटिक रूप से अलग हेनिपावायरस' है।
- पहले खोजे गए हेनिपावायरस प्रकार के अन्य वायरस मोजियांग, घनियन, सीडर, निपाह और हेंड्रा हैं।
- इनमें से निपाह और हेंड्रा को मनुष्यों में घातक बीमारियों का कारण माना जाता है।
- लैंग्या का जीनोम संगठन "अन्य हेनिपावायरस के समान" है और यह "मोजियांग हेनिपावायरस" से निकटता से संबंधित है, जिसे दक्षिणी चीन में खोजा गया था।
- लक्षण:
- बुखार, थकान, खाँसी, जी मिचलाना, सिरदर्द, भूख न लगना आदि।
- उपचार:
- मनुष्यों के लिये कोई लाइसेंस प्राप्त दवाएँ या टीके नहीं हैं।
लैंग्या वायरस काप्रभाव:
- गंभीर संक्रमण के मामले में लैंग्या वायरस संभावित रूप से मनुष्यों के लिये घातक हो सकता है।
- लैंग्या, विषाणुओं के उसी परिवार से संबंधित है जिससे घातक निपाह विषाणु संबंधित है जो आमतौर पर चमगादड़ों में पाया जाता है।
विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
प्रश्न. निम्नलिखित में से किनका, इबोला विषाणु के प्रकोप के लिये हाल ही में समाचारों में बार-बार उल्लेख हुआ? (a) सीरिया और जॉर्डन उत्तर: (b)
अतः विकल्प (B) सही उत्तर है। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 अगस्त, 2022
पार्श्वगायक सुबन्ना
कन्नड़ भाषा के प्रसिद्ध पार्श्वगायक सुबन्ना का 11 अगस्त, 2022 को बंगलूरू में हृदयघात से निधन हो गया। वे 83 वर्ष के थे। वह दशकों तक कन्नड़ संगीत की दुनिया में छाए रहे। सुबन्ना पहले कन्नड़ गायक थे, जिन्हें उनके गीत काडू कुडूर ओडि बेनडिटा के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रकवि कुवेम्पु द्वारा लिखित 'बारीसु कन्नड़ दिंडीमावा' गाने के बाद वह कर्नाटक में प्रसिद्ध हो गए। उन्हें सुगमा संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिये जाना जाता है, यह एक शैली है जो कन्नड़ में कविता संगीत के लिये निर्धारित है। सुबन्ना ने कुवेम्पु एवं दा रा बेंद्रे जैसे प्रसिद्ध कवियों की कविताओं पर काम किया और गाया है तथा कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किये हैं। वह आकाशवाणी और दूरदर्शन के गायक भी थे और उन्होंने एक वकील के रूप में काम किया था।
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस, 2022
युवाओं की समस्याओं को पहचानने और उन पर ध्यान दिलाने के लिये प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। वर्ष 1999 में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। यह संयुक्त राष्ट्र महासभा में, लिस्बन में युवाओं के कल्याण के लिये ज़िम्मेदार मंत्रियों के विश्व सम्मेलन द्वारा की गई सिफारिश पर आधारित था। प्रथम अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 12 अगस्त, 2000 को मनाया गया था। संयुक्त राष्ट्र हर साल एक थीम तय करता है जो सभी वैश्विक समुदायों और नागरिकों के लिये प्रासंगिक है। वर्ष 2022 के लिये इस दिवस की थीम “अंतरपीढ़ीगत एकजुटता: सभी उम्र हेतु विश्व का निर्माण (Intergenerational solidarity: Creating a world for all ages)” है। हालाँकि युवा क्षमता को साकार करने संबंधी विभिन्न चुनौतियाँ मौजूद हैं, भारत की अल्प वित्तपोषित शिक्षा प्रणाली रोज़गार के उभरते अवसरों का लाभ उठाने के लिये युवाओं को आवश्यक कौशल प्रदान करने हेतु अपर्याप्त अवसर है। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि महामारी के कारण स्कूल बंद होने से बच्चों के सीखने, जीवन और मानसिक कल्याण पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के सर्वेक्षण से पता चलता है कि विश्व में 65% किशोरों ने महामारी के दौरान कम सीखने की सूचना दी। बाल विवाह, लिंग आधारित हिंसा, दुर्व्यवहार और तस्करी के प्रति उनकी संवेदनशीलता, ये सभी मुद्दे युवा महिलाओं को उनकी पूरी क्षमता हासिल करने से रोकते हैं।
'मीठी क्रांति (स्वीट रिवोल्यूशन)'
मधुमक्खी पालन और उससे संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने के माध्यम से प्रधानमंत्री की 'मीठी क्रांति (स्वीट रिवोल्यूशन)' की परिकल्पना के अनुरूप शहद की निर्यात क्षमता का दोहन करने के लिये केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और किसानों के सहयोग से देश भर में कार्यक्रमों की एक शृंखला आयोजित करने की योजना बनाई है। ऐसा ही एक कार्यक्रम चंडीगढ़ में निर्यातकों, हितधारकों और सरकारी अधिकारियों को शामिल करते हुए शहद के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये ‘वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय’ के अंतर्गत ‘कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA)’ द्वारा आयोजित किया जाना है जिसमें गुणवत्ता उत्पादन सुनिश्चित करके किसानों को शहद उत्पादन के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा। विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक स्तर पर शहद की प्राकृतिक प्रतिरक्षा बूस्टर विशेषताओं और चीनी के एक स्वस्थ्य विकल्प के कारण इसकी खपत में कई गुना वृद्धि को देखते हुए APEDA का लक्ष्य अब नए देशों में गुणवत्ता उत्पादन और बाज़ार विस्तार सुनिश्चित करके शहद के निर्यात को बढ़ावा देना है। वर्तमान में भारत का प्राकृतिक शहद निर्यात मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के बाज़ार पर निर्भर है जो इस निर्यात का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत पहल’ के एक हिस्से के रूप में सरकार ने ‘राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (NBHM)’ के लिये तीन वर्ष (2020-21 से 2022-23) की अवधि हेतु 500 करोड़ रुपए के आवंटन को मंज़ूरी दी है।